बड़ा हैरान हूँ ये सब देखकर मैं
न जाने देश में क्या हो रहा है ?
हर शख्स जो चल रहा है पैरों पर
एक अजीब सा ख्वाब जी रहा है
नैतिकता नाचती है नंगी रोज़
न्याय कलमुहाँ मुँह छिपाए रो रहा है
अजीब चलन चला है "कादर" अब
सच का इम्तिहान झूठ ले ले रहा है
न जाने देश में क्या हो रहा है ?
हर शख्स जो चल रहा है पैरों पर
एक अजीब सा ख्वाब जी रहा है
नैतिकता नाचती है नंगी रोज़
न्याय कलमुहाँ मुँह छिपाए रो रहा है
अजीब चलन चला है "कादर" अब
सच का इम्तिहान झूठ ले ले रहा है
-केदारनाथ "कादर"
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