मंगलवार, 28 फ़रवरी 2012

पूर्वांचल के विकास के मुद्दे पर एक उद्योगपति की राय और उसका सबक

विधान सभा चुनाव के घोषणा के तुरंत बाद एक हिन्दी दैनिक द्वारा 29 दिसम्बर को आयोजित 'समृद्धि ;सम्मलेन में पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास के मुद्दे पर इस क्षेत्र के बड़े उद्योगपति में शामिल दीनानाथ झुनझुनवाला का साक्षात्कार फोटो के साथ छपा है |उन्होंने साक्षात्कार में पूर्वांचल को विशेष औद्योगिक क्षेत्र का दर्जा देने की माँग की है ,ताकि इस क्षेत्र में उद्योग लगाने वालो को विशेष छूटे व रियायते मिल सके |उन्होंने इस क्षेत्र में ढाचागत सुविधाओं की और विशिष्ट औद्योगिक विकास के लिए एक अलग व सरल प्रशानिक तंत्र (सिंगल विंडो सिस्टम )की स्थापना की माँग भी की है |इस माँग के साथ उन्होंने पूर्वांचल की तुलना वर्तमान में तेज़ी से विकास कर रहे बिहार से करते हुए बताया है की बिहार सरकार उद्योगपतियों को कही ज्यादा छूटे व सुविधाए दे रही है |इसीलिए उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्से के उद्योगपति भी यहा उद्योग लगाने की जगह बिहार में उद्योग लगाने को प्राथमिकता दे रहे है |
श्री झुनझुनवाला की मांगे उद्योगपतियों के लिए तो एकदम ठीक है |लेकिन ये मांगे पूर्वांचल की ठोस स्थितियों को नजरंदाज़ करने वाली भी है |क्योंकि उनके सुझाव व मांगे उद्यमियों को मिलने वाली विशिष्ट छूटो व सुविधाओं के साथ ही इस क्षेत्र का विकास देख रही है |कृषि क्षेत्र और उसकी होती रही उपेक्षा को पूरी तरह से अनदेखा कर रही है |उनके साक्षात्कार में तथा उनकी मांगो व सुझावों में कृषि विकास के जरिये पूर्वांचल के विकास की कोई माँग शामिल नही है |जबकि पूरे पूर्वांचल का कृषि क्षेत्र न केवल समतल जमीन का क्षेत्र है ,बल्कि आमतौर पर दो तीन फसल उत्पादन देने वाला कृषि क्षेत्र भी है |लेकिन पूर्वांचल के कृषि क्षेत्र में सिंचाई के साथ कृषि के अन्य आधुनिक विकास की लगातार उपेक्षा होती रहती है |पश्चिमी व पूर्वी उत्तर प्रदेश की जमीनों की उत्पादकता में कोई ज्यादा अन्तर नही है |उनमे मुख्य अन्तर है तो कृषि के आधुनिक विकास का |
कृषि विकास और कृषि पर आधारित औद्योगिक विकास (चीनी मिल , कटाई मिल जैसे उद्योगों का विकास )इस क्षेत्र के और क्षेत्र की बहुसंख्यक जनसाधारण के विकास के स्तर को उंचा उठा सकता है |उसे पिछड़े पन से किसी हद तक मुक्ति दिला सकता है | उसी के साथ इस क्षेत्र के छोटे व मध्यम दर्जे के कुटीर एवं छोटे उद्योगों के लिए स्थानीय बाज़ार का भी विकास हो सकता है |इस विकास के साथ ही साधारण मजदूरों को कृषि पर आधारित मझोले व बड़े स्तर के उद्योगों में स्थायी रोजगार मिल पाने की स्थितिया भी बढ़ सकती है |लेकिन यह सब तभी संभव है जब पूरे पूर्वांचल को विशिष्ट औद्योगिक क्षेत्र का नही बल्कि विशिष्ट कृषि क्षेत्र का दर्जा मिले और वह भी बड़े स्तर की 'कान्टेक्ट फार्मिंग 'के लिए नही बल्कि आम किसानो ,मजदूरों के स्थानीय एवं स्थायी जीविकोपार्जन के लिए | लेकिन यह माँग इस क्षेत्र के उद्योगपति करने वाले नही है
श्री झुनझुनवाला ने तो यहा तक कह दिया है की पूर्वांचल में सुविधा न मिल पाने पर वे बिहार में अपनी औद्योगिक इकाईया लगा देंगे और लगा भी रहे है |यह भी सबूत हैकि उनके जैसे उद्योगपतियों के लिए पूर्वांचल को विशिष्ट औद्योगिक क्षेत्र घोषित करने का मामला इस क्षेत्र का समग्र विकास करना नही है |वे यहा तभी टिकेंगे जब उन्हें ज्यादा से ज्यादा लाभ पाने , कमाने के अवसर मिले |
लेकिन उनके एकदम विपरीत इस क्षेत्र के आम किसान ,मजदूर ,दस्तकार ,बुनकर ,दुकानदार व अन्य जनसाधारण समुदाय यह क्षेत्र अपने लाभ के लिए नही छोड़ते और न ही छोड़ेंगे |उनकी रोजी -रोटी की मजबूरिया ही उन्हें इस क्षेत्र व प्रांत से बाहर दूसरे प्रान्तों में जाने के लिए मजबूर करती है |
जागो ---जागो -जागो -
...आती हुई हवाएँ
मायूस होने लगी थीं
ख़ुशबू की तलाश में !
दुर्गन्ध का साम्राज्य था
हर तरफ फैला हुआ
आदमी तो आदमी
दिमाग तक सड़ा हुआ!!

भटकती ही रह गई
अंधेरी राहों पर
रोशनी की तलाश में !!
-सुनील दत्ता
पत्रकार
मो0 9415370672

1 टिप्पणी:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

पूंजी को हमेशा ही लूटने की सुविधा चाहिए। उसी से वह बढती है।

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