शनिवार, 21 मई 2011

रिश्वत को वैध बनाने की बेहूदगी को रोको

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उपमहासचिव एवं पूर्व संसद सदस्य एस0 सुधाकर रेड्डी ने केंद्रीय वित मंत्रालय के पोर्टल पर ”एक किस्म की रिश्वतों के मामले में . देने के काम को वैध क्यों न मान लिया जाये“ शीर्षक पेपर के होने के संबंध में केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी को एक पत्र लिखकर आपत्ति व्यक्त की है। इस पेपर के लेखक वित्तमंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु हैं। उन्होंने लिखा है:




21 अप्रैल 2011 के ”हिंदु“ दैनिक में पी0 साईनाथ द्वारा लिखे एक लेख ”रिश्वतः एक छोटा पर रेडिकल विचार“ पढ़कर आश्चर्यचकित हो गया हूँ। साईनाथ ने अपने इस लेख में वित्तमंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु द्वारा लिखित पेपर- ”व्हाई, फॉर ए क्लास ऑफ ब्राइब्स, दि एक्ट ऑफ गिविंग ब्राइब शुड बी ट्रीटिड एज लीगल“ (एक किस्म की रिश्वतों के मामले में रिश्वत देने के काम को वैध क्यों न मान लिया जाये) को विस्तार से उद्घृत किया है। बसु के इस पेपर को वित्तमंत्रालय के पोर्टल पर भी डाल दिया गया है।



एक संविधान विरोधी और जन-विरोधी विचार और वह भी एक ऐसे सरकारी अधिकारी द्वारा जो राष्ट्र और भारत सरकार की अपनी तमाम सेवाओं में भारत के संविधान की शपथ लेता है, प्रचार के लिए भारत सरकार के पोर्टल का इस्तेमाल क्योंकर किया जा सकता है। यदि यह उनका निजी सुझाव है तो इसके लिए उन्हें अपने निजी वेबसाईट पर, सरकार से इतर अन्य किसी साईट का इस्तेमाल करना चाहिये था। मैं पक्के तौर पर विश्वास करता हूॅ कि प्रणव दा और पूर्व वित्तमंत्री एवं वर्तमान प्रधानमंत्री इस तरह के भड़काने वाले, राष्ट्रविरोधी और भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन देने वाले विचारों का समर्थन नहीं करेंगे।

मुझे पक्का विश्वास है कि आप भ्रष्टाचार को वैध बनाने के बसु के विचारों से सहमत नहीं होंगे। बहरहाल, कौशिक बसु के लेख ने वित्तमंत्रालय के पोर्टल को काफी नुकसान पहुंचा दिया है। मेरा आपसे अनुरोध है कि इन विचारों को पूरी तरह से खारिज कर दें और कौशिक बसु के पेपर को सरकारी पोर्टल से तत्काल हटा दिया जाये। उपरोक्त तथ्यों के प्रकाश में, मैं आपसे अनुरोध करता हूॅ कि आप अपने आपको इसकी अंतवस्तु से अलग करें और सरकारी पोर्टल के इस तरह के दुरूपयोग के पीछे के असली इरादे की विस्तृत जांच करें।



आपको इस तरह की बातों की भर्त्सना करनी चाहिये क्योंकि ऐसी बातें लोकतांत्रिक व्यवस्था को बरबाद करने में ही मदद कर सकती है। इस तरह के असंवैधानिक कामों को लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दी जानी चाहिये। मुझे पक्का विश्वास है कि आप हमारी चिंता से सहमत होंगे और कन्फयूजन को आगे बढ़ने से रोकने के लिए तुरंत कदम उठायेंगे।

5 टिप्‍पणियां:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

पूंजीवाद के सेवक ऐसा क्यों न करें? रिश्वत तो पूंजीवाद के लिए प्राणवायु है।

अजय कुमार झा ने कहा…

निहायत ही बचकानी और वाहियात सोच है ये , और भारत में इसे कभी भी वैध नहीं बनाया जा सकेगा । पश्चिमी देशों से आयातित ये विचार भारत के लिए सर्वथा ही बकवास है ।

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

यह तो भष्टाचार को दावत देने वाली बात है।

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…

मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु द्वारा लिखित पेपर- ”व्हाई, फॉर ए क्लास ऑफ ब्राइब्स, दि एक्ट ऑफ गिविंग ब्राइब शुड बी ट्रीटिड एज लीगल“ (एक किस्म की रिश्वतों के मामले में रिश्वत देने के काम को वैध क्यों न मान लिया जाये) को विस्तार से उद्घृत किया है। यह तो भष्टाचार को दावत देने वाली बात है। जब वित्त मंत्रालय के सलाहकार ऐसी सलाह देंगे उससे आम जनता के हित की उम्मीद कैसे की जा सकती है?

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

कौशिक बासु को तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए.

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