बाराबंकी। हथियारों की संस्कृति विश्व शान्ति के लिए गम्भीर खतरा है। विकसित देश हथियार बनाने का धंधा करते हैं और विकासशील देश उसे खरीदते हैं। आज विश्व में 1.8 मिलियन ट्रीलियन डालर का शस्त्र उद्योग है। जिसमें प्रथम उत्पादक के रूप में अमेरिका का नाम आता है और खरीददारों की सूची में प्रथम स्थान भारत का आ रहा है। उक्त विचार वयोवृद्ध पत्रकार डा0 सुभाष राय ने 'राष्ट्रीय सुरक्षा.कितनी सुरक्षित' विषयक गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में कही।
उन्होनें कहा कि अमेरिका की रक्षानीति उपमहाद्वीप में पहले पाकिस्तान केन्द्रित थी। अब भारत केन्द्रित हो गयी है। जब उसे 80 के दशक में सोवियत यूनियन से निपटना था तो पाकिस्तान का उपयोग किया गया और अब चूंकि चीन उसके आर्थिक साम्राज्य के लिए विगत वर्षों में बड़ा खतरा बनकर उभरा है तो उसका घेराव करने के लिए भारत केन्द्रित रक्षा नीति अपनाने की योजना पर काम शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री मोदी जी को यह लगता है कि भारत.अमेरिका रक्षा समझौता उनकी 'मेक इन इण्डिया'नीति के लिए लाभप्रद होगा लेकिन उनकी यह गलत फहमी है। यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक होगा।
आज हमारे देश में शैक्षिक पिछड़ापन, खाद्य समस्या तथा स्वास्थ्य सम्बन्धि तमाम बुनियादी समस्यायें जिनसे जनता जूझ रही है इसकी ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। अन्त में उन्होनें असहमत लोगों को जो बिखरे होकर अकेले पड़े हुए हैं को आहवान किया कि राष्ट्रहित में एकजुट हो और संकल्पबद्ध हो।
गोष्ठी के मुख्य वक्ता गयासुद्दीन किदवई ,पूर्व सदस्य विधान परिषद ने कहा कि देश को खतरा बाहरी शक्तियों से नहीं बल्कि बाहरी शक्तियों के एजेन्ट के रूप में छुपे देशद्रोही शक्तियों से है। उन्होनें आर0एस0एस0 को अलकायदा का और बजरंग दल को तालिबान का डुप्लीकेट रूप बताया। उन्होनें प्रधानमंत्री मोदी जी के ऊपर करारा प्रहार करते हुए कहा कि 56इंच का सीना रखने वाले मोदी जी ने अमेरिका के सामने घुटने ठेक दिए हैं। अब हम कह सकते हैं कि 56इंच का सीना नहीं बल्कि जबान 56इंच की है। पाकिस्तानए अफगानिस्तान व मध्य एशिया के कई देशों को बर्बाद करने वाला अमेरिका की नज़रे अब भारत पर हैं।
गोष्ठी में अपने विचार रखते हुए रिहाई मंच के संयोजक मुहम्मद शुऐब एडवोकेट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को सबसे बड़ा खतरा साम्राज्यवादियों से है जो विदेशों में बैठे साम्राज्यवादियों इशारे पर काम कर रहे हैं। उन्होनेें कहा कि देश की सुरक्षा एजेन्सियाँ भी लोगों को बांटने में लगी हुई हैं और धार्मिक भावनाओं में बहकर गुमराह हिन्दू व मुस्लिम युवकों को वह बाकायदा टेªनिंग देती है और देश में अराजकता का माहौल पैदा कर रही है। यासीन भटकल इसका एक स्पष्ट उदाहरण है।
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बृजेश दीक्षित ने कहा कि जिन लोगों ने देश की स्वतन्त्रता संग्राम में कोई सहभागिता नहीं की थी वह आज देश के नायक बने हुए हैं और अगर जनता ने इनका असल रूप नहीं जाना तो यह देश के संविधान को बदल डालेगें,इतिहास को तो बदल ही रहें हैं। यह लोग शान्ति के पुजारी लोकतन्त्र के रक्षक महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के समर्थक हैं और राम मन्दिर की जगह गोडसे का मन्दिर बनाने की बात कर रहे हैं।
गोष्ठी में श्याम सुन्दर दीक्षित, बृजमोहन वर्मा, डा0 कौसर हुसैन,डा0 विनय दास, जिला बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष कौशल किशोर त्रिपाठी तथा रणधीर सिंह सुमन ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन मो0 तारिक खान ने किया।
