आडवाणी की खरी खरी, फिर भ्रमित करने लगा संघ परिवार! लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि जनता का मूड कांग्रेस के खिलाफ तो है हीए बीजेपी से भी उसका मोहभंग हुआ है!लालकृष्ण आडवाणी ने माना है कि लोगों का उनकी पार्टी से कुछ हद तक मोहभंग हुआ है और इससे वह दुखी हैं।भ्रष्टाचार के खिलाफ बीजेपी से जीरो टॉलरेन्स की उम्मीद रखने वाले आडवाणी ने कहा, बीजेपी ने कर्नाटक मामले जो रुख अपनाया, उससे वास्तव में मुझे निराशा हुई है। आडवाणी ने कहा कि केन्द्र में कांगेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार घोटालों की सरकार है!साथ ही आडवाणी ने भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान को विकास के लिये रोल माडल बताया उन्होंने कहा कि घोटालों से घिरी सरकार देश का भला नही कर सकती!
भाजपा के पिछले लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्रित्व के दावेदार १०१४ के लोकसभा चुनावों में भाजपाई प्रधानमंत्रित्व के कारपोरेट समर्थित दावेदार नरेंद्र मोदी के खिलाफ खरी खरी बोले, इस चौंकानेवाली खबर के पीछे चुपे राज का खुलासा अभी होना बाकी है। पर ज्यादा संभव है कि यह कोई संघ परिवार का अंदरुनी सत्ता संघर्ष का मामला कमए बल्कि सुनियोजित चुनावी रणनीति ज्यादा है। दूसरे चरण के आर्थिक सुधारों की गति तेज करते हुए कांग्रेस ने जो उग्रतम धर्म राष्ट्रवाद का विकल्प चुना है, उसके आगे असहाय से होते जा रहे संघ परिवार का यह निर्णायक पदक्षेप है, जिसका तत्पर्य नये सिरे से हिंदुत्व की शुद्धता और नैतिकता की स्थापना करते हुए संघ परिवार की साख की स्थापना करना है, जो अगला चुनाव जीतने के लिए अनिवार्य पूर्व शर्त है और इसके लिए लौह पुरुष से बेहतर प्रवक्ता कौन हो सकते हैं भारतीय गणराज्य, इसके संविधान, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के लिए अहम है कि इस तिलिस्म का इलाज निकाला जाये। मीडिया ने तो 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए नरेन्द्र मोदी को भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी लगभग घोषित कर ही दिया है। मोदी ने भी अपनी महत्वाकांक्षा छिपाई नहीं और गत सप्ताह राजधानी में हुई भाजपा राष्ट्रीय परिषद की बैठक में एक तरह से खुद को उम्मीदवार घोषित कर दिया।शुरू से अंत तक इस मीटिंग में मोदी ही छाए रहे। निचले स्तरों तक भाजपा कार्यकर्ताओं में मोदी के प्रति जबरदस्त समर्थन के ठोस प्रमाण के कारण ही शायद ऐसा हो सका। जो लोग यह उम्मीद लगाए बैठे थे कि भाजपा प्रधानमंत्री पद के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा करेगी उन्हें भारी निराशा हाथ लगी। ऐसा करने की एक निर्धारित प्रक्रिया होती है और अभी तक यह शुरू नहीं हो सकी।
गौरतलब है कि बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में आडवाणी समेत भाजपा के 19 नेताओं को नामित करने के मामले में सुनवाई दो अप्रैल तक के लिए टल गई है। इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत सभी को बरी कर चुकी है।फैसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट भी मुहर लगा चुकी है। इसके बाद सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से दोबारा साजिश के आरोप तय करने मी मांग की है। आरोपियों में आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, प्रवीण तोगड़िया, विष्णुहरि डालमिया और साध्वी ऋतंभरा आदि शामिल हैं।
