.......गतांक से आगे
इसके अलावा इस वर्ष जहां-जहां ब्लॉग पर वैज्ञानिक गतिविधियाँ देखी गयीं उसमें प्रमुख Science Fiction in India , विज्ञान गतिविधियां Science Activities , क्यों और कैसे विज्ञान मे , प्रश्न मंच ,ईमली ईको क्लब Tamarind Eco Club ,सर्प संसार (World of Snakes) , Dynamic , स्वच्छ सन्देश: विज्ञान की आवाज़ , विज्ञान की दुनिया… हिंदी के झरोखे से…, विज्ञान हिन्दी वेबसाइट , विज्ञान - विक्षनरी , विज्ञान BBC Hindi , Hash out Science » विज्ञान » चर्चा,विज्ञान , विज्ञान « Hindizen – निशांत का हिंदीज़ेन ..., कलिकऑन , विज्ञान मन आदि !
विश्लेषण के १५ भागों में आप कई ज्वलंत मुद्दों और साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों को प्राणवायु देने वाले चिट्ठोंकी चर्चा मेंशामिल रहे ,किन्तु आज मैं जिन चिट्ठाकारों की चर्चा करने जा रहा हूँ उनके अवदान को न तो यह समाज कभी खारिज कर पायेगा और न ही यह ब्लॉगजगत !
ब्लॉग लेखन एक तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है और लोग तेजी से इसकी ओर आकृष्ट हो रहे हैं। ऐसे में इसके द्वारा विज्ञान संचार की अपार सम्भावनाएं छिपी हुई हैं। ब्लॉग लेखन की सबसे बडी विशेषता यह है कि यह पूरे विश्व में पढा जा सकता है और अनन्त समय तक अंतर्जाल पर सुरक्षित रहता है। इसके साथ ही साथ विश्व के किसी भी कोने से किसी भी सर्च इंजन द्वारा खोजने पर ब्लॉग में उपलब्ध सामग्री तत्काल ही इच्छुक व्यक्ति तक पहुंच जाती है। यही कारण है कि ब्लॉग लेखन द्वारा विज्ञान संचार की अपार सम्भावनाएं बनती हैं। यदि ब्लॉग लेखकों और विज्ञान संचारकों को इसके महत्व एवं प्रक्रिया की समुचित जानकारी प्रदान की जाए, तो विज्ञान संचार के लिए यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र साबित हो सकता है।
जी हाँ ,मैं बात कर रहा हूँ समाजिक एवं वैज्ञानिक चेतना के प्रचार के लिए कार्य करने वाले ब्लॉग की ,जिनके द्वारा केवल ब्लॉग पर ही नहीं,अपितु अनेक कार्यक्रमों को क्रियान्वित किया जाता है, ताकि जन चेतना को विज्ञान से जोड़ा जा सके !विज्ञान वह व्यवस्थित ज्ञान या विद्या है जो विचार, अवलोकन, अध्ययन, और प्रयोग से मिलती है, जो कि किसी अध्ययन के विषय की प्रकृति या सिद्धान्तों को जानने के लिये किये जाते हैं। विज्ञान शब्द का प्रयोग ज्ञान की ऐसी शाखा के लिये भी करते हैं, जो तथ्य, सिद्धान्त और तरीकों को प्रयोग और परिकल्पना से स्थापित और व्यवस्थित करती है । इस प्रकार कह सकते हैं कि किसी भी विषय का क्रमबद्ध ज्ञान को विज्ञान कह सकते है। ऐसा कहा जाता है कि विज्ञान के 'ज्ञान-भण्डार'के बजाय वैज्ञानिक विधि विज्ञान की असली कसौटी है।
