सोमवार, 28 मार्च 2011

अमरीका, भारत का विश्वसनीय मित्र नहीं हो सकता: विकीलीक्स भाग 2

केबल के अनुसार अहमदीनेजाद के दौरे के बारे में मेनन ने बताया कि वे हवाई अड्डे पर 16ः30 पर उतरे, भारतीय राष्ट्रपति से जाकर 45 मिनट तक बात की, फिर प्रधानमंत्री के साथ डिनर एवं मीटिंग में सम्मिलित हुए जिसमें मेनन भी थें। इस मीटिंग में मेनन ने भी हालात बताए। फिर अहमदीनेजाद ने ऐसी दुनिया की बात की जो ईरानी दृष्टिकोण से विकसित हुई है और यह ईरान के पक्ष में बढ़ती रहेगी। मेनन ने स्वीकार किया कि ‘‘मैं नहीं जानता था कि अहमदीनेजाद काफ़ी आदर्शवादी हैं’’ मेनन ने यह बात भी नोट की कि वे अमेरिका पर स्पष्ट रूप से आक्रामक नहीं हुए, उन्होंने विचार ज़ाहिर किया कि अमरीका ने ईराक को अस्थिर किया है और वह वहाँ से जल्दी ही हटेगा। जब स्पष्ट करने को कहा गया तो मेनन के अनुसार वे कुछ नर्म पड़े। अफ़ग़ानिस्तान के संबंध में उन्होंने कहा कि वहाँ हामिद करज़ई का कोई विकल्प नहीं है ओर कहा कि काबुल की सरकार को मज़बूत किया जाना चाहिए। ईराक़ में ज़्यादा कानून व्यवस्था पर ज़ोर दिया और मालिकी सरकार को अच्छा बताया। मेनन ने यह भी बताया कि उनकी बातों मे गर्मी और गंध नहीं थी।
मेनन को उनकी आत्म प्रशंसा एवं आत्म संदर्भ का तरीक़ा देखकर थोड़ी घबराहट हुई, मुख्य रूप से उस समय जब तेल मूल्य पर बात हुई और उन्होंने डींग मारने के अंदाज़ में कहा कि ये मूल्य तो ऊँचे बने रहेंगे। अहमदीनेजाद ने चीन सहित दूसरे देशों को सख़्त सुस्त कहा, चीन के बारे में कहा कि उसने अपना तमाम धन अमरीकी डालरों के रूप में रख छोड़ा है, कुछ भी बाक़ी नहीं बचाया। इससे मेनन ने नतीज़ा निकाला कि वे दूसरे देशों से हमारे बारे में भी बुरा बोलते होंगे। मेनन ने यह भी ध्यान दिया कि उन्होंने इस्राईल के बारे में प्रत्यक्ष आक्रामकता नहीं दिखाई। न तो उन्होंने इस्राईली ‘सेटलाइट’ के भारतीय ‘लाँच’ का जिक्र किया, न ही भारत अमरीकी संबंधों का। मेनन का यह आँकलन था कि कुल मिलाकर दिल्ली में वे अपने गृहदेश के लोगों को दिखाने का कार्य कर रहे थे, और वोटरों को यह प्रदर्शित कर रहे थे कि वे दौरे कर के दूसरे देशों से सम्पर्क साधने में सक्ष्म हैं। केबल के अनुसार मेनन ने अमरीका को सतर्क किया कि वह खुले रूप से यह निर्देश न दे कि वह क्या करे क्या नहीं। इस सरकार को ऐसा दिखना चाहिए कि वह स्वतंत्र विदेश नीति का अनुसरण कर रही है और अमरीका से निर्देश नहीं लेती।
विकीलीक्स के वेबसाइट के एक और विस्फोटक रहस्योद्घाटन में, जो 2005 मंे एक अमरीकी राजनयिक द्वारा भेजा गया, रेडक्रास को यह कहते हुए दिखाया गया कि कश्मीरी जेलों में बन्द कै़दियों पर ज़ुल्म करने वालों को भारतीय सरकार ने माफ़ कर दिया। एक अन्य केबल में भारत में अमरीकी राजूदत रोमर द्वारा कांग्रेस लीडर राहुल गांधी को यह कहते हुए दिखाया गया कि हिन्दू चरमपंथ, लश्कर लड़ाकों से ज़्यादा बड़ा खतरा है।
3 अगस्त 2009 के केबल में रोमर के अनुसार राहुल गांधी एक लंच मीटिंग में यह कहते हुए दिखाए गए हैं कि ‘‘यद्यपि इसके साक्ष्य है कि मुस्लिमों के कुछ तत्व लश्करे तैय्यबा को सहयोग देते हैं, परन्तु उभरते हुए हिन्दू कट्टरवादियों से बड़ा खतरा है, जो मुस्लिमों से धार्मिक तनाव और राजनैतिक टकराव पैदा करतेे हैं’’ केबल ने बताया कि गांधी ने यह जवाब उस समय दिया जब राजदूत ने उनसे क्षेत्र में लश्कर की गतिविधियों पर प्रश्न किया और खतरे के बारे में पूछा। रोमर के अनुसार राहुल ने कहा ‘‘पाकिस्तान की ओर से या भारत के इस्लामी ग्रुप द्वारा जो आतंकी आक्रमण हो रहे हैं उनकी प्रतिक्रिया में देशी चरमपंथी फ्ऱन्टों की तरफ़ से बढ़ रहा खतरा चिंता का विषय है जिस पर बराबर ध्यान रखने की आवश्कयता है। केबल के अनुसार कांग्रेस लीडर ने रोमर से अनेक राजनैतिक विषयों, सामाजिक चैलेंज, और अगले पाँच साल मंे कांग्रेस के सामने आने वाले चुनावी बिन्दुओं पर भी विचार विर्मश किया, तथा गांधी ने गुजरात के भाजपाई मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा धु्रवीकरण करके तनाव पैदा करने के मामलों को भी सदंर्भित किया। विकीलीक्स द्वारा जारी किए गए चैथाई मिलियन अमरीकी केबलों मंे इस बात का भी पर्दा फ़ाश किया गया कि बहुत से मामले किस प्रकार गुप्त ढंग से अमरीका ने अंजाम दिए, इनमंे यह भी था कि टर्की मंे अफ़ग़ानिस्तान के मामले पर एक महत्वपूर्ण बैठक की गई परन्तु भारत को इससे दूर रखा गया।
विकीलीक्स द्वारा सूचनाओं की लाई गई मौजूदा लहर ने भारत अमरीकी संबंधों को ख़तरे में डाल दिया है, इसमें अमरीकी विदेश मंत्री हिलेरी किलिंटन को यह कहते हुए दिखाया गया कि भारत ‘स्व-नियुक्त’ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अग्रिम धावक बन रहा है जिससे वह इसका स्थायी सदस्य बन सके। इस संबंध में हिलेरी ने गुप्त सूचनाएँ एकत्र करने के निर्देश दिए। वर्तमान लीक की गई सूचनाओं से अमरीकी हितों तथा मित्रों से संबंधों में दरार पड़ने के दृष्टिगत उसने भारत को पहले ही चेतावनी दी है, तथा बताया कि 2006-10 के मध्य की सूचनाओं में दोनांे देशों के बीच हुई परमाणु डील के संबंध में विप्लवकारी प्रभाव वाली बातें हो सकती हैं। एक अन्य अभिलेख में अमीरात के क्राउन पिं्रस मोहम्मद बिन ज़ायद के संदर्भ से एम0बी0 जेड केबल ने बताया कि उन्होंने पाकिस्तान को एफ0 16 फाइटर जेट की आपूर्ति के अमरीकी निर्णय का यह तर्क देकर समर्थन किया कि इससे शक्ति संतुलन पर असर नहीं पड़ेगा क्योंकि भारत शक्तिशाली स्थायित्व का लोकतंत्र है, अतः पाकिस्तान तो ख़तरे में पड़ सकता है, परन्तु भारत को कोई खतरा नहीं है।
भारत-अमरीका के बीच असैनिक परमाणु सहयोग के मामले में परमाणु आपूर्ति ग्रुप की पूर्ण मीटिंग में सदस्यों की क्या योजना थी, इस सम्बन्ध में भी केबल ने जानने का प्रयास किया तथा यह भी कि सी0टी0बी0टी0 में सम्मिलित किए जाने या इसके पुष्टीकरण हेतु मेम्बरों के क्या विचार भारत के बारे में हैं।
एक केबल के अनुसार अपने विदेशों में तैनात ओवरसीज आफीसर्स से इस प्रकार की सूचनाएँ एकत्र करके भेजने हेतु कहा गया- आफिस और संगठनों के पदनाम, नाम, बिजनेस कार्ड पर दर्ज सूचनाएँ, टेलीफोन, सेलफोन, पेज़र तथा फैक्स के नम्बर, इन्टरनेट, इन्ट्रानेट हैंडिल, इन्टरनेट ई-मेल के पते, वेबसाइट पहचान यू.आर.एल., क्रेडिट कार्ड एकाउण्ट नम्बर आदि, वर्क शेड्यूल और अन्य जरूरी जीवन वृत्त
सम्बंधी सूचनाएँ।
इनमें ये सूचनाएँ भी हैं कि शिवसेना एवं आर.एस.एस. के बीच खींचातानी है जो आर.एस.एस. का मातृ संगठन तथा भाजपा का सहमित्र है, यह खींचातानी प्रवासी उत्तर भारतीयों के मुम्बई में प्रवास के अधिकार को लेकर है। शिवसेना ने खुलकर बिहार एवं उत्तर प्रदेश के प्रवासियों पर आक्रामक रुख अपना रखा है।
बिहार के एक दौरे के समय प्रेस से बात करते हुए राहुल गांधी ने उत्तर भारतीयों के पक्ष में, जो मुम्बई में कार्यरत हैं, कहा कि सेना अप्रासंागिक है तथा सभी भारतीयों को भारत भर में आजादी से निवास करने का अधिकार है।
आतंकी घटनाओं पर केबल द्वारा राय प्रकट करते हुए भारतीय अधिकारियों की इस सम्बन्ध में तैयारी की कमी पर फोकस किया गया। भारत सरकार के इस आश्वासन पर कि वह दोहरे आतंकवाद से मुकाबला करने में सक्षम है, अविश्वसनीय करार दिया गया।

-सी0 आदिकेशवन
अनुवादक-डा।एस0एम0 हैदर

समाप्त
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