बीजेपी को नरेंद्र मोदी के बढ़ते कद के बीच वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने चौंकाने वाला बयान दिया है। एक पत्रिका को दिए इंटरव्यू में आडवाणी ने कहा कि लोगों का कांग्रेस के साथ.साथ बीजेपी से भी मोहभंग हो चुका है। इस मोहभंग के चलते आडवाणी बेहद दुखी भी हैंए हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि पार्टी का भविष्य बेहतर है।पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी पर निशाना साधते हुए आडवाणी ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे कर्नाटक के तत्कालीन सीएम वाईएस येदुरप्पा के मामले में बीजेपी ने जो रवैया अपनाया वो गलत था। द वीक को दिए इंटरव्यू में आडवाणी ने कहा कि पिछले कुछ साल से वो ये देखकर दुखी हैं कि जनता का मूड यूपीए सरकार के खिलाफ तो है हीए लेकिन बीजेपी के प्रति भी मोहभंग हुआ है।
ये पहला मौका नहीं है जब आडवाणी ने इस तरह का बयान देकर बीजेपी में ही बहस का विषय छेड़ दिया हो। पिछले कुछ समय से आडवाणी खुलकर इस तरह के बयान देते रहे हैं। वैसे भी आडवाणी इन दिनों हाशिए में चल रहे हैं। बीजेपी कार्य़कारिणी की बैठक में भी उन्हें मार्गदर्शक बता दिया गया। ऐसे में आडवाणी की खरी.खरी बातें कहकर पार्टी को असहज स्थिति में डाल रहे हैं।
इसके उलट मध्यप्रदेश में आडवाणी ने शहडोल संभागीय मुख्यालय में उमरिया, अनूपपुर एवं शहडोल में चौबीस घंटे बिजली उपलब्ध कराए जाने वाली प्रदेश सरकार की योजना अटल ज्योति अभियान की औपचारिक रुप से घोषणा करते हुए कहा कि इस सरकार में रोज ही नये नये घोटाले सामने आ रहे हैं।
अपने पैंतीस मिनट के संबोधन में अपनी छह यात्राओं और राम मंदिर का जिक्र करते हुए कहा कि जब उन्होने सोमनाथ से अयोध्या तक की यात्रा कर जयश्री राम का नारा बुलंद किया और संकल्प दिलाया कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण होना चाहिये ।
लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि वर्ष 1989 में हुए आम चुनाव में संसद में भारतीय जनता पार्टी के सांसदों की संख्या दो से बढ़कर छियासी हो गई थी।उन्होने कहा कि यह चमत्कारी परिवर्तन राम मंदिर का प्रताप था। हांलाकि आडवाणी ने यह भी कहा कि धर्म व मंदिर के नाम पर जनता प्रेरित तो होती है लेकिन विकास के नाम पर जनता का जुड़ाव ज्यादा हो जाता है।
अपने संबोधन के दौरान उन्होने दो बार नरेन्द्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान की प्रशंसा की।
आपके और हमारे कान खड़े होने के लिए एक और खबर उत्तर प्रदेश से आयी है, जिसका संबंध २०१४ तक हिंदू राष्ट्र का सपना पूरा करने से संबंधित संघ परिवार के अविचल एजंडा सै है।उत्तर प्रदेश विधानसभा में आज बेरोजगारी भत्ता के सवाल पर सरकार को धोखेबाज बताकर सदन से बहिर्गमन कर रहे भारतीय जनता पार्टी को राजस्व मंत्री ने ष्रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगेए तारीख नहीं बताएंगे कहकर जवाब दिया।बीजेपी के सतीश महानाए रामचंद्र यादव और तीन अन्य विधायकों के सवाल के जवाब मे राजस्व मंत्री अंबिका चौधरी ने बताया कि बेरोजगारी भत्ते के लिए कुल 12 लाख 26 हजार आवेदन आये थे जिसमे 10 लाख 73 हजार लोगों को बेरोजगारी भत्ता दिया गया।
बीजेपी के हुकुम सिंह ने कहा कि जो लोग बेरोजगार है और उन्हें भत्ता नहीं मिला तो क्या उन्हें पेंशन दी जाएगी। चौधरी के जवाब से असंतुष्ट भाजपा बीजेपी ने सदन का बहिर्गमन किया।
बहिर्गमन कर रहे बीजेपी सदस्यों को चौधरी ने ष्रामलला हम आएंगेए मंदिर वहीं बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे कहकर जवाब दिया। चौधरी का आशय था कि बीजेपी खुद धोखेबाज हैं। राम तक को नहीं छोड़ा और दूसरे को धोखेबाज बता रही है।
ऐसे में जब भारतीय जनता पार्टी में हर ओर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने की मांग उठ रही है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक गोविंदाचार्य अलग ही सुर अलाप रहे हैं। उनके अनुसार लालकृष्ण आडवाणी ज्यादा अनुभवी हैं और उन्हें मोदी की जगह 2014 के आम चुनाव में भाजपा का प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाया जाना चाहिए।