इस दिशा में एक ब्लॉग है तस्लीम , जिसके द्वारा विभिन्न स्थानों एवं समयों पर विविध कार्यक्रम सम्पन्न किये जाते रहे हैं तथा वैज्ञानिक जागरूकता के काम को नियमित रूप से सम्पादित किया जाता रहा है।‘तस्लीम‘ द्वारा निष्पादित उक्त गतिविधियों को विद्वतजनों ने न सिर्फ पसंद किया है, बल्कि समाचार पत्रों आदि में इस सम्बंध में प्रकाशित रिपोर्टों आदि ने संस्था का उत्साहवर्द्धन किया है। इसके अतिरिक्त ब्लॉग पर उपलब्ध सामग्री को सम्पूर्ण विश्व में ११ हजार से अधिक पाठकों द्वारा न सिर्फ पढ़ा गया है, बल्कि अपनी टिप्पणियों के द्वारा इसे सराहा और प्रोत्साहित भी किया गया है।‘तस्लीम‘ ने अपने ब्लॉग कार्यशालाओं के माध्यम से विज्ञान संचार के अपने प्रयासों के दौरान यह देखा है कि हिन्दी भाषी लागों में इससे जुड़ने की प्रबल आकांक्षा है किन्तु तकनीकी जानकारी न होने के कारण वे पीछे रह जाते हैं। इस दिशा में तस्लीम के द्वारा किया जा रहा कार्य प्रसंशनीय है ! इस ब्लॉग के ३३९ प्रशंसक हैं ! इस संस्था के अध्यक्ष हैं अब्दुल कवी, उपाध्यक्ष हैं डा0 अरविंद मिश्र, सचिव हैं ज़ाकिर अली 'रजनीश, ' कोषाध्यक्ष हैं अर्शिया अली, सक्रिय सहयोगी हैं जीशान हैदर ज़ैदी !
इस दिशा में एक ब्लॉग है तस्लीम , जिसके द्वारा विभिन्न स्थानों एवं समयों पर विविध कार्यक्रम सम्पन्न किये जाते रहे हैं तथा वैज्ञानिक जागरूकता के काम को नियमित रूप से सम्पादित किया जाता रहा है।‘तस्लीम‘ द्वारा निष्पादित उक्त गतिविधियों को विद्वतजनों ने न सिर्फ पसंद किया है, बल्कि समाचार पत्रों आदि में इस सम्बंध में प्रकाशित रिपोर्टों आदि ने संस्था का उत्साहवर्द्धन किया है। इसके अतिरिक्त ब्लॉग पर उपलब्ध सामग्री को सम्पूर्ण विश्व में ११ हजार से अधिक पाठकों द्वारा न सिर्फ पढ़ा गया है, बल्कि अपनी टिप्पणियों के द्वारा इसे सराहा और प्रोत्साहित भी किया गया है।‘तस्लीम‘ ने अपने ब्लॉग कार्यशालाओं के माध्यम से विज्ञान संचार के अपने प्रयासों के दौरान यह देखा है कि हिन्दी भाषी लागों में इससे जुड़ने की प्रबल आकांक्षा है किन्तु तकनीकी जानकारी न होने के कारण वे पीछे रह जाते हैं। इस दिशा में तस्लीम के द्वारा किया जा रहा कार्य प्रसंशनीय है ! इस ब्लॉग के ३३९ प्रशंसक हैं ! इस संस्था के अध्यक्ष हैं अब्दुल कवी, उपाध्यक्ष हैं डा0 अरविंद मिश्र, सचिव हैं ज़ाकिर अली 'रजनीश, ' कोषाध्यक्ष हैं अर्शिया अली, सक्रिय सहयोगी हैं जीशान हैदर ज़ैदी !
