शुक्रवार, 18 जनवरी 2013

रसोई में आग! तेल की धार

 रसोई में आग! तेल की धार को अब सरकार ने तेल कंपनियों के हवाले!आंकड़ों के चमत्कार से चीन से भी आगे विकासगाथा से देश का कायाकल्प करने में लगी सरकार ने किश्तों पर हलाल करने का काम शुरु ही कर दिया!
तेल की धार को अब सरकार ने तेल कंपनियों के हवाले!आंकड़ों के चमत्कार से चीन से भी आगे विकासगाथा से देश का कायाकल्प करने में लगी सरकार ने किश्तों पर हलाल करने का काम शुरु ही कर दिया! सरकार ने सुधार से जुड़े कदमों के क्रम में डीजल की कीमत को नियंत्रण मुक्त करते हुए इसकी कीमत में प्रति लीटर 51 पैसे तक बढ़ोतरी कर दी और इसी तरह की वृद्धि मासिक तौर पर आगे भी जारी रहेगी। सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों. बीपीसीएलए एचपीसीएल और इंडियन ऑयल को सरकार ने डीजल कीमतों में मामूली बढ़ोतरी करने की छूट दी है।डीजल कीमतें कितनी और कब बढ़ेंगी इसका फैसला भी कंपनियां ही लेंगी।सरकार के इस फैसले से अब डीजल के दाम में आने वाले समय में बढ़ोतरी होती रहेगी। इससे महंगाई दर पर भी असर पड़ सकता है। सरकार ने थोक में डीजल का इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं को अब बाजार मूल्य पर डीजल देने का फैसला किया है। इससे उनके लिए एक ही झटके में डीजल का दाम करीब 11 रुपये बढ़ जाएगा। अन्य उपभोक्ताओं के लिए डीजल के दाम हर महीने 40 से 50 पैसे लीटर बढ़ाए जाएंगे। केंद्रीय कैबिनेट के गुरुवार सुबह सब्सिडी वाले घरेलू गैस सिलिंडर का सालाना कोटा 6 से बढ़ाकर 9 करने से आम आदमी को मिली थोड़ी राहत को रात होते.होते श्दोनों हाथोंश् से छीन लिया गया।तेल कंपनियों ने डीजल के दाम में 45 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी कीए वहीं बिना सब्सिडी वाले सिलिंडर का दाम 46ण्50 रुपये बढ़ा दिया। बड़े ग्राहकों के लिए डीजल के दाम में 9ण्25 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। उधरए पेट्रोल के दाम में 25 पैसे की कमी की गई है। बढ़ी हुई कीमतें गुरुवार आधी रात से लागू होंगी। अब सब्सिडी वाले सिलिंडर का कोटा बढ़ने से इस साल मार्च तक आम आदमी कुल 5 सब्सिडी वाले सिलिंडर ले सकेगा। अगले फाइनैंशल इयर 2013.2014 में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक लोग 9 सब्सिडी वाले सिलिंडर ले सकेंगे। एलपीजी सिलिंडर का ओपन मार्केट में 895ण्50 रुपये दाम है। अब इसके लिए 46 रुपये ज्यादा देने होंगे।भारतीय जनता पार्टी सहित देश के कई विपक्षी दलों ने गुरुवार को तेल विपणन कंपनियों को डीजल के दाम बढ़ाने की अनुमति देने के सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे महंगाई बढ़ जाएगी।
सरकार के आक्रामक तेवर साफ हैं। कारपोरेट दबाव में विपक्ष भी झख मारकर सहयोग करने को मजबूर है।गुड्स एंड सर्विस टैक्स ;जीएसटीद्ध पर राज्यों की सहमति न बनने से वित्त मंत्री पीण् चिदंबरम परेशान हैं। वह चाहते थे कि बजट से पहले इस पर सहमति बन जाए और इसकी घोषणा बजट भाषण में कर दें मगर लग रहा है कि ऐसा होना मुश्किल है। बुधवार को चिदंबरम की राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बैठक में जिस तरह से मांगों का ढेर लगा और जीएसटी लागू होने पर बार.बार घाटे की बात कही गईए उस पर चिदंबरम अपनी प्रतिक्रिया जाहिर न कर पाए। चिदंबरम ने साफ तौर पर राज्यों से कह दिया है कि अब समय आ गया है कि घाटे के मामले को खत्म कर दिया जाए। इसे ज्यादा लंबा न खींचा जाए। मतभेद को अगर समय सीमा के भीतर सुलझा लिया जाए तो बेहतर होता है।जब कुछ राज्यों ने केंद्र को इस बात के लिए कोसा कि वह राज्यों की वित्तीय स्थिति को नजरअंदाज कर रही है। इस पर चिदंबरम ने राज्यों को दो टूक कहा कि राज्यों को भी केंद्र की वित्तीय हालत को समझना चाहिए। केंद्र बार.बार कह चुका है कि जीएसटी के मामले में वह राज्यों की मांग पर विचार करने को तैयार है मगर मांगों को कितना पूरा कर पाएंगेए यह केंद्र की वित्तीय हालात पर निर्भर है।सूत्रों के अनुसार बैठक खत्म होने से एकदम पहले चिदंबरम ने राज्यों के वित्तीय मंत्रियों से कहाए अगर राज्यों में जीएसटी के मुद्दे पर आम सहमति बन जाती है तो वह इस संबंध में संविधान संशोधन की रूपरेखा का जिक्र अपने बजट भाषण में ही कर देंगे वरना बजट में इसे शामिल नहीं करेंगे। संविधान ;संशोधनद्ध विधेयकए 2011 को संसद में पेश किया जा चुका है और इस समय संसद की वित्त समिति के विचाराधीन है।गौरतलब है कि मुआवजे के लिए बनी समिति और जीएसटी प्रारूप समिति अपनी रिपोर्ट 31 जनवरी तक केंद्र को सौंप देंगी। सूत्रों के अनुसार बैठक में यह बात भी उठी कि जीएसटी को वैट की तरह लागू किया जाए। राज्यों को इसे लागू करने या न लागू करने या जब चाहे लागू करने की छूट दी जाए। इस पर भी कई राज्यों ने आपत्ति जताई। उनका कहना था कि ऐसा करना तर्कसंगत नहीं होगा। डीजल के दामों में वृद्धि को लेकर आलोचना का निशाना बन रही सरकार ने गुरुवार को सफाई दी कि राजस्व उगाहने और जनता के हितों की रक्षा के लिए संतुलन बनाने की यह कोशिश बहुत ही मुश्किल थी। इसके साथ ही सरकार ने डीजल के दामों में वृद्धि के राजनीतिक दलों द्वारा किए जा रहे विरोध पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने ;विपक्ष नेद्ध भी अतीत में ऐसे फैसले किए थे।

