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सोमवार, 22 मार्च 2021

मोदी चुनाव प्रचार में गोडसे की जय नहीं बोलते है

 loksabha elections 2019 bjp is full confident with pm narendra modi but  also has worried with sp and bsp alliance - मिशन 2019: बीजेपी को पीएम मोदी  पर पूरा भरोसा, लेकिन इस                     मोदी बंगाल में कहते हैं अपराध है, अपराधी हैं, लेकिन जेल में नहीं है, माफिया हैं, घुसपैठिया हैं लेकिन खुलेआम घूम रहे हैं। सिंडिकेट है, स्कैम है, लेकिन कार्यवाही नहीं होती है, मोदी भूल जाते हैं कि भाजपा शासित , उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश राज्यों में स्थित बद से बदतर है, लेकिन मोदी प्रधानमंत्री के बजाए संघ के प्रचारक की भूमिका में ही बने रहते हैं, पार्टी में अपराध की स्थिति यह है कि दो सांसदों ने बड़े नेताओं के दबाव के कारण आत्महत्या कर ली है, तमाम सारे लोग सत्तारूढ दल के पोर्न स्टार को भी फेल कर रहे हैं, उनके ब्लू फिल्म के वीडियो वायरल हो रहे हैं, तमाम सारे नेता- उपनेता सेक्स उद्योग के व्यापारी होने के कारण पकड़े गये हैं यहां तक कि मध्य प्रदेश के एक मंत्री राघव साहब अप्रकृतिक यौन सम्बंध बनाते हुए जब वीडियो वायरल हुआ तब उनको मजबूरी में इस्तीफा दे देना पड़ा था।
    सावरकर, गोलवरकर, हेड गवारकर व महात्मा गांधी के हत्यारे गोडसे को प्रेरणा स्रोत मानकर संघ प्रचारक उनके नाम पर वोट नहीं मांगते हैं, शैतान -साधू की भूमिका में दाढ़ी रखकर आजादी के महानायक पटेल, सुभाष चन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद जैसे महान व्यक्तियों का मुखौटा लगाकर वोट मांगते हैं।
    हिटलर या मुसोलिनी के रक्त पिपाशु के यह भक्तगण कभी भी जनता के बीच में इनका नाम नहीं लेते हैं, लेकिन हिटलर के प्रचारमंत्री गोविल्स का अनुशरण करते हुए हर वक्त एक झूठ को हजारों  बार सुमिरनी लेकर जाप करते हुए मिलते हैं। हाँ लेकिन यह भी है कि हिटलर की मन की बात की तरह यह भी मन की बात करते हैं, लेकिन दूसरों की मन की बात सुनना यह पसंद नहीं करते हैं।
    मोदी बंगाल में या राज्यों में आम चुनाव में गैस, पेट्रोलियम पदार्थों या महंगाई की चर्चा नहीं करते हैं न ही देश के कल कारखानों को बेचने की बात ही करते हैं, मोदी बंगाल के चुनाव में एक प्रधानमंत्री के रूप में संघ का प्रचार अभियान चला रहे हैं, और जनता के करोड़ों रूपये खर्च कर गोविल्स के झूठ को प्रचारित कर रहे हैं चाहे बंगाल हो या तमिलनाडु हर जगह केन्द्र सरकार के मंत्री और प्रधानमंत्री स्वयं सरकारी खर्चों व सुरक्षा व्यवस्था का उपयोग कर जनता को भ्रमित करने का काम कर रहे हैं। बंगाल में प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं, तृणमूल कांग्रेस, कांग्रेस व वामदलों के निष्कासित लोगों की खरीद फरोख्त कर प्रत्याशी बना रहे है, हद तो यहां तक हो गई है कि चार सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए बाध्य किया है, नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री की भूमिका में कभी होते ही नहीं है हमेशा वह संघ के प्रचारक के रूप में ही होते हैं, यह देश का दुर्भाग्य है कि गलत बयानी करने वाला व्यक्ति प्रधानमंत्री है। 

-रणधीर सिंह सुमन

मंगलवार, 5 दिसंबर 2017

मोदीयुग में बढ़ी है सूदखोरी

सूदखोर द्वारा पिटाई
मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद किसानो की आत्महत्याएं बढ़ी हैं उसका मुख्य कारण यह भी है कि वित्तीय संस्थाएं छोटे किसानो को ऋण देने में आनाकानी करने लगी हैं जिससे विश्व बैंक, NCAER के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश के 21% ग्रामीण परिवारों पर औपचारिक लोन बकाया था लेकिन 40 % ग्रामीण परिवारों पर अनौपचारिक ऋण है जो यह प्रदर्शित करता है कि अधिकांश किसान सूदखोरों, भू स्वामियों व दलाल तबके के कर्ज के मकडजाल में फंसा हुआ है. अधिकतम ब्याज दरें होने के कारण ग्रामीण परिवार उस सूदखोरी के कर्ज को अदा नहीं कर सकता है. जिससे लघु व सीमान्त किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर होते हैं. 
                      मोदी की पार्टी के कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्रों में सूदखोरी का धंधा करते हैं और अधिकतम ब्याजदरों को वसूलने के लिए वह बल प्रयोग करते हैं और भगवा अंगौछे के कारण उनके खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं हो पाती है अक्सर यह भी देखने में आया है कि उनके दबाव के कारण पीड़ित किसान आत्म हत्या कर लेते हैं लेकिन पुलिस आत्म हत्या के दुष्प्रेरण का मुकदमा भी दर्ज नही करती है. 
                 एक समाचार के अनुसार मुजफ्फरनगर के शाहपुर थाना क्षेत्र स्थित पलज गांव निवासी संजीव पुत्र नकली प्रजापति ने करीब 8 महीने पहले बेटी की शादी के लिए सूदखोर से ब्याज पर 50 हजार रुपये लिए थे। संजीव बहादपुर निवासी रणतेज उर्फ काला नाम के इस सूदखोर को अब तक 75 हजार रुपये दे चुके हैं, लेकिन सूदखोर का कहना है कि 50 हजार की रकम के लिए ब्याज के साथ सवा लाख रुपये बनते है। संजीव को यह रकम चुकानी ही होगी। इसी रकम की वसूली को लेकर रणतेज लगातार संजीव पर दबाव बना रहा था। जिसके बाद रणतेज ने संजीव की चप्पल से पिटाई की।
           शहरी क्षेत्रों में निचले स्तर के कर्मचारी, मजदूर भी इन सूदखोरों के कर्ज जाल में फंसे हुए हैं इनकी ब्याज की दरें काम से काम 10% मासिक है जिसको लेने वाला व्यक्ति अदा करने में अक्षम होता है और फिर अपराधी, पुलिस व सूदखोरों के गुंडे अपने पौरुष बल के ऊपर वसूली करते हैं. हंटरों से पिटाई, पकड़ कर गुप्त गोदामों में बंधक बनाना व घर के अन्दर बंद कर घरेलू काम लेना प्रमुख है. 
            मोदी व विभिन्न प्रदेशों में भाजपा शासित सरकारें इस दिशा में कोई कदम उठाने को तैयार नही हैं और पहले से बने साहूकार अधिनियम जैसे कानूनों को दरकिनार कर दिया गया है. जिससे आर्थिक रूप से कमजोर तबकों का जीना हराम हो गया है और वह दास प्रथा की तरफ वर्तमान सामाजिक व्यवस्था को ले जा रहे हैं. 

