बुधवार, 2 सितंबर 2015

जनता के विरूद्ध युद्ध में प्रशासन

प्रेस को संबोधित  करते हुए
   जनता के विरूद्ध युद्ध में उतरा है बाराबंकी प्रशासन
    अखिलेश सरकार में नहीं रह गया कानून का राज
    आईपीएफ और प्रयत्न फाउंडेशन की टीम ने किया सरसौंदी का दौरा
   राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजेगे पत्र 
 जनता के विरूद्ध युद्ध में उतरा हुआ है बाराबंकी की पुलिस और प्रशासन, जिस तरह से सरसौंदी गांव में ग्रामीणों की बर्बर पिटाई, उनके सामानों की तोड़-फोड़ की गई है, वह इसी को प्रदर्शित करता है। ‘जवाबी कार्यवाही’ के नाम पर किये गये इस दमन में गांव के निवासियों के सामान तक लूट लिए गए। पूर्व प्रधान कन्हैयालाल समेत मृतक सुभाष के मामा रामसुचित रावत, नरेन्द्र कुमार और रामकुमार का आज तक पता नहीं है। यह बातें आइपीएफ और प्रयत्न फाउंडेशन की जांच टीम ने बाराबंकी में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही।
    आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय प्रवक्ता एसआर दारापुरी, प्रयत्न फाउंडेशन की निर्देशिका नाहिद अकील व आइपीएफ के प्रदेश संगठन महासचिव दिनकर कपूर की जांच टीम ने पत्रकार वार्ता में सरकार से मांग की कि इस घटना की उच्च स्तरीय जांच करायी जाए, मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए, पुलिस हमले में नष्ट हुई सम्पत्ति का मुआवजा दिया जाए, लापता लोगों को बरामद किया जाए और सिपाही प्रभुनाथ यादव समेत इस बर्बर हमले में लिप्त सभी पुलिस कर्मियों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की जाए। इस संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र भेजकर कार्यवाही की मांग की जायेगी। पत्रकार वार्ता में मौजूद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सहसचिव रणधीर सिंह सुमन एडवोकेट ने बताया कि 7 दिसम्बर सोमवार को इस सवाल पर धरना होगा जिसमें सीपीआई समेत अन्य संगठन भी शामिल होंगे।
    पत्रकार वार्ता में जांच दल के लोगों ने कहा कि अखिलेश सरकार में कानून का राज नहीं रह गया है। सुभाष की मौत के बाद आनन फानन मे बिना उसके परिजनों को शव सौपंे दाह संस्कार करना और आज तक उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट को सार्वजनिक न करना यह दिखाता है कि पुलिस की भूमिका इस घटना में संदिग्ध है। ग्रामीणों ने जांच दल को बताया कि पुलिस ने बकायदा ‘जवाबी कार्यवाही’ के नाम पर दमन ढाया। यह भी बताया कि पुलिस चौकी  की घटना भी पुलिस द्वारा ही करायी गयी है। इसलिए इसकी उच्च स्तरीय जांच करायी जानी चाहिए।

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