दूसरा ब्लॉग है साईंस ब्लोगर असोसिएशन,इसकी स्थापना 20 दिसम्बर 2008 को हुई थी। यह भी अंधविश्वास के प्रति एक अभियान का हिस्सा है, जो ब्लॉग पोस्ट और विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से वैज्ञानिक गतिविधियों को प्राणवायु देने का महत्वपूर्ण कार्य करता है ! इस पर प्रत्येक वर्ष "साईंस ब्लोगर ऑफ़ दी ईयर" का खिताब किसी एक ब्लोगर को प्रदान किया जाता है !यह मंच है विज्ञान के ब्लागरों का, यहाँ होता है विज्ञान का संवाद और संचार ब्लॉग के जरिये और होती हैं विज्ञान और टेक्नोलॉजी की बातें, जन जन के लिए, आम और खास के लिए भी! इनका कहना है कि आप वैज्ञानिक हो तो भी इस ब्लॉग से जुडें, जन संचारक हों तो भी आपका स्वागत है इस ब्लॉग पर ! इस संस्था के अध्यक्ष हैं डा0 अरविंद मिश्र, उपाध्यक्ष हैं ज़ीशान हैदर ज़ैदी,सचिव हैं ज़ाकिर अली 'रजनीश', कोषाध्यक्ष हैं अर्शिया अली,तकनीकि निर्देशक हैं विनय प्रजापति तथा इसके सक्रिय सहयोगी हैं रंजना भाटिया,अल्पना वर्मा,मनोज बिजनौरी,जी0के0 अविधया,सलीम खान,डा0 प्रवीण चोपड़ा,अभिषेक मिश्रा,अंकुर गुप्ता,अंकित,हिमांशु पाण्डेय,पूनम मिश्रा और दर्शन बवेजा आदि !
विज्ञान का एक और महत्वपूर्ण ब्लॉग है साईब्लाग [sciblog] , ब्लोगर हैं डा अरविन्द मिश्र !यह ब्लॉग २९ सितंबर -२००७ को अस्तित्व में आया !ब्लॉग पर वैज्ञानिक जागरूकता लाने के उद्देश्य से सक्रिय लोगों में सर्वाधिक चर्चित ब्लोगर हैं डा अरविन्द मिश्र , जिनका इस ब्लॉग को शुरू करने के पीछे जो उद्देश्य रहा है उसके बारे में इनका कहना है कि -" मेरा मानना है कि ब्लॉग एक खुली डायरी है ,वेब दुनिया का एक सर्वथा नया प्रयोग .अभिव्यक्ति का एक नया दौर .एक डायरी चिट्ठा कैसे बन गयी /या बन सकती है मेरा मन स्वीकार नहीं कर पा रहा.फिर चिट्ठे से कच्चे चिट्ठे जैसी बू भी आती है .मगर चूँकि नामचीन चिट्ठाकारों ने इस पर मुहर लगा दी है और यह शब्द भी अब रूढ़ सा बन गया है मैंने पूरे सम्मान के साथ असहमत होते हुए भी इसे स्वीकार तो कर लिया है पर अपने हिन्दी ब्लॉग पर इस प्रयोग के दुहराने की हिम्मत नही कर पाया -इसलिए देवनागरी मे ही अंगरेजी के शब्दान्शों को जोड़ कर काम चलाने की अनुमति आप सुधी जनों से चाहता हूँ.इस ब्लॉग पर मैं विज्ञान के विविध विषयों पर अपना दिलखोल विचार रख सकूंगा .यह ब्लॉग तो अभी इसके नामकरण पर ही आधारित है .आगे विज्ञान की चर्चा होगी ...!"
इसके अलावा इस वर्ष जहां-जहां ब्लॉग पर वैज्ञानिक गतिविधियाँ देखी गयीं उसमें प्रमुख Science Fiction in India , विज्ञान गतिविधियां Science Activities , क्यों और कैसे विज्ञान मे , प्रश्न मंच ,ईमली ईको क्लब Tamarind Eco Club ,सर्प संसार (World of Snakes) , Dynamic , स्वच्छ सन्देश: विज्ञान की आवाज़ , विज्ञान की दुनिया… हिंदी के झरोखे से…, विज्ञान हिन्दी वेबसाइट , विज्ञान - विक्षनरी , विज्ञान BBC Hindi , Hash out Science » विज्ञान » चर्चा,विज्ञान , विज्ञान « Hindizen – निशांत का हिंदीज़ेन ..., कलिकऑन , विज्ञान मन आदि !
