बुधवार, 7 नवंबर 2012

हिन्दुत्ववादियों का गोबर

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की कठपुतली अर्थात भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी वही कह और कर रहे हैं जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की वास्तविक सोच है। नितिन गडकरी ने विवेकानंद की तुलना सी आई ए की कठपुतली दाउद इब्राहीम से की है और आर एस एस की जातीय मानसिकता के अनुरूप विवेकानंद को शुद्र घोषित किया है। 
                 राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जर्मन नाजीवादी विचारधारा का मानने वाला संगठन है। भारत जैसे बहुभाषीय, बहुधार्मिक देश में वह ब्राहमण वादी शासन व्यवस्था चाहता है। इसके लिए चाहे राम हो, चाहे कृष्ण हो, चाहे विवेकानंद हो को वह एक वस्तु के रूप में इस्तेमाल करता है। वह इंसानी खून को दंगो के माध्यम से जितना बहा सकता है वह बहाता है लाख कोशिशों के बाद भी वह भारतीय जनमानस में अपना कोई विशेष प्रभाव नहीं डाल पा रहा है। यह लोग मुखौटे वाले लोग हैं। अयोध्या में बाबरी मस्जिद प्रकरण में इनके सभी नेताओं की कलाई खुल चुकी है वह किस तरह से दो अर्थी संवाद करते हैं। भारतीय जनता पार्टी में बंगारू लक्ष्मण से लेकर नितिन गडकरी तक भ्रष्टाचार की गंगा में डूबे हुए लोग हैं।
         आज जरूरत इस बात की है कि ऐसे नाजीवादी संगठनो के ऊपर प्रतिबन्ध लगाया जाए क्यूंकि यह सब लोग देश की एकता और अखंडता के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। 

सुमन
लो क सं घ र्ष ! 

3 टिप्‍पणियां:

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

एक खबर जो शायद खबर न बनी - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Akash Mishra ने कहा…

हमारे देश में इन पर प्रतिबन्ध कभी नहीं लग सकता क्यूंकि हम तो सहिष्णुता में यकीन रखते हैं , सभी को अपने विचार रखने का अधिकार है (फिर भले ही वो विचार देश को ही बांटने का काम करें),

सादर

deshpremee ने कहा…

Ab apko kab sunai pada ki gadkari ne vivekanand ko shudra kaha. ap apna gobar kab nikalna band karenge. shayad kisni ne bhi ye sawal nahi uthaya abhi tak vivekanand ki caste ko lekar. kala salam ap jaise leftiyon ko gobar nikalne k liye

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