उ0प्र0 के विभिन्न जेलों में आतंकवाद के नाम पर निरूद्ध मुस्लिम नवजवानों द्वारा लिखी गई आपबीती का सम्पादन व अनुवाद मुहम्मद जमील शास्त्री व मुहम्मद इमरान उस्मानी ने किया है। -सम्पादक
न्याय का मन्दिर, और ‘अन्याय’
न्याय का मन्दिर, और ‘अन्याय’
नूर इस्लाम मण्डल
पुत्र श्री अनीसुद्दीन मण्डल
निवासी ग्राम बांसघाटा, पोस्ट आमडोव बागदा जनपद उत्तर चैबीस परगना पश्चिम बंगाल।
मैं एक निर्धन परिवार के चार भाई बहनों में एक कमाने वाला हूँ। पेशे का बढ़ई मिस्त्री हूँ। इसी काम द्वारा घर का खर्च चलाता था।
गैर कानूनी गिरफ्तारी
मुझे बेकुसूर गिरफ्तार किया गया। ऐसे समय जब मैं एक सरकारी विद्यालय में प्रधानाचार्य की देख रेख में विद्यालय का फर्नीचर बना रहा था। जिसके साक्ष्य मेरे पास मौजूद हैं। मैं और मेरे भाई नौशाद मण्डल अपनी दुकान में बैठे थे। उसी समय कार से चार-पाँच आदमी आए उन्होंने मुझसे कहा, ‘‘हम लोग बी0डी0ओ0 कार्यालय से आए हैं आप को काम देना है हमारे साथ चलिए। तारीख थी 11.06.2007, बहाना ये बनाया और मुझे कोलकाता में जो सी0आई0डी0, सी0ओ0जी0, आई0बी0, एस0टी0एफ0 का आफिस है वहाँ ले गए, समय रात का एक बजा था।
पूछताँछ व टार्चर
लगभग एक महीने तक मुझे अँधेरी कोठरी में बंद करके रखा जाता, समय-समय पर मुझे पूछताँछ के लिए इधर-उधर ले जाया जाता, मुझसे दो आदमियों के बारे में पूछा जाता, जिनको न मैंने कभी देखा और न मैं उनको जानूँ। यहाँ तक कि मुझसे कहा जाता कि यदि मैंने बताया नहीं तो गटर में डाल दूँगा पता भी नहीं चलेगा। एक महीना यही टार्चर सहन करता रहा।
अलीपुर कोर्ट में पेश
15.07.2012 को अलीपुर अदालत कोलकाता में पेश किया गया और वहाँ से मुझे ट्रानजिट रिमाण्ड से ट्रेन द्वारा 17.07.2007 को लखनऊ भेज दिया गया और एस0टी0एफ0 के हवाले कर दिया गया।
मनगढ़न्त झूठी कहानी
मेडिकल के बाद लखनऊ जिला न्यायालय (सी0जी0एम0) में पेश किया गया और मुझे 14 दिन के रिमांड पर दिनांक 18.07.2012 को लगभग ढाई बजे लखनऊ जिला कारागार में दाखिल कर दिया गया।
फर्जी बरामदगी
मैं हिन्दी नहीं जानता था, 8 दिन तक तो कोई पूछताछ नहीं हुई। 9वें दिन 27.07.2012 की सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर वजीरगंज थाने के सी0ओ0 श्री चिरंजीव सिन्हा आए और मुझे अपने साथ चलने को कहा मेरे पीछे एस0टी0एफ0 की गाड़ी चल रही थी जिसमें धीरेन्द्र सिंह एवं पंकज सिंह नामक सरकारी अधिकारी थे इन लोगों ने यहाँ पर पहले से कुछ सामान गाड़ रखा था। वास्तव में ये आर0डी0एक्स0 था। ये बात वहाँ के पुलिस वालों से मुझे मालूम हुई। मीडिया बुलाई गई। फोटो खींचा गया। इस प्रकार झूठे तरीके से मुझे एक मिस्त्री से खूँखार आतंकवादी बना दिया गया। माल बरामदगी के बाद कोतवाली उन्नाव में मेरे खिलाफ एफ0आई0आर0 दर्ज करने के बाद मुझे सिविल कोर्ट उन्नाव सी0जी0एम0 में पेश किया गया, मेरे खिलाफ उन्नाव में दफा 415 लगाया गया। लेकिन मेरे वकील इनामुल हक और मेरे घर वालों की पैरवी से मुझे भरोसा हो गया कि मैं बरी हो जाऊँगा। साजिश के तहत फिर रोक लगा दी गई यह कहकर कि इस केस को लखनऊ ट्रांसफर किया जाए।