सरकार ने क्रूड एडिबल ऑयल के आयात को महंगा कर दिया है। आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने खाने के कच्चे तेल के आयात पर 2ण्5 फीसदी की ड्यूटी लगाने का फैसला किया है। हालांकि रिफाइंड तेल के आयात पर लगने वाले 7ण्5 फीसदी की ड्यूटी में कोई बदलाव नहीं किया गया है।खाने के कच्चे तेल के आयात पर कोई ड्यूटी नहीं लगती थी। लेकिनए इंडस्ट्री और कृषि मंत्रालय की मांग पर सरकार को ये फैसला लेना पड़ा है। कृषि मंत्रालय की ओर से खाने के कच्चे तेल पर 7ण्5 फीसदी और रिफाइंड तेल पर 15 फीसदी ड्यूटी लगाने की मांग थी।कृषि मंत्रालय की दलील थी कि क्रूड एडिबल ऑयल का आयात बढ़ने से घरेलू इंडस्ट्री और तिलहन किसानों का नुकसान हो रहा है। वित्त मंत्रालय ने महंगाई बढ़ने का हवाला देते हुए रिफाइंड तेल के इंपोर्ट पर ड्यूटी बढ़ाने से इनकार कर दिया है। देश में पूरी खपत का करीब 50 फीसदी खाने का तेल इंपोर्ट करना पड़ता है।

