विकीलीक्स के अभिलेख यह रहस्योद्घाटन करते हैं कि यू0एस0 भारतीय हितों के विरुद्ध कार्य करता आ रहा है। सच्चाई यही है कि वह भारत का विश्वसनीय मित्र नहीं है। भारत की वर्तमान सरकार के लिए सतर्क होने का यह उचित समय है। अमरीका के समीप हो जाने से रूस ने हमसे और दूरी बना ली है और चीन अब भारत का विरोधी बन गया है जो हमारे देश के लिए खतरनाक बात है।
मौजूदा समय मंे विकीलीक्स अमरीकी हितों के खि़लाफ़ खतरे की घंटी बन गई है। 77000 अभिलेखों की जो पहली खेप है वह अफ़ग़ानिस्तान मे अमरीका के सैनिक अभियान से संबधित है। यह अभिलेख देखकर लोग आश्चर्य चकित हुए कि अमरीका के नेतृत्व वाली सैन्य शक्तियों ने अफ़ग़ानिस्तान में कितनी क्रूरताएँ कीं। 400,000 अभिलेखों की दूसरी कि़स्त इराक में अमरीकी सेना की मौजूदगी से सबंधित है। इसमें फिर इराकी जनता के साथ अमानवीय व्यवहार की सत्यता सामने आ गई। तीसरी खेप में बहुत अधिक अभिलेख थे। इन वर्गीकृत अमरीकी राजनयिक केबलों द्वारा यह राज़ सामने आया कि विदेशी सरकारों और इनके नेतृत्व करने वालों के विरोध में क्या भ्रष्ट आचरण किए गए? भ्रष्टाचार के इन आरोपों के कारण ये विदेशी सरकारें और राजनीतिज्ञ गम्भीर झंझावतोें में घिर गए। इन स्पष्ट सूचनाओं ने अमरीकी प्रशासन व उसकी विदेश नीति को भी कठिनाइयों में डाल दिया।
इन रिपोर्टों में जो देश और उनके राजनीतिज्ञ सामने आए, वे हैं- रूस, अफ़ग़ानिस्तान और मध्य एशिया के पूर्व सोवियत गणराज्य, कुछ दूसरे क्षेत्र जैसे पूर्वी एशिया जिसमें भारत भी शामिल है। यूरोप में तैनात अमरीकी राजनयिकों ने वहाँ से वाशिंगटन को कुछ ऐसी सारगर्मित आरोपों की विस्तृत रिपोर्टें भेजीं जिनसे बड़ी किरकिरी हुई। शुरू में पाकिस्तान के अमरीका से संबंध ही विकीलीक्स के केन्द्र बिन्दु थे, अब भारत-अमरीका संबंध भी इसके अन्तर्गत आ गए। भारत से सबंधित जो अभिलेख विकीलीक्स के हाथ लगे उनमंे केवल भारतीय महानुभावों के भ्रष्टाचार में संलिप्त होने की बात ही नहीं, बल्कि यह भी ज्ञात हुआ कि भारत की अफ़ग़ानिस्तान, इराक तथा ईरान के संबंध में क्या अन्दुरूनी नीति थी।
विकीलीक्स के अभिलेखांे की खेप में भारत का विश्व में भरोसेमन्द तथा सम्मानित शक्ति होने का चापलूसी पूर्ण नक्शा खींचा गया जो अपने पड़ोसी पाकिस्तान के सताने से परेशान रहता है। इन पंक्तियों के लिखते समय तक विकीलीक्स द्वारा जारी 243 अभिलेखों मंे भारत का संक्षिप्त विवरण दिया गया। इनमें से कोई भी दिल्ली स्थित अमरीकी दूतावास से नहीं आया। (परन्तु विकीलीक्स का कथन है कि उक्त दूतावास से जारी 3000 से
अधिक केबल उसके पास हैंै) मध्य पूर्व के दो केबल इस क्षेत्र में भारत के पक्ष मंे हैं।