न्याय का मन्दिर और ‘अन्याय’’
अपनी राजनीतिज्ञ लक्ष्य की पूर्ति के लिए योजनाबद्ध तरीके से कई लड़कों को पकड़ा गया और देशद्रोह की पचासों
धाराएँ लगा कर जेल भेज दिया गया। कोई बंगाल का, कोई कश्मीर का, कोई बिहार का, कोई यू0पी0 का है। इनको इनके परिवार वालों से मिलने नहीं दिया जाता। कई लड़के 5 साल से इसी प्रकार अपना कष्टमय जीवन व्यतीत कर रहे है पुलिस अपना खेल चला रही है। फिरऔन के लिए जैसे हजरत मूसा पैदा होतें हैं बिल्कुल इसी प्रकार एडवोकेट शुऐब साहब ने इन्सानियत का काम शुरू किया। कई को इंसाफ दिला चुके हैं। उनके नाम से पुलिस के होश उड़े हुए हैं।
यह वकील पुलिस के पोल खोलने में लगा था। पुलिस और कुछ शरपसंद वकीलों ने नई साजिश रची। 12.08.2008 को जब हम लोग पेशी के लिए पहुँचे, कोर्ट के अन्दर हम लोग विटनेस बाक्स में खड़े थे और हमारे वकील एडवोकेट मो0 शुऐब। जब लोगों को मालूम हुआ कि यह शुऐब साहब हैं और मसीहा का काम कर रहे हैं तो उनको भी मारा पीटा। कोर्ट में सब चुप्पी साधे रहे। यह है हमारा न्याय का मन्दिर। हमारे खिलाफ पुनः एफ0आई0आर0 दर्ज हुआ और हमारा कोर्ट पेशी जाना भी बंद हो गया।
गैर कानूनी गिरफ्तारी
मुझे बेकुसूर गिरफ्तार किया गया। ऐसे समय जब मैं एक सरकारी विद्यालय में प्रधानाचार्य की देख रेख में विद्यालय का फर्नीचर बना रहा था। जिसके साक्ष्य मेरे पास मौजूद हैं। मैं और मेरे भाई नौशाद मण्डल अपनी दुकान में बैठे थे। उसी समय कार से चार-पाँच आदमी आए उन्होंने मुझसे कहा, ‘‘हम लोग बी0डी0ओ0 कार्यालय से आए हैं आप को काम देना है हमारे साथ चलिए। तारीख थी 11.06.2007, बहाना ये बनाया और मुझे कोलकाता में जो सी0आई0डी0, सी0ओ0जी0, आई0बी0, एस0टी0एफ0 का आफिस है वहाँ ले गए, समय रात का एक बजा था।
पूछताँछ व टार्चर
लगभग एक महीने तक मुझे अँधेरी कोठरी में बंद करके रखा जाता, समय-समय पर मुझे पूछताँछ के लिए इधर-उधर ले जाया जाता, मुझसे दो आदमियों के बारे में पूछा जाता, जिनको न मैंने कभी देखा और न मैं उनको जानूँ। यहाँ तक कि मुझसे कहा जाता कि यदि मैंने बताया नहीं तो गटर में डाल दूँगा पता भी नहीं चलेगा। एक महीना यही टार्चर सहन करता रहा।
अलीपुर कोर्ट में पेश
15.07.2012 को अलीपुर अदालत कोलकाता में पेश किया गया और वहाँ से मुझे ट्रानजिट रिमाण्ड से ट्रेन द्वारा 17.07.2007 को लखनऊ भेज दिया गया और एस0टी0एफ0 के हवाले कर दिया गया।
मनगढ़न्त झूठी कहानी
मेडिकल के बाद लखनऊ जिला न्यायालय (सी0जी0एम0) में पेश किया गया और मुझे 14 दिन के रिमांड पर दिनांक 18.07.2012 को लगभग ढाई बजे लखनऊ जिला कारागार में दाखिल कर दिया गया।
फर्जी बरामदगी
