वजीफा और लैपटाप से जम्हूरियत नहंीं बचा सकते- अनिल चमडि़या
हम गुजरात को इंसाफ की लड़ाई की प्रयोगशाला बना देंगे- शमशाद पठान
आईबी, हेडली व आरएसएस के बीच संबन्धों की जांच हो- अमलेन्दु उपाध्याय
सड़कों पर बहा हमारे निर्दोष बच्चों का खून इंसाफ मांग रहा है- अलाउद्दीन अंसारी
लखनऊ, 10 जुलाई 2013। खालिद मुजाहिद के इंसाफ के लिए रिहाई मंच के अनिश्चितकालीन धरने के पचासवें दिन देश के विभिन्न हिस्सों से अन्याय के खिलाफ न्याय के लिए चल रहे संघर्ष में लोगों ने एक सुर में आवाज उठाई कि यूपी की सपा सरकार तुरन्त मानसून सत्र बुलाकर निमेष कमीशन पर एक्शन टेकन रिपोर्ट लाते हुए खालिद के हत्यारे पुलिस व आईबी के अधिकारियों को तत्काल गिरफ्तार करे। इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, गृह को गोरखपुर धमाकों पर विस्तृत रिपोर्ट देते हुए कहा गया कि इस पूरे मामले की दोषपूर्ण विवेचना की गई जिसमें निर्दोष मुस्लिम युवकों को झूठा फंसाया गया है, ऐसा केंद्र व राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देष पर किया गया, इसलिए आवश्यक है कि इस पूरे मामले की पुर्नविवेचना नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) द्वारा कराई जाए। अनिश्चित कालीन धरने के पचासवें दिन मुस्लिम अवाम ने संकल्प लिया के कल से शुरु हो रहे पाक रमजान के महीने में इस इंसाफ की जंग को मजबूती से लड़ा जाएगा, इस मौके पर शहर के कई वरिष्ठ मौलना हजरात की मौजूदगी में संकल्प लिया गया कि खालिद मुजाहिद की कातिल सपा के किसी नेता को मिल्लत अफ्तार पार्टियों में नहीं बुलाएगी और न ही सरकार की किसी अफ्तार पार्टी में शिरकत करेगी। इसी मसले पर शहीद खालिद मुजाहिद के चचा जहीर आलम फलाही ने कहा की सभी पार्टियों ने हमारे बच्चों की कातिल हैं इसलिए मिल्लत यह संकल्प ले कि किसी भी सियासी पार्टी की अफ्तार पार्टियों में न शिरकत करे और न ही उन्हें आमंत्रित करे।
धरने के समर्थन में दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमडि़या ने कहा कि मालेगांव की घटना साफ करती है कि हिन्दुत्वादी ताकतें देश में आईबी की मदद से आतंक का माहौल बना रही हैं और निर्दोष मस्लिम समुदाय पर आतंकवाद का आरोप मढ़ रही हैं। ऐसे दौर में जब सरकारें निर्दोष मुस्लिम समुदाय को फसाने वाली आईबी, एटीएस जैसी संस्थाओं के समर्थन में खुलकर आ रही हैं तो ऐसे में ऐसे सांप्रदायिक राजनीतिक दलों की भूमिका की जांच होनी चाहिए। मालेगांव ने मुल्क में एक नई बहस खडी़ की है कि जिस तरह पुलिस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट हैं ठीक उसी तरह आईबी में कांस्परेंसी स्पेशलिस्ट भी हैं। क्योंकि इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ में जिस तरह सामने आया कि सिर्फ मुठभेड़ ही फर्जी नहीं थी बल्कि उसको अगवा करके आईबी द्वारा उपलब्ध कराए
हथियारों की बरामदगी कर मुस्लिम समुदाय को आतंक के नाम पर बदनाम करने का षडयंत्र रचा गया। श्री अनिल चमडि़या ने कहा कि आज जब रिहाई मंच मौलाना खालिद के न्याय के लिए पचास दिनों से लखनऊ विधानसभा के सामने संघर्ष कर रहा है तब इस में हमें तय करना होगा कि हम किसी भी कीमत पर जम्हूरियत को बचाएंगे। इशरत जहां प्रकरण में जिस तरह आईबी के अधिकारी राजेन्द्र कुमार का नाम आया यह सवाल यहीं तक सीमित नहीं है, इसे व्यापक फलक पर देखने की जरुरत है। पुलिस माओवादी नक्सलवादी कह कर नौजवानों को मार देती है। पर हमारी सरकारों को आईबी व पुलिस की चिंता है अवाम की नहीं है। सरकार ने