अनेक घटनाओं में भारतीय दृष्टिकोण से चार ऐसी हैं जो सनसनी पूर्ण हैं। पहली यह कि बुश प्रशासन की ओर से अटल बिहारी वाजपेयी सरकार पर इराक में भारतीय सेना भेजने हेतु दबाव डाला गया। जुलाई 2003 मंे सरकार ने इससे इन्कार कर दिया। परन्तु दिल्ली में अनेक आवाजे़ं ऐसी थीं जो अमरीकी अनुरोध को स्वीकार करने पर बल दे रही थीं। भारतीय राजनैतिक नेतृत्व, नौकरशाहों तथा नीति निर्धारण के जो मामले दिल्ली के अमरीकी दूतावास तथा वाशिंगटन बीच के थे, इनसे संबधित राजनयिक केबलों पर भी विकीलीक्स नें अपनी पकड़ बना ली थी।
हेडली जो शिकागो में था या उसकी पत्नी तक पहुँच हेतु चिदम्बरम ने अनुरोध किया हालाँकि इससे कुछ नतीजा नहीं निकला। चिदम्बरम का कहना था कि क्या जी0ओ0आई0 आॅफीसर समय के अन्दर प्रश्नावली के अनुसार पूछताछ कर सकता है? चिदम्बरम का यह भी कहना था कि उनके मन में यह भावना थी कि अकेला हेडली ऐसा नही कर सकता, लेकिन यह भी स्वीकारा कि इस हेतु उनके पास कोई साक्ष्य नहीं था कि यहाँ उसके ‘स्लीपिंग सेल्स’ हैं, सम्भवतः इन्हीं में से 13 फरवरी के पूना बम काण्ड में किसी का हाथ रहा होगा। मालूम ही है कि शिकागो आधारित पाकिस्तानी-अमरीकी डैविड कोलमैन हेडली, 2008 के मुंबई काण्ड में लश्करे तैय्यबा एवं पाकिस्तानी जासूसी एजेंसियों के साथ साजि़श रचकर हमले का आरोपी है।
विकीलीक्स विसिल ब्लोअर वेबसाइट के चैथाई मिलियन अमरीकी दस्तावेज़ों की गुप्त सूचनाओं में से 3038 वे वर्गीकृत केबल हैं जो नई दिल्ली स्थित अमरीकी दूतावास की हैं। ‘लीक’ हुए दस्तावेज़ों के 5087 केबल भारत से संबंधित हैं।
1966 से इस वर्ष के फरवरी तक संसार के देशों के 274 दूतावासों एवं वाशिंगटन के स्टेट डिपार्टमेन्ट के मध्य गुप्त सूचनाओं के आदान प्रदान में 15652 ऐसे गुप्त केबल हैं जो वर्गीकृत हैं। विकीलीक्स द्वारा जारी कूटनीतिक केबलों के अनुसार संसार में फैलाने से पूर्व भारत में जैव-रासायनिक आक्रमण द्वारा भंयकर बीमारियाँ जैसे ‘एन्थ्रेक्स’ के फैला देने का लक्ष्य है।
भारत मंे सामाजिक सद्भावना एवं आर्थिक समृद्धि को बर्बाद करने हेतु आतंकवादी अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए अब ‘बायोटेक प्रगति’ का सहारा लेते हुए जैव-रासायनिक अस्त्रों का प्रयोग करके विकराल संहार कर सकते हैं, यह चेतावनी भी इन्हीं केबलों ने दी हैं। 26/11/2008 का जो आक्रमण मुंबई मंे पाकिस्तान स्थित लश्करे तैय्यबा द्वारा हुआ उससे पूर्व एवं बाद दिल्ली के राजनयिकों द्वारा भेजे गए संदेश, इसकी भयावहता एवं भारतीय मुसलमानों का कट्टरता की ओर अग्रसर होने के वर्णन पर केन्द्रित हैं।
एक संदेश आशावादी है- यह कि भारत की 150 मिलियन मुस्लिम आबादी का चरमपंथ के प्रति कोई आकर्षण नहीं है। यहाँ के जागृत लोकतंत्र, प्रगतिशील अर्थ व्यवस्था तथा समावेशी संस्कृति में मुस्लिमों को मुख्य धारा में शामिल होने तथा उन्नति के रास्तों पर जाने हेतु बल प्रदान किया है तथा अलग-अलग रहने की मानसिकता को कम किया है।
