रविवार, 22 दिसंबर 2013

मुज़़फ्फरनगर का सांप्रदायिक दंगा - भाग-8

लोई कैम्प
यहाँ पर लगभग 10,000 शरणार्थी कैम्प में शरण लिए हए है। यह कैम्प खुले आसमान के नीचे खेतों में लान पर लगा हुआ है। जिससे बरसात में पानी टेन्ट में अन्दर चला जाता है जिससे शरणार्थियों को बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। कैम्प में टेन्ट और चटाई आदि ज़रुरत के सभी सामान का प्रबन्ध स्थानीय लोगो ने ही किया है। कैम्प मे डॉक्टर की सुविधा न होने की वजह से एक गर्भवती महिला बच्चे को जन्म देते हुए मर गई। इसके अलावा तीन अन्य बच्चों की दवाई न मिलने के कारण मृत्यु हो गई। क्षेत्रीय अधिकारी की ओर से भी कैम्पों में सुरक्षा का कोई प्रबन्ध नहीं है। सरकार की ओर से कैम्प में ज़रूरत के मुताबिक राशन का 20 प्रतिशत से भी कम मात्रा में पहुँचता है जबकि दूध की सप्लाई 5 प्रतिशत से भी कम है। प्रबन्धन कमैटी : प्रधान अब्दुल जब्बार, अफ़ज़ाल और मेहरबान कुरैशी आदि।
लोई कैम्प में हमारी बात गाँव फुगाना निवासी ज़रीफ़ से हुई। उन्होंने ने हमें बताया कि 8 सितम्बर को जब गाँव पर हमला हो चुका था तो सुबह लगभग 9:00 बजे प्रधान हरपाल, थाम सिंह, प्रधान सुनील और विनोद उनके घरों पर गए और उनसे गाँव न छोड़ने के लिए कहा और कहा कि वे उनका हर हाल में साथ देगें। लेकिन जैसे ही वे लोग उनके घरों से गए तो जाट और दलित समुदाय के लोगों ने मुसलमानों को चारों ओर से घेर लिया। गली में वे लोग मुसलमानों के खिलाफ़ नारे लगाते आ रहे थे। यह शोर सुनकर उनके घर के सभी मर्द बाहर की ओर भागे तो रास्ते में ही दंगाइयों ने उसके पिता इस्लाम का पहले गडासे से गला काट दिया, और फिर तीन हिस्सों में उनको काट कर उनकी हत्या कर दी। घर पर बेटी की शादी होनी थी उसके दहेज़ के सामान समेत घर का सारा सामान लूट लिया और घर को जला दिया। अब यहाँ कैम्प के ज़िम्मेदार लोगों ने उसकी बेटी का निकाह 30 सितम्बर 2013 को करवाया।
गाँव फुगाना के ही एक और निवासी हारुन ने हमें बताया 8 सितम्बर की सुबह 10:00 बजे हाथों में हथियार लिए हुए जाट और दलित समुदाय के लोगों ने उनके घरों में ज़बरदस्ती घुसकर लूटपाट की और उनके घरों को आग लगा दी। वे अपनी जान बचाकर वहाँ से भागे। अब वे लोई कैम्प में रह रहे हैं। उनके पास 6 बच्चे हैं। कैम्प में गन्दगी होने और दवाई न मिलने की वजह से 6 अक्टूबर को उनकी 12 वर्षीय बेटी की टाइफाइड होने से मृत्यु हो गई। इसके अलावा इसी कैम्प में 6 बच्चों की दवाई न मिलने के कारण मृत्यु हो गई। राज्य सरकार की ओर से कैम्पों में न कोई डॉ0 है और न ही कोई अन्य सुविधा।
मलकपुरा कैम्प, खुमरान रोड कैम्प
इस कैम्प में 138 गाँव के लगभग 12,500 शरणार्थी रह रहे है। कैम्प एक जंगल में है और कस्बे से बहुत दूर हैं। वहाँ पर सरकार की ओर से कोई राहत सामग्री नहीं पहुँच पा रही है। यह कैम्प 50 बीघा तक में फैला है और लान पर है। जिससे बरसात का पानी टेन्ट में चला जाता है, और इससे शरणार्थियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की ओर से न किसी डॉक्टर की सुविधा है और न ही कोई अन्य सुविधा। स्थानीय लोग ही उनके लिए सब ज़रूरत का सामान मिलजुल कर जुटा रहे हैं। कैम्प जंगल में होने की वजह से वहाँ साँप और बिच्छू निकल आते हैं। कुछ दिन पहले एक बच्ची की बिच्छू के काटने से मृत्यु हो गई थी। प्रबन्धन कमेटी : अब्दुल क़यूम, हाजी दिलशाद, हाजी यासीन और चौधरी गुलशाद आदि।
गाँव फुगाना निवासी 12 वर्षीय गुलशाना ने बताया कि 8 सितम्बर की सुबह जाटों ने उनके घरों पर हमला किया, उनके हाथों में हथियार थे। दंगाइयों ने गड़ासे से उसके पैर पर हमला किया। जिससे उसे गम्भीर चोट आई और उसके पिता उसको उठाकर वहाँ से भाग गए। एक महीने से इस कैम्प में रह रहे हैं, अभी तक ज़ख़्म नहीं भरा। पैसे नहीं तो इलाज कहाँ से हो।
फुगाना निवासी अब्दुल ग़फ्फार ने बताया कुछ दंगाइयों ने 8 सितम्बर की सुबह उनके घर पर हमला किया, सब सामान लूटा और घर को जला दिया। जब वे अपनी जान बचाकर भाग रहे थे तो देखा कि दंगाइयों ने पड़ोस के ही एक आदमी इस्लाम को तीन हिस्सों में काट दिया। दंगाइयों ने गाँव की मस्जिद को भी तोड़ दिया। दंगाइयों में विनोद पुत्र माँगेराम और सुनील पुत्र बिरहम सिंह भी शामिल थे। सभी दंगाई जाट समुदाय के थे।
अब कैम्प में रह रहे शरणार्थियों के सामने चिंताओं का बड़ा बोझ है। घर वापस लौटने के जवाब में सब लोग यही कहते हैं कि वे लौटकर अपने गाँव नहीं जाएँगें। कहाँ ले जाएँ अपने बच्चों को? किसका सहारा? कोई सहारा नहीं। अब मज़दूरी भी नहीं कर सकते और अन्त में वे एक सवाल करते हैं कि हमे तो बस यह जवाब दे दो कि दुनिया हमसे पूछेगी कि तुम क्यों सताए गए तो हम क्या जवाब देगें?

-डा0 मोहम्मद आरिफ




क्रमश:
लोकसंघर्ष पत्रिका में प्रकाशित

1 टिप्पणी:

Rajesh Kumari ने कहा…

आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार २४/१२/१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी,आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है।

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