जनता की आंखों में धूल झोंकने की कला भारतीय सत्तावर्ग से कोई सीखें। आम लोगों को गधा बनाकर पहले रसोई गैस के सिलिंडरों पर सब्सिडी की सीमा तय कर दी गयी। यह सीमा किस खुशी में लागू की गयी और इसका औचित्य क्या हैए इसपर सवाल उठाये बगैरए सब्सिडी खत्म ​​करके अबाध पूंजी प्रवाह के लिए एक के बाद एक कदम का विरोध के बजाय सुधारों के नाम जनविरोधी कारपोरेट नीति निर्धारण में ​​सर्वदलीय सहमति के तहत सारे के सारे वित्तीय विधेयक और संविधान संशोधन तक अल्पमत सरकार के समर्थन में पारित करते हुए ​
​राजनीति आम आदमी को राहत देने के नाम पर सब्सिडी  सिलिंडरों की संख्या बढ़ाने की मांग करती रही। अब सब्सिडी सिलिंडरों की​​ संख्या छह के बजाय नौ कर दी गयी। लेकिन इसके बदले एक झटके साथ पेट्रोल के साथ साथ डीजल  की कीमतें भी खुले बाजार के हवाले ​​कर दी गयीं। खुले बाजार की अर्थव्यवस्था को जारी रखने के व्याकरण के मुताबिक सरकार के इस कदम का विरोध किया नहीं जा सकता।खुले बाजार की समर्थक राजनीति क्यों विरोध कर रही हैए क्या हम यह सवाल अपने राजनेताओं से पूछ सकते हैंए जिन्होंने विश्वबेंक के गुलाम​ ​ कारपोरेटच एजंट अर्थशास्त्रियों के कुलीन एसंवैधालिक तबके को राजकाज और नीति निरधारण का जिम्मा सौंपा हुआ हैघ्गौरतलब है कि इस वक्त पाकिस्तान के खिलाफ युद्धोन्माद का धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद से उद्बुद्ध है सारा देश।कारपोरेट मीडिया से लेकर सोशल ​​मीडिया तक इस विभाजित लहूलुहान उपमहादेश को युद्धस्थल बनाने की कवायद में यह भूल गये हैं कि पिछले युद्धों का खामियाजा अब भी भुगत रहे हैं हम। पाकिस्तान में सेना का वर्चस्व कायम होता है तो फायदे में रहेंगे दुनियाभर में युदध और गृहयुद्ध के कारोबारी। हमें क्या मिलेगाघ्

जो कुछ मिलेगा ए उसका अंदाजा विनियंत्रण की अर्थव्यवस्था के तहत लोक कल्याणकारी राज्यए लोकतंत्र और संविधान की हत्या से उपजा एक सर्वव्यापी बाजारए जिसका हित ही सर्वोपरि होगा ए बाकी कुछ भी नहीं। वह दिन भी बहुत दूर नहीं ए जब बाजार हमारे निजी जीवन के फैसले करेगा ए हम नहीं। खुदरा कारोबार में विदेशी निवेश के तहत बंधुआ खेती की शुरुआत करके भारतीय किसानोंए जो देश की बहुसंख्य जनता हैए बाजार ने पहले ही अपना गुलाम बना लिया है। सत्तावर्ग को मालूम है कि पढ़े लिखे लोग गुलामी के माहौल के बिना जी ही नहीं सकते और गिनती में सिर्फ​ ​ यही वर्ग है।इसलिए जनता का सफाया करके सिविल सोसाइटी के कंधे पर रखी बंदूकें इतने खुलेआम चांदमारी करने लगी है। विदेशी पूंजी के जिहाद में लगी राजनीति सिरे से गायब हैए जो बची हुई राजनीति है ए वह कारपोरेट वर्चस्व के आगे दुम हिला रही है।डीजल के महंगे होने का मतलब साफ है कि अब खेतीए माल ढुलाईए ट्रांसपोर्ट और बिजली उत्‍पादन महंगा हो जाएगा। अनाजए फल.सब्जियांए यात्री भाड़ा और बिजली के दाम सीधे.सीधे बढ़ जाएंगे।मालूम हो कि इससे पहले चिदंबरम ने कहा था कि सरकार डीजल को डीकंट्रोल यानी नियंत्रण मुक्त करने में जल्दबाजी नहीं करेगी। डीजल मूल्य को नियंत्रण मुक्त करने के बारे में फैसला लेने से पहले सरकार सभी पहलुओं को देखेगीए विशेष तौर पर महंगाई की दर को। वित्त मंत्री ने कहा कि डीजल से जुड़ा मुद्दा व्यापक दायरे वाला है। कुछ लोग इसे नियंत्रण मुक्त करने की वकालत करते हैं तो कुछ का कहना है कि इससे महंगाई बढ़ेगी।वादाखिलाफी का तो खैर दस्तूर ही ठहरा।गौरतलब है कि सरकार ने बजट पर सब्सिडी बोझ कम करने के लिए वर्ष 2010 में डीजल को नियंत्रण मुक्त करने का सैद्धांतिक तौर पर फैसला किया था। मगर राजनीतिक दबाव की वजह से इसे अमल में नहीं लाया जा सका। यह निर्णय किरीट पारिख समिति की सिफारिशों पर लिया गया था।


