मंगलवार, 18 जून 2013

केन्द्र सरकार का भी दायित्व


  देश के केन्द्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने खालिद मुजाहिद की मौत को हत्या माना है वहीं स्थानीय सांसद व अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ. पी.एल. पुनिया ने खालिद मुजाहिद की मौत की सी0बी0आई0 जाँच की माँग की है।
    प्रदेश सरकार ने सी0बी0आई0 जाँच का अनुरोध केन्द्र सरकार से कर दिया है। अब दोनों मंत्रियों का नैतिक दायित्व बनता है कि केन्द्र सरकार से पैरवी कर सी.बी.आई. जाँच को आगे बढ़ाएँ क्योंकि खालिद मुजाहिद का अपहरण 16 दिसम्बर 2007 को मडि़याहूँ बाजार जनपद जौनपुर से किया गया था, जिसके पर्याप्त दस्तावेजी सबूत भी हैं। आर0डी0 निमेष कमीशन ने भी खालिद मुजाहिद व तारिक कासमी की गिरफ्तारी व बरामदगी को फर्जी माना है। बाराबंकी जनपद में खालिद मुजाहिद के चाचा जहीर आलम फलाही द्वारा लिखाई गई प्रथम सूचना रिपोर्ट की विस्तृत जाँच यदि सी0बी0आई0 द्वारा होती है तो लगभग 150 से अधिक पुलिस में छिपे हुए अपराधियों की पहचान होगी और उन्हें कारागार में निरुद्ध भी होना पड़ेगा। अब देखना यह है कि पुलिस द्वारा निरन्तर उत्पीडि़त उत्तर प्रदेश की अल्पसंख्यक जनता की दोनों मंत्रीगण कितनी सकारात्मक मदद कर सकेंगे।
अखिलेश सरकार की असफलता
      पता चला है कि उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने खालिद प्रकरण की सी.बी.आई. जाँच न होने पाएँ इसलिए सी.बी.आई. जाँच का अनुरोध पत्र केन्द्रीय गृह मंत्रालय को निर्धारित प्रोफार्मा पर नहीं भेजा है। अनुरोध पत्र के साथ आवश्यक कागजात जैसे प्रथम सूचना रिपोर्ट, पंचायतनामा, पोस्टमार्टम रिपोर्ट सहित कई आवश्यक दस्तावेज केन्द्रीय मंत्रालय को भेजे ही नहीं हैं। इस तरह अखिलेश सरकार का मुस्लिम मामलों में अपनाए जा रहे रुख का पता चलता है।
     मुस्लिम वोटों की राजनीति खत्म न होने पाए इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार ने बहुत ही चालाकी से सी0बी0आई0 जाँच का अनुरोध मानकर जाँच के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय को लिख दिया है किन्तु अभी तक केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने खालिद मुजाहिद के अपहरण, अवैध परिरोध, धोखाधड़ी व हत्या के मामले में अधिसूचना जारी नहीं किया है। वहीं दूसरी तरफ डिप्टी एस.पी. जियाउल हक की हत्या के मामले में केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने तुरन्त अधिसूचना जारी कर जाँच प्रारम्भ करा दी थी। लेकिन खालिद मुजाहिद के मामले में केन्द्रीय गृह मंत्रालय टाल मटोल की नीति अपना रहा है जो सत्तारूढ़ दल के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक नहीं होगा। खालिद मुजाहिद व तारिक कासमी की गिरफ्तारी प्रकरण की गंभीरता से जाँच करने पर कचेहरी सीरियल बम विस्फोट काण्ड के वास्तविक अभियुक्तों की पकड़-धकड़ भी संभव हो सकती है और प्रदेश में कुछ भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों द्वारा आतंकवाद के नाम पर जो आतंक व भय का माहौल पैदा किया गया है उस पर लगाम भी लग सकती है।  

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