शनिवार, 11 जून 2011

रविन्द्र प्रभात का सम्मान- लोकसंघर्ष पत्रिका के जून अंक का लोकार्पण

















रवीन्द्र प्रभात को प्रशस्ति पत्र भेंट करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमर पाल सिंहडॉ सुभाष राय को स्मृति चिन्ह भेंट करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमर पाल सिंह

आज समय के आगे देख सकने की जरूरत है। जब हम अपने वर्तमान में खड़े होंगे तभी समय के आगे देख सकेंगे। अपने समय के सच से जनता को रूबरू कराना मीडिया का काम है। कबीर और बुद्ध अपने समय में रहकर समय के आगे की दृष्टि अर्जित करने वाले समय के प्रतिनिधि महापुरूष हैं।
उपरोक्त उद्गार उपन्यासकार रवीन्द्र प्रभात के नागरिक अभिनन्दन तथालोक संघर्ष पत्रिकाके लोकार्पण के अवसर पर मुख्य अतिथि जन संदेश टाइम्स के सम्पादक डाॅ0 सुभाष राय ने रामनगर तहसील के सभागार में इण्डियन एसोसिएशन आॅफ लायर्स, बाराबंकी की ओर से आयोजित समारोह में व्यक्त कर रहे थे।
इलेक्ट्राॅनिक और प्रिंट मीडिया की आलोचना करते हुए आगे उन्होंने कहा आज की आवश्यकता समाज में अपने शत्रु को पहचानने की है। मल्टीनेशनल कम्पनियाॅ हमारी मित्र बनकर हमें लूट रही हैं और अपना उल्लू सीधा कर रही है। आज कोई अपने देश का व्यक्ति हमें नहीं लूट रहा है। कहना होगा कि आज की तारीख में मीडिया भी अपना यह कार्य ठीक प्रकार से नहीं कर पा रही है। क्योंकि मीडियाकर्मी आज केवल वहाॅ पर एक नौकरी भर कर रहे हैं। उसकी अपनी मजबूरियाॅ है। लोक संघर्ष तथा जन संदेश जैसी पत्र पत्रिकाएं अपनी पहचान अपने शत्रु से कराती हैं इसलिए इन्हें पढ़ें। कवि कथाका रवीन्द्र प्रभात की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा रवीन्द्र प्रभात इलेक्ट्राॅनिक मीडिया ब्लाॅगिंग के इतिहास पुरूष बनने के साथ अपने ताजा उपन्यास ताकि बचा रहे लोकतंत्र के माध्यम से कथा जगत में भी अपना हस्तक्षेप किया है। अपने नागरिक अभिनंदन के उपरान्त सभा को सम्बोधित करते हुए प्रख्यात कथाकार रवीन्द्र प्रभात ने कहा पत्रकारिता में एक व्यक्ति कभी विश्वसनीय नहीं बन सकता लेकिन एक व्यक्ति ऐसा होता है जो सूचनाओं के माध्यम से पूरा विश्व बन जाता है। इण्टरनेट और ब्लाॅग ऐसी ही दुनिया है। ब्लाॅग विश्लेषक के रूप में ख्याति आप लोगों के कारण है। आगे उन्होंने कहा आज शब्द भी मनोरंजन के साधन हो ये हैं। शब्दों को अब हम जीवन में नहीं उतारते इसलिए कविता फेल हो रही है।
लोकसंघर्ष पत्रिका के जून अंक का लोकार्पण करते हुए डॉ सुभाष राय साथ में रवीन्द्र प्रभात, सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी कुंव कुश्मेश

इस अवसर पर उन्होंनेवटवृक्षपत्रिका के आगामी प्रेम विशेषांक की घोषणा के साथ यहाॅ के रचनाकारों को इसमें शामिल होने का अनुरोध भी किया। सभा के विशिष्ट अतिथि अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय वर्धा से पधारे विद्धान सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा, जब तक हम अपने सिर्फ अपने विषय मैं सोचना बन्दकर दूसरे के हित के विषय में नहीं सोचेंगे समाज में परिवर्तन लाना कठिन है। एक अन्ना हजारे या रामदेव से क्या होना है? जब तक कि इनके पीछे जनता की ताकत हो। राजनीति आज हमारी दुश्मन बन गयी है।



सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी को स्मृति चिन्ह भेंट करते हुए

सभा के अतिथि प्रसिद्ध गजलकार कुंवर कुसुमेश ने लोक संघर्ष पत्रिका को बधाई देते हुए कहा कि सामाजिक सरोकारों से सम्बद्ध सामग्री से लैस लोक संघर्ष पत्रिका तथा वटवृक्ष एक अच्छे और जागरूक समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभा रही है।
इस अवसर पर एडवोकेट मुहम्मद शुऐब ने कहा क्या आप जानते हैं भाजपा का राष्ट्रवाद इनका अपना एजेण्डा है। क्या कांग्रेस के साम्प्रदायिक एकता का नारा इनका है। सभी राजनीतिक पार्टियों के पीछे किसी किसी बहुराष्ट्रीय
कम्पनी
का हाथ है जो सत्ता में आते ही प्रत्यक्ष रूप से उन्हें लाभ देने लगती है। सभा की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अमर पाल सिंह ने डा0 श्याम सुंदर दीक्षित तथा अन्य अतिथियों को प्रतीक चिन्हें अंक वस्त्र देकर सम्मानित किया तथा सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अमेरिकन साम्राज्यवाद के विरोध के रूप में लोक संघर्ष ने निश्चय ही सराहनीय कार्य किया है।
कार्यक्रम का संचालन संयोजक अधिवक्ता बलराम सिंह ने किया। इस अवसर पर लोकसंघर्ष के प्रबंध सम्पादक रणधीर सिंह सुमन, उप सम्पादक पुष्पेन्द्र कुमार सिंह, डा0 श्याम सुंदर दीाित, विजय प्रताप सिंह एडवोकेट, सैयद कमर अस्करी, प्रदीप सिंह, डा0 आलोक शुक्ला, अम्बरीश अम्बर, राजन सिंह, डा0 विनय दास, सुशील प्रधान, आनन्द सिंह, अरविन्द वर्मा आदि भी उपस्थित रहे।

पुष्पेन्द्र कुमार सिंह
उपसम्पादक
लोकसंधर्ष पत्रिका

4 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

vijai Rajbali Mathur ने कहा…

रवीन्द्र प्रभात जी,कुंवर कुसुमेश जी ,सुभाष राय जी आदि सभी को बहुत-बहुत मुबारकवाद.

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

हार्दिक बधाई।

मुझे कार्यक्रम में न पहुंच पाने का दुख है।

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हॉट मॉडल केली ब्रुक...
लूट कर ले जाएगी मेरे पसीने का मज़ा।

बेनामी ने कहा…

कृपया लोक संघर्ष और जनसंदेश की लिंक (वेबसाइट ) देने की कृपा करे |
लोक संघर्ष तथा जनसंदेश जैसी पत्र पत्रिकाएं अपनी पहचान अपने शत्रु से कराती हैं इसलिए इन्हें पढ़ें।

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