बहरहाल आंकड़ों के चमत्कार से चीन से भी आगे विकासगाथा से देश का कायाकल्प करने में लगी सरकार ने किश्तों पर हलाल करने का काम शुरु ही कर दिया।बढ़ते बजट घाटे का रोना रोती केंद्र सरकार ने आखिरकार विष का प्याला पी लियाए डीजल के दामों को बाजार के हवाले कर दिया। डीजल अब हर महीने 45 पैसे महंगा हो जाएगा। सरकार ने इसकी इजाजत दे दी है। गुरुवार रात से ही डीजल के दामों में 45 पैसे की बढ़ोतरी हो गई है। दूसरी तरफ लोगों को राहत देते हुए तेल कंपनियों ने पेट्रोल के दामों में 25 पैसे की कमी की है। यह दर भी आधी रात से प्रभावी हो गई। वहीं रसोई गैस और मिट्टी के तेल पर सरकार ने रहम किया। रियायत वाली रसोई गैस सिलेंडरों की संख्या 6 से बढ़ाकर 9 कर दी है। बढ़ी रियायत वाली सिलेंडर 1 अप्रैल से लागू होगी। वहीं बिना रियायत वाली सिलेंडरों की कीमतों में 46ण्50 पैसे की बढ़ोतरी कर दी गई है।दलील तो यह है कि तेल कंपनियों को लगातार हो रहे घाटे ने सरकार को डीजल के दाम डीकंट्रोल करने का फैसला लेने पर मजबूर कर दिया है। तेल कंपनियां बाजार से कम दाम पर कुकिंग गैसए डीजल और केरोसिन सप्लाई कर रही हैंए जिससे साल 2012 में इनका घाटा 1 लाख 67 हजार 000 करोड़ रुपए पहुंच गया।डीजल के दाम पिछली बार सितंबर 2012 में 5 रुपए प्रति लीटर बढ़ाए गए थे जिससे दिल्ली में इसके दाम 47ण्15 प्रति लीटर पहुंच गए थे। इस दाम पर भी तेल कंपनियों को प्रति लीटर 9ण्28 रुपए का घाटा हो रहा था। केरोसिन के दाम तो पिछले साल जून से नहीं बढ़ाए गए हैं जो 14ण्79 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है।

गौरतलब है कि आर्थिक विकास की रफ्तार के मामले में चीन की बादशाहत अब एकतरफा नहीं रहेगी। विश्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले वर्षो में भारत की विकास दर चीन की वृद्धि दर के काफी करीब होगी।श्वैश्विक आर्थिक परिदृश्य 2013श् शीर्षक से जारी बैंक की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतए चीन और ब्राजील जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में तेजी से सुधार होगा और यह ऊंची विकास दर की ओर बढ़ेंगी। विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने कहा कि वर्ष 2015 में चीन की विकास दर 7ण्9 फीसद रहने की उम्मीद है। वहीं भारत की विकास दर सात फीसद रह सकती है। बसु ने उम्मीद जताई कि भारत की विकास दर चीन के और करीब होगी। इसके पीछे पिछले एक या दो साल की घटनाएं नहीं बल्कि पूरा ऐतिहासिक घटनाक्रम है।कैस विकासए जब कदम कदम पर जनता का सत्यानासघ् किसका विकासघ्

