मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

पुलिस की कहानी को संदिग्ध

पुलिस कस्टडी में मोबाइल सील बन्द था फिर उसका इस्तेमाल हुआ यह बात पुलिस की कहानी को संदिग्ध बनाती है।
बाराबंकी-इसी तरह खालिद मुजाहिद के पास से बरामद किये गये मोबाइल आईएमईआई नं.0 355655007210640 पर 21 नवम्बर 2007 से लेकर 25 नवम्बर सन 2007 तक बराबर बात होने की तस्दीक काल डिटेल से प्राप्त हुई है और इसके बाद 16 दिसम्बर को 12.50 बजे के बाद 17 दिसम्बर सन 2007 को 10 बजे लेकर 11.16 मिनट तक 3 मिनट उसे तक बात की गई है इसके बाद फिर 10 दिसम्बर 2007 को 10.41 से लेकर 17ः26 तक 6 मि0 7 से0 तक बात किये जाने की पुष्टि काल डिटेल रिकार्ड से प्राप्त हुई है उसके बाद 19 दि0 सन 2007 को दो 11.59 से लेकर 12.11 तक बात किये जाने की पुष्टि हुई है इसके बाद 21 दिसम्बर सन 2007 को शाम 16.34 मिनट तक और फिर 22 दिसम्बर 2007 को एस0टी0एफ0 के जरिये मुल्जिमान को गिरफ्तार बाराबंकी में दिखाये जाने सुबह 6.3 मिनट और उसके बाद उसी दिन दोपहर 15.49 मिनट पर बात करने की पुष्टि हुई है यानि खालिद की गिफ्तारी जो सवा 6 बजे हुई उसके बाद 11.49 मिनट पर मोबाइल इस्तेमाल किये जाने की पुष्टि काल डिटेल से हुई जबकि उस समय मोबाइल पुलिस सील बंद था फिर भी उसका इस्तेमाल हुआ यह बात पुलिस की कहानी को संदिग्ध बताती है काल डिटेल ने पुलिस की पूरी झूठी कहानी खोलकर रख दी है इसके अनुसार तारिक कासमी से बाराबंकी में गिरफ्तारी के समय बरामद किये गये मोबाइल आई0ई0एम0आई0 नं0 3535363201590141 से 22 नवम्बर 2007 को रानी की सराय से फिर 23 नवम्बर को रानी की सराय और फूलपुर और उसके बाद 24 नवम्बर 2007 को फिर रानी की सराय आजमगढ़ कोलाहार से काल डिटेल में दिखाया गया है उसके बाद इसी मोबाइल से तारिक कासमी को एस0टी0एफ0 के जरिये रानी की सरांय थाना के तहत महमूदपुर गांव के पास से उठाये जाने वाले दिन 12 दिसम्बर 2007 को विश्वास खण्ड यू0पी0ई0 से फिर 15 दिसम्बर 2007 को मडि़याहू से 16 दिसम्बर 2007 को नदीम नगर लखनऊ से फिर 17 दिसम्बर 2007 को विश्वास खण्ड गोमती नगर लखनऊ से यू0पी0ई0 से उसके बाद 18 दिसम्बर 2007 के दिन नाका हिंडोला लखनऊ से उसके बाद 19 दिसम्बर को विधान सभा मार्ग और नाका हिंडोला लखनऊ यू0पी0ई0 से उसके बाद 20 दिसम्बर 2007 को विजय खण्ड गोमती नगर लखनऊ यू0पी0ई0 से फिर उसके बाद 21 दिसम्बर 2007 को खडगपुर मेडिकल कालेज से और दुर्गापुरी यू0पी0ई0 से और पुलिस के जरिये बयानकर्ता गिरफ्तारी की तारीख 22 दिसम्बर 2007 को 6.10 मिनट तक दुर्गापुरी बाराबंकी यू0पी0ई0 से बात करना काल डिटेल के रिकार्ड में बताया गया है। इस तरह काल डिटेल के रिकार्ड से यह बात साफ तौर पर जाहिर होती है कि अभियुक्त 22 नवम्बर 2007 से 23 नवम्बर 2007 तक अपने अपने निवास स्थान पर ही थे और