मुसलमानों पर जो जुल्मों सितम किया और उन्हें डराने का काम किया है ऐसे में इस मंच पर धार्मिक समूहों को देखकर हमें लगता है इस जम्हूरियत को बचाने की लड़ाई में इन संगठनों का बहुत योगदान है, और हमारे इतिहास में ऐसी ढेरो मिसालें हैं। हमारी जम्हूरियत की सरकारों ने अमेरिका से जो रिश्ते कायम किए हैं उनको हमें तोड़ना होगा। देश की खुफिया एजेंसियों की संसद के प्रति जवाबदेही हो। आईबी की जवाबदेही संसद को लेकर बननी चाहिए। जम्हूरियत खतरे में है और हम जम्हूरियत को बचाना चाहते हैं ऐसे में हमें अपने दोस्तों और दुश्मनों को पहचानना जरुरी होगा, जो मुस्लिम वोट के ठेकेदार हमारे जनप्रतिनिधि हैं उनके चेहरे हमें बेनकाब करने होंगे।
अखिलेश जिस तरीके से लगातार आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम युवकों की रिहाई से वादाखिलाफी कर रहे हैं उनसे हम साफ करना चाहते हैं कि अवाम ने सरकार को वो ताकत दी है जिससे काई बेगुनाह जेल में नहीं रह सकता, और रह रहा है तो यह मुल्क में कैसी व्यवस्था किसको हमने सौंप दी इस पर
गंभीरता से विचार करना होगा। मैं देख रहा हूं कि इस सूबे में जब भी हक-हूकूक की बात होती है तो सपा सरकार लैपटाप की बात करती है, इसे देख ऐसा लगता है कि जैसी हम लालची हैं और चंद पैंसों के लिए अपनी अवाज उठाना बंद कर देंगे। वजीफा और लैपटाप से जम्हूरियत नहीं बच सकती है। यह देश हमारे बाप-दादाओं के खून पसीने से बना है और हम पर जिम्मा है कि इस देश को खून पसीने से बढ़ाएगे। राज्यसत्ता ने आतंकवाद का ढ़ाचा खड़ा किया है। आतंकवाद के बड़े दायरे को समझने की जरुरत है। सियासतदां, हुकूमतदां दलाल
पैदा करते हैं। ऐसे में हम यही चाहेंगे कि बगुनाहों की रिहाई के इस आंदोलन को जम्हूरियत बचाने आंदोलन के तहत मिल्लत जकात की तरह पांच-दस रुपए लोकतांत्रिक आंदोलन के लिए दे।
गुजरात में आतंकवाद के नाम पर मारे गए बेगुनाहों इशरत जहां, सोहराबुद्दीन, सादिक जमाल मेहतर और गुजरात दंगों में शिकार मुसलमानों के गुनहगार माया कोडनानी जैसे भाजपा नेताओं को जेल भिजवाने वाले जन संघर्ष मंच के नेता और अधिवक्ता शमशाद पठान ने कहा कि मैं उस राज्य से हूं जिस राज्य ने सांप्रदायिकता के नाम पर ओ मंजर देखा है जिसका नाम लेने से भी मुस्लिम समुदाय डरता है पर हमने इस लड़ाई को जम्हूरियत को बचाने की एक तहरीक बना दी। आज खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी के अधिकारियों
की गिरफ्तारी को लेकर रिहाई मंच के धरने के पचासवें दिन इसी तहरीक को मैं गुजरात से हजार किलोमीटर दूर यूपी में देख रहा हूं। इस बात को भी देख रहा हूं की बदनाम जमाना मोदी की तरह ही सपा जो अपने को सेक्युलर और मुस्लिमों की हमदर्द कहती है ने भी मोदी की तरह ही यूपी में भी एक गुजरात बना दिया
है जहां मुस्लिम समुदाय के लोग कहीं दंगों की आंच में झुलस रहें हैं तो वहीं आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम युवक जेलों की कोठरियों में कैद हैं। गुजरात में हमने 2002 में मोदी सरकार द्वारा मुसलमानों पर जुल्मों सितम देखें हैं उस समय आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद ने कहा था कि गुजरात एक प्रयोगशाला है। जिसे आज बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी देखा जा रहा है। गुजरात के अंदर सबसे ज्यादा पोटा का दुरुपयोग हुआ है। नरेन्द्र मोदी इशरत जहां सहित 2000 से अधिक लोगों का खूनी है। आईबी फर्जी मुठभेड़ों के मामलों में कटघरे में है। मैं अगर सादिक जमाल की कहानी बताऊं तो आप की रुहें कांप जांएगी। 20 वर्षीय सादिक जमाल बहुत गरीब घर का लड़का था, उसका फर्जी एनकाउंअर कर दिया गया था। सादिक को दाउद का साथी बता दिया गया था। एसआईटी के अनुसार आईबी का फर्जी मुठभेड़ मंे हाथ है। आईबी फासीवादी ताकतों को सत्ता में लाना चाहती है। राजेन्द्र कुमार ने सादिक जमाल का फर्जी मुठभेड़ की थी। इशरत जहां का भी फर्जी एनकाउंटर हुआ। सरकार कहती है कि राजेन्द्र कुमार का नाम एफआईआर में न डाला जए। अमजद अली