अब समझ लीजिये! कैबिनेट की बैठक में अहम फैसले लिए जाने के बाद बाजार में जोश भरा है। सेंसेक्स करीब 180 अंक उछला और निफ्टी 6050 के करीब पहुंचा। हालांकि यूरोपीय बाजारों की कमजोर शुरुआत से घरेलू बाजार ऊपरी स्तरों से थोड़ा फिसले हैं।दोपहर 1रू55 बजेए सेंसेक्स 132 अंक चढ़कर 19950 और निफ्टी 36 अंक चढ़कर 6038 के स्तर पर हैं। निफ्टी मिडकैप 0ण्25 फीसदी मजबूत है। लेकिनए छोटे शेयरों में सुस्ती छाई है। ऑयल एंड गैस शेयर 2ण्5 फीसजी उछले हैं। रियल्टीए तकनीकीए आईटी और सरकारी कंपनियों के शेयरों में 2.1ण्25 फीसदी की तेजी है। ऑटोए बैंकए एफएमसीजी शेयर 0ण्6.0ण्25 फीसदी मजबूत हैं।बढ़ते वित्तीय घाटे का हवाला देकर सरकार ने एक बार फिर महंगाई का बोझ आम जनता पर लाद दिया। लेकिन सरकार के इस फैसले का कारोबारी जगत और शेयर बाजार ने स्वागत किया है। आर्थिक जानकारों के मुताबिक इस इंजेक्शन से आम आदमी को कुछ अर्से तक तकलीफ तो होगी। लेकिन आने वाले समय में विकास की गाड़ी कुलांचे भरेगी।डीजल की कीमतों का नियंत्रण सरकारी तेल कंपनियों के हाथ जाने की खबर आते ही उनके शेयरों में जबरदस्त तेजी आ गई। बाजार ने इस फैसले का जमकर स्वागत किया। गुरुवार को कारोबार के दौरान भ्च्ब्स् के शेयर 19ण्75 रुपयेए इंडियन ऑयल के शेयर 19ण्55 रुपयेए व्छळब् के शेयर में 11ण्10 रुपये और ठच्ब्स् के शेयर 14ण्30 रुपये की तेजी के साथ बंद हुए।आर्थिक मामलों के जानकारों का कहना है कि डीजल के दाम तेल कंपनियों के हवाले करना सरकार की मजबूरी भी थी और जरूरी भी था। उद्योग जगत ने भी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। कारोबारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में इस फैसले के अच्छे नतीजे सामने आएंगे।

ऑयल एंड गैस एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा का कहना है कि डीजल को आंशिक विनियंत्रित करने का फैसला अर्थव्यवस्था के लिए काफी अच्छा है। इससे तेल कंपनियों की अंडररिकवरी कम होने में मदद मिलेगी। इससे देश की तेल और गैस की व्यवस्था सुधर जाएगी।

ये ऑयल एंड गैस सेक्टर और उपभोक्ता के लिए भी अच्छा कदम है क्योंकि इससे एक झटके में डीजल के दाम नहीं बढ़ेंगे बल्कि अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल के दाम के आधार पर कीमतें बढ़ाई जाएंगी।

के आर चोकसी सिक्योरिटीज के देवेन चोकसी का कहना है कि डीजल के दाम तय करने का अधिकार तेल कंपनियों को मिलना काफी बढ़िया कदम है। इससे तंल कंपनियों को अपना घाटा कम करने में मदद मिलेगी।

इससे अपस्ट्रीम कंपनियों जैसे ओएनजीसी और ऑयल इंडिया को फायदा मिलेगा। डीजल की कीमतें विनियंत्रित होने से ओएनजीसी की बड़ी री रेटिंग हो सकती है।

सरकार आगे चलकर एलपीजी और केरोसिन की कीमतें भी बढ़ाएगी इस बारे में अभी कहना मुश्किल है।

अब समझ लीजिये! रिलायंस इंडस्ट्रीज लंबी अवधि के लिहाज अच्छा शेयर है। लंबी अवधि में शेयर 1050.1060 रुपये तक जा सकता है। शेयर में मौजूदा स्तरों पर खरीदारी का अच्छा मौका है। निवेशक शेयर में 800.820 रुपये के आसपास का स्टॉपलॉस लगाकर बने रहें।