रणधीर सिंह सुमन 

रविवार, 19 मार्च 2017

वादे मोदी के -इरादे योगी के

उत्तर प्रदेश में 46 मंत्रियों के साथ उग्र हिंदुवत्व के नेता योगी अजय सिंह बिष्ट ने मुख्यमंत्री पद का पदभार संभाल लिया है और आशा की जाती थी. अन्य मुद्दों के अलावा किसान के कर्ज माफ़ी की घोषणा की जाएगी किन्तु किसान कर्जे के सम्बन्ध में या अन्य वादों के सम्बन्ध में कोई भी बात नहीं की गयी है. वादे चुनाव में मोदी के थे और  मोदी प्रधानमंत्री हैं, उत्तर प्रदेश का चुनाव समाप्त हुआ और अब वह गुजरात सहित अन्य राज्यों की तैयारियां शुरू कर दी हैं. वादों से अब उनका कोई सम्बन्ध नही रह गया है. वहीँ, योगी साहब के इरादे भी सत्ता मिलते ही बदल गये हैं. अगर कोई दूसरा दल होता और अल्पसंख्यक समुदाय का सदस्य न जीत कर आता और कोई मंत्री उस समुदाय का बनाया जाता तो तुरंत नागपुर मुख्यालय और उसका प्रचारतंत्र मुस्लिम तुष्टिकरण का राग अलापना शुरू हो जाता लेकिन योगी साहब मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही सबसे पहला काम मुस्लिम तुष्टिकरण के तहत मोहसिन रजा को मंत्रिपद की शपथ दिलाना था. उग्र हिंदुवत्व फायरब्रांड नेता अजय सिंह बिष्ट उर्फ़ आदित्यनाथ ने विश्व हिंदू परिषद के सम्मेलन में कहा कि देश के हर मस्जिद में गौरी-गणेश की मूर्ति विराजमान कर देंगे जैसे उकसावेपूर्ण बयानबाजी के लिए जाने जाते थे अब वह सेक्युलर संविधान के तहत शपथ लेकर नया मुखौटा धारण कर लिया है. गुंडाराज बनाम मंगलराज का नारा देने वाले लोग उच्च आदर्शों और राजनीति के अपराधीकरण के खिलाफ अभियान चलाने वाले अब जब मुख्यमंत्री योगी साहब को चुना जिनके ऊपर कई अपराधिक मुक़दमे विचाराधीन हैं तब यह सब लोग पूर्व में कही गयी बातें भूल गये. उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के ऊपर हत्या सहित सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने समेत 11 अपराधिक मुक़दमे हैं.
        गुंडाराज को समाप्त करने का नारा अब सिर्फ जुमला रह गया है. मोदी के वादे सिर्फ कल्पना मात्र हैं वहीँ मुख्यमंत्री बनने से पहले योगी साहब के इरादे ओस की बूंदों की तरह से गायब हो गये हैं. जब भी किसी दुसरे दल की सरकार बनेगी तब ये वादे और इरादे पुनर्जीवित होंगे. सिर्फ समाज को विघटन की दिशा में ले जाने के लिए ये वाडे और इरादे दिखाई देते हैं. संघ का एजेंडा बहुत धीमी रफ्तार से लागू करने की प्रक्रिया जारी रहेगी जिससे लोग उनके सम्बन्ध में सही बात न जान पाएं. 
  योगी ने सभी मंत्रियों को 15 दिन के अंदर संपत्ति का ब्योरा देने का निर्देश दिया है जैसी बाते कर रहे है जबकि सभी  विधायक चुनाव आयोग को अपनी संपत्ति का ब्यौरा दे  चुके हैविकास का नारा दिया जा है  जनता की आय  विकास होगा या पूंजीपतियों का होगा बात साफ नही की जा रही है केंद्र सरकार कि नीतियों से जनता कि आय घटी है और  अदानी  ,अम्बानियो कि औय में लाखो गुना   बढ़ी है
      वर्तमान सरकार कॉर्पोरेट जगत के रुपयों से चुनी गयी है और जिस तरह से कॉर्पोरेट जगत के इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मडिया ने एक छाया जनता की भलाई का दिखाया है. जनता का भला नहीं होने जा रहा है हाँ अब कॉर्पोरेट सेक्टर की लूट बढ़ेगी बैंक सिर्फ जनता से पैसा जमा कराकर कॉर्पोरेट सेक्टर को देंगे और कॉर्पोरेट सेक्टर उन रुपयों को वापस नही करेगा. मजदूर, किसान, मेहनतकश जनता सिर्फ लुटेगी और लुटेगी इसके अतिरिक्त कोई उपलब्धि नही होगी. 
बेरोजगारी के सवाल पर सरकार का कोई नजरिया नहीं रहेगा जिससे नवजवानों को रोजगार नही मिलेंगे.कॉर्पोरेट सेक्टर की सेवक सरकार सिर्फ कॉर्पोरेट सेक्टर की ही सेवा करेगी. 

रणधीर सिंह सुमन 

रविवार, 5 मार्च 2017

विदेशों में मोदी का पाप सामने आ रहा है

मोदी की विदेश यात्राओं का फल अब अमेरिका से मिलना शुरू हो गया है और कुछ दिन पूर्व अमेरिका के कनसास में भारतीय इंजीनियर श्रीनिवास कुचिभोटला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हत्यारे ने गोली मारने के दौरान चिल्लाकर कहा था 'मेरे देश से निकल जाओ.' 
              अब अमेरिका में एक अज्ञात शख्स ने 39 साल के एक सिख को उसके घर के बाहर गोली मारकर घायल कर दिया. बताया जा रहा है कि हमलावर ने गोली चलाते समय कथित तौर पर कह था- ‘अपने देश वापस जाओ.’ अमेरिकी मीडिया में छपी खबर के मुताबिक यह सिख व्यक्ति शुक्रवार को वॉशिंगटन के केंट शहर स्थित अपने घर के बाहर अपनी गाड़ी ठीक कर रहा था, 
          प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर मोदी ने अब तक 68 देशों कि विदेश यात्राएं की हैं और लगभग हर देश में अनिवासी भारतियों कि सभाओं को संबोधित कर भारत से जुड़ने कि अपीलें कर रहे थे. देश क अन्दर अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणापद प्रचार उनके सत्ता को चलाने का एक हिस्सा है वहीँ उनके तथाकथित अभिन्न मित्र ट्रम्प अपने चुनाव प्रचार में भारतीय या दूसरे देशों क रहने वाले अनिवासियों के खिलाफ घृणापद प्रचार चला रहे थे. जिससे अमेरिका सहित विभिन्न देशों में रहने वाले अनिवासियों को वहां रहना मुश्किल हो रहा है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अंतर्राष्ट्रीय शाखा अनिवासी भारतियों से चंदा वसूल-वसूल कर यहाँ भेजती है और उसी चंदे से देश के अन्दर अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणापद प्रचार अभियान चलाया जाता है. मोदी ने विदेशों में जाकर अनिवासी भारतीयों को एक मंच पर लाकर देश से जुड़ने कि बड़ी-बड़ी अपीलें की थीं जिससे उन नागरिकों की निष्ठा उस मुल्क में संदिग्ध होना शुरू हो गयी थी. 
            इससे पूर्व कि सरकारें अनिवासी भारतीयों को उस देश का नागरिक मानते हुए उसी देश के प्रति निष्ठा बनाए रखने कि नीति को कायम रखा था लेकिन मोदी ने उस नीति को परिवर्तित कर सम्पूर्ण अनिवासी भारतीयों की उस देश के प्रति निष्ठावान रहने की स्तिथि को बदल दिया. सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के नाम पर नागपुर मुख्यालय ने जो प्रचार अभियान विदेशों में चलाया है उससे विदेशों में रहने वाले अनिवासी भारतीयों के प्रति एक घृणा का माहौल पैदा हो गया है. 
         बगैर किसी नीति के मोदी के मन में जो भी आता है करने लगते हैं उसके दुष्परिणाम वह समझते नहीं हैं या जानबूझकर उसकी अनदेखी करते हैं. मुख्य बात यह भी है कि उन्हें अच्छी तरह से अंग्रेजी  नहीं आती है जिसके कारण वह कई बार परेशान हो जाते है कि, किस तरह बातें करना है और कैसे उन्हें जवाब देना है  इसलिए नागपुरी प्रचार कि भाषा इस्तेमाल  करना उनके आसन पड़ता है 
                           मोदी ने विदेश नीति के नाम पर नागपुर मुख्यालय की विषाक्त विचारधारा का जो प्रचार विदेशों में किया है वह उनके पाप हैं जिसकी सजा अनिवासी भारतीयों ने विदेशों में भुगतना शुरू कर दिया हैं. यह लोग यह नहीं सोचते हैं कि अगर अपने देश में रहने वाले दुसरे धर्मों के मतावलंबी या विचारधारा के आधार पर अंतर्राष्ट्रीयतावाद में यकीन करने वाले लोगों के ऊपर नागपुरी मुख्यालाय जब हमला करता है तब  अनिवासी भारतीयों का क्या होगा. पाप कोई करे सजा कोई भुगते.