फिर 12 दिसम्बर से 22 दिसम्बर के बीच वह अपने निवास स्थान से दूर मुखतालिफ मुकामात पर एसटीएफ की कस्टडी में ही रहे जैसा कि मुल्जिमान के घर वालों व एैनी सहिदीन  (चश्मदीद गवाह) का मानना है और इस दौरान दोनों के मोबाइल फोन एसटीएफ बराबर इस्तेमाल करती रही उसके अलावा 18 दिसम्बर 2007 को एसटीएफ और रानी की सरांय की पुलिस के जरिये रात 12 बजे की करीब दी गई दबिश जिसमें तारिक कासमी के घर से बरामद चार किताबों की फर्द रानी की पुलिस ने रोजनामचा में दिखाई गई हैं जो इस बात की पुष्टि करती है कि तारिक कासमी के घर पर दबिश 18 दिसम्बर 2007 को आधी रात को देकर पुलिस ने बरामद की गई चीजों को भी अपनी केस प्रापर्टी बतौर सुबूत बनाया है इस पर मुल्जिमान तारिक कासमी व खालिद मुजाहिद के रिश्तेदार मो0 असलम (तारिक के ससुर) और जहीर आलम फलाही (खालिद मुजाहिद के चचा) भेजी गई अपनी फरियाद में किया था उसका कोई असर मायावती हुकूमत पर नहीं हुआ।
    तारिक कासमी और खालिद मुजाहिद की गिरफ्तारी को लेकर जब मुसलमानों ने हद से ज्यादा व्याकुलता बढ़ने लगी और मायावती को रोका गया कि हालात ऐसे ही खराब हुये तो अमन और आमान बिगड़ने का खतरा नाहक हो जायेगा तो उन्होंने गर्वनर उत्तर प्रदेश के पास इन्क्वारी कमीशन की सिफारिश भेज दी।
    जिस पर गवर्नर के हुकुम से रिटायर्ड जज आर0डी0 निमेष कमीसन का वजूद 14 मार्च 2008 को अमल में आया जिसको अपनी रिपोर्ट 6 माह के अन्दर देने की हिदायत की गयी लेकिन कमीसन की रिपोर्ट 6 माह में न पेश की जा सकी और जिसके नतीजे में इनका कार्यकाल 8 बार बढ़ाया गया। इस दौरान विधानसभा का चुनाव का बिगुल बज गया और हुकूमत से नाराज मुसलमानों ने मायावती हुकूमत के विरूद्ध अपना गुस्सा जाहिर करके उसकी हुकूमत का तख्ता पलट दिया। नवीस कमीसन ने अपनी काम की शुरूआत की इस दौरान कमीसन ने लगभग परिजन लोगों के बयाज दर्ज किये जिसमें चश्मदीद गवाह पुलिस अफसरान जांच करने वाले अफसरान मुल्जिमान बी0एस0एन0एल0 महकमे के अफसरान और मुल्जिमान के घर वालों के बयान शामिल है।
    जस्टिस निमेष ने अभियुक्तों की गिरफ्तारी की जगह बाराबंकी रेलवे स्टेशन का दौरा करके वहां वाकिया के चश्मदीद गवाहन के बयान रिकार्ड कराये जिससे उस सुबह चाय का होटल चलाने वाले भी शामिल है। अजय ने अखबार नवीस कमीसन उसने कहा गया कि 22 दिसम्बर की सुबह वह अपने होटल पर रोजाना की तरह चाय बनाने में व्यस्त था कि अचानक सवा 6 बजे भागो दहशतगर्द है इतना सुनते ही वो घबराकर दुकान खुली छोड़कर माल गोदाम रोड भाग खड़ा हुआ उसने किसी को भी गिरफ्तार होते हुए अपनी आंखों से नहीं देखा। बाद में उसे लोगाों से पता चला कि पुलिस ने आतंकियों को गिरफ्तार किया। अजय ने यह गवाही लगभग 4 महीने पहले दी थी। इस दौरान स्थानीय पुलिस और एस0टी0एफ0 ने अपना होमवर्क करते हुए उसे काफी समझा बुझा