मैं हिन्दी नहीं जानता था, 8 दिन तक तो कोई पूछताछ नहीं हुई। 9वें दिन 27.07.2012 की सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर वजीरगंज थाने के सी0ओ0 श्री चिरंजीव सिन्हा आए और मुझे अपने साथ चलने को कहा मेरे पीछे एस0टी0एफ0 की गाड़ी चल रही थी जिसमें धीरेन्द्र सिंह एवं पंकज सिंह नामक सरकारी अधिकारी थे इन लोगों ने यहाँ पर पहले से कुछ सामान गाड़ रखा था। वास्तव में ये आर0डी0एक्स0 था। ये बात वहाँ के पुलिस वालों से मुझे मालूम हुई। मीडिया बुलाई गई। फोटो खींचा गया। इस प्रकार झूठे तरीके से मुझे एक मिस्त्री से खूँखार आतंकवादी बना दिया गया। माल बरामदगी के बाद कोतवाली उन्नाव में मेरे खिलाफ एफ0आई0आर0 दर्ज करने के बाद मुझे सिविल कोर्ट उन्नाव सी0जी0एम0 में पेश किया गया, मेरे खिलाफ उन्नाव में दफा 415 लगाया गया। लेकिन मेरे वकील इनामुल हक और मेरे घर वालों की पैरवी से मुझे भरोसा हो गया कि मैं बरी हो जाऊँगा। साजिश के तहत फिर रोक लगा दी गई यह कहकर कि इस केस को लखनऊ ट्रांसफर किया जाए।
न्याय का मन्दिर और ‘अन्याय’’
अपनी राजनीतिज्ञ लक्ष्य की पूर्ति के लिए योजनाबद्ध तरीके से कई लड़कों को पकड़ा गया और देशद्रोह की पचासों
धाराएँ लगा कर जेल भेज दिया गया। कोई बंगाल का, कोई कश्मीर का, कोई बिहार का, कोई यू0पी0 का है। इनको इनके परिवार वालों से मिलने नहीं दिया जाता। कई लड़के 5 साल से इसी प्रकार अपना कष्टमय जीवन व्यतीत कर रहे है पुलिस अपना खेल चला रही है। फिरऔन के लिए जैसे हजरत मूसा पैदा होतें हैं बिल्कुल इसी प्रकार एडवोकेट शुऐब साहब ने इन्सानियत का काम शुरू किया। कई को इंसाफ दिला चुके हैं। उनके नाम से पुलिस के होश उड़े हुए हैं।
यह वकील पुलिस के पोल खोलने में लगा था। पुलिस और कुछ शरपसंद वकीलों ने नई साजिश रची। 12.08.2008 को जब हम लोग पेशी के लिए पहुँचे, कोर्ट के अन्दर हम लोग विटनेस बाक्स में खड़े थे और हमारे वकील एडवोकेट मो0 शुऐब। जब लोगों को मालूम हुआ कि यह शुऐब साहब हैं और मसीहा का काम कर रहे हैं तो उनको भी मारा पीटा। कोर्ट में सब चुप्पी साधे रहे। यह है हमारा न्याय का मन्दिर। हमारे खिलाफ पुनः एफ0आई0आर0 दर्ज हुआ और हमारा कोर्ट पेशी जाना भी बंद हो गया।
क्रमश:
4 टिप्पणियां:
किसकी एजेंटी करते हो भैया ?आपके पास इस कथा का कोई लिंक /सबूत या बस यूं ही .मालूम हो हम इस नंगी सरकार के समर्थक नहीं हैं .लेकिन ये धंधा क्या शुरु कर दिया लेफ्टियों ने .?
किसकी एजेंटी करते हो भैया ?आपके पास इस कथा का कोई लिंक /सबूत या बस यूं ही .मालूम हो हम इस नंगी सरकार के समर्थक नहीं हैं .लेकिन ये धंधा क्या शुरु कर दिया लेफ्टियों ने .?
कसाब सबकी बे -गुनाही का सबूत है .आप लोग कितने और कसाब चाहते हो .
किसकी एजेंटी करते हो भैया ?आपके पास इस कथा का कोई लिंक /सबूत या बस यूं ही .मालूम हो हम इस नंगी सरकार के समर्थक नहीं हैं .लेकिन ये धंधा क्या शुरु कर दिया लेफ्टियों ने .?
कसाब सबकी बे -गुनाही का सबूत है .आप लोग कितने और कसाब चाहते हो .
स्लीपर सेल के बारे में भी कुछ बताओ ?
SHAYAD YE SAB AAP APNE GULF COUNTRIES K FRIENDS KO KHUSH KARNE K LIYE LIKHTE HO AUR HINDUON KO GALI DETE HO. WAISE MAINE AAZAMGARH KO CLOSLY DEKHA HAI AGAR AAP WAHAN KISI BACCHE SE BHI PUCHO SANJARPUR ME KYA HAI WO BOLEGA WAHAN MUSLIM HAWAALA RACKET HOTA HAI.
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