माँ मुझे इस दुनिया में आने दो!!
जन्म से पहले मौत क्यूँ?
जन्म तो लेने दो!!
क्या कसूर है मेरा?
लड़की हूँ,लड़का नहीं!!
क्यूँ समझती हो मुझे?
अपनी जिन्दगी का अंधेरा!!
मैं बानूगी तुम्हारी,
बिटिया बहुत ही प्यारी!!
-सुनील दत्ता
जिन्दगी के हर पल में,
जिन्दगी की धूप छाँव में,
दूँगी मैं तुम्हारा साथ !!
जब झटक देगा हर कोई तेरा हाथ,
तब मैं रहूंगी सदैव तुम्हारे साथ!!
माँ का उस अंजन्मी बच्ची को दिया ज़वाबमेरी बिटिया रानी,
मुझे है तुमसे बहुत प्यार!!
कों सुनेगा तेरी यह पुकार!!
मैं भी एक नारी हूँ ,
इस समाज के दिए दुखों की मारी हूँ!!
लड़की होना ही है अभिशाप,
करा दिया जाता है मेरा गर्भपात!!
गाज़र ,मूली की भाँति,
तुझे हैं काट देते!!
एक मूक चीक के साथ,
तुझे मौत की नींद सुला देते!!
यह पढ़ा लिखा सब समाज
एक तरफ़ देवी की तरह पूजता,
दूसरी तरफ़ तुझे है मौत देता!!
2 टिप्पणियां:
sandesh deti hui rachna ....
स्त्री जीवन अभिशप्त है , अपमानित होने के लिए।
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