का भी फर्जी एनकाउंटर हुआ। गुजारात हाईकोर्ट ने भी स्पष्ट पूछा कि खून हुआ या एनकाउंटर ? हमने यह संकल्प लिया है कि हम जल्द ही गुजरात के मुख्यमंत्री को कटघरे में लाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर मोदी गुजरात हो हिन्दुत्व की प्रयोगशाला बनाना चाहते हैं तो हम भी गुजरात को इंसाफ की लड़ाई का प्रयोगशाला बना देने पर आमादा हैं और इस लड़ाई में जीत हमारी होगी।
धरने के समर्थन में दिल्ली से आए हस्तक्षेप के संपादक अमलेन्दू उपाध्याय ने कहा कि भाजपा लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता व कानून की दुश्मन है। अपने को सेक्यूलर कहने वाली मायावती विक्रम सिंह व बृजलाल जैसे अधिकारियों से खालिद मुजाहिद, तारिक कासमी समेत अनेक मुस्लिम युवाओं की फर्जी गिरफ्तारियां करवाती रही है। तो वहीं मुसलमानों की हमदर्द बताने वाली सपा हुकूमत खालिद मुजाहिद जैसे बुगुनाहों की हत्या करने के लिए इस पुलिस अधिकारियों को खुली छूट दे रखी है। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात व राजस्थान में आतंकवाद व नक्सलवाद के नाम पर कत्लेआम हो रहा है। इस उत्तर प्रदेश जहां युवा मुख्यमत्री अखिलेश यादव 100 दिन तो कभी साल भर पूरे होने पर जश्न मनाते हैं उस प्रदेश के हालात हैं कि 302 के मुल्जिम 6-6
महीने से अधिक समय बीत जाने में बाद भी गिरफ्तार नहीं हुए हैं। आईबी डायरेक्टर इब्राहिम ने बोध गया में धमाके करवाए। आतंकी वारदातों में आईबी का हाथ है। आईबी, हेडली व आरएसएस के बीच संबन्धों की जांच हों क्योंकि यह सब आतंक के डबल एजेन्ट हैं। एक तो वो स्थानीय स्तर पर संचालित होते हैं दूसरे वो अमेरिका, इसराइल की मोसाद और सीआईए जैसी ऐजेसिंयों के लिए काम करते हैं। हेमन्त करकरे ने आरएसएस का हाथ उजागर किया था तो उनकी हत्याइन्हीं एजेंसियों ने मिलकर करवा दी।
हैदराबाद से आए तेलंगाना समिति के सदस्य और इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय महासचिव अलाउद्दीन अंसारी ने कहा कि हिन्दुस्तान की आजादी की लड़ाई में मुसलानों ने बढ़चढकर अपना खून बहाया लेकिन आज साठ साल बाद हमारे खून की कोई कीमत नहीं रह गई है और उसे आईबी, एटीएस, आरएसएस और सरकारें पानी की तरह बहा रही हैं, हैदराबाद लखनऊ, अहमदाबाद हो या दिल्ली सड़कों पर बहा हमारे निर्दोष बच्चों का खून इंसाफ मांग रहा है जिसे रोकने के लिए पूरा राज्य मशीनरी एक हो गया है लेकिन हम लोकतंत्र पसन्द और
सेक्यूलर लोगों के साथ मिलकर इंसाफ की यह जंग जरुर जीतेंगे। उन्होंने कहा कि मैंनें बहुत पास से देखा है की मक्का मस्जिद हैदराबाद में किस तरह से मुसलमानों पर आतंकी होने का इल्जाम लगाया गया, आज हकीकत सबके सामने है तो आखिर किसी आतंकी घटना होने के बाद मुस्लिमों को ही क्यों टारगेट किया जाता है। हमारे बच्चों की बात आती है तो पुलिस के मनोबल गिरने की दुहाई दी जाती है और जब भगवा दहशतगर्दों की बात आती है तो उन्हें बचाने में पूरी की पूरी सरकार लग जाती है।