अंतिम चयन होने से पूर्व 3 स्तरों पर परामर्श होगा। प्रथमया भाजपा के अंदरए दूसरे नम्बर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अंदर और तीसरे क्रम पर राजग के अंदर। वास्तविकता यह है कि पहले स्तर पर भी अभी तक परामर्श शुरू नहीं हुआ। बेशक प्रधानमंत्री के सपने देखने वाले अन्य उम्मीदवार फिलहाल चुप हो गए हैंए शायद वे चुनावी निर्णय का समय आने पर यूं ही मौन नहीं बैठेंगे क्योंकि इस शीर्ष पद की आकांक्षा रखने वाले आधा दर्जन नेता स्वयं उम्मीदवार हैं।
मोदी को अकेला चलने वाले के रूप में देखा जाता है और अपने पार्टी सहकर्मियों के साथ उनके संबंध सौहार्दपूर्ण नहीं हैं। लालकृष्ण अडवानी अभी दौड़ से बाहर नहीं हुए हैं और उनका प्रभाव कई रूपों में सामने आएगा जैसा कि उन्होंने गडकरी को एक ही झटके में समाप्त करके दिखाया था। मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने से पूर्व पार्टी को उनकी खूबियों के साथ.साथ गोधरा कांड के दुष्प्रभावों को भी मद्देनजर रखना होगा।
इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है दूसरा यानी आर.एस.एस.का पड़ाव। भाजपा को जन्म देने वाला यह मूल संगठन भी गत 10 वर्षों के दौरान मोदी पर अधिक प्रसन्न नहीं क्योंकि गुजरात में उन्हीं के कारण की आर.एस.एस.गतिविधियां बहुत बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। अभी भी भाजपा पर आर.एस.एस. की पकड़ काफी मजबूत है और अपना सपना साकार करने के लिए मोदी को नागपुर स्थित संघ मुख्यालय से अवश्य ही समर्थन प्राप्त करना होगा।
आरएसएस के प्रचारक के गोविंदाचार्य ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अनुभवहीन करार देते हुए प्रधानमंत्री पद के योग्य मानने से इन्कार कर दिया और उन्होंने पार्टी के बुजुर्ग नेता आडवाणी को इस प्रतिष्ठित पद के लिए उम्मीदवार बनाने की वकालत की। एक अंग्रेजी समाचार चैनल से बातचीत में उन्होंने कहाए श्देश का सामना करने से पूर्व उन्हें और समय दिया जाना चाहिए। मैं समझता हूं कि हमें एक अनुभवी प्रधानमंत्री की जरूरत है। मैं महसूस करता हूं कि एलके आडवाणी को प्रधानमंत्री बनाया जाना चाहिए। नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह और अन्य नेता कैबिनेट मंत्री बनकर अनुभव हासिल करें। गोविंदाचार्य ने यह कहते हुए भाजपा कैडरों की इस मांग को ठुकरा दिया सवाल यह नहीं है कि कौन ज्यादा लोकप्रिय है। यहां योग्यता की बात है। नरेंद्र जी को पहले नौसिखिया बनकर अभी बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।
संजय जोशी को हटाने के पीछे नरेंद्र मोदी का हाथ होने के सवाल पर गोविंदाचार्य ने कहा, श्किसी भी नेता को बेहतर कूटनीतिज्ञ होना चाहिए। अगर आप अपनी पार्टी के साथ समझौते में अडियल रूख बनाए रखते हैं तो आप कैसे दूसरी पार्टियों को विश्वास में लेंगे। राजनीति में संयम रखना एक कला है। उन्होंने कहाए मैं समझता हूं कि उतावलापन का माहौल बना रहता है तो यह न मोदी के लिए सही होगा न ही देश के लिए।गोविंदाचार्य के अनुसार गुजरात के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री पद के लिए एकमात्र स्वत: योग्य उम्मीदवार नहीं है। उन्होंने कहाए देश को चलाने के लिए विविधता और विरोधाभास की जरूरत होती है। साथ ही नेता में लचीलापन भी होना चाहिए। प्रधानमंत्री के पास ढेर सारे गुण होने चाहिए जिसे मोदी जी ने अब तक नहीं दिखाया है।