रणधीर सिंह सुमन 

गुरुवार, 16 फ़रवरी 2017

मोदी चुनाव में काला धन बाँट रहे है

  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ गिरीश चन्द्र शर्मा
भाजपा के सुपर स्टार प्रचारक मोदी उडन खटोलो से काला धन बांट रहे हैं और उसी से उनकी पार्टी चुनाव लड़ रही है चुनाव आयोग के निर्देहो के अनुसार जनता की तलाशी लेने वाले उनकी सुरक्षा व्यवस्था में लगे हैं                     
                                                                                    भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार विनोद कुमार यादव के समर्थन में छेदा बाजार में चुनाव सभा को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ गिरीश चन्द्र शर्मा ने कहा कि कभी सपा कभी बसपा कभी भाजपा अपना अपना रंग बदल कर मजदूर किसानों को ठगनें का काम करते हैं इन सरकारों की नीतियों के कारण लाखों किसान आत्महत्या कर चुके हैं और कार्पोरेट जगत के रुपयों से यह पार्टियों चुनाव लड़ती है और चुनाव के बाद पूंजीपतियों को लाखों लाख करोड़ रुपयों का मुनाफा कमवाती है इसलिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार विनोद कुमार यादव के चुनाव निशान हंसिया और बाली का बटन दबाकर भारी मतों से विजयी बनाए
                                               चुनाव सभा को ब्रज मोहन वर्मा रण धीर सिंह सुमन विनय कुमार सिंह डॉ कौसर हुसेन रामेंद्र सिंह मुनेश्वर वर्मा ने भी संबोधित किया

गुरुवार, 5 जनवरी 2017

झूठों के सरदार और उनकी पार्टी

संसदीय चुनाव के समय वर्तमान शासक दल ने अपने चुनावी पोस्टरों में हांगकांग की सड़कों से लेकर शिबली नोमानी कॉलेज के छाया चित्रों को इन्टरनेट से उठाकर इस्तेमाल किया था. चुनाव के समय ही इनके झूठ खुलने शुरू हो गए थे. गुजरात मॉडल का नारा इनके झूठ की पराकाष्ठा थी. गोविल्स का झूठ चल निकला और केंद्र में वह सत्तारूढ़ हो गए. आज तक की स्तिथि यह है कि सत्तारूढ़ दल के  हिस्से में एक भी उपलब्धि नहीं आई है और नोटबंदी के बाद सियार के ऊपर से शेर की खाल भी उतर गयी है या यूँ कहिए विष्णु शर्मा की कहानी रंगा सियार जो पंचतंत्र में संकलित है का सियार हुवां-हुवां जब करने लगता है तब वन्यजीव जगत की आँखें खुल जाती हैं. भारतीय अंधभक्तों की परंपरा में आज जब हुवां-हुवां हो रहा है तो भी आँखें नहीं खुल रही हैं. 
           अभी ताज़ा झूंठ का पर्दाफाश हुआ है , वह यह है कि भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि मोदी सरकार को एक बड़ी कूटनीतिक सफलता मिली है. पार्टी का कहना है कि मोदी सरकार की कोशिशों से भारत के मोस्ट वांटेड क्रिमिनल दाऊद इब्राहिम की यूनाइटेड अरब अमीरात स्थित 15,000 करोड़ की संपत्ति को ज़ब्त कर लिया गया है.
 बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने बुधवार को एक ट्वीट कर इसे प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीति का मास्टर स्ट्रोक क़रार दिया गया. वहीँ, भारतीय सीमा पर उसकी विफलता जग-जाहिर है, विदेश नीति पूरी तरह से असफल है और जिसके कारण सीमा पर हमारे जवान मारे जा रहे हैं और हम शहीद घोषित करने के अतिरिक्त कुछ कर नहीं पा रहे हैं.
 वहीँ, दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास की एक वरिष्ठ अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि उनके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है. इस तरह से झूंठ पर झूंठ बूल कर चेहरे पर चमक लाने कि कोशिश अब कामयाब नहीं होनी चाहिए लेकिन अगर उसके बाद भी पांच राज्यों के चुनाव में रंगे सियार की हुवां-हुवां को जनता ने न सुना तो इससे बड़ा चमत्कार या आश्चर्यजनक चीज दुनिया में नहीं हो सकती है. यह सरकार असफलताओं की सरकार है.

सुमन

सोमवार, 2 जनवरी 2017

हवा और हवाई झूठे विकास की अम्मा

झूठों के सरगना  ने  उवाच किया कि उत्तर प्रदेश के विकास की है, जिसका पिछले 14 सालों से वनवास हो गया है.”यह बात  पूर्णतः  गलत है गुजरात का विकास इस तरह किया है कि शिक्षा  रोजगार  स्वास्थ्य   सडक  परिवहन आदि मामलों में उसका  कोई  नंबर ही नहीं है  चुनाव के समय  चीन की सड़कों को  विज्ञापित कर जनता के साथ छल किया गया था

मोदी ने एक बार फिर ‘सबका साथ-सबका विकास’ का नारा बुलन्द करते हुए प्रदेश की जनता का आह्वान किया कि वह जात-पात और अपने-पराये की भावना से उपर उठकर विकास के लिये बीजेपी को वोट दे.विकास दो सालों में इस किया कि  नोट बंदी करने लगे और लाखों लोगों का  रोजगार छिन गया   किसान  बर्बाद हो गया  यह  देश  फर्जी तरीके से स्वर्ग की संज्ञा  देते  रहे और जनता  देश के अंदर और  सेना के जवान  सीमा पर  स्वर्गवासी  हो रहे हैं  जिंदा रहने पर  भूखों  मर जाऊ मरने के बाद  स्वर्ग  मिलेगा  संसदीय  चुनाव के समय यह सब झूठ बोल कर  सत्ता  हथिया लिए है  योजना विचार  विहीन  बुद्धि  विहीन  विकास के  मंत्र का जाप तो  करा सकते हैं  लेकिन विकास कर ही नहीं  सकते हैं

मैं कहता हूं कालाधन हटाओ, वो कहते हैं मोदी हटाओ  इस मामले में भी सबसे ज्यादा लोग  भारतीय  जनता पार्टी के लोग  नई नोटों के साथ पकडे गए हैं और  मोदी  साहब  स्वयं काले धन से आयोजित  सभा को संबोधित कर रहे थे
साफ-साफ नजर आ रहा यूपी में हवा का रुख विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में में संभावित उम्मीदवारों ने   लाखों रुपये खर्च कर लोगों को  लखनऊ ठहलाने आए थे  जिसको मोदी  बदलाव की  हवा बता  रहे थे                           गन्ना के संबंध में प्रधानमंत्री  और ग्रहमंतरी  के बयान आपस में  परस्पर विरोधी हैं   उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में   मोदी की  सभा में झूठ बोलने की  अंताक्षरी प्रतियोगिता  चल रही थी     किसान  मजदूरों   तथा  मेहनतकश  जनता की गाढी कमाई को  छीन कर  अडानी  अंबानी  जैक  मा को  सौंपने वाले  प्रधान  सेवक जनता का खून  निकलवा कर  बेच  सकते हैं  जनता से  यह कहेगे कि शरीर में इतने खून की कोई जरूरत नहीं है  ख़ून  निकल जाने  से  वजन  हल्का हो  जाएगा
सुमन 
लोकसंघर्ष