रामपुर सीआरपीएफ कैंप में 31 दिसंबर 2007 की रात सीआरपीएफ कैंप के जवानों द्वारा शराब के नशे में धुत होकर आपस में की गई गोलीबारी की घटना जिसे आतंकी घटना का नाम दे दिया गया था में फंसाए गए कुंडा, प्रतापगढ़ के कौसर फारुकी के भाई अनवर फारुकी, बहेड़ी, बरेली के गुलाब खान के भाई कमल खान, रामपुर से पकड़े गए शरीफ के भाई शाहीन, मिलककामरु, मुरादाबाद के जंगबहादुर के लड़के शेर खान भी रिहाई मंच के धरने के पचासवें दिन शामिल होते हुए मांग की की जब दुनिया हकीकत जानती है कि रामपुर सीआरपीएफ कैंप
पर हुई घटना कोई आतंकी घटना नहीं थी, तो सरकार क्यों नहीं सीबीआई जांच की हमारी मांग को मानती है। रामपुर से ही इस प्रदेश की सरकार में रसूख रखने वाले मंत्री आजम खान आते हैं पर आज तक इस बात पर वे कभी नहीं बोले उन्हें अमेरिका में अपनी बेज्जती की बड़ी चिंता है पर आतंक के नाम पर जो ठप्पा लगाकर हमें दिन रात बेज्जत किया जा रहा है हमारे परिजन जेलों में तिल-तिल कर जीने को मजबूर हैं उनकी कोई चिंता नहीं है।
शहीद खालिद मुजाहिद के चचा जहीर आलम फलाही ने कहा कि रिहाई मंच के इस धरने से मैं अपील करता हूं कि मुस्लिम उलेमा सत्ताधारी पार्टी के अफ्तार आयोजनों में न जाएं। उन्होंने कहा कि भले ही आजम खान खालिद की हत्या पर एक लब्ज न बोलें हों लेकिन रिहाई मंच और हम उनकी तरह बेगैरत नहीं हैं कि उनकी मां के इंतकाल पर खामोश रहें हम इस मंच से उनके गम में शरीक होते हैं।
धरने के समर्थन में आईं लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रुपरेखा वर्मा, दिल्ली से आईं पत्रकार भाषा सिंह, नसीम इफ्तेदार अली, एपवा की ताहिरा हसन, शोभा सिंह ने कहा कि आतंक का जब कहर किसी परिवार पर गिरता है तो उसकी पहली शिकार घर की महिलाएं होती हैं, कभी किसी की मां, बहन तो कभी पत्नी। हम रिहाई मंच के धरने के पचासवें दिन पर मौजूद महिलाओं की इतनी बड़ी तादाद को देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब यह लड़ाई घर से बाहर सड़क पर निकल गई है, जिसे यह भारी बरसात भी नहीं रोक पा रही है।
इंडियन नेशनल लीग की राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान और प्रदेश अध्यक्ष मो0 समी ने कहा कि आईबी की फिरकापरस्ती के खिलाफ रिहाई मंच के इस तारीखी धरने के इस बात को स्थापित कर दिया है कि अब मिल्लत इस मुल्क में आईबी के खिलाफ के मजबूत गोलबंदी को तैयार है। हमारी पार्टी इंडियन नेशनल लीग शुरु से ही रिहाई मंच के साथ रही है और हम अंतिम दम तक इस जंग को लड़ेगे।
सोशलिस्ट फ्रंट के मोहम्मद आफाक और भारतीय एकता पार्टी के सैयद मोईद ने कहा कि कि रिहाई मंच के इस इंकलाबी धरने को रमजान के पाक महीने में भी चलाया जाएगा।
मुस्लिम मजलिस के नेता जैद अहमद फारुकी ने कहा कि यह तारीखी आंदोलन जम्हूरियत की पटरी से भटक गए भारतीय सियासत को फिर से पटरी पर लाएगा और मुल्क में वास्तविक लोकतंत्र स्थापित करने के लिए इसे हमेशा याद किया जाएगा।
पूर्व विधायक कालीचरन, भागीदारी आंदोलन के नेता पीसी कुरील, भवरनाथ पासवान, एहसानुल हक मलिक और शिवनारायण कुशवाहा ने कहा कि बेगुनाह मुस्लिम नौजवनों का सवाल सत्ता में वंचित तबकों की भागीदारी से जुड़ा हुआ है, जब तक सत्ता में मुसलमान इसाई, दलित, आदिवासी वंचित तबके नहीं पहुंचेगे तब
तक यह जुल्म नहीं मिटेगा। हमें इस आंदोलन को और तीखा करना होगा। मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडे, सोशलिस्ट पार्टी के ओमकार ंिसंह ने कहा कि उनकी पार्टी जो लोहिया की असली वारिस वो रिहाई मंच के इस आंदोलन में हमेशा साथ रहेगी।
आईबी, हेडली व आरएसएस के बीच संबन्धों की जांच हो- अमलेन्दु उपाध्याय