सभा में डा0 एस0एम0हैदर,अम्बरीश अम्बर सैय्यद अबु अजहर रिजवी, कदीर खान,पुष्पेन्द्र सिंह, भुपेन्द्र सिंह सैंकी,आॅल इण्डिया मुस्लिम पसमान्दा मुहाज के प्रदेश अध्यक्ष मो0 वसीम राईन, मिर्जा कसीम बेग,वीरेन्द्र श्रीवास्तव,यादवेन्द्र यादव, रामनरेश, सतेन्द्र यादव, विनय कुमार सिंह आदि उपस्थित थे।
उन्होनें कहा कि अमेरिका की रक्षानीति उपमहाद्वीप में पहले पाकिस्तान केन्द्रित थी। अब भारत केन्द्रित हो गयी है। जब उसे 80 के दशक में सोवियत यूनियन से निपटना था तो पाकिस्तान का उपयोग किया गया और अब चूंकि चीन उसके आर्थिक साम्राज्य के लिए विगत वर्षों में बड़ा खतरा बनकर उभरा है तो उसका घेराव करने के लिए भारत केन्द्रित रक्षा नीति अपनाने की योजना पर काम शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री मोदी जी को यह लगता है कि भारत.अमेरिका रक्षा समझौता उनकी 'मेक इन इण्डिया'नीति के लिए लाभप्रद होगा लेकिन उनकी यह गलत फहमी है। यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक होगा।
आज हमारे देश में शैक्षिक पिछड़ापन, खाद्य समस्या तथा स्वास्थ्य सम्बन्धि तमाम बुनियादी समस्यायें जिनसे जनता जूझ रही है इसकी ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। अन्त में उन्होनें असहमत लोगों को जो बिखरे होकर अकेले पड़े हुए हैं को आहवान किया कि राष्ट्रहित में एकजुट हो और संकल्पबद्ध हो।
गोष्ठी के मुख्य वक्ता गयासुद्दीन किदवई ,पूर्व सदस्य विधान परिषद ने कहा कि देश को खतरा बाहरी शक्तियों से नहीं बल्कि बाहरी शक्तियों के एजेन्ट के रूप में छुपे देशद्रोही शक्तियों से है। उन्होनें आर0एस0एस0 को अलकायदा का और बजरंग दल को तालिबान का डुप्लीकेट रूप बताया। उन्होनें प्रधानमंत्री मोदी जी के ऊपर करारा प्रहार करते हुए कहा कि 56इंच का सीना रखने वाले मोदी जी ने अमेरिका के सामने घुटने ठेक दिए हैं। अब हम कह सकते हैं कि 56इंच का सीना नहीं बल्कि जबान 56इंच की है। पाकिस्तानए अफगानिस्तान व मध्य एशिया के कई देशों को बर्बाद करने वाला अमेरिका की नज़रे अब भारत पर हैं।
गोष्ठी में अपने विचार रखते हुए रिहाई मंच के संयोजक मुहम्मद शुऐब एडवोकेट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा को सबसे बड़ा खतरा साम्राज्यवादियों से है जो विदेशों में बैठे साम्राज्यवादियों इशारे पर काम कर रहे हैं। उन्होनेें कहा कि देश की सुरक्षा एजेन्सियाँ भी लोगों को बांटने में लगी हुई हैं और धार्मिक भावनाओं में बहकर गुमराह हिन्दू व मुस्लिम युवकों को वह बाकायदा टेªनिंग देती है और देश में अराजकता का माहौल पैदा कर रही है। यासीन भटकल इसका एक स्पष्ट उदाहरण है।
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बृजेश दीक्षित ने कहा कि जिन लोगों ने देश की स्वतन्त्रता संग्राम में कोई सहभागिता नहीं की थी वह आज देश के नायक बने हुए हैं और अगर जनता ने इनका असल रूप नहीं जाना तो यह देश के संविधान को बदल डालेगें,इतिहास को तो बदल ही रहें हैं। यह लोग शान्ति के पुजारी लोकतन्त्र के रक्षक महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के समर्थक हैं और राम मन्दिर की जगह गोडसे का मन्दिर बनाने की बात कर रहे हैं।
गोष्ठी में श्याम सुन्दर दीक्षित, बृजमोहन वर्मा, डा0 कौसर हुसैन,डा0 विनय दास, जिला बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष कौशल किशोर त्रिपाठी तथा रणधीर सिंह सुमन ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन मो0 तारिक खान ने किया।
सभा में डा0 एस0एम0हैदर,अम्बरीश अम्बर सैय्यद अबु अजहर रिजवी, कदीर खान,पुष्पेन्द्र सिंह, भुपेन्द्र सिंह सैंकी,आॅल इण्डिया मुस्लिम पसमान्दा मुहाज के प्रदेश अध्यक्ष मो0 वसीम राईन, मिर्जा कसीम बेग,वीरेन्द्र श्रीवास्तव,यादवेन्द्र यादव, रामनरेश, सतेन्द्र यादव, विनय कुमार सिंह आदि उपस्थित थे।
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