दुनिया के एक बड़े हिस्से ने शोषकों से
उत्पीडित जनता को निजात दिलाने के लिए साम्यवाद के विचारों को अपनाया था जब
तक वह कारण दुनिया में विद्यमान रहेंगे साम्यवादी विचारों की आवश्यकता बनी
रहेगी.
आज प्रदेश में विराट बेरोजगारी फैली हुई है सत्तारूढ़ दल बेरोजगारी की समस्या का समाधान करने में असमर्थ हैं उसका मुख्य कारण विचारों का अभाव होना है. कॉर्पोरेट सेक्टर के पैसे से चुनाव लड़ने वाले सत्तारूढ़ दल व अन्य पूंजीवादी दल कॉर्पोरेट सेक्टर की सेवा करने के लिए पढ़े-लिखे नौजवानों को बेरोजगार बनाये रखना चाहते हैं इसलिए लाखों-लाख इंजिनियर, प्रशिक्षित अध्यापक, बिज़नेस मैनेजमेंट कर्ता पांच हज़ार रुपयों से लेकर 10 हज़ार रुपये प्रतिमाह की नौकरी करने के लिए मजबूर हैं वहीँ लाखों-लाख करोड़ रुपये का मुनाफा प्रतिवर्ष कॉर्पोरेट सेक्टर करता हैं, पूंजीवादी मुनाफे के लिए आवश्यक है कि बेरोजगारों की मंडी बनी रहे और इसीलिए कॉर्पोरेट सेक्टर हज़ारों करोड़ रुपये पूंजीवादी राजनीतिक दलों के ऊपर खर्च करता है.
सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस कॉर्पोरेट सेक्टर की सेवा में उन्ही के पैसे चुनाव लड़ रहे हैं जो भी जीतेगा वह सरकार बनाएगा और कॉर्पोरेट सेक्टर की ही सेवा करेगा.
आज किसान को अपने उत्पादन का मूल्य न मिलने से कोल्ड स्टोरेज में रखा उसका आलू सड़ गया और नए आलू का मूल्य 400 रुपये प्रति कुंतल है, 600 रुपये प्रति कुंतल में धान अभी बिका है. किसान दिवालिया हो रहा है. बुनकरों के पास काम न होने के कारण वह प्रतिदिन 100 रुपये कि भी मजदूरी नहीं कर पा रहा है. प्रतिवर्ष धान वा गेंहू की खरीद कि व्यवस्था कागजों पर ही होती रही है. जिससे प्रदेश के किसानो कि माली हालत ख़राब हुई है. नोटबंदी के कारण गाँवों के अन्दर मजदूरी मिलनी बंद हो गयी है.
प्रदेश में कांग्रेस, सपा, बसपा, भाजपा की सरकारें रही हैं. इन सभी दलों के नेतागण मजदूरों, किसानो, बुनकरों कि चिंता में रात दिन लगे रहते हैं जिससे यह तबके आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहे हैं कॉर्पोरेट सेक्टर का मुनाफा लाखों-लाख करोड़ हो रहा है. विकास की इस धारा में कॉर्पोरेट सेक्टर मालामाल हो रहा है और मजदूर, किसान, बुनकर, मध्यम वर्ग तबाह हो रहा है.
आइये ! हम आप सब मिलकर एक नई व्यवस्था का निर्माण करे जिसमें भूख, शोषण, अत्याचार, उत्पीडन न हो और एक शोषण रहित सुखी समाज की स्थापना हो सके.
इसके लिए
नोट ; भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी प्रतिनिधि रणधीर सिंह सुमन का लेख 1 मार्च को आल इंडिया रेडियो से प्रसारित किया जाएगा
आज प्रदेश में विराट बेरोजगारी फैली हुई है सत्तारूढ़ दल बेरोजगारी की समस्या का समाधान करने में असमर्थ हैं उसका मुख्य कारण विचारों का अभाव होना है. कॉर्पोरेट सेक्टर के पैसे से चुनाव लड़ने वाले सत्तारूढ़ दल व अन्य पूंजीवादी दल कॉर्पोरेट सेक्टर की सेवा करने के लिए पढ़े-लिखे नौजवानों को बेरोजगार बनाये रखना चाहते हैं इसलिए लाखों-लाख इंजिनियर, प्रशिक्षित अध्यापक, बिज़नेस मैनेजमेंट कर्ता पांच हज़ार रुपयों से लेकर 10 हज़ार रुपये प्रतिमाह की नौकरी करने के लिए मजबूर हैं वहीँ लाखों-लाख करोड़ रुपये का मुनाफा प्रतिवर्ष कॉर्पोरेट सेक्टर करता हैं, पूंजीवादी मुनाफे के लिए आवश्यक है कि बेरोजगारों की मंडी बनी रहे और इसीलिए कॉर्पोरेट सेक्टर हज़ारों करोड़ रुपये पूंजीवादी राजनीतिक दलों के ऊपर खर्च करता है.
सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस कॉर्पोरेट सेक्टर की सेवा में उन्ही के पैसे चुनाव लड़ रहे हैं जो भी जीतेगा वह सरकार बनाएगा और कॉर्पोरेट सेक्टर की ही सेवा करेगा.
आज किसान को अपने उत्पादन का मूल्य न मिलने से कोल्ड स्टोरेज में रखा उसका आलू सड़ गया और नए आलू का मूल्य 400 रुपये प्रति कुंतल है, 600 रुपये प्रति कुंतल में धान अभी बिका है. किसान दिवालिया हो रहा है. बुनकरों के पास काम न होने के कारण वह प्रतिदिन 100 रुपये कि भी मजदूरी नहीं कर पा रहा है. प्रतिवर्ष धान वा गेंहू की खरीद कि व्यवस्था कागजों पर ही होती रही है. जिससे प्रदेश के किसानो कि माली हालत ख़राब हुई है. नोटबंदी के कारण गाँवों के अन्दर मजदूरी मिलनी बंद हो गयी है.
प्रदेश में कांग्रेस, सपा, बसपा, भाजपा की सरकारें रही हैं. इन सभी दलों के नेतागण मजदूरों, किसानो, बुनकरों कि चिंता में रात दिन लगे रहते हैं जिससे यह तबके आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहे हैं कॉर्पोरेट सेक्टर का मुनाफा लाखों-लाख करोड़ हो रहा है. विकास की इस धारा में कॉर्पोरेट सेक्टर मालामाल हो रहा है और मजदूर, किसान, बुनकर, मध्यम वर्ग तबाह हो रहा है.
आइये ! हम आप सब मिलकर एक नई व्यवस्था का निर्माण करे जिसमें भूख, शोषण, अत्याचार, उत्पीडन न हो और एक शोषण रहित सुखी समाज की स्थापना हो सके.
इसके लिए
- 17 वीं विधान सभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के चुनाव निशान हंसिया बाली वाले खाने का बटन दबा कर विजयी बनाएं तथा वामपंथी दलों को जितायें.
- सांप्रदायिक, जातिवादी तथा वंशवादी ताकतों को परास्त करें.
- भ्रष्ट, अपराधी तथा माफिया सरगनाओं को विधान सभा में पहुँचने से रोकें.
- किसान, मजदूर एवं आम आदमी की बर्बादी का कारण आर्थिक नवउदारवाद की नीतियों को पीछे धकेलें.
नोट ; भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी प्रतिनिधि रणधीर सिंह सुमन का लेख 1 मार्च को आल इंडिया रेडियो से प्रसारित किया जाएगा
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