देखा जाए तो हिंदी ब्लोगिंग में विज्ञान से संवंधित ब्लॉग का अभी भी अभाव है, अन्य विषयों के ब्लॉग की तुलना में विज्ञान से जुड़े हुए ब्लॉग काफी कम है ! इस संवंध में दर्शन बबेजा का कहना है कि "सभी शिक्षक अपनी जिम्मेदारी को समझें विज्ञान एवँ पर्यावरण के प्रति विद्याथियों को शिक्षित करें। जिससे उनमें पर्यावरण की रक्षा करने की जागरुकता आए। यह कार्य अत्यावश्यक इसलिए है कि विद्यार्थी के कोमल मन मस्तिष्क पर बचपन में प्राप्त ज्ञान की अमिट छाप रह्ती है और वह इसे जीवन भर नहीं भूलता। इसलिए अंधविश्वाश निवारण एवं पर्यावरण संरक्षण में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका है, इससे इंकार नही किया जा सकता।"
इस वर्ष आये विज्ञान से संवंधित नए ब्लोगों में सर्वाधिक चर्चित रहा स्वच्छ सन्देश: विज्ञान की आवाज़ , लखनऊ के हरफनमौला ब्लोगर सलीम खान का यह विषय पर आधारित ब्लॉग ०२ जनवरी-२०१० को ब्लॉगजगत का हिस्सा बना और अपने कतिपय महत्वपूर्ण पोस्टों के माध्यम से हिंदी ब्लोगिंग में हलचल पैदा करने में सफल रहा है ! इस नए ब्लॉग को मेरी शुभकामनाएं !
इसके अलावा विज्ञान की नित नयी जानकारी इन्द्रजाल मे उपलब्ध कराने का एक विनम्र प्रयास किया जा रहा है विज्ञान विश्व के द्वारा ! विज्ञान व तकनीक से जुड़े मुद्दों पर चर्चा, सवाल-जवाब तथा सूचना का आदान प्रदान करने में इस वर्ष सार्थक भूमिका निभाया ज्ञान- विज्ञान ने ! इस वर्ष कुछ इधर की, कुछ उधर की ब्लॉग पर एक सार्थक पोस्ट २९ मई २०१० को देखी गयी , विषय था मनोविज्ञान---मन का विज्ञान या आत्मा का ?
आईये अब आपको एक ऐसी साईट पर ले चलते हैं जहा कुछ ख़ास है आपके लिए !भारत सरकार के द्वारा 1989 में स्थापित संस्था “विज्ञान प्रसार” का कार्य विज्ञान को आम लोगों विशेषकर बच्चों में लोकप्रिय बनाना है। विज्ञान प्रसार की हिन्दी पत्रिका “विज्ञान प्रगति” जिन्होंने पढ़ी होगी वे अवश्य इससे परिचित होंगे। किंतु वि.प्र. के जालस्थल में अनेक कमियाँ भी दिखायी देती हैं। ऐसा अकसर होता है कि सरकार के हिन्दी को बढ़ावा देने के उपक्रम मूलतः प्रतीकात्मक रह जाते हैं। यही कारण है इस जाल-स्थल पर अधिकांश सामग्री अंग्रेजी में है और केवल बाहरी लिंक हिन्दी में हैं। यद्यपि प्रयास सराहनीय है। किंतु अच्छा होता यदि अंदर की सामग्री भी हिन्दी में होती।भाषा के प्रश्न को छोड़ दें तो यदि आप विज्ञान में रूचि रखते हैं या अपने घर परिवार के बच्चों को विज्ञान की सरल-सुलभ जानकारी देना चाहते हैं तो एक बार इस जाल-स्थल पर अवश्य जाएँ। विज्ञान प्रसार के जाल-स्थल पर जाने के लिये यहाँ क्लिक करें।
रवीन्द्र प्रभात
परिकल्पना ब्लॉग से साभार
1 टिप्पणी:
dhanywaad meri charcha karne ke liye
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