अगले आम चुनाव के दौरान 87 साल के होने जा रहे आडवाणी की उम्र के बारे में जब गोविंदाचार्य से पूछा गया तो उन्होंने कहाए उनकी सेहत को देखने की जरूरत है। जब ज्यादातर युवा नेता एक दिन का धरना तक नहीं कर पाते ऐसे में आडवाणी ने खुद को ज्यादा योग्य साबित किया है।गोविंदाचार्य का यह बयान दिल्ली में संपन्न हुए दो दिवसीय भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की उस सम्मेलन के बाद आया है जिसमें पार्टी नेताओं और कैडरों की ओर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार घोषित करने की जोरदार मांग उठी थी।
-एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
भाजपा के पिछले लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्रित्व के दावेदार १०१४ के लोकसभा चुनावों में भाजपाई प्रधानमंत्रित्व के कारपोरेट समर्थित दावेदार नरेंद्र मोदी के खिलाफ खरी खरी बोले, इस चौंकानेवाली खबर के पीछे चुपे राज का खुलासा अभी होना बाकी है। पर ज्यादा संभव है कि यह कोई संघ परिवार का अंदरुनी सत्ता संघर्ष का मामला कमए बल्कि सुनियोजित चुनावी रणनीति ज्यादा है। दूसरे चरण के आर्थिक सुधारों की गति तेज करते हुए कांग्रेस ने जो उग्रतम धर्म राष्ट्रवाद का विकल्प चुना है, उसके आगे असहाय से होते जा रहे संघ परिवार का यह निर्णायक पदक्षेप है, जिसका तत्पर्य नये सिरे से हिंदुत्व की शुद्धता और नैतिकता की स्थापना करते हुए संघ परिवार की साख की स्थापना करना है, जो अगला चुनाव जीतने के लिए अनिवार्य पूर्व शर्त है और इसके लिए लौह पुरुष से बेहतर प्रवक्ता कौन हो सकते हैं भारतीय गणराज्य, इसके संविधान, लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के लिए अहम है कि इस तिलिस्म का इलाज निकाला जाये। मीडिया ने तो 2014 के लोकसभा चुनावों के लिए नरेन्द्र मोदी को भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी लगभग घोषित कर ही दिया है। मोदी ने भी अपनी महत्वाकांक्षा छिपाई नहीं और गत सप्ताह राजधानी में हुई भाजपा राष्ट्रीय परिषद की बैठक में एक तरह से खुद को उम्मीदवार घोषित कर दिया।शुरू से अंत तक इस मीटिंग में मोदी ही छाए रहे। निचले स्तरों तक भाजपा कार्यकर्ताओं में मोदी के प्रति जबरदस्त समर्थन के ठोस प्रमाण के कारण ही शायद ऐसा हो सका। जो लोग यह उम्मीद लगाए बैठे थे कि भाजपा प्रधानमंत्री पद के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा करेगी उन्हें भारी निराशा हाथ लगी। ऐसा करने की एक निर्धारित प्रक्रिया होती है और अभी तक यह शुरू नहीं हो सकी।
गौरतलब है कि बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में आडवाणी समेत भाजपा के 19 नेताओं को नामित करने के मामले में सुनवाई दो अप्रैल तक के लिए टल गई है। इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत सभी को बरी कर चुकी है।फैसले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट भी मुहर लगा चुकी है। इसके बाद सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से दोबारा साजिश के आरोप तय करने मी मांग की है। आरोपियों में आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, प्रवीण तोगड़िया, विष्णुहरि डालमिया और साध्वी ऋतंभरा आदि शामिल हैं।
बीजेपी को नरेंद्र मोदी के बढ़ते कद के बीच वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने चौंकाने वाला बयान दिया है। एक पत्रिका को दिए इंटरव्यू में आडवाणी ने कहा कि लोगों का कांग्रेस के साथ.साथ बीजेपी से भी मोहभंग हो चुका है। इस मोहभंग के चलते आडवाणी बेहद दुखी भी हैंए हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि पार्टी का भविष्य बेहतर है।पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी पर निशाना साधते हुए आडवाणी ने कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे कर्नाटक के तत्कालीन सीएम वाईएस येदुरप्पा के मामले में बीजेपी ने जो रवैया अपनाया वो गलत था। द वीक को दिए इंटरव्यू में आडवाणी ने कहा कि पिछले कुछ साल से वो ये देखकर दुखी हैं कि जनता का मूड यूपीए सरकार के खिलाफ तो है हीए लेकिन बीजेपी के प्रति भी मोहभंग हुआ है।
