ब्रिटिश साम्राज्यवाद के आधीन भारत में सत्तारूढ़ अंग्रेजो ने भारतीय प्रजा के साथ जो-जो अत्याचार किये हैं। उनकी कहानियाँ आज भी भारतीय जनमानस में हैं। आदमी को जिन्दा जला देना, बरगद और बड़े-बड़े पेड़ों पर फांसी लगा देना और फिर जनता के ऊपर रौब ग़ालिब करने के लिये उनकी लाशों को महीनो तक टंगे रहने देना, जैसा अपराध अंग्रेज भारतीय जनता के साथ करते थे। इस देश की प्राकृतिक सम्पदा से लूट कर इंग्लैंड ले जाते थे। यहाँ के कुटीर उद्योगों को तबाह करते थे ताकि जनता भूखी और नंगी रहे लेकिन कुछ अंग्रेज चाटुकार अंग्रेजों की प्रशंसा में तरह-तरह के कसीदे गढ़ते रहते हैं। कभी वह कहते हैं कि अंग्रेजों ने भारतीयों को सुसंस्कृत बनाया। पढने लिखने के लिये स्कूल खोले, पोस्ट ऑफिस और तार घर खोले, रेल चलाई आदि आदि। जबकि उनको यह मालूम होना चाहिए। चपरासी और चौकीदार के लिये भारतीय लोगों की जरूरत है तो उन्होंने उनको शिक्षित करने के लिये स्कूल खोले। अपनी डाक को एक स्थान से दूसरे स्थान तक शीघ्र से शीघ्र पहुँचाने के लिये डाक एवं तार घर की स्थापना की। कच्चा माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिये तथा सेना को त्वरित कार्यवाई के लिये रेल चलाई। हाँ इन चीजों का खर्चा निकलने के लिये इनको व्यावसायिक भी बनाया जिससे लाभ भी हुआ। लार्ड मैकाले ने ब्रिटिश संसद को 2 फरवरी 1835 को संबोधित करते हुए कहा था कि भारतीय समाज व्यवस्था को नष्ट करना आवश्यक है अन्यथा अंग्रेजी राज्य कायम नहीं रखा जा सकता है। भारतीय व्यवस्था उच्च कोटि की है इस सन्दर्भ में उनके दिए गए भाषण का सारांश प्रस्तुत किया जा रहा है-
I have travelled across the length and breadth of India and have not seen one person who is beggar, who is thief. Such wealth I have seen in this country, such high moral values, people of such calibre, that I do not think we would ever conquer this country, unless we break the very backbone of this nation, which is her spritual and cultural heritage. And, therefore, I propose that we replace her old and ancient education system, her culture, for if the Indians think all that is foreign and English is good and greater than their own, they will lose their self-esteem, their native culture and they will become what we want them, a truly dominated nation.
किन्तु इस भाषण की पुष्टि नहीं हो पा रही है। भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा चुनाव २००९ के घोषणा पत्र में भी इस भाषण का उल्लेख किया गया था।
किन्तु इस भाषण की पुष्टि नहीं हो पा रही है। भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा चुनाव २००९ के घोषणा पत्र में भी इस भाषण का उल्लेख किया गया था।
अंग्रेजों ने इस देश को स्थायी रूप से हिन्दू मुसलमान समस्या, हिंदी उर्दू विवाद, भारत का विभाजन उपहार स्वरूप दिया था। उसके बाद भी अगर अंग्रेज भक्तों की आँखें नहीं खुलती हैं तो उनको खोला भी नहीं जा सकता है चाटुकारिता उनका स्वभाव है।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
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