अब समझ लीजिये!  केंद्र सरकार ने सीडीएमए कंपनियों को दिए जाने वाले स्पेक्ट्रम के रिजर्व प्राइस में 50 फीसदी कटौती करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में यह फैसला लिया गया। दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल के मुताबिकए नए फैसले के मुकाबलेए 800 मेगाहर्ट्ज बैंड में पांच मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम का रिजर्व प्राइज 9ए100 करोड़ रुपए रखा जाएगाए जो पहले 18ए200 करोड़ रुपए रखा था।

अब समझ लीजिये!  वित्त मंत्री पीण् चिदंबरम ने आज कहा कि सरकार कर दरों में नरमी लाने को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि लेनदेन की लागत कम करने के लिये प्रशासन को आधुनिक बनाने तथा करदाताओं की सुविधाएं बढ़ाने के लिये काम किया जा रहा है। चिदंबरम ने कहा कि कर प्रशासन के समक्ष नई चुनौतियां हैं। इसमें कर अधिकारों का आवंटन तथा कर राजस्व बढ़ाना तथा करदाताओं को गुणवत्तापूर्ण सेवायें मुहैया कराना शामिल हैं।ब्रिक्स ;ब्राजीलए रूसए भारतए चीन तथा दक्षिण अफ्रीकाद्ध देशों के राजस्व विभागों के प्रमुखों को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। भारत इस समूह की अध्यक्षता कर रहा है। उन्होंने कर प्रशासन के क्षेत्र में बिक्स देशों के बीच बेहतर सहयोग की जरूरत पर भी बल दिया।

जो सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बचाने के लिए पहल नहीं कर सकती और विनिवेश के जरिये राजस्व अर्जित करके निजी कंपनियों को राष्ट्रीय संसाधन सौंपने में हिचकती नहीं है,जो बहुसंख्यक आबादी को जल जंगल जमीन और आजीविका से बेदखली करने पर तुली हुई है, उन्हें तेल कंपनियों के हितों की इतनी परवाह क्यों?
दरअसल तेल की धार को अब सरकार ने तेल कंपनियों के हवाले कर दिया है। साफ है सरकार ने लोक कल्याणकारी राज्य का चोला उतार फेंका है। डीजल अब बार.बार महंगा होगा, क्योंकि अब डीजल के दाम सरकार तय नहीं करेगी। डीजल पर भारी भरकम सब्सिडी का रोना रोते हुए सरकार ने विष का ये प्याला पिया। सरकार की ओर से बताया गया कि पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ाने की सिफारिश केलकर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में की है, इस पर कैबिनेट ने घंटों मंथन किया। रिपोर्ट में तो डीजल की कीमत साढ़े 4 रुपये तक बढ़ाने और कुछ महीने बाद हर महीने एक एक रुपए और बढ़ाने की सलाह दी गई थी। इतना ही नहीं, जेब में आग लगाने वाली इस रिपोर्ट में तो रसोई गैस की कीमत 150 रुपये तक बढ़ाने और कुछ महीनों बाद हर महीने दस.दस रुपए बढ़ाने की वकालत तक की गई थी। केलकर कमेटी की रिपोर्ट ने मिट्टी के तेल के दाम 35 पैसे से लेकर 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ाने की सिफारिश की गई थी।लेकिन सरकार ने बीच का रास्ता निकाला। सरकार ने तेल कंपनियों को डीजल की कीमतें हर महीने 45 पैसे प्रति लीटर बढ़ाने की इजाजत दे दी है। बताया जा रहा है कि अब ज्यादा डीजल खरीदने वालों को डीजल का बाजार भाव चुकाना पड़ेगा। हालांकि कहा जा रहा है कि ये फैसला तेल कंपनियों ने लिया है।
गौरतलब है कि सरकारी तेल कंपनियां प्रति लीटर डीजल पर करीब 10 रुपये का नुकसान भरती हैं। सब्सिडी के तौर पर इसका बोझ सरकार उठाती है। एक साल में सरकार को तेल सब्सिडी पर 1 लाख 55 हजार 313 करोड़ रुपये फूंकने पड़ रहे हैं। तेल कंपनियों की मानें तो उन्हें सालाना 94 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। इसलिए अब सरकार डीजल को घाटा फ्री करने की तैयारी में है।
सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि हमने आम आदमी का बोझ हमेशा कम करने की कोशिश की है। लेकिन साथ ही हमने व्यापक आर्थिक अनिवार्यता को भी ध्यान में रखा। विपक्ष ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है। इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस और भाजपा को इसका विरोध नहीं करना चाहिए क्योंकि सत्ता में रहते हुए उन्होंने भी कई बार ऐसे फैसले किए हैं। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि तृणमूल कांग्रेस की प्रतिक्रिया जो आपने मुझे बताईए उससे मैं आश्चर्यचकित हूं। अगर मुझे ठीक से याद है तो ;पश्चिम बंगाल मेंद्ध तृणमूल कांग्रेस ने कोलकाता में बिजली की दरें बढ़ाई थीं। इसलिए मुझे नहीं लगता कि बिजली की दरें बढ़ाने वाली पार्टी को अध्ययन किए बिना ही विनियमन के प्रभाव के बारे में बोलना चाहिए
भाजपा ने सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों की संख्या छह से बढ़ाकर नौ करने के फैसले को भी दिखावा करार दिया। पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने यहां संवाददाताओं से कहा कि हम इस फैसले की निंदा करते हैंए क्योंकि इसका महंगाई पर गंभीर असर पड़ेगा। यह जनविरोधी निर्णय है और इसलिए हम इसकी निंदा करते हैं।उन्होंने कहा कि डीजल की कीमतें बढ़ाने का सरकार का फैसला पिछले दरवाजे से दरें बढ़ाने का प्रयास है। पार्टी ने मांग की है कि सरकार को इस तरह का कदम उठाने से पहले तेल क्षेत्र में जरूरी सुधार करने चाहिए।पार्टी ने कहा कि डीजल के मूल्य बढ़ाने के लिए समय सही नहीं है क्योंकि देश में लोग पहले ही महंगाई से जूझ रहे हैं। जावड़ेकर ने कहा कि इस वक्त यह बढ़ोत्तरी पूरी तरह अनुचित है।

