डॉ वाई.एस सचान की जिला कारागार लखनऊ में सुनियोजित हत्या है। डॉ बी.पी सिंह की हत्या के बाद प्रदेश के दो मंत्री अनंत मिश्रा व बाबु सिंह कुशवाहा को मंत्रिपद से हटा दिया गया था और तभी यह भी प्रकाश में आया था कि सत्तारूढ़ दल के कई महाबली डॉ बी.पी सिंह की हत्या में शामिल थे। उन लोगों को गिरफ्तार करने से सत्तारूढ़ दल की काफी छीछालेदर होती उस छेछालेदार से बचने के लिये आम तौर से पुलिसिया हथकंडे से अन्य व्यक्तियों को अभियुक्त बनाया जाता रहा है लेकिन यह भी सत्य है कि परिवार कल्याण विभाग में हो रहे करोडो रुपये के घोटालों की सभी जानकारी डॉ वाई.एस सचान को थी और जब उनको बलि का बकरा बनाया जाने लगा तो उन्होंने अपना मुंह खोलने का निश्चय किया होगा। जिला कारागार लखनऊ में पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उनके शरीर पर 9 एंटीपोस्टमार्टम इंजरीज पाई गयी हैं जो स्वयं किसी व्यक्ति द्वारा अपने को घायल करना संभव नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार डॉ सचान की मौत दिन में 11 बजे से 12 बजे के बीच में हुई है जिससे यह भी साबित होता है कि कारागार प्रशासन की जानकारी में उनको प्रताड़ित किया गया और प्रताड़ितकर्ताओं की बात न मानने के कारण उनको हमेशा-हमेशा के लिये मौत की नींद में सुला दिया गया। सरकारी विभागों में अरबों रुपयों की कमीशन बाजी होती रहती है और राजनीति के क्षितिज पर रहने वाले लोगों का भी उसमें हिस्सा होता है इसलिए मुख्य अपराधियों के खिलाफ कार्यवाई करने में वह लोग रोड़े अटकाते हैं डॉ सचान के मामले में कैबिनेट सचिव शशांक शेखर से लेकर उच्च पुलिस अधिकारीयों ने तरह-तरह के बयान बदले हैं जिससे उनकी ही स्तिथि हास्यस्पद हो गयी है। परिस्तिथि जन्य साक्ष्य सीधी-साधी हत्या बता रहे हैं लेकिन पुलिस विभाग और सरकार आत्महत्या बता रही है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
2 टिप्पणियां:
अराजकता की पराकाष्ठा लगती है॥
जी हाँ
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