केबल यह भी कहता है- यद्यपि मुस्लिम समाज यहाँ अन्य वर्गों की अपेक्षा उच्च दर की गरीबी से ग्रस्त है तथा भेदभाव का शिकार बन गया है फिर भी बड़ी संख्या में वे भारतीय तंत्र के प्रति वफ़ादार हैं और राजनैतिक एवं आर्थिक मामलांे में भागीदार बन कर मुख्य धारा में रहते हैं। यह भी पता चला है कि 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के परवर्ती काल में अमरीका व भारत के बीच जो बातचीत का दौर चला वह आसान नहीं था। दिल्ली से भेजे गए 3038 राजनयिक केबलों में विदेश सचिव शिवशंकर मेनन के भी संदेश थे जो वेबसाइट द्वारा लीक हुए। विकीलीक्स द्वारा जारी चैथाई मिलियन गुप्त अमरीकी अभिलेखों में 5087 भारत से
सबंधित हैं।
-सी0 आदिकेशवन
अनुवादक-डा.एस0एम0 हैदर
क्रमश:
इन रिपोर्टों में जो देश और उनके राजनीतिज्ञ सामने आए, वे हैं- रूस, अफ़ग़ानिस्तान और मध्य एशिया के पूर्व सोवियत गणराज्य, कुछ दूसरे क्षेत्र जैसे पूर्वी एशिया जिसमें भारत भी शामिल है। यूरोप में तैनात अमरीकी राजनयिकों ने वहाँ से वाशिंगटन को कुछ ऐसी सारगर्मित आरोपों की विस्तृत रिपोर्टें भेजीं जिनसे बड़ी किरकिरी हुई। शुरू में पाकिस्तान के अमरीका से संबंध ही विकीलीक्स के केन्द्र बिन्दु थे, अब भारत-अमरीका संबंध भी इसके अन्तर्गत आ गए। भारत से सबंधित जो अभिलेख विकीलीक्स के हाथ लगे उनमंे केवल भारतीय महानुभावों के भ्रष्टाचार में संलिप्त होने की बात ही नहीं, बल्कि यह भी ज्ञात हुआ कि भारत की अफ़ग़ानिस्तान, इराक तथा ईरान के संबंध में क्या अन्दुरूनी नीति थी।
विकीलीक्स के अभिलेखांे की खेप में भारत का विश्व में भरोसेमन्द तथा सम्मानित शक्ति होने का चापलूसी पूर्ण नक्शा खींचा गया जो अपने पड़ोसी पाकिस्तान के सताने से परेशान रहता है। इन पंक्तियों के लिखते समय तक विकीलीक्स द्वारा जारी 243 अभिलेखों मंे भारत का संक्षिप्त विवरण दिया गया। इनमें से कोई भी दिल्ली स्थित अमरीकी दूतावास से नहीं आया। (परन्तु विकीलीक्स का कथन है कि उक्त दूतावास से जारी 3000 से
अधिक केबल उसके पास हैंै) मध्य पूर्व के दो केबल इस क्षेत्र में भारत के पक्ष मंे हैं।
अनेक घटनाओं में भारतीय दृष्टिकोण से चार ऐसी हैं जो सनसनी पूर्ण हैं। पहली यह कि बुश प्रशासन की ओर से अटल बिहारी वाजपेयी सरकार पर इराक में भारतीय सेना भेजने हेतु दबाव डाला गया। जुलाई 2003 मंे सरकार ने इससे इन्कार कर दिया। परन्तु दिल्ली में अनेक आवाजे़ं ऐसी थीं जो अमरीकी अनुरोध को स्वीकार करने पर बल दे रही थीं। भारतीय राजनैतिक नेतृत्व, नौकरशाहों तथा नीति निर्धारण के जो मामले दिल्ली के अमरीकी दूतावास तथा वाशिंगटन बीच के थे, इनसे संबधित राजनयिक केबलों पर भी विकीलीक्स नें अपनी पकड़ बना ली थी।
हेडली जो शिकागो में था या उसकी पत्नी तक पहुँच हेतु चिदम्बरम ने अनुरोध किया हालाँकि इससे कुछ नतीजा नहीं निकला। चिदम्बरम का कहना था कि क्या जी0ओ0आई0 आॅफीसर समय के अन्दर प्रश्नावली के अनुसार पूछताछ कर सकता है? चिदम्बरम का यह भी कहना था कि उनके मन में यह भावना थी कि अकेला हेडली ऐसा नही कर सकता, लेकिन यह भी स्वीकारा कि इस हेतु उनके पास कोई साक्ष्य नहीं था कि यहाँ उसके ‘स्लीपिंग सेल्स’ हैं, सम्भवतः इन्हीं में से 13 फरवरी के पूना बम काण्ड में किसी का हाथ रहा होगा। मालूम ही है कि शिकागो आधारित पाकिस्तानी-अमरीकी डैविड कोलमैन हेडली, 2008 के मुंबई काण्ड में लश्करे तैय्यबा एवं पाकिस्तानी जासूसी एजेंसियों के साथ साजि़श रचकर हमले का आरोपी है।
विकीलीक्स विसिल ब्लोअर वेबसाइट के चैथाई मिलियन अमरीकी दस्तावेज़ों की गुप्त सूचनाओं में से 3038 वे वर्गीकृत केबल हैं जो नई दिल्ली स्थित अमरीकी दूतावास की हैं। ‘लीक’ हुए दस्तावेज़ों के 5087 केबल भारत से संबंधित हैं।
1966 से इस वर्ष के फरवरी तक संसार के देशों के 274 दूतावासों एवं वाशिंगटन के स्टेट डिपार्टमेन्ट के मध्य गुप्त सूचनाओं के आदान प्रदान में 15652 ऐसे गुप्त केबल हैं जो वर्गीकृत हैं। विकीलीक्स द्वारा जारी कूटनीतिक केबलों के अनुसार संसार में फैलाने से पूर्व भारत में जैव-रासायनिक आक्रमण द्वारा भंयकर बीमारियाँ जैसे ‘एन्थ्रेक्स’ के फैला देने का लक्ष्य है।
भारत मंे सामाजिक सद्भावना एवं आर्थिक समृद्धि को बर्बाद करने हेतु आतंकवादी अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए अब ‘बायोटेक प्रगति’ का सहारा लेते हुए जैव-रासायनिक अस्त्रों का प्रयोग करके विकराल संहार कर सकते हैं, यह चेतावनी भी इन्हीं केबलों ने दी हैं। 26/11/2008 का जो आक्रमण मुंबई मंे पाकिस्तान स्थित लश्करे तैय्यबा द्वारा हुआ उससे पूर्व एवं बाद दिल्ली के राजनयिकों द्वारा भेजे गए संदेश, इसकी भयावहता एवं भारतीय मुसलमानों का कट्टरता की ओर अग्रसर होने के वर्णन पर केन्द्रित हैं।
एक संदेश आशावादी है- यह कि भारत की 150 मिलियन मुस्लिम आबादी का चरमपंथ के प्रति कोई आकर्षण नहीं है। यहाँ के जागृत लोकतंत्र, प्रगतिशील अर्थ व्यवस्था तथा समावेशी संस्कृति में मुस्लिमों को मुख्य धारा में शामिल होने तथा उन्नति के रास्तों पर जाने हेतु बल प्रदान किया है तथा अलग-अलग रहने की मानसिकता को कम किया है।
केबल यह भी कहता है- यद्यपि मुस्लिम समाज यहाँ अन्य वर्गों की अपेक्षा उच्च दर की गरीबी से ग्रस्त है तथा भेदभाव का शिकार बन गया है फिर भी बड़ी संख्या में वे भारतीय तंत्र के प्रति वफ़ादार हैं और राजनैतिक एवं आर्थिक मामलांे में भागीदार बन कर मुख्य धारा में रहते हैं। यह भी पता चला है कि 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के परवर्ती काल में अमरीका व भारत के बीच जो बातचीत का दौर चला वह आसान नहीं था। दिल्ली से भेजे गए 3038 राजनयिक केबलों में विदेश सचिव शिवशंकर मेनन के भी संदेश थे जो वेबसाइट द्वारा लीक हुए। विकीलीक्स द्वारा जारी चैथाई मिलियन गुप्त अमरीकी अभिलेखों में 5087 भारत से
सबंधित हैं।
-सी0 आदिकेशवन
अनुवादक-डा.एस0एम0 हैदर
क्रमश:
3 टिप्पणियां:
यह एक आत्मकेंद्रित देश है जिसे केवल अपना उल्लू साधने के अलावा कोई मतलब नहीं किसी से
बहुत सही!
सही कहा!
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