एक ऐसा प्यार जिसकी अनुभूति में ता- उम्र गुजार दी सुरैया ने ........................
देव साहब को सुरैया प्यार करती थी वास्तविक जिन्दगी में देव और सुरैया की जोड़ी नही बन पायी इस लिए सुरैया जिन्दगी भर अकेले देव की यादो में जीती है
कभी-- कभी लोग सपनो में कुछ ऐसे खुबसूरत दृश्यों को देख लेते है की जिन्दगी
भर भूलते या नही भूलना चाहते | कोई तरकीब निकाल उन दृश्यों को सहेज लेना
चाहते है | कहानियों में पिरो लेते है , कैनवास पर रंगों से उकेर देते है ,
गीतों में सुरबद्ध कर लेते है | समय के सपने बदलते है और बदलती है
सौन्दर्यानुभूति , क्योंकि समाज बदलता है , सोच बदलती है और बदलता रहता है
जमाने का चलन .......एक ऐसा भी जमाना था सूर और अदाकारी की मलिका सुरैया ने
अपनी अदाओं में नजाकत , गायकी में नफासत के जरिये बहुत कुछ बदला था |
नफासत की मलिका '''' सुरैया जमाल शेख '' ने अपने हुस्न और हुनर से हिन्दी सिनेमा के इतिहास में एक नई इबारत लिखी .............. सुरैया ने साहिर के लिखे गीतों को अपने सूर देकर अमर कर दिया .'' क्या चीज है मोहब्बत मोहब्बत कोई मेरे दिल से पूछे '' '' हमें तुम भूल बैठे हो तुम्हे हम याद करते है '' जुदाई में तुम्हारी रात दिन फरियाद करते है '' '' दिल की दुनिया उजड़ गयी और जाने वाले चले गये '' जाने वाले चले गये तडपाने वाले चले गये '' आज कोई है आने वाला हो आने वाला कौन हो -- हो ये कयू बतलाऊ '' वो पास रहे या दूर रहे '' नुक्ताची है गमे दिल '' '' दिल ए नादा तुझे हुआ क्या है '' जैसे गीत सुनकर आज भी जेहन में सुरैया की एक मुस्कान भरी तस्वीर उभर आती है |
15 जून 1929 को गूजरवाला , पंजाब ( वर्तमान पाकिस्तान ) में जन्मी सुरैया अपने माता पिता की इकलौती संतान थी | नाजो से पली सुरैया ने संगीत की शिक्षा नही ली थी लेकिन आगे चलकर उनकी पहचान एक बेहतरीन अदाकारा के साथ एक अच्छी गायिका के रूप में बनी | सुरैया ने अपने अभिनय और गायकी से हर कदम पर खुद को साबित किया | सुरैया के फ़िल्मी करियर की शुरुआत बड़े ही रोचक तरीके से हुई | गुजरे जमाने के मशहूर खलनायक झुर सुरैया के चाचा थे और उनकी वजह से 1937 में उन्हें फिल्म '' उसने क्या सोचा '' में पहली बार बालकलाकार के रूप में भूमिका मिली | 1941 में स्कूल की छुटियो के दौरान वह मोहन स्टूडियो में फिल्म ''ताजमहल '' की शूटिंग देखने गयी तो निदेशक नानूभाई वकील की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने सुरैया को एक ही नजर में मुमताज महल के बचपन के किरदार के लिए चुन लिया | इसी तरह संगीतकार नौशाद ने भी जब पहली बार आल इंडिया रेडियो पर सुरैया की आवाज सूनी तो उन्हें फिल्म '' शारदा '' में गाने का मौक़ा दिया | 1947 में देश की आजादी के बाद नूरजहा और खुर्शीद बानो ने पाकिस्तान की नागरिकता ले ली , लेकिन सुरैया यही रही | एक वक्त था , जब रोमांटिक हीरो देवआनद सुरैया के दीवाने हुआ करते थे लेकिन अतत: यह जोड़ी वास्तविक जीवन में जोड़ी नही बना पायी | वजह थी सुरैया की दादी , जिन्हें देव साहब पसंद नही थे | मगर सुरैया ने भी अपने जीवन में देव साहब की जगह किसी और को नही आने दिया | टा उम्र उन्होंने शादी नही की और मुम्बई के मरीनलाइन में स्थित अपने फ़्लैट में अकेले ही जिन्दगी जीती रही | ऐसी थी प्यार की मिसाल सुरैया एक अनोखा समर्पण प्यार का देव साहब के प्रति उस प्यार की अभिव्यक्ति में टा उम्र उनके यादो को सहेज कर जीती रही सूर और अदाकारा की मलिका और उफ़ तक नही किया तस्वीर
सारे शब्द
सारे रंग
मिलकर भी
प्यार की तस्वीर
नही बना पाते
हां , प्यार की तस्वीर
देखि जा सकती है
पल -- पल मोहब्बत जी रही
जिन्दगी के आईने में ...........आखिरकार 31जनवरी 2004 को सुरैया इस दुनिया को अलविदा कहने के साथ अपने जज्बातों और अपने प्यार को भी अलविदा कह दिया | देव आनद के साथ उनकी फिल्मे '' जीत '' दो सितारे '' ख़ास रही | ये फिल्मे इसलिए भी यादगार रही क्योंकि फिल्म '' जीत '' के स्टे पर ही देव आनद ने सुरैया से अपने प्रेम का इजहार किया था और '' दो सितारे '' इस जोड़ी की आखरी फिल्म थी | खुद देव आनद ने अपनी आत्मकथा '' रोमांसिंग विद लाइफ '' में सुरैया के साथ अपने रिश्ते की बात काबुल की है | ""देव साहब लिखते है '' सुरैया की आँखे बहुत खुबसूरत थी | वे बड़ी गायिका भी थी | हां मैंने उनसे प्यार किया था | इसे मैं अपने जीवन का पहला मासूम प्यार कहना चाहूँगा |' देश के पहले प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरु ने भी सुरैया की महानता के बारे में कहा था '' उन्होंने मिर्जा ग़ालिब की शायरी को आवाज देकर उनकी आत्मा को अमर बना दिया | '' आल इंडिया रेडियो में कार्यक्रम अधिशासी विनीता ठाकुर कहती है '' संगीत का महत्व तो हमारे जीवन में हर पल रहेगा लेकिन सार्थक और मधुर गीतों की अगर बात आएगी तो सुरैया का नाम जरुर आएगा | उनका गाया '' वो पास रहे या दूर रहे "" उन पर काफी सटीक बैठता है | उनकी अदाए और भाव -- भगीमा उनकी गायकी की सबसे बड़ी विशेषता थी | आज भी उनके कद्रदानो की कमी नही है |
सुरैया ने हिन्दी सिनेमा में गीत की गरिमा को नई उंचाइयो पर पहुचाया | स्त्री मन , स्त्री की अनुभूति की यथार्थ अभिव्यंजना उनके यहा ही मिलती है | एक आदर्श प्रेम उनमे ही दीखता है | सुरैया भले ही आज हमारे बीच नही है लेकिन उनका अभिनय व संगीत हम सबको हर पल एहसास दिलाता रहेगा की वो हम सबके बीच यही कही आस - पास है |
- कबीर
2 टिप्पणियां:
सुरैया के बारे में इतनी जानकारी देने के लिए आभार सुमन जी. आप फिल्मी हस्तियों पर लिखेंगे, इसकी कल्पना नहीं की थी. लेकिन खूब लिखा है, इसके लिए आपको बधाई.
सुरैया को श्रद्धांजली स्वरूप आपका वर्णन बहुत जंकारीयन दे रहा है।
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