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2016

मोदी के चेहरे के सारे मुखौटे को नोच दिया

वो बादशाह बन बैठे हैं मुकद्दर से ,
मगर मिजाज है अब तक वो ही भिखारी का 
 -मंजर  भोपाली 

यह शेर मंजर भोपाली ने चाहे जो सोच कर लिखा हो लेकिन काले धन में आकंठ तक डूबे नरेन्द्र मोदी के ऊपर पूरी तरह से लागू होता है. कल बनारस की सभा में सांसद राहुल गाँधी के सम्बन्ध में जो जो टिप्पणियां प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए मोदी ने कि हैं वह इस देश में पहली बार हो रहा है. राहुल गाँधी ने सीधे-सीधे मोदी से यह पूछा है कि सहारा से रुपया लिया है या नहीं लिया है ? जिसका कोई जवाब मोदी नहीं दे पा रहे हैं. वहीँ नोट बंदी के सवाल के ऊपर उत्तराखंड में राहुल गाँधी ने कहा कि यह नोटबंदी कालेधन या भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई निर्णय नहीं है. यह नोटबंदी आर्थिक लूट है. यह देश के गरीबों पर हमला है.’’ उन्होंने प्रधानमंत्री से उन चोरों का नाम पूछा जिनका स्विस बैंकों में कालाधन है.
 ‘‘गरीबों का पैसा खींचो और अमीरों को सींचो. 99 फीसदी ईमानदार का पैसा खींचो और 50 परिवारों को सींचो. ये है नोटबंदी की सच्चाई.’’नोटबंदी के चलते हुई 100 लोगों की मौत पर विपक्ष को शोक भी नहीं मनाने दिया गया. 15 महाधनाढ्यों का 1.40 करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया है.
वहीँ दूसरी तरफ, मोदी ने उत्तराखंड को 2013 की बाढ़ के बाद विकास के वास्ते दरकार 60,000 करोड़ रुपये नहीं दिए जबकि उन्होंने विजय माल्या को 1200 करोड़ रुपये ‘टाफी’ की तरह दे दिया गया.
 अमेरिकी पत्रिका फोर्ब्स ने अपने संपादकीय में कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए नोटबंदी के कदम को जनता के पैसे पर डाका तक बता दिया है। फोर्ब्स ने इस फैसले से आतंकवादी गतिविधि कम होने के तर्क को भी खारिज किया है। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के कैश आधारित होने की बात करते हुए लिखा कि डिजिटाइजेश खुद-ब-खुद समय और फ्री मार्केट इकॉनमी की मांग से होगा। 
 फोर्ब्स ने लिखा है कि मोदी सरकार ने बिना किसी चेतावनी के देश की 85 फीसदी करंसी को खत्म कर दिया। हैरान जनता को बैंकों से कैश बदलवाने के लिए महज कुछ हफ्तों का समय दिया गया।
फोर्ब्स पत्रिका का यह प्रमाण पत्र जारी करना राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लिए ब्रह्म वाक्य है क्यूंकि संघ का अनुवांशिक संगठन भाजपा है. मुख्य संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ही है जो आजादी की लड़ाई के समय अंग्रेजों की मदद करने का काम कर रहा था. यह संगठन अब अमेरिकी साम्राज्यवाद के एजेंट की भूमिका में कार्य कर रहा है और अमेरिकी पत्रिका द्वारा उक्त टिप्पणियां करना इनके चेहरे के सारे मुखौटे को नोच देता है. 

सुमन 

बुधवार, 21 दिसंबर 2016

पर्दा धीरे-धीरे हट रहा है-बिज्जो की सूरत निकल रही है

आज राहुल गाँधी ने सीधे सीधे नरेन्द्र दामोदर मोदी के सम्बन्ध में बताया कि, "सहारा कंपनी पर छापा पड़ा था। सहारा के रिकॉर्ड में लिखा था- 30 अक्टूबर 2013 ढाई करोड़ रुपए मोदी जी को दिया। इसके बाद 12 नवंबर 2103 को पांच करोड़, 27 नवंबर को ढाई करोड़, 29 नवंबर को भी ढाई करोड़। 6 दिसंबर को 5 करोड़, 19 दिसंबर पांच करोड़, 13 जनवरी दो करोड़, इसके बाद कुल नौ बार पैसे दिए गए। 6 महीने में 9 बार सहारा ने मोदी को पैसे दिए। और ये एक डायरी में लिखा है।"
दूसरा सवाल उन्होंने यह पूछ दिया कि, "मोदी जी बताइए, इन पेपर्स पर आईटी के दस्तखत है। इन पर ढाई साल के दौरान जांच क्यों नहीं हुई ? 9 बार ये पैसा दिया गया है। आपने पूरे देश को लाइन मेंं रखा, पूरे देश की ईमानदारी पर सवाल उठाया। अगर ये सच है तो इसकी जांच कब होगी?"
देशभक्ति की परिभाषा सिखाते-सिखाते नवम्बर महीने से जनता को बैंक की लाइन में खड़ा कर रखा है. जनता लाइन में खड़ी हुई मर रही है. आप जनाब अलीबाबा से लेकर अम्बानी, अडानी होते हुए कमीशनखोरी का ही काम कर रहे हैं. जिस तरह से बिज्जो मुर्दा खाने का शौक़ीन होता है. उसी तरीके से नोट बंदी जैसी योजना बिज्जो की नई शकल के रूप में दिखाई दे रही है जो जिंदा आदिवासी, दलित, मजदूर, खेत मजदूर, किसान, मेहनतकश जनता को खाने के लिए तत्पर है. नोट बंदी के बाद से बेरोजगारी असंगठित क्षेत्र में अपनी चरम सीमा पर है. सरकार काला धन इन्ही लोगों के पास से बरामद कर सफ़ेद कर रही है और जिनके पास काला धन है उनसे चुनाव का चंदा लेकर चुनाव लड़ रही है. नोटबंदी से पहले सत्तारूढ़ दल ने पूरे देश के अन्दर प्रत्येक जिले में पार्टी कार्यालय बनाने के लिए जमीन खरीदी है और उत्तर प्रदेश में कार्यकर्ताओं को नि:शुल्क मोटर साइकिल देने के लिए खरीदी गयी हैं. अब यह सारा रुपया सफ़ेद धन है. जनता को मारकर राज चलाने की कला कोई इन बहुरूपिये बिज्जुओं से सीखे. "चाह में है और कोई, बांह में है और कोई" यही इनकी असलियत है. 
समय बीतते ही जब जांच होगी तो हिन्दुस्तान के भ्रष्टतम सरकारों में यह सरकार होगी.