सड़कों पर बहा हमारे निर्दोष बच्चों का खून इंसाफ मांग रहा है- अलाउद्दीन अंसारी
लखनऊ, 10 जुलाई 2013। खालिद मुजाहिद के इंसाफ के लिए रिहाई मंच के अनिश्चितकालीन धरने के पचासवें दिन देश के विभिन्न हिस्सों से अन्याय के खिलाफ न्याय के लिए चल रहे संघर्ष में लोगों ने एक सुर में आवाज उठाई कि यूपी की सपा सरकार तुरन्त मानसून सत्र बुलाकर निमेष कमीशन पर एक्शन टेकन रिपोर्ट लाते हुए खालिद के हत्यारे पुलिस व आईबी के अधिकारियों को तत्काल गिरफ्तार करे। इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, गृह को गोरखपुर धमाकों पर विस्तृत रिपोर्ट देते हुए कहा गया कि इस पूरे मामले की दोषपूर्ण विवेचना की गई जिसमें निर्दोष मुस्लिम युवकों को झूठा फंसाया गया है, ऐसा केंद्र व राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देष पर किया गया, इसलिए आवश्यक है कि इस पूरे मामले की पुर्नविवेचना नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) द्वारा कराई जाए। अनिश्चित कालीन धरने के पचासवें दिन मुस्लिम अवाम ने संकल्प लिया के कल से शुरु हो रहे पाक रमजान के महीने में इस इंसाफ की जंग को मजबूती से लड़ा जाएगा, इस मौके पर शहर के कई वरिष्ठ मौलना हजरात की मौजूदगी में संकल्प लिया गया कि खालिद मुजाहिद की कातिल सपा के किसी नेता को मिल्लत अफ्तार पार्टियों में नहीं बुलाएगी और न ही सरकार की किसी अफ्तार पार्टी में शिरकत करेगी। इसी मसले पर शहीद खालिद मुजाहिद के चचा जहीर आलम फलाही ने कहा की सभी पार्टियों ने हमारे बच्चों की कातिल हैं इसलिए मिल्लत यह संकल्प ले कि किसी भी सियासी पार्टी की अफ्तार पार्टियों में न शिरकत करे और न ही उन्हें आमंत्रित करे।
धरने के समर्थन में दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमडि़या ने कहा कि मालेगांव की घटना साफ करती है कि हिन्दुत्वादी ताकतें देश में आईबी की मदद से आतंक का माहौल बना रही हैं और निर्दोष मस्लिम समुदाय पर आतंकवाद का आरोप मढ़ रही हैं। ऐसे दौर में जब सरकारें निर्दोष मुस्लिम समुदाय को फसाने वाली आईबी, एटीएस जैसी संस्थाओं के समर्थन में खुलकर आ रही हैं तो ऐसे में ऐसे सांप्रदायिक राजनीतिक दलों की भूमिका की जांच होनी चाहिए। मालेगांव ने मुल्क में एक नई बहस खडी़ की है कि जिस तरह पुलिस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट हैं ठीक उसी तरह आईबी में कांस्परेंसी स्पेशलिस्ट भी हैं। क्योंकि इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ में जिस तरह सामने आया कि सिर्फ मुठभेड़ ही फर्जी नहीं थी बल्कि उसको अगवा करके आईबी द्वारा उपलब्ध कराए
हथियारों की बरामदगी कर मुस्लिम समुदाय को आतंक के नाम पर बदनाम करने का षडयंत्र रचा गया। श्री अनिल चमडि़या ने कहा कि आज जब रिहाई मंच मौलाना खालिद के न्याय के लिए पचास दिनों से लखनऊ विधानसभा के सामने संघर्ष कर रहा है तब इस में हमें तय करना होगा कि हम किसी भी कीमत पर जम्हूरियत को बचाएंगे। इशरत जहां प्रकरण में जिस तरह आईबी के अधिकारी राजेन्द्र कुमार का नाम आया यह सवाल यहीं तक सीमित नहीं है, इसे व्यापक फलक पर देखने की जरुरत है। पुलिस माओवादी नक्सलवादी कह कर नौजवानों को मार देती है। पर हमारी सरकारों को आईबी व पुलिस की चिंता है अवाम की नहीं है। सरकार ने