ये पहला मौका नहीं है जब आडवाणी ने इस तरह का बयान देकर बीजेपी में ही बहस का विषय छेड़ दिया हो। पिछले कुछ समय से आडवाणी खुलकर इस तरह के बयान देते रहे हैं। वैसे भी आडवाणी इन दिनों हाशिए में चल रहे हैं। बीजेपी कार्य़कारिणी की बैठक में भी उन्हें मार्गदर्शक बता दिया गया। ऐसे में आडवाणी की खरी.खरी बातें कहकर पार्टी को असहज स्थिति में डाल रहे हैं।
इसके उलट मध्यप्रदेश में आडवाणी ने शहडोल संभागीय मुख्यालय में उमरिया, अनूपपुर एवं शहडोल में चौबीस घंटे बिजली उपलब्ध कराए जाने वाली प्रदेश सरकार की योजना अटल ज्योति अभियान की औपचारिक रुप से घोषणा करते हुए कहा कि इस सरकार में रोज ही नये नये घोटाले सामने आ रहे हैं।
अपने पैंतीस मिनट के संबोधन में अपनी छह यात्राओं और राम मंदिर का जिक्र करते हुए कहा कि जब उन्होने सोमनाथ से अयोध्या तक की यात्रा कर जयश्री राम का नारा बुलंद किया और संकल्प दिलाया कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण होना चाहिये ।
लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि वर्ष 1989 में हुए आम चुनाव में संसद में भारतीय जनता पार्टी के सांसदों की संख्या दो से बढ़कर छियासी हो गई थी।उन्होने कहा कि यह चमत्कारी परिवर्तन राम मंदिर का प्रताप था। हांलाकि आडवाणी ने यह भी कहा कि धर्म व मंदिर के नाम पर जनता प्रेरित तो होती है लेकिन विकास के नाम पर जनता का जुड़ाव ज्यादा हो जाता है।
अपने संबोधन के दौरान उन्होने दो बार नरेन्द्र मोदी और शिवराज सिंह चौहान की प्रशंसा की।
आपके और हमारे कान खड़े होने के लिए एक और खबर उत्तर प्रदेश से आयी है, जिसका संबंध २०१४ तक हिंदू राष्ट्र का सपना पूरा करने से संबंधित संघ परिवार के अविचल एजंडा सै है।उत्तर प्रदेश विधानसभा में आज बेरोजगारी भत्ता के सवाल पर सरकार को धोखेबाज बताकर सदन से बहिर्गमन कर रहे भारतीय जनता पार्टी को राजस्व मंत्री ने ष्रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगेए तारीख नहीं बताएंगे कहकर जवाब दिया।बीजेपी के सतीश महानाए रामचंद्र यादव और तीन अन्य विधायकों के सवाल के जवाब मे राजस्व मंत्री अंबिका चौधरी ने बताया कि बेरोजगारी भत्ते के लिए कुल 12 लाख 26 हजार आवेदन आये थे जिसमे 10 लाख 73 हजार लोगों को बेरोजगारी भत्ता दिया गया।
बीजेपी के हुकुम सिंह ने कहा कि जो लोग बेरोजगार है और उन्हें भत्ता नहीं मिला तो क्या उन्हें पेंशन दी जाएगी। चौधरी के जवाब से असंतुष्ट भाजपा बीजेपी ने सदन का बहिर्गमन किया।
बहिर्गमन कर रहे बीजेपी सदस्यों को चौधरी ने ष्रामलला हम आएंगेए मंदिर वहीं बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे कहकर जवाब दिया। चौधरी का आशय था कि बीजेपी खुद धोखेबाज हैं। राम तक को नहीं छोड़ा और दूसरे को धोखेबाज बता रही है।
ऐसे में जब भारतीय जनता पार्टी में हर ओर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने की मांग उठ रही है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक गोविंदाचार्य अलग ही सुर अलाप रहे हैं। उनके अनुसार लालकृष्ण आडवाणी ज्यादा अनुभवी हैं और उन्हें मोदी की जगह 2014 के आम चुनाव में भाजपा का प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाया जाना चाहिए।
अंतिम चयन होने से पूर्व 3 स्तरों पर परामर्श होगा। प्रथमया भाजपा के अंदरए दूसरे नम्बर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अंदर और तीसरे क्रम पर राजग के अंदर। वास्तविकता यह है कि पहले स्तर पर भी अभी तक परामर्श शुरू नहीं हुआ। बेशक प्रधानमंत्री के सपने देखने वाले अन्य उम्मीदवार फिलहाल चुप हो गए हैंए शायद वे चुनावी निर्णय का समय आने पर यूं ही मौन नहीं बैठेंगे क्योंकि इस शीर्ष पद की आकांक्षा रखने वाले आधा दर्जन नेता स्वयं उम्मीदवार हैं।