सुमन 

मंगलवार, 20 दिसंबर 2016

आम आदमी की मौत और झूठों की प्रतियोगिता

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद में आर्याव्रत ग्रामीण बैंक में मजदूर पेशा भगवान दीन गौतम की बैंक से रुपया निकालने की लाइन में लगे हुए ही मौत हो गयी. वहीँ जनपद में लाइन में लोगों का बेहोश हो जाना, दो-दो दिन तक रुपया न प्राप्त होना आम आदमी के लिए बड़ी मुसीबत बनता जा रहा है. वहीँ, भाजपा-मोदी-रिज़र्व बैंक में झूठ बोलने कि प्रतियोगिता थमने का नाम ही नही लेती है. मोदी साहब पहले यह फरमाते थे कि नोट बंदी कि योजना की भनक किसी को लगने नहीं दी गयी थी. वहीँ भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी कहते हैं कि कैश की वजह से लोगों को हो रही परेशानियों की वजह वित्त मंत्रालय की लापरवाही हैं, अगर इस फैसले के लिए वित्त मंत्रालय ने पहले से तैयारी की होती तो आज ऐसे हालात पैदा न होते।  भ्रष्टाचार और कालेधन के खात्मे के लिए सरकार ने 2014 में ही फैसला ले लिया था।
                    अब आप ही देखें कि कौन सच्चा है और कौन झूठा है. दोनों लोगों का विश्लेषण करने से यह बात निकल कर आती है कि दोनों लोग झूठ का सहारा लेकर जनता को बरगलाने का काम कर रहे हैं. झूठों की प्रतियोगिता के कारण रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया व बैंकिंग इंडस्ट्रीज की विश्वसनीयता समाप्त हो चुकी है.आठ नवंबर को सरकार द्वारा की गयी नोटबंदी की घोषणा के बाद इस मामले में अब तक नियमों में 125 बदलाव किए जा चुके हैं. सुबह कोई नोटीफिकेशन आता है और शाम होते-होते उसके विपरीत नोटीफिकेशन आ जाता है. 30 दिसम्बर तक जनता को हज़ार और 500 और 1000 का नोट जमा करने का हक़ हासिल था लेकिन 19 दिसम्बर के नोटीफिकेशन के अनुसार अब एक बार ही आप अपने खाते में पुराने नोट जमा कर सकते हैं और उसकी अधिकतम सीमा 5000 रुपये बैंकों ने तय कर रखी है. नोटीफिकेशन कुछ कहता है व्यवहार में कुछ और हो रहा है. अरुण जेटली से लेकर मोदी तक अपनी-अपनी फख्ताएं उड़ाई जा रही हैं. झूठ बोलने कि इस प्रतियोगिता में बैंक भी शामिल हैं. इस तरह से सरकार, बैंक और अन्य वित्तीय संसथान अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं. आम आदमी जिंदा रहे तो दुनिया का आठवां आश्चर्य  है और मर जाए तो उनके ठेंगे से. 

सुमन 

सोमवार, 19 दिसंबर 2016

नोटबंदी : कॉर्पोरेट सेक्टर को फायदा पहुँचाना

बाराबंकी। नोटबन्दी योजना कारपोरेट सेक्टर को फायदा पहुंचाने के लिए एक हत्यारी योजना है। हजारो लोग बैंक की लाईन में या पैसे के अभाव में चिकित्सा सुविधा न मिलने के कारण मर चुके हैं।
    यह उद्गार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा आयोजित टाण्डा निजामपुर में जनसभा को सम्बोधित करते हुए जिला सह सचिव रणधीर सिंह सुमन ने कहा कि काला धन बरामद करना एक बहाना है वास्तव में अम्बानी के जियो सिम और चीनी कम्पनी अलीबाबा के मालिक जैक मा को फायदा पहुंचाना है।
    जन सभा को सम्बोधित करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव बृज मोहन वर्मा ने कहा कि नोट बन्दी के कारण किसानों के आलू, टमाटर, धान की कोई कीमत न रही और किसान बरबाद हो चुका है। मोदी सरकार के आने के बाद हजारों किसान आत्महत्या कर चुके हैं। जनता की तकलीफों को कोई ध्यान देने के लिए तैयार नही है।
    पार्टी के नेता विनोद कुमार यादव ने कहा कि जनपद के हजारों नौजवान जो देश के विभिन्न हिस्सों में काम करते थे उनकी नौकरियां चली गयी हैं और अपने घरों में वापस लौट आये हैं।
    किसान सभा के जिला अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा कि नोट बन्दी योजना से देश की जनता का रुपया बैंकों में रोक दिया है जिसका कोई अधिकार सरकार को नही है सरकार स्वयं काला धन को सफेद धन बना रही है। सरकार जनता के धन को रोक कर जनता को पंगु बना दिया है।
    सभा का संचालन रामू ने किया तथा अध्यक्षता डा0 इन्द्रपाल चैहान ने किया।

रविवार, 11 दिसंबर 2016

हाय ! 25 कुंतल फूलों का क्या गुनाह

थाईलैंड से मंगाए फूलों से सजावट
बहराइच में प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर मोदी के मंच को सजाने के लिए कलकत्ता, दिल्ली, लखनऊ के साथ थाईलैंड से 25 कुंतल फूल मंगाए गए थे. साज-सज्जा की गयी, जनता के उत्पात के दर से सारी व्यवस्था धरी की  धरी रह गयी. वहीँ, बहराइच के छावनी चौराहे पर जनता ने उनका पुतला जलाया और उनके खिलाफ जबरदस्त नारेबाजी हुई. जिसकी सूचना प्रधानमंत्री के स्टाफ तक हुई और उसके बाद नोटबंदी के इस असर के कारण बहराइच रैली का प्रोग्राम रद्द कर देना पड़ा. वैसे  बहराइच में मोदी कि सुरक्षा के लिए दूसरे जिलों से 12 एसपी बुलाये गए थे। इसके अलावा 15 एएसपी 44 सीओ, 62 इंस्पेक्टर, 8 कंपनी पीएसी, 8 कंपनी आरएएफ और सीआरपीएफ की तैनाती की गयी थी।3 हजार कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल की ड्यूटी लगायी गयी थी। मंच स्थल पर हवा में हवाई जहाजों  द्वारा निगरानी कि विशेष व्यवस्था की गयी थी.रैली शुरू होने के 30 मिनट पहले तक रैली स्थल के काफी हिस्से की कुर्सियां खाली पड़ी रही। जब पीएम मोदी का हेलीकाप्टर रैली स्थल पर पहुंचा तो खाली पड़ी कुर्सियां देख पीएम ने वापिस जाने का फैसला किया।
बाद में उत्तर प्रदेश में गुंडाराज और भ्रष्टाचार को लेकर मोबाइल फ़ोन से भाषण रैली स्थल पर प्रसारित किया गया. भ्रष्टाचार के सम्बन्ध में  यूपी में नेशनल हाईवे बना रही एक बड़ी कंपनी ने पुलिस से लिखित शिकायत की है कि बहराइच की भाजपा सांसद सावित्री बाई फुले उनसे कमीशन मांग रही हैं और उसी सांसद की देख-रेख में मोदी साहब का भाषण होना था. गुंडा राज के सम्बन्ध में सबसे बढ़िया जवाब मोदी पुलिस द्वारा संरक्षित दिल्ली के रोहिणी में एसएसआई और उसकी महिला दोस्त की हत्या की गई. वहीँ मोदी पुलिस जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के नजीब का आज तक पता नहीं लगा सकी है लेकिन उत्तर प्रदेश में गुंडाराज और भ्रष्टाचार के सवाल के ऊपर जब वह कोई बात कहते हैं तो बेशर्मी को भी शर्म आ जाती है.
 वहीँ, मोदी  लोकसभा में बोलने में असमर्थ हैं. बहराइच की जनसभा खराब मौसम का बहाना लेकर टाल दिया
 जबकि सड़क मार्ग पर प्रदेश सरकार द्वारा लखनऊ से बहराइच तक सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी. 
नोट बंदी या अलीबाबा कंपनी अर्थात चीनी व्यापारी जैक मा के पेटीएम को लाभ देने के लिए देश के कमजोर मजदूर किसान को मार डालने कि उनकी खूबसूरत योजना के दुष्परिणामों से जनता में उनकी कोई छवि नही बची है. उनकी छवि झूठों के सौदागर या पहले नाटक और नौटंकी में जोकर होते थे. जो तरह-तरह के करतब दिखाकर लोगों को हंसाने वा रुलाने का काम करते थे, की तरह है . नब्बे प्रतिशत एटीएम खाली हैं. जनता के पास रुपये नहीं हैं. दो हजार रुपये के लिए 8 घंटे लाइन में लगना पड़ता है. किसानो कि उपज का कोई मूल्य नहीं रह गया है. गोभी, टमाटर, आलू फेंके जा रहे हैं. धान की कोई कीमत नहीं है. काला धन और भ्रष्टाचार की बड़ी-बड़ी डींगे हांकने वाले नरेन्द्र दामोदर मोदी की ये जनसभाएं उसी काले धन से हो रही हैं. भाड़े पर जनता को लाया जा रहा है.  नई करेंसी जनता को नहीं मिलती है और उनकी रैलियों में करोड़ों रुपये की नई करेंसी कहाँ से इस्तेमाल हो रही है. सरकार का करोड़ों रुपये मोदी की जनसभाओं पर खर्च किया जा रहा है. विकास की बजाये देश विनाश कि तरफ बढ़ रहा है. विश्व बैंक की रेटिंग के अनुसार भारत अब विकासशील देश अब नहीं रहा है. उसकी स्तिथि अब पकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका वा बांग्लादेश के बराबर हो गयी है. शाखा मृग के हाथ में उस्तरा है. हम और आप दिवालिया होने तक विकास कर सकते हैं. यह संघ कि विकास की धार है. अंग्रेजों की गुलामी, फिर अमेरिका की गुलामी और अब अलीबाबा की गुलामी की तरफ बढ़ रहे हम लोग हैं. 

