मोदी की विदेश यात्राओं का फल अब अमेरिका से मिलना शुरू हो गया है और कुछ दिन पूर्व अमेरिका के कनसास में भारतीय इंजीनियर श्रीनिवास कुचिभोटला की गोली
मारकर हत्या कर दी गई थी. हत्यारे ने गोली मारने के दौरान चिल्लाकर कहा था
'मेरे देश से निकल जाओ.'
अब अमेरिका
में एक अज्ञात शख्स ने 39 साल के एक सिख को उसके घर के बाहर गोली मारकर
घायल कर दिया. बताया जा रहा है कि हमलावर ने गोली चलाते समय कथित तौर पर कह
था- ‘अपने देश वापस जाओ.’
अमेरिकी मीडिया में छपी खबर के मुताबिक यह सिख व्यक्ति शुक्रवार को
वॉशिंगटन के केंट शहर स्थित अपने घर के बाहर अपनी गाड़ी ठीक कर रहा था,
प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर मोदी ने अब तक 68 देशों कि विदेश यात्राएं की हैं और लगभग हर देश में अनिवासी भारतियों कि सभाओं को संबोधित कर भारत से जुड़ने कि अपीलें कर रहे थे. देश क अन्दर अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणापद प्रचार उनके सत्ता को चलाने का एक हिस्सा है वहीँ उनके तथाकथित अभिन्न मित्र ट्रम्प अपने चुनाव प्रचार में भारतीय या दूसरे देशों क रहने वाले अनिवासियों के खिलाफ घृणापद प्रचार चला रहे थे. जिससे अमेरिका सहित विभिन्न देशों में रहने वाले अनिवासियों को वहां रहना मुश्किल हो रहा है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अंतर्राष्ट्रीय शाखा अनिवासी भारतियों से चंदा वसूल-वसूल कर यहाँ भेजती है और उसी चंदे से देश के अन्दर अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणापद प्रचार अभियान चलाया जाता है. मोदी ने विदेशों में जाकर अनिवासी भारतीयों को एक मंच पर लाकर देश से जुड़ने कि बड़ी-बड़ी अपीलें की थीं जिससे उन नागरिकों की निष्ठा उस मुल्क में संदिग्ध होना शुरू हो गयी थी.
इससे पूर्व कि सरकारें अनिवासी भारतीयों को उस देश का नागरिक मानते हुए उसी देश के प्रति निष्ठा बनाए रखने कि नीति को कायम रखा था लेकिन मोदी ने उस नीति को परिवर्तित कर सम्पूर्ण अनिवासी भारतीयों की उस देश के प्रति निष्ठावान रहने की स्तिथि को बदल दिया. सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के नाम पर नागपुर मुख्यालय ने जो प्रचार अभियान विदेशों में चलाया है उससे विदेशों में रहने वाले अनिवासी भारतीयों के प्रति एक घृणा का माहौल पैदा हो गया है.
बगैर किसी नीति के मोदी के मन में जो भी आता है करने लगते हैं उसके दुष्परिणाम वह समझते नहीं हैं या जानबूझकर उसकी अनदेखी करते हैं. मुख्य बात यह भी है कि उन्हें अच्छी तरह से अंग्रेजी नहीं आती है जिसके कारण वह कई बार परेशान हो जाते है कि, किस तरह बातें करना है और कैसे उन्हें जवाब देना है इसलिए नागपुरी प्रचार कि भाषा इस्तेमाल करना उनके आसन पड़ता है
मोदी ने विदेश नीति के नाम पर नागपुर मुख्यालय की विषाक्त विचारधारा का जो प्रचार विदेशों में किया है वह उनके पाप हैं जिसकी सजा अनिवासी भारतीयों ने विदेशों में भुगतना शुरू कर दिया हैं. यह लोग यह नहीं सोचते हैं कि अगर अपने देश में रहने वाले दुसरे धर्मों के मतावलंबी या विचारधारा के आधार पर अंतर्राष्ट्रीयतावाद में यकीन करने वाले लोगों के ऊपर नागपुरी मुख्यालाय जब हमला करता है तब अनिवासी भारतीयों का क्या होगा. पाप कोई करे सजा कोई भुगते.
रणधीर सिंह सुमन
2 टिप्पणियां:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज मंगलवार (07-03-2017) को
"आई बसन्त-बहार" (चर्चा अंक-2602)
पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
मोदी न सिर्फ देश में बल्कि विदेश में भी अपनी छाप छोड़ रहे हैं,देखते हैं उत्तरप्रदेश में वो लोगो का दिल जीत पाते हैं या नहीं|
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