मोदी को अकेला चलने वाले के रूप में देखा जाता है और अपने पार्टी सहकर्मियों के साथ उनके संबंध सौहार्दपूर्ण नहीं हैं। लालकृष्ण अडवानी अभी दौड़ से बाहर नहीं हुए हैं और उनका प्रभाव कई रूपों में सामने आएगा जैसा कि उन्होंने गडकरी को एक ही झटके में समाप्त करके दिखाया था। मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने से पूर्व पार्टी को उनकी खूबियों के साथ.साथ गोधरा कांड के दुष्प्रभावों को भी मद्देनजर रखना होगा।
इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है दूसरा यानी आर.एस.एस.का पड़ाव। भाजपा को जन्म देने वाला यह मूल संगठन भी गत 10 वर्षों के दौरान मोदी पर अधिक प्रसन्न नहीं क्योंकि गुजरात में उन्हीं के कारण की आर.एस.एस.गतिविधियां बहुत बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। अभी भी भाजपा पर आर.एस.एस. की पकड़ काफी मजबूत है और अपना सपना साकार करने के लिए मोदी को नागपुर स्थित संघ मुख्यालय से अवश्य ही समर्थन प्राप्त करना होगा।
आरएसएस के प्रचारक के गोविंदाचार्य ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अनुभवहीन करार देते हुए प्रधानमंत्री पद के योग्य मानने से इन्कार कर दिया और उन्होंने पार्टी के बुजुर्ग नेता आडवाणी को इस प्रतिष्ठित पद के लिए उम्मीदवार बनाने की वकालत की। एक अंग्रेजी समाचार चैनल से बातचीत में उन्होंने कहाए श्देश का सामना करने से पूर्व उन्हें और समय दिया जाना चाहिए। मैं समझता हूं कि हमें एक अनुभवी प्रधानमंत्री की जरूरत है। मैं महसूस करता हूं कि एलके आडवाणी को प्रधानमंत्री बनाया जाना चाहिए। नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह और अन्य नेता कैबिनेट मंत्री बनकर अनुभव हासिल करें। गोविंदाचार्य ने यह कहते हुए भाजपा कैडरों की इस मांग को ठुकरा दिया सवाल यह नहीं है कि कौन ज्यादा लोकप्रिय है। यहां योग्यता की बात है। नरेंद्र जी को पहले नौसिखिया बनकर अभी बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।
संजय जोशी को हटाने के पीछे नरेंद्र मोदी का हाथ होने के सवाल पर गोविंदाचार्य ने कहा, श्किसी भी नेता को बेहतर कूटनीतिज्ञ होना चाहिए। अगर आप अपनी पार्टी के साथ समझौते में अडियल रूख बनाए रखते हैं तो आप कैसे दूसरी पार्टियों को विश्वास में लेंगे। राजनीति में संयम रखना एक कला है। उन्होंने कहाए मैं समझता हूं कि उतावलापन का माहौल बना रहता है तो यह न मोदी के लिए सही होगा न ही देश के लिए।गोविंदाचार्य के अनुसार गुजरात के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री पद के लिए एकमात्र स्वत: योग्य उम्मीदवार नहीं है। उन्होंने कहाए देश को चलाने के लिए विविधता और विरोधाभास की जरूरत होती है। साथ ही नेता में लचीलापन भी होना चाहिए। प्रधानमंत्री के पास ढेर सारे गुण होने चाहिए जिसे मोदी जी ने अब तक नहीं दिखाया है।
अगले आम चुनाव के दौरान 87 साल के होने जा रहे आडवाणी की उम्र के बारे में जब गोविंदाचार्य से पूछा गया तो उन्होंने कहाए उनकी सेहत को देखने की जरूरत है। जब ज्यादातर युवा नेता एक दिन का धरना तक नहीं कर पाते ऐसे में आडवाणी ने खुद को ज्यादा योग्य साबित किया है।गोविंदाचार्य का यह बयान दिल्ली में संपन्न हुए दो दिवसीय भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की उस सम्मेलन के बाद आया है जिसमें पार्टी नेताओं और कैडरों की ओर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार घोषित करने की जोरदार मांग उठी थी।
-एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
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