एलपीजी सिलेंडरों की संख्या छह से बढ़ाकर नौ करने के फैसले पर भाजपा ने मांग की है कि राशनिंग को पूरी तरह समाप्त किया जाए और लोगों को जरूरत के अनुसार सिलेंडर लेने की छूट होनी चाहिए।

माकपा महासचिव प्रकाश करात ने आज यहां कहा कि डीजल के दाम नियंत्रणमुक्त करने से आम आदमी पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

करात ने कहा कि आम आदमी पहले ही रोजमर्रा की चीजों के दाम बढ़ने से मुश्किल में है। डीजल के दाम नियंत्रणमुक्त करने से उन पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। भाकपा के सचिव डी राजा ने कहा कि सरकार की दलील है कि यह फैसला वित्तीय घाटे को कम करने के लिए किया गया है। इस दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि घाटा अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार के कुप्रबंधन के कारण हुआ है।
सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों की संख्या साल में नौ करने को अपर्याप्त बताते हुए तृणमूल कांग्रेस ने आज संप्रग सरकार पर अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। तृणमूल के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओब्रायन ने कहा कि एक साल में सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों की संख्या 6 से बढ़ाकर 9 करना काफी नहीं है। हम एक आम परिवार में 18 से 24 सिलेंडर देने की मांग कर रहे हैं।
नए बैंकिंग लाइसेंस अप्रैल से वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार सरकार बैंकिंग सुधार को जल्द लागू करना चाहती है। इसके लिए उसने रिजर्व बैंक को नए बैंक स्थापित करने के लिए दिशा.निर्देश जनवरी के अंत जारी करने को कहा है ताकि बजट की घोषणा के पूर्व दिशा.निर्देश जारी कर दिए जाएं। नए बैंक लाइसेंस देने की प्रक्रिया अप्रैल से शुरू हो सके।
वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के अनुसार नए बैंक लाइसेंस से संबंधित जो भी सुझाव वित्त मंत्रालय के पास आये थेए उसे हमने रिजर्व बैंक को भेज दिया। अब रिजर्व बैंक को इनको ध्यान में रखते हुए दिशा.निर्देश जारी करना है। सूत्रों के अनुसार रिजर्व बैंक इस माह के अंत तक दिशा.निर्देश जारी कर सकता है। ऐसा होने पर ही इस पर सहमति बनाकर अगले वित्त वर्ष के आरंभ यानी अप्रैल से इसे लागू करने में सुविधा होगी।
डीटीसी को लागू को तैयारी पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा की संसदीय स्थाई समिति ने डीटीसी पर अंतिम रिपोर्ट में फरवरी के पहले हफ्ते में दी थी। यही कारण है कि बजट से पूर्व इस पर कोई फैसला नहीं हो सका। मगर इस बार वित्त मंत्री चिदंबरम इसको अगले वित्त वर्ष से लागू करने की तैयारी में हैं। इसमें डिमांड के मुताबिक इसमें कुछ संशोधन किये गए। पर साथ में कुछ बातों पर विपक्षी पार्टियों को मनाया जा रह है। यह तर्क दिया जा रहा है कि अगर बात नहीं तर्कसंगत नहीं लगी तो बाद में इसमें बदलाव कर लिया जाएगा।