सुमन 

रविवार, 4 दिसंबर 2016

नाक कटवाना - स्वर्ग मिलेगा

केतकी गडकरी : एक हज़ार करोड़ रुपये में विवाह
पीएम ने रैली में पूछा कि गरीबों के हक के लिए लड़ना क्या गुनाह है? मैं आपके लिए लड़ रहा हूं। मेरा क्या कर लेंगे ये लोग? मैं फकीर हूं, झोला लेकर निकल लूंगा। अगर गरीब के हाथ में ताकत आ जाए तो गरीबी कल खत्म हो जाएगी। इरादे नेक हैं, तो देश कुछ भी सहने को तैयार को जाता है, ये मैंने महसूस किया है। आज सवा सौ करोड़ के देश ने जिम्मेदारी को अपने कंधे पर ले लिया है। देश भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहता है।
             दस लाख रुपये का सूट पहनने वाला सत्तर करोड़ रुपये के काजू खाने वाला किस तरह से अपने मुंह से अपने को फ़कीर घोषित कर रहा है. इन बगुला भगतों ने अपने शब्दकोष से शर्म नाम के शब्द को हटा दिया है. मोदी कि इसी रैली के पहले  यूपी पुलिस ने 2000 रुपए के नए नोटों से भरी भा ज पा कि एक गाड़ी पकड़ी है। उस गाड़ी में 2000 की नई करेंसी के 95 लाख रुपए मिले थे । गाड़ी को जब्त कर लिया है।करोड़ों रुपये विदेश यात्राओं पर खर्च कर नोटबंदी लागू कर चुका है. बैंक की लइनों में लगे हुए लोगों में से 200 लोग मर चुके हैं. हद तो यहाँ तक हो चुकी है कि पैसा निकालने कि लाइन में लगे-लगे ही बच्चा पैदा हो चुका है.
               प्रधानमंत्री शादी ब्याह में ढाई लाख रुपये बैंक से निकालने कि अनुमति देते हैं और इतनी शर्तें लगा देते हैं कि ढाई लाख रुपये बैंक से निकलने भी न पाए. वहीँ, खनन करोबारी और भाजपा के पूर्व मंत्री बी जनार्दन रेड्डी की बेटी ब्रह्माणी की 16 नवंबर को बंगलुरू में भव्य शादी हुई थी.  यह विवाह समारोह पांच दिन का था.
                अब मोदी सरकार के मंत्री नितिन गडकरी के पुत्री केतकी के विवाह में 50 चार्टर्ड प्लेन, 10000 लोगों के फाइव स्टार रुकने वा खाने कि व्यवस्था जिसमें लगभग 1000 करोड़ रुपये खर्च कर फकीरी ढंग से शादी की जा रही है. 3 और 4 दिसम्बर को  नागपुर के लिए किसी भी जगह से हवाई टिकट उपलब्ध नहीं हैं। अतिथियों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत उनमें से ज्यादातर वीवीआईपी, मुकेश अंबानी और रतन टाटा, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, केन्द्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और उद्योगपति है. इस कार्यक्रम में मोहन भागवत का स्वदेशी डांस भी होगा.
            अब प्रधानमंत्री मोदी साहब को देश को यह बताना चाहिए कि एक हज़ार करोड़ रुपये में खर्च होने वाले नोट नए नोट हैं या पुराने नोट हैं. काला धन है या सफ़ेद धन है. मोदी का मंत्रिमंडल सफ़ेद झूठ बोलने वालों का मंत्रिमंडल है यहाँ सभी झूंठ पर झूंठ बोलने के आदी हैं. शर्म तो आनी ही नही है. नाक  कटवाओ - स्वर्ग मिलेगा की नीति के तहत जनता को नोट बंदी के सवाल के ऊपर समझाया जा रहा है.

सुमन

बुधवार, 30 नवंबर 2016

दिवालिया किसको कहते हैं

भारत सरकार, रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया वा सत्तारूढ़ दल लगातार कह रहा है कि 24000 रूपये प्रति सप्ताह  और जिनके घरों में शादी है वह ढाई लाख रुपये अपने खाते से रुपया निकाल सकते हैं. जमीनी हकीकत यह है कि शादी-ब्याह वाले घरों के लोग ढाई लाख रुपये अपने खाते से नहीं निकाल पा रहे हैं क्यूंकि रुपया निकालने के लिए जो शर्तें लगायी गयी हैं उन शर्तों को पूरा नहीं किया जा सकता है. अब चौबीस हज़ार रुपये प्रति सप्ताह निकालने की वास्तविकता यह है कि 24000 रुपये कि चेक लेकर जब व्यक्ति बैंक गया तो बैंक आफ इंडिया बाराबंकी ने चेक पर लिख कर दे दिया है कि बैंक के पास रूपए ही नही है तब लीड बैंक के प्रबंधक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि रिजर्व बैंक आफ इंडिया के पास ही रूपये नहीं है. बताए दिवालिया किसे कहते हैं. 
बैंकों के पास रुपया ही नहीं है उनको किसी तरह से जो रुपया मिलता है उससे वह 2000 रुपये 1000 रुपये बाँट रहे हैं एटीएम वगैरह खाली पड़े हैं. जनता अपना रुपया निकालने के लिए लाइन में सुबह से लेकर शाम तक लगी रहती है और बाद में नो कैश हो जाता है. दिल्ली और बम्बई के अधिकारी मीडिया से कहते हैं कि सब कुछ ठीक है थोड़ा- बहुत कष्ट कि बात है इसके विपरीत वास्तविकता यह है कि व्यापार से लेकर खेती किसानी तक बंद है. गाँव के अन्दर दूसरी जगहों पर काम करने गए नवजवान वापस आ रहे हैं. बेरोज़गारी बढ़ रही है उसके बाद भी सत्तारूढ़ दल के बेशर्म नेतागण उत्तर प्रदेश में 1 करोड़ नवजवानों को रोज़गार देने कि बात कर रहे हैं. अफरातफरी का माहौल है. मोदी से लेकर रूडी तक नागनाथ से लेकर प्रलयनाथ तक झूंठ पर झूंठ बोले चले जा रहे हैं. जनता के कमजोर तबके बेरोजगार नवजवान किसान अपने पैसे का उपभोग नही कर पा रहा है. दुर्घटना होने पर नई करेंसी के अभाव में इलाज संभव नहीं हो पा रहा है. सरकार चाहे जो घोषणा कर रही हो. अब तो यही हो रहा है कि होइहि सोइ जो राम रचि राखा।