दिया था कि बयान में भी तब्दीली आ गयी वरना 22/07 को जब प्रेस के लोगों ने उसे वाकया की तपशील पूंछी थी तो उसने बताया था कि उसने शोर मचने पर केवल रिक्शा पर बैठे हुए केवल एक व्यक्ति को कुछ लोगों के द्वारा काला कपड़ा उढ़ाकर गाड़ी में गोद में उठाकर लादते हुए देखा था निमेष कमीशन के सामने दूसरी गवाही एक रिक्शा चालक ‘कृष्णा’ की गुजरी जिसने सशपथ बयान में कहा कि वह उस दिन अपने रिक्शे के साथ रेलवे स्टेशन पर सवारी के इन्तजार में खड़ा था कि अचानक 6ः20 मिनट पर शोर मचा और लोग इधर-उधर भागने लगे वह भी थोड़ी दूर भागा बाद में जब वह लौटा तो उसे लोगों से पता चला कि दो आतंकवादी पकड़े गए हैं जिनके पास से भारी मात्रा में विस्फोट पदार्थ पुलिस ने बरामद किया है।
    निमेष कमीशन के सामने रेलवे पर अखबार बेचने वाले सुशील कुमार ने अपने बयान में कहा कि 22 दिसम्बर 2007 को वह अपने बुक स्टाल पर था कि 6ः20 मिनट पर अचानक शोर मचा तो उसने देखा कि कुछ लोग एक आदमी को मार पीटकर गाड़ी में लाद रहे हैं। आदमी को चादर उढ़ा दी गयी थी उसके सामने उस आदमी के पास से कोई चीज बरामद नहीं हुई थी जब तक वह कुछ समझ पाता लोगों की जबानी उसे पता चला की आतंकवादी पकड़े गए हैं। वह घबड़ाकर अपनी जान बचाकन भाग खड़ा हुआ।
    यह बात काबिले गौर है कि अजय कुमार के जरिये प्रेस वालों को दिया गया बयान कि उसने केवल एक आदमी को जो रिक्शे पर बैठा हुआ था काला कपड़ा उढ़ाकर कुछ लोगों को गाड़ी में डालते हुए देखा था कि मुशाविहत अखबार बेचने वाले सुशील कुमार से काफी मिलती है। सुशील ने भी अपने बयान मेें कहा कि उसने गाड़ी पर लादते हुए केवल एक व्यक्ति को देखा था रेलवे स्टेशन बाराबंकी पर पान के दुकानदार ‘कृष्ण चन्द्र शुक्ला’ ने निमेष कमीशन को अपनी गवाही में बताया कि वह वर्षों से साइकिल स्टैण्ड के बगल में पान की दुकान रखता चला आ रहा है। 22 दिसम्बर के दिन उसने रोजाना की तरह अपनी दुकान खोली और अभी वह झाड़ू लगाने ही जा रहा था कि उसने देखा कि 10/12 लोग रेलवे स्टेशन की तरफ से बम-बम चिल्लाते हुए चैराहे की ओर भागते चले आ रहे है उन्हें देखकर वह भी अपनी दुकान छोड़कर भाग खड़ा हुआ लगभग आधे घण्टे बाद जब वह अपनी दुकान के पास वापस लौटा तो उसे पता चला कि दो आतंकवादी पकड़े गए हैं। उसने किसी को गिरफ्तार होते अपनी आंखों से नहीं देखा। इस गवाह ने बताया ‘‘कि लोग रेलवे स्टेशन से चैराहे की तरफ भागते हुए आ रहे थे’’ जब कि पुलिस का कहना यह है कि ‘‘उसने मुखबिर के निशानदेही पर मालगोदाम रोड की ओर से रेलवे स्टेशन चैराहे पर आकर खड़े हुए दो लोगों को उस समय गिरफ्तार किया जब वह किसी से मिलने के इन्तजार में खड़े थे’’।
-मुहम्मद तारिक खान

     अनुवादक -मोहम्मद अहमद फारूखी 
        (इंकलाब से साभार)


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