मुसलमानों पर जो जुल्मों सितम किया और उन्हें डराने का काम किया है ऐसे में इस मंच पर धार्मिक समूहों को देखकर हमें लगता है इस जम्हूरियत को बचाने की लड़ाई में इन संगठनों का बहुत योगदान है, और हमारे इतिहास में ऐसी ढेरो मिसालें हैं। हमारी जम्हूरियत की सरकारों ने अमेरिका से जो रिश्ते कायम किए हैं उनको हमें तोड़ना होगा। देश की खुफिया एजेंसियों की संसद के प्रति जवाबदेही हो। आईबी की जवाबदेही संसद को लेकर बननी चाहिए। जम्हूरियत खतरे में है और हम जम्हूरियत को बचाना चाहते हैं ऐसे में हमें अपने दोस्तों और दुश्मनों को पहचानना जरुरी होगा, जो मुस्लिम वोट के ठेकेदार हमारे जनप्रतिनिधि हैं उनके चेहरे हमें बेनकाब करने होंगे।
अखिलेश जिस तरीके से लगातार आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम युवकों की रिहाई से वादाखिलाफी कर रहे हैं उनसे हम साफ करना चाहते हैं कि अवाम ने सरकार को वो ताकत दी है जिससे काई बेगुनाह जेल में नहीं रह सकता, और रह रहा है तो यह मुल्क में कैसी व्यवस्था किसको हमने सौंप दी इस पर
गंभीरता से विचार करना होगा। मैं देख रहा हूं कि इस सूबे में जब भी हक-हूकूक की बात होती है तो सपा सरकार लैपटाप की बात करती है, इसे देख ऐसा लगता है कि जैसी हम लालची हैं और चंद पैंसों के लिए अपनी अवाज उठाना बंद कर देंगे। वजीफा और लैपटाप से जम्हूरियत नहीं बच सकती है। यह देश हमारे बाप-दादाओं के खून पसीने से बना है और हम पर जिम्मा है कि इस देश को खून पसीने से बढ़ाएगे। राज्यसत्ता ने आतंकवाद का ढ़ाचा खड़ा किया है। आतंकवाद के बड़े दायरे को समझने की जरुरत है। सियासतदां, हुकूमतदां दलाल
पैदा करते हैं। ऐसे में हम यही चाहेंगे कि बगुनाहों की रिहाई के इस आंदोलन को जम्हूरियत बचाने आंदोलन के तहत मिल्लत जकात की तरह पांच-दस रुपए लोकतांत्रिक आंदोलन के लिए दे।
गुजरात में आतंकवाद के नाम पर मारे गए बेगुनाहों इशरत जहां, सोहराबुद्दीन, सादिक जमाल मेहतर और गुजरात दंगों में शिकार मुसलमानों के गुनहगार माया कोडनानी जैसे भाजपा नेताओं को जेल भिजवाने वाले जन संघर्ष मंच के नेता और अधिवक्ता शमशाद पठान ने कहा कि मैं उस राज्य से हूं जिस राज्य ने सांप्रदायिकता के नाम पर ओ मंजर देखा है जिसका नाम लेने से भी मुस्लिम समुदाय डरता है पर हमने इस लड़ाई को जम्हूरियत को बचाने की एक तहरीक बना दी। आज खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी के अधिकारियों
की गिरफ्तारी को लेकर रिहाई मंच के धरने के पचासवें दिन इसी तहरीक को मैं गुजरात से हजार किलोमीटर दूर यूपी में देख रहा हूं। इस बात को भी देख रहा हूं की बदनाम जमाना मोदी की तरह ही सपा जो अपने को सेक्युलर और मुस्लिमों की हमदर्द कहती है ने भी मोदी की तरह ही यूपी में भी एक गुजरात बना दिया
है जहां मुस्लिम समुदाय के लोग कहीं दंगों की आंच में झुलस रहें हैं तो वहीं आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम युवक जेलों की कोठरियों में कैद हैं। गुजरात में हमने 2002 में मोदी सरकार द्वारा मुसलमानों पर जुल्मों सितम देखें हैं उस समय आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद ने कहा था कि गुजरात एक प्रयोगशाला है। जिसे आज बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में भी देखा जा रहा है। गुजरात के अंदर सबसे ज्यादा पोटा का दुरुपयोग हुआ है। नरेन्द्र मोदी इशरत जहां सहित 2000 से अधिक लोगों का खूनी है। आईबी फर्जी मुठभेड़ों के मामलों में कटघरे में है। मैं अगर सादिक जमाल की कहानी बताऊं तो आप की रुहें कांप जांएगी। 20 वर्षीय सादिक जमाल बहुत गरीब घर का लड़का था, उसका फर्जी एनकाउंअर कर दिया गया था। सादिक को दाउद का साथी बता दिया गया था। एसआईटी के अनुसार आईबी का फर्जी मुठभेड़ मंे हाथ है। आईबी फासीवादी ताकतों को सत्ता में लाना चाहती है। राजेन्द्र कुमार ने सादिक जमाल का फर्जी मुठभेड़ की थी। इशरत जहां का भी फर्जी एनकाउंटर हुआ। सरकार कहती है कि राजेन्द्र कुमार का नाम एफआईआर में न डाला जए। अमजद अली