सुमन 

सोमवार, 28 नवंबर 2016

लोगों के पास ही बैंक खाते नहीं


बाराबंकी। नोट बंदी के बहाने गरीब, मजदूर, किसानों को बर्बाद करने वाली मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने मोदी का पुतला लेकर जुलूस निकाला और पटेल चैराहा पर फूंक दिया।
    जुलूस से पहले सम्बोधित करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सहसचिव रणधीर सिंह सुमन ने कहा कि भारत में 52 प्रतिशत लोगों के पास ही बैंक खाते हैं, बहुत सारे नागरिकों को बैंक की सुविधा 50 किलोमीटर दूर है ऐसे में मोदी की तुगलकी योजना के कारण गरीब आदमी का एक या दो नोट बदल पाना असम्भव है।
       भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सहसचिव डा0 कैसर हुसैन ने कहा कि मोदी सरकार कालाधन को सफेद करने की यह योजना है और उन उद्योग पतियों को कर्जा फिर देना है जो लाखों लाख करोड़ रूपये हजम कर चुकें है।
    भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव बृज मोहन वर्मा ने कहा कि मोदी की नोट बंदी योजना से किसान पूरी तरीके से बर्बाद हो रहा है आलू कोल्डस्टोरेज में सड़ गया है रूपया न होने से बोआई नहीं हो पा रही है। धान का मूल्य सात सौ रूपये प्रति कुन्तल चल रहा है पूरे देशमें  मोदी की योजना से किसान बर्बाद हो चुका है। मोदी व उसके गिरोह के लोग झूठ पर झूठ बोलते जा रहे है। मोदी कालाधन से चुनाव लड़े थे और कालेधन से मोदी पूरे देश में सभायें कर रहे है।
    किसान सभा के जिला अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने कहा कि बैंकों के सामने गरीब जनता खड़ी है और अमीर जनता एसी कमरे में सो रही है मोदी जो कह रहे है उसके उलट देष की स्थिति है।
पुतला फूंकने में हनोमान प्रसाद, सचिन छाबड़ा, साबिर समसाद, राम लखन वर्मा, अमर सिंह गुड्डू, पुष्पेन्द्र सिंह, गिरीश चन्द्र वर्मा, सरदार भूपेन्द्र सिंह, सत्येन्द्र यादव, अवधेश, टिंकू, मोहम्मदवैश्य, मो0 अजीम, सहाबुद्दीन, इस्लाम खान, मुनेष्वर वर्मा, सेखू, विनोद यादव, जितेन्द्र यादव, मुसाहिद समसाद, साकिब जमाल आदि प्रमुख लोग थे।
    जुलूस में मोदी मुर्दाबाद, नोट बंदी वापस लो, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी जिन्दाबाद के नारे लग रहे थे।

शनिवार, 19 नवंबर 2016

2000 रुपये का नोट: ठगी का नया तरीका तो नही है


भारतीय रिज़र्व बैंक जनता को दो हज़ार रुपये का नोट दे रहा है किन्तु जब आज बैंक ऑफ़ बरौदा की बाराबंकी शाखा में दो हज़ार रुपये का नोट खाते ज़मा करने से मना कर दिया. वहीँ, बैंक अधिकारीयों ने यह भी कहा कि सौ रुपये का भी नोट नहीं ज़मा किया जायेगा. यह नई गाइडलाइन्स अम्बानी के बहनोई उर्जित पटेल अर्थात रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया गवर्नर साहब का है. मोदी सरकार जितना लिखित कानून है उससे कहीं ज्यादा मौखिक कानून जारी कर रही है और मौखिक आदेश में कोई न कोई जालसाजी छिपी हुई है. 
                मोदी सरकार जनता को रंग छूटने वाला दो हज़ार रुपये का नोट दे रही है और जब बैंक में पुन: नहीं ज़मा हो पा रहा है तो इसका क्या अर्थ निकाला जाए. कहीं यह ठगी का नया गुजराती तरीका निकाला गया है. अभी तक जानकारी के अनुसार कोई रुपया अगर सरकार जारी करती है तो वह रुपया बैंक और सरकार स्वयं भी लेगी लेकिन झूठों की सरकार है, बागों में बहार है. 

सुमन

बुधवार, 16 नवंबर 2016

प्रधान सेवक कॉर्पोरेट सेक्टर का नौकर है

भारतीय लोकतंत्र में वेटिंग प्रधानमंत्री ने चुनाव को  संचालित करने के लिए हज़ारों करोड़ रुपये चुनाव में  कॉर्पोरेट सेक्टर से लिए थे. उसकी अदायगी स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने सात हज़ार सोलह करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाल कर माफ़ कर दिया है. दूसरी तरफ विमुद्रीकरण कर गरीब, मजदूर, किसान के यहाँ काला धन ढूँढा जा रहा है. अब तक 36 लोग मर चुके हैं और हजारों लोग रुपया होते हुए भी नरेन्द्र दामोदर मोदी की सनक के कारण इलाज न पाने के कारण मर चुके हैं जबकि कर्नाटक भाजपा के पूर्व नेता और मंत्री रहे जनार्दन रेड्डी अपनी बेटी की शादी करने जा रहे हैं जिसमें 500 करोड़ रुपए का खर्च कर रहे हैं और यह रुपया कहाँ आ रहा है और विमुद्रीकरण के कारण यह 24 हज़ार रुपये से ज्यादा एक हफ्ते में कैसे निकाल लेंगे यह प्रश्नचिन्ह है और मोदी साहब को यह सब नहीं दिखाई दे रहा है.
एसबीआई ने जून 2016 तक 48,000 करोड़ रुपये उद्योगपतियों को माफ़ कर दिया है. जिन कर्जों को माफ़ किया गया है उनकी सूची में 1,201 करोड़ रुपये के कर्ज के साथ किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक विजय माल्या का नाम सबसे ऊपर है. इसके बाद केएस ऑयल (596 करोड़) सूर्या फॉर्मास्यूटिकल्स (526 करोड़), जीईटी पॉवर (400 करोड़) और एसएआई इंफो सिस्टम (376 करोड़) का नाम है. 
         प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर मोदी देश के प्रधान सेवक नहीं हैं. यह जिन लोगों के सेवक हैं उनको लाखों-लाख करोड़ रुपये का फायदा पहुंचा रहे हैं. दूसरी तरफ 10 नवम्बर से पूरे देश की आम जनता के 80 प्रतिशत लोगों को विभिन्न बैंकों के  सामने रोटी खाने के लिए रुपया निकालने के लिए लाइन में खड़ा कर रखा है. विमुद्रीकरण के बहाने उद्योग जगत के मालिकों को फायदा पहुँचाया जा रहा है. वहीँ, छोटे व्यापारियों को भी रोजी रोटी से महरूम किया जा रहा है. मालिकों का जिस तरह से भी फायदा होना है. प्रधान सेवक को उसी हिसाब से कार्य करना है. भारतीय जनता के प्रति उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है. इसके बाद साम्राज्यवाद को फायदा देने के लिए उनके हथियारों को खरीदने के लिए काल्पनिक युद्ध की तैयारियां चल रही हैं जो किसी समय प्रारंभ हो सकती हैं. युद्ध का छद्म वातावरण नरसंहारी योजना का एक हिस्सा है. क्रूर शासक हमेशा जनता का नरसंहार कराता रहता है. हमारा देश भी उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है. लोकतंत्र खतरे में है.न्यायपालिका को पंगु बनाने के लिए न्यायाधीशों की नियुक्तियां बंद कर दी गयी हैं.

सुमन 

क्या देश में अघोषित आपातकाल है?