खाद्य तेलों में तेजी के आसार

खाद्य तेलों के आयात को महंगा करने के सरकार के ताजा फैसले से खाद्य वस्तुओं में मंहगाई को पलीता लगने की आशंका बढ़ गई है। घरेलू किसानों के हितों को संरक्षण देने के नाम पर कच्चे खाद्य तेलों के आयात पर ढाई फीसद का शुल्क लगा दिया गया है। इससे पहले से ही तेजी में चल रहे खाद्य तेल के भाव और भड़क सकते हैं।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ख्सीसीईए, ने कच्चा खाद्य तेल के आयात पर 2ण्5 फीसद शुल्क लगाने का एलान किया है। रिफाइंड पाम ऑयल पर पहले ही 7ण्5 फीसद का आयात शुल्क लगा हुआ है। सरकार का मानना है कि महंगाई के बढ़ने की आशंका के मद्देनजर ही रिफाइंड ऑयल पर लगने वाले शुल्क में कोई वृद्धि नहीं की गई है।
कृषि मंत्रालय ने खाद्य तेलों के आयात शुल्क में वृद्धि के साथ शुल्क मूल्य निर्धारण की व्यवस्था को बदल दिया है। टैरिफ वैल्यू प्रणाली में चुपचाप हुई तब्दीली के चलते खाद्य तेल और महंगे हो जाएंगे। खाद्य तेलों के आयात पर सीमा शुल्क अधिनियम 1962 के तहत निर्धारित टैरिफ वैल्यू व्यवस्था शुरू की गई थी। खाद्य तेलों का आयात शुल्क उसी के तहत वर्ष 2006 के भाव 447 डॉलर प्रति टन के हिसाब से वसूला जाता है। लेकिन अब इसमें तब्दीली कर दी गई है। सरकार अब मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर आयात शुल्क की गणना करेगी।
पहले जहां 447 डॉलर प्रति टन के टैरिफ वैल्यू पर कच्चा पाम ऑयल आयात होता था। अब इसे वर्तमान में 790 डॉलर प्रति टन पर माना जाएगा। यानी ढाई फीसद के आयात शुल्क के साथ टैरिफ वैल्यू के अंतर का भुगतान भी करना होगा। शुल्क की गणना के हिसाब से प्रति किलो खाद्य तेल में सवा रुपये प्रति किलो की तेजी आनी तय है।
देश में खाद्य तेलों की कुल खपत का 50 फीसद आयात से पूरा होता है। बीते 2011.12 तेल वर्ष ख्नवंबर से अक्टूबर, में सर्वाधिक 1ण्02 करोड़ टन खाद्य तेल का आयात किया गया था। चालू वर्ष के पहले दो महीने में ही इसका पांच फीसद खाद्य तेल आयात हो चुका है।

सूत्रों के अनुसार कृषि मंत्रालय ने कच्चे खाद्य तेल के आयात पर 75 और रिफाइंड ऑयल पर 15 फीसद शुल्क का प्रस्ताव किया था। इसके लिए पिछले सप्ताह कृषि, वित्त और खाद्य मंत्रियों की बैठक में खाद्य तेल आयात पर लंबी चर्चा हुई थी। लेकिन बैठक में शुल्क वृद्धि के प्रस्तावों पर वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने महंगाई बढ़ने की आशंका जताई थी।
-एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

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