उत्तर प्रदेश में संविधान कानून न्याय आदि शब्दों का कोई अर्थ नहीं रह गया है। राजनेता, अधिकारी, कर्मचारी, व्यापारी जनता को तरह-तरह से लूटने में लगे हैं कोई सुनने वाला नहीं है। सत्तारूढ़ दल और अफसर एक हैं। सत्तारूढ़ दल का कार्य अफसरों ने संभाल लिया है। चुनाव में हारने और जिताने में सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ताओं को अफसर मात दे जाते हैं। हद तो यहाँ तक हो गयी है कि विपक्षी दलों का भी मतलब नहीं रह गया है। सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दल सिद्धक और साधक की भूमिका में हैं।
हमारे यहाँ गाँव में एक पुराना गाना है चोरौना भा कोतवाल- उठाईगीर बालम सोहर गांवें। यही स्तिथि पूरे प्रदेश में है। बाराबंकी में हिंद इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साईंसेज ने कई वर्षों से बी.एससी नर्सिंग कोर्स में प्रशिक्षण हेतु दो-दो लाख रुपये लेकर छात्रों के प्रवेश लिये थे और हिंद इंस्टिट्यूट ने लिखा था कि यह मान्यता प्राप्त कोर्स है और डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद से इंस्टिट्यूट सम्बद्ध है। जबकि वास्तविकता यह है कि हिंद इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साईंसेज किसी भी विश्वविद्यालय से समद्ध नहीं है और न ही उसके किसी भी कोर्स की विधिक मान्यता है। दो साल से कोई परीक्षा भी नहीं करायी गयी। छात्रों के साथ सीधे-सीधे धोखाधड़ी व ठगी है। इस सम्बन्ध में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिये प्रदीप वर्मा नाम का छात्र पुलिस अधीक्षक कार्यालय प्रार्थना पत्र लेकर गया जहाँ पर पुलिस अधीक्षक मिले नहीं। अपर पुलिस अधीक्षक श्रीपर्णा गांगुली ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने से इनकार कर दिया तब छात्र नगर पुलिस उपाधीक्षक से मिले उन्होंने सलाह दी कि इस मामले में आप लोग जिला मजिस्टेट विकास गोठलवाल से मिलें वही कुछ कर सकते हैं और किसी भी पुलिस अधिकारी ने प्रार्थना पत्र नहीं लिया। जिला मजिस्टेट ने छात्रों से मिलने से इनकार कर दिया और सूचना दी गयी कि आप लोग अपर जिलाधिकारी श्री देवेन्द्र कुमार पाण्डेय से मिले। अपर जिला अधिकारी ने छात्रों से लीपा-पोती वाली बात की और प्रथम रिपोर्ट दर्ज नहीं करायी। उसका मुख्य कारण यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री का यह इंस्टिट्यूट है और जब ठगी, धोखाधड़ी के वाद दर्ज नहीं होंगे जनता को न्याय नहीं मिलेगा तो उक्त गाना आज के परिवेश में उत्तर प्रदेश सरकार पर चरितार्थ होता नजर आता है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
हमारे यहाँ गाँव में एक पुराना गाना है चोरौना भा कोतवाल- उठाईगीर बालम सोहर गांवें। यही स्तिथि पूरे प्रदेश में है। बाराबंकी में हिंद इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साईंसेज ने कई वर्षों से बी.एससी नर्सिंग कोर्स में प्रशिक्षण हेतु दो-दो लाख रुपये लेकर छात्रों के प्रवेश लिये थे और हिंद इंस्टिट्यूट ने लिखा था कि यह मान्यता प्राप्त कोर्स है और डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद से इंस्टिट्यूट सम्बद्ध है। जबकि वास्तविकता यह है कि हिंद इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साईंसेज किसी भी विश्वविद्यालय से समद्ध नहीं है और न ही उसके किसी भी कोर्स की विधिक मान्यता है। दो साल से कोई परीक्षा भी नहीं करायी गयी। छात्रों के साथ सीधे-सीधे धोखाधड़ी व ठगी है। इस सम्बन्ध में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के लिये प्रदीप वर्मा नाम का छात्र पुलिस अधीक्षक कार्यालय प्रार्थना पत्र लेकर गया जहाँ पर पुलिस अधीक्षक मिले नहीं। अपर पुलिस अधीक्षक श्रीपर्णा गांगुली ने प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने से इनकार कर दिया तब छात्र नगर पुलिस उपाधीक्षक से मिले उन्होंने सलाह दी कि इस मामले में आप लोग जिला मजिस्टेट विकास गोठलवाल से मिलें वही कुछ कर सकते हैं और किसी भी पुलिस अधिकारी ने प्रार्थना पत्र नहीं लिया। जिला मजिस्टेट ने छात्रों से मिलने से इनकार कर दिया और सूचना दी गयी कि आप लोग अपर जिलाधिकारी श्री देवेन्द्र कुमार पाण्डेय से मिले। अपर जिला अधिकारी ने छात्रों से लीपा-पोती वाली बात की और प्रथम रिपोर्ट दर्ज नहीं करायी। उसका मुख्य कारण यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री का यह इंस्टिट्यूट है और जब ठगी, धोखाधड़ी के वाद दर्ज नहीं होंगे जनता को न्याय नहीं मिलेगा तो उक्त गाना आज के परिवेश में उत्तर प्रदेश सरकार पर चरितार्थ होता नजर आता है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
1 टिप्पणी:
बडी गहरी बात कह दी आपने।
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हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।
अब क्या दोगे प्यार की परिभाषा?
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