गुरुवार, 24 मार्च 2011

मायावती की पुलिस ने भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को भी नहीं बक्शा

मायावती की पुलिस का दरोगा पुलिसिया अंदाज में संबोधित करते हुए

प्रदेश में मायावती की सरकार समाज के हर तबकों का इलाज लाठी और गोली से कर रही है। उसके पीछे उसका तर्क यह होता है कि कानून और व्यवस्था हर हालत में बनाये रखा जायेगा किन्तु उसी कानून और व्यवस्था को बनांये रखने में उसका दोहरा चरित्र भी दिखाई देता है। जाट आन्दोलन को मुख्यमंत्री मायावती का समर्थन प्राप्त होने से कानून और व्यवस्था कि कोई समस्या नहीं थी और दिल्ली जाने वाली रेलवे लाईनो को प्रदेश सरकार के कुशल नेतृत्व में जाटों ने बंद कर रखा था। माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद प्रदेश सरकार ने कोई हस्ताक्षेप नहीं किया।
वहीँ 23 मार्च को शहीद दिवस भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव की स्मृति में आजमगढ़ में आयोजित हुआ जिसको मायावती की सरकार के दरोगा ने आयोजनकर्ताओं को गन्दी-गन्दी गालियाँ दी लातों से मारा। इप्टा के सदस्य जब कलेक्ट्रेट चौक पर पहुंचे और वहां पर जब साथी लोग अपना कार्यक्रम देने लगे तो इतने में सिविल लाइन चौकी के दरोगा ने आकर शहादत दिवस के क्रायक्रम में वाद्य बजा रहे साथी को अपने पैर से मारा और कहा कि यहाँ पर कुछ नही करना है इसके साथ ही मोती एवं एनी सत्यो के साथ अभद्र व्यवहार किया ।परन्तु इसके बावजूद इप्टा के साथी वहां पर कार्यक्रम कर के गये |
भगत सिंह तुम जिन्दा हो हम सबके अरमानो में ,भगत तुम हमारे दोस्त हो ,इन्कलाब जिन्दा बाद ,साम्राज्यवाद मुर्दाबाद के नारों से भारतीय जन नाट्य संघ आजमगढ़ द्वारा भगतसिंह के शहादत दिवस पर नुक्कड़ गीतों और नाटको के जरिये अपनी श्रद्धांजली अर्पित किया, इसके उपरान्त इप्टा द्वारा नुक्कड़ नाटको और गीतों का कार्यक्रम किया गया।
कार्यक्रम में सभा को सम्बोधित करते हुए पत्रकार सुनील दत्ता ने कहा कि भगतसिंह को पूर्वाग्रहों से नही ,तर्क से जानना होगा -वे क्रन्तिकारी थे, आतंकवादी नही - तभी उन्होंने सांडर्स -वध को ग्लोरिफाई नही किया और असेम्बली में बम फोड़ते समय यह सावधानी भी रखी कि किसी की जान जाये ,गुलामी के शासन में जो अंग्रेज करते थे वो आज की सरकारों की पुलिस कर रही है , मोती ने कहा कि क्रांति शब्द का अर्थ प्रगति के लिए परिवर्तन की भावना एवं आकांक्षा है |

सुमन
लो क सं घ र्ष !
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