का भी फर्जी एनकाउंटर हुआ। गुजारात हाईकोर्ट ने भी स्पष्ट पूछा कि खून हुआ या एनकाउंटर ? हमने यह संकल्प लिया है कि हम जल्द ही गुजरात के मुख्यमंत्री को कटघरे में लाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर मोदी गुजरात हो हिन्दुत्व की प्रयोगशाला बनाना चाहते हैं तो हम भी गुजरात को इंसाफ की लड़ाई का प्रयोगशाला बना देने पर आमादा हैं और इस लड़ाई में जीत हमारी होगी।
धरने के समर्थन में दिल्ली से आए हस्तक्षेप के संपादक अमलेन्दू उपाध्याय ने कहा कि भाजपा लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता व कानून की दुश्मन है। अपने को सेक्यूलर कहने वाली मायावती विक्रम सिंह व बृजलाल जैसे अधिकारियों से खालिद मुजाहिद, तारिक कासमी समेत अनेक मुस्लिम युवाओं की फर्जी गिरफ्तारियां करवाती रही है। तो वहीं मुसलमानों की हमदर्द बताने वाली सपा हुकूमत खालिद मुजाहिद जैसे बुगुनाहों की हत्या करने के लिए इस पुलिस अधिकारियों को खुली छूट दे रखी है। आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात व राजस्थान में आतंकवाद व नक्सलवाद के नाम पर कत्लेआम हो रहा है। इस उत्तर प्रदेश जहां युवा मुख्यमत्री अखिलेश यादव 100 दिन तो कभी साल भर पूरे होने पर जश्न मनाते हैं उस प्रदेश के हालात हैं कि 302 के मुल्जिम 6-6
महीने से अधिक समय बीत जाने में बाद भी गिरफ्तार नहीं हुए हैं। आईबी डायरेक्टर इब्राहिम ने बोध गया में धमाके करवाए। आतंकी वारदातों में आईबी का हाथ है। आईबी, हेडली व आरएसएस के बीच संबन्धों की जांच हों क्योंकि यह सब आतंक के डबल एजेन्ट हैं। एक तो वो स्थानीय स्तर पर संचालित होते हैं दूसरे वो अमेरिका, इसराइल की मोसाद और सीआईए जैसी ऐजेसिंयों के लिए काम करते हैं। हेमन्त करकरे ने आरएसएस का हाथ उजागर किया था तो उनकी हत्याइन्हीं एजेंसियों ने मिलकर करवा दी।
हैदराबाद से आए तेलंगाना समिति के सदस्य और इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय महासचिव अलाउद्दीन अंसारी ने कहा कि हिन्दुस्तान की आजादी की लड़ाई में मुसलानों ने बढ़चढकर अपना खून बहाया लेकिन आज साठ साल बाद हमारे खून की कोई कीमत नहीं रह गई है और उसे आईबी, एटीएस, आरएसएस और सरकारें पानी की तरह बहा रही हैं, हैदराबाद लखनऊ, अहमदाबाद हो या दिल्ली सड़कों पर बहा हमारे निर्दोष बच्चों का खून इंसाफ मांग रहा है जिसे रोकने के लिए पूरा राज्य मशीनरी एक हो गया है लेकिन हम लोकतंत्र पसन्द और
सेक्यूलर लोगों के साथ मिलकर इंसाफ की यह जंग जरुर जीतेंगे। उन्होंने कहा कि मैंनें बहुत पास से देखा है की मक्का मस्जिद हैदराबाद में किस तरह से मुसलमानों पर आतंकी होने का इल्जाम लगाया गया, आज हकीकत सबके सामने है तो आखिर किसी आतंकी घटना होने के बाद मुस्लिमों को ही क्यों टारगेट किया जाता है। हमारे बच्चों की बात आती है तो पुलिस के मनोबल गिरने की दुहाई दी जाती है और जब भगवा दहशतगर्दों की बात आती है तो उन्हें बचाने में पूरी की पूरी सरकार लग जाती है।
रामपुर सीआरपीएफ कैंप में 31 दिसंबर 2007 की रात सीआरपीएफ कैंप के जवानों द्वारा शराब के नशे में धुत होकर आपस में की गई गोलीबारी की घटना जिसे आतंकी घटना का नाम दे दिया गया था में फंसाए गए कुंडा, प्रतापगढ़ के कौसर फारुकी के भाई अनवर फारुकी, बहेड़ी, बरेली के गुलाब खान के भाई कमल खान, रामपुर से पकड़े गए शरीफ के भाई शाहीन, मिलककामरु, मुरादाबाद के जंगबहादुर के लड़के शेर खान भी रिहाई मंच के धरने के पचासवें दिन शामिल होते हुए मांग की की जब दुनिया हकीकत जानती है कि रामपुर सीआरपीएफ कैंप
पर हुई घटना कोई आतंकी घटना नहीं थी, तो सरकार क्यों नहीं सीबीआई जांच की हमारी मांग को मानती है। रामपुर से ही इस प्रदेश की सरकार में रसूख रखने वाले मंत्री आजम खान आते हैं पर आज तक इस बात पर वे कभी नहीं बोले उन्हें अमेरिका में अपनी बेज्जती की बड़ी चिंता है पर आतंक के नाम पर जो ठप्पा लगाकर हमें दिन रात बेज्जत किया जा रहा है हमारे परिजन जेलों में तिल-तिल कर जीने को मजबूर हैं उनकी कोई चिंता नहीं है।
शहीद खालिद मुजाहिद के चचा जहीर आलम फलाही ने कहा कि रिहाई मंच के इस धरने से मैं अपील करता हूं कि मुस्लिम उलेमा सत्ताधारी पार्टी के अफ्तार आयोजनों में न जाएं। उन्होंने कहा कि भले ही आजम खान खालिद की हत्या पर एक लब्ज न बोलें हों लेकिन रिहाई मंच और हम उनकी तरह बेगैरत नहीं हैं कि उनकी मां के इंतकाल पर खामोश रहें हम इस मंच से उनके गम में शरीक होते हैं।
धरने के समर्थन में आईं लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रुपरेखा वर्मा, दिल्ली से आईं पत्रकार भाषा सिंह, नसीम इफ्तेदार अली, एपवा की ताहिरा हसन, शोभा सिंह ने कहा कि आतंक का जब कहर किसी परिवार पर गिरता है तो उसकी पहली शिकार घर की महिलाएं होती हैं, कभी किसी की मां, बहन तो कभी पत्नी। हम रिहाई मंच के धरने के पचासवें दिन पर मौजूद महिलाओं की इतनी बड़ी तादाद को देखकर इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब यह लड़ाई घर से बाहर सड़क पर निकल गई है, जिसे यह भारी बरसात भी नहीं रोक पा रही है।
इंडियन नेशनल लीग की राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान और प्रदेश अध्यक्ष मो0 समी ने कहा कि आईबी की फिरकापरस्ती के खिलाफ रिहाई मंच के इस तारीखी धरने के इस बात को स्थापित कर दिया है कि अब मिल्लत इस मुल्क में आईबी के खिलाफ के मजबूत गोलबंदी को तैयार है। हमारी पार्टी इंडियन नेशनल लीग शुरु से ही रिहाई मंच के साथ रही है और हम अंतिम दम तक इस जंग को लड़ेगे।
सोशलिस्ट फ्रंट के मोहम्मद आफाक और भारतीय एकता पार्टी के सैयद मोईद ने कहा कि कि रिहाई मंच के इस इंकलाबी धरने को रमजान के पाक महीने में भी चलाया जाएगा।
मुस्लिम मजलिस के नेता जैद अहमद फारुकी ने कहा कि यह तारीखी आंदोलन जम्हूरियत की पटरी से भटक गए भारतीय सियासत को फिर से पटरी पर लाएगा और मुल्क में वास्तविक लोकतंत्र स्थापित करने के लिए इसे हमेशा याद किया जाएगा।
पूर्व विधायक कालीचरन, भागीदारी आंदोलन के नेता पीसी कुरील, भवरनाथ पासवान, एहसानुल हक मलिक और शिवनारायण कुशवाहा ने कहा कि बेगुनाह मुस्लिम नौजवनों का सवाल सत्ता में वंचित तबकों की भागीदारी से जुड़ा हुआ है, जब तक सत्ता में मुसलमान इसाई, दलित, आदिवासी वंचित तबके नहीं पहुंचेगे तब
तक यह जुल्म नहीं मिटेगा। हमें इस आंदोलन को और तीखा करना होगा। मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडे, सोशलिस्ट पार्टी के ओमकार ंिसंह ने कहा कि उनकी पार्टी जो लोहिया की असली वारिस वो रिहाई मंच के इस आंदोलन में हमेशा साथ रहेगी।
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इस लेख में आपने IB , ATS , अखिलेश , आज़म सभी के कार्यों को जनता के सामने उजागर कर दिया है जिसके लिए आप बधाई के पात्र हैं.
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