विश्व बाघ दिवस
आज हमने तकनीकी के क्षेत्र में इतनी प्रगति कर ली है कि हम चाहे तो बैठे बैठे एक देश से दूसरे देश में संपर्क कर सकते है कम्प्यूटर - लेपटोप से घंटो का काम सेकेंडो में निपटा सकते है आज हम अंतरिक्ष में उड़ सकते है, चाँद में घर बना सकते है मंगल में जाकर पानी पी सकते है, रॉकेट के माध्यम से अपने दुश्मनों पर वार कर सकते है इतना ही नहीं आज हमारे पास उच्च से उच्च मारक क्षमता की मिसाइले है। यह तो सच है हमने प्रगति तो की है पर क्या कभी हमने सोचा हैकि हमने यह सब किसकी कीमत पर हासिल किया है आज हम जिस आधुनिकता पर इतना इतरा रहे है क्या हमने कभी जानने की कोशिश की है कि उसने हमारे पर्यावरण को कितना नुकसान पहुँचाया है जानते है इस कृतिम विकास को पाने के लिए हरे भरे जंगलो की अँधा धुंध कटाई की ,लाखो पेड़ पौधो की हत्या की , न जाने कितने जानवरों को उनके घरो से बेघर कर दिया, यहाँ तक ही उनके वंश का ही नाश कर दिया गया आज हमें ठीक से यह भी नहीं याद है कि हमारे वन प्राणियों में से कितनी प्रजातीय जंगलो में जीवित बची है। आज हमें मोर, कोयल, चील, गौरैया जैसी बहुतायात प्रजाति के पंक्षी भी नहीं देखने को मिलते है मुक्षे याद है कि हम सभी बचपन में बड़े शौक से जंगल के राजा शेर , बाघ और चीते की कहानिया खूब मजे से पढ़ते थे, दादा - दादी की जंगलो की कहानिया तो खूब लुभाती थी और हमारा मन अक्सर उन जानवरों को पास से देखने और छूने को मचलता रहता था और हम सभी यह सपना देखा करते थे कि बड़े होकर एक बार जंगल की सैर जरूर करेंगे और शेर - चीतों से बाते करेंगे पर लगता है हमारा यह सपना सपना ही रह जायेगा क्योकि जितनी तेजी से हम आधुनिकता की और भाग रहे है उतनी ही तेजी से हम जंगलो का नाश करते चले जा रहे है। ऐसे में हम अपने पर्यावरण को तो नुकसान पहुंचा ही रहे है साथ में बहुत सी वन्य - प्राणियों की प्रजाति भी ख़त्म कर रहे है हालात यह है कि कल विश्व बाघ दिवस है और हमें ठीक से यह भी पता नहीं कि हमें बाघ कहाँ देखने को मिलेगा क्योकि जब बाघ होंगे ही नहीं तो हम देखेंगे कहाँ से । यह हालात सिर्फ अपने देश में नहीं बल्कि पूरे विश्व में आज बाघों की प्रजातिया बहुत तेजी से कम होती चली जा रही है जो कि न सिर्फ एक प्रजाति के अंत होने की बात बल्कि हमारे पर्यावरण संतुलन के लिए भी एक बहुत बड़ा खतरा है। इसलिए अगर हम वख्त रहते सचेत नहीं हुए तो आज जो कुछ प्रजातिया बची है तो वे भी ख़त्म हो जाएँगी है इसलिए आइये हम सभी इस विष बाघ दिवस के उपलक्ष्य में ये शपथ ले कि हम सब मिलकर बाघों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए आवाज उठाएंगे और अपने पर्यावरण को नष्ट होने से बचायेंगे । हम सब पर्यावरण के सच्चे प्रहरी कहलायेंगे।
-के एम् भाई
आज हमने तकनीकी के क्षेत्र में इतनी प्रगति कर ली है कि हम चाहे तो बैठे बैठे एक देश से दूसरे देश में संपर्क कर सकते है कम्प्यूटर - लेपटोप से घंटो का काम सेकेंडो में निपटा सकते है आज हम अंतरिक्ष में उड़ सकते है, चाँद में घर बना सकते है मंगल में जाकर पानी पी सकते है, रॉकेट के माध्यम से अपने दुश्मनों पर वार कर सकते है इतना ही नहीं आज हमारे पास उच्च से उच्च मारक क्षमता की मिसाइले है। यह तो सच है हमने प्रगति तो की है पर क्या कभी हमने सोचा हैकि हमने यह सब किसकी कीमत पर हासिल किया है आज हम जिस आधुनिकता पर इतना इतरा रहे है क्या हमने कभी जानने की कोशिश की है कि उसने हमारे पर्यावरण को कितना नुकसान पहुँचाया है जानते है इस कृतिम विकास को पाने के लिए हरे भरे जंगलो की अँधा धुंध कटाई की ,लाखो पेड़ पौधो की हत्या की , न जाने कितने जानवरों को उनके घरो से बेघर कर दिया, यहाँ तक ही उनके वंश का ही नाश कर दिया गया आज हमें ठीक से यह भी नहीं याद है कि हमारे वन प्राणियों में से कितनी प्रजातीय जंगलो में जीवित बची है। आज हमें मोर, कोयल, चील, गौरैया जैसी बहुतायात प्रजाति के पंक्षी भी नहीं देखने को मिलते है मुक्षे याद है कि हम सभी बचपन में बड़े शौक से जंगल के राजा शेर , बाघ और चीते की कहानिया खूब मजे से पढ़ते थे, दादा - दादी की जंगलो की कहानिया तो खूब लुभाती थी और हमारा मन अक्सर उन जानवरों को पास से देखने और छूने को मचलता रहता था और हम सभी यह सपना देखा करते थे कि बड़े होकर एक बार जंगल की सैर जरूर करेंगे और शेर - चीतों से बाते करेंगे पर लगता है हमारा यह सपना सपना ही रह जायेगा क्योकि जितनी तेजी से हम आधुनिकता की और भाग रहे है उतनी ही तेजी से हम जंगलो का नाश करते चले जा रहे है। ऐसे में हम अपने पर्यावरण को तो नुकसान पहुंचा ही रहे है साथ में बहुत सी वन्य - प्राणियों की प्रजाति भी ख़त्म कर रहे है हालात यह है कि कल विश्व बाघ दिवस है और हमें ठीक से यह भी पता नहीं कि हमें बाघ कहाँ देखने को मिलेगा क्योकि जब बाघ होंगे ही नहीं तो हम देखेंगे कहाँ से । यह हालात सिर्फ अपने देश में नहीं बल्कि पूरे विश्व में आज बाघों की प्रजातिया बहुत तेजी से कम होती चली जा रही है जो कि न सिर्फ एक प्रजाति के अंत होने की बात बल्कि हमारे पर्यावरण संतुलन के लिए भी एक बहुत बड़ा खतरा है। इसलिए अगर हम वख्त रहते सचेत नहीं हुए तो आज जो कुछ प्रजातिया बची है तो वे भी ख़त्म हो जाएँगी है इसलिए आइये हम सभी इस विष बाघ दिवस के उपलक्ष्य में ये शपथ ले कि हम सब मिलकर बाघों के संरक्षण और सुरक्षा के लिए आवाज उठाएंगे और अपने पर्यावरण को नष्ट होने से बचायेंगे । हम सब पर्यावरण के सच्चे प्रहरी कहलायेंगे।
-के एम् भाई
1 टिप्पणी:
अच्छा तो आज बाघ दिवस है ?
एक टिप्पणी भेजें