हिंदी न्यूज चैनल एनडीटीवी इंडिया पर लगाए गए एक दिन के प्रतिबंध, जिसे बाद में वापस ले लिया गया, से देश को गहरा धक्का लगा है। इस चैनल पर यह आरोप लगाया गया कि उसने पठानकोट हमले के अपने कवरेज के दौरान गुप्त व संवेदनशील जानकारियां सार्वजनिक कीं। यह दिलचस्प है कि भारत सरकार ने पठानकोट के उसी इलाके में पाकिस्तान के एक जांच दल को जाने की इजाजत दी थी। चैनल का कहना था कि उसका कवरेज संतुलित था और उसके द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी कोई ऐसी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई जो अन्य मीडिया से लोगों तक नहीं पहुंच चुकी थी। ऐसा लगता है कि इस प्रतिबंध के चौतरफा विरोध से घबराकर सरकार ने अपने कदम वापस खींच लिए। शायद सरकार एनडीटीवी द्वारा भारत माता की जय के नारे, राष्ट्रवाद, जेएनयू, हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय और ऊना के मुद्दों पर एनडीटीवी द्वारा शासक दल की आलोचना से परेशान थी। 
मोदी सरकार के शासन में आने के बाद से, देश की राजनैतिक फिज़ा में गुणात्मक परिवर्तन आया है। सरकार के सत्ता सम्हालने के कुछ ही समय बाद, कई स्थानों पर चर्चों पर हमले हुए। सरकार ने भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, आईआईटी, जेएनयू, एचसीयू सहित कई राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की स्वायत्तता पर डाका डालने की कोशिश की। सर्वथा अयोग्य ‘दक्षिणपंथी’ व्यक्तियों को इन संस्थानों में उच्च पदों पर नियुक्त किया गया। शैक्षणिक संस्थान इस सरकार के निशाने पर हैं। जेएनयू को राष्ट्रविरोधियों का अड्डा बताया गया और वहां के विद्यार्थी नेताओं को बदनाम करने के लिए एक नकली वीडियो प्रसारित किया गया। रोहित वेम्युला को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया गया। समाज में बढ़ती असहिष्णुता के प्रति अपना विरोध व्यक्त करने के लिए कई प्रतिष्ठित कलाकारों, वैज्ञानिकों आदि ने उन्हें मिले पुरस्कार लौटाए। गौमांस के मुद्दे पर बवाल खड़ा कर दिया गया। इस मुद्दे पर भड़काए गए जुनून के नतीजे में मोहम्मद अखलाक की हत्या हुई, देश के कई हिस्सों में हिंसक वारदातें हुईं और ऊना का भयावह घटनाक्रम हुआ। मीडिया का एक तबका, उदारवादियों और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को बुरा-भला कहने और हिन्दू राष्ट्रवादियों की शान में कसीदे काढ़ने में जुटा हुआ है।
इसी बीच, भोपाल में आठ मुस्लिम विचाराधीन बंदियों को एक मुठभेड़ में पुलिस ने मार गिराया। इस मुठभेड़ के
संबंध में जो तथ्य सामने आए हैं उनसे ऐसा लगता है कि पुलिस की कहानी में कई छेद हैं। जेएनयू का विद्यार्थी नजीब पिछले तीन हफ्तों से गायब है और उसकी मां के साथ दिल्ली पुलिस ने घोर दुर्व्यवहार किया। क्या केवल आपातकाल में मानव और प्रजातांत्रिक अधिकारों का इस तरह का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन होता है? आपातकाल एक निंदनीय तानाशाहीपूर्ण शासन था, जिसके दौरान देश  में प्रेस सेंसरशिप लगाई गई थी। आज का दौर, उस आपातकाल से कई मामलों में भिन्न है।
देश  में आज कारपोरेट घरानों का राज चल रहा है। श्रमिकों और किसानों के अधिकार उनसे छीने जा रहे हैं। मनरेगा, भोजन का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार और शिक्षा का अधिकार के तहत चलने वाली योजनाओं पर सरकार के रूख को देखकर ऐसा लगता है कि वह बड़े पूंजीपतियों के साथ है। इसके साथ ही, हिन्दू राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। मोदी ने कहा था, ‘‘मैं राष्ट्रवादी हूं और एक हिन्दू परिवार में जन्मा था, इसलिए मैं हिन्दू राष्ट्रवादी हूं।’’ मोदी के इस कथन से आने वाले समय में क्या होने वाला है, इसका अंदाज़ा हो गया था। समान नागरिक संहिता और गोमांस के मुद्दे पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। कश्मीर और पाकिस्तान के साथ रिष्तों को लेकर अतिराष्ट्रवाद भड़काया जा रहा है। ऊरी पर आतंकी हमले और उसके बाद हुई सर्जिकल स्ट्राईक का इस्तेमाल सरकार राजनैतिक उद्देष्यों के लिए कर रही है। सामाजिक क्षेत्र में काम कर रहे हज़ारों एनजीओ के रास्ते में बाधाएं खड़ी की जा रही हैं। कई का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है। पाकिस्तानी कलाकारों पर हो रहे हमले भी अतिराष्ट्रवाद के उभार का एक पहलू हैं। हमें यह याद रखना चाहिए कि पाकिस्तान के साथ हमारे हज़ारों करोड़ रूपए के व्यापारिक संबंध हैं। चीन के मामले में भी वहां से आने वाले उत्पादों के बहिष्कार की बात की जा रही है। यह इस तथ्य के बावजूद कि अरब सागर में सरदार पटेल की प्रस्तावित प्रतिमा को लगाने का कई हज़ार करोड़ रूपए का काम चीन की एक कंपनी को दिया गया है। लोगों को हमारे पड़ोसी देषों, धार्मिक अल्पसंख्यकों और
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ भड़काया जा रहा है।
प्रजातांत्रिक अधिकारों का गला घोंटा जा रहा है, गरीबों की भलाई की योजनाओं में कमी की जा रही है और अल्पसंख्यकों और मानवाधिकारों के रक्षकों को डराया-धमकाया जा रहा है। शासकदल के एजेंडे को लागू करने के लिए देश में जुनून पैदा किया जा रहा है। सरकार के किसी भी कदम पर प्रश्न  उठाने वालों को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है, सरकार सेप्रश्न  पूछने का अधिकार, उसके निर्णयों को चुनौती देने का अधिकार प्रजातंत्र की मूल आत्मा है। यह सब देखकर ऐसा लगता है कि यद्यपि देश में घोषित तौर पर आपातकाल नहीं लगाया गया है तथापि हालात शायद आपातकाल जितने या उससे भी अधिक खराब हैं।
हाल में सीपीएम नेता प्रकाश  कारत ने कहा कि वर्तमान शासन तानाशाह तो है परंतु फासीवादी नहीं। तानाशाही और फासीवाद के बीच का अंतर बहस का विषय हो सकता है। फासीवाद के मुख्य लक्षण हैं लोगों की जिंदगियों पर राज्य का अतिनियंत्रण, अतिराष्ट्रवाद, पड़ोसी देशों के प्रति आक्रामक नीतियां, बड़े उद्योगपतियों का बोलबाला और गरीबों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला। जो लोग प्रजातंत्र और भारतीय संविधान की रक्षा करना चाहते हैं उन्हें ऐसे सामाजिक और राजनैतिक गठबंधन बनाने होंगे जिनसे हिंसा और संकीर्ण राष्ट्रवाद की राजनीति पर रोक लग सके।
सन 1990 के दशक में भाजपा ने अपने को ‘पार्टी विथ ए डिफरेंस’ घोषित किया था। आज सचमुच ऐसा लग रहा है कि भाजपा सभी अन्य पार्टियों से अलग है। यह एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसका नियंत्रण किसी दूसरी संस्था के हाथ में है। भाजपा का नियामक हिन्दू राष्ट्रवादी आरएसएस है जो प्रजातंत्र और धर्मनिरपेक्षता को इस आधार पर खारिज करता है कि वे पष्चिमी आयात हैं और हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के नियमों और परपंराओं को देश पर लादना चाहता है। ये वही ग्रंथ हैं जिनमें से एक को अंबेडकर ने इसलिए जलाया था क्यांकि वे जातिगत और लैंगिक ऊँचनीच के मूल्यों को बढ़ावा देते हैं। बहसें जारी रह सकती हैं परंतु भारतीय संविधान की रक्षा करने का अभियान तुरंत शुरू किया जाना चाहिए।
         
-राम पुनियानी

सोमवार, 14 नवंबर 2016

मोदी ! पूंजीपतियों का सुख - तुम्हारी देशभक्ति है

प्रधानमंत्री ने कहा, ’’मेरे बचपन में लोग कहते थे कि मोदी जी जरा चाय कड़क बनाना। मुझे तो बचपन से आदत है। मैंने निर्णय कड़क लिया। गरीब को कड़क चाय भाती है लेकिन अमीर का मुंह बिगड़ जाता है।’’ गाजीपुर की सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री की यह भाषा थी. वह भूल गए कि अभी 2014 के लोकसभा चुनाव में वह 15 हज़ार करोड़ रुