महंगाई बेरोजगारी उत्पीडन से परेशान बेहाल जनता ने 18 दिन सारा कामकाज छोड़ कर मिस्त्र में अमेरिकन साम्राज्यवाद के पिट्ठू तानशाह हुस्नी मुबारक को राष्ट्रपति पद से मुक्ति दिला दी। मध्य एशिया में इस तरह के तानाशाह बीस-बीस, पच्चीस-पच्चीस साल से विराजमान हैं और जनता की समस्याओं से उनका कोई लेने देना नहीं रहता है। विश्व स्तर की राजनीति में वह अमेरिकन साम्राज्यवाद की जी हजूरी में रहकर उसके हितों की परिपूर्ति करने का साधन बने रहते हैं। अमेरिकन साम्राज्यवादियों ने बड़ी ख़ूबसूरती से बूढ़े तानाशाह से मुक्ति पा ली क्योंकि आने वाले उसी के व्यक्ति हैं, जो राजसत्ता पर स्थापित हो रहे हैं। इस तरह से कोई व्यवस्थागत परिवर्तन नहीं हो रहा है जबकि इसके विपरीत जनता को रोजगार शिक्षा स्वास्थ्य तथा अपने शोषण से मुक्ति की आवश्यकता है लेकिन हर्ष इस बात की है कि जनता ने अपनी ताकत को पहचाना है। मिस्त्र की आत्मविश्वास भरी जनता आने वाले शासक को भी जनता के हितों के लिए काम करने को मजबूर करेगी।
मिस्त्र के जनांदोलन ने मध्य एशिया के देशों में नई आशा और विश्वास का संचार किया है और हो सकता है कि आने वाले दिनों में सूडान, यमन, सीरिया, टर्की सहित बादशाहत वाले अमेरिकी साम्राज्यवाद के प्रतिनिधियों को उखाड़ फेंकेगी और एक नए समाज की संरचना हेतु जनता में आशा और विश्वास को पुनर्जीवित करेगी। अपने देश के युवाओं में भी इन तानाशाह के पतन से नई आशा व विश्वास का जन्म हुआ है जो आने वाले दिनों में इन भ्रष्टाचारी राजनेताओं के पतन का कारण बनेगी।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
मिस्त्र के जनांदोलन ने मध्य एशिया के देशों में नई आशा और विश्वास का संचार किया है और हो सकता है कि आने वाले दिनों में सूडान, यमन, सीरिया, टर्की सहित बादशाहत वाले अमेरिकी साम्राज्यवाद के प्रतिनिधियों को उखाड़ फेंकेगी और एक नए समाज की संरचना हेतु जनता में आशा और विश्वास को पुनर्जीवित करेगी। अपने देश के युवाओं में भी इन तानाशाह के पतन से नई आशा व विश्वास का जन्म हुआ है जो आने वाले दिनों में इन भ्रष्टाचारी राजनेताओं के पतन का कारण बनेगी।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
4 टिप्पणियां:
चले चलो के वो मंजिल अभी नहीं आई
मगर हिन्दोस्तान का जनतन्त्र में इस प्रकार की गुंजाइश नहीं है!
पश्चिम से हवा चली हैं,
कभी तो पूरब में आएगी.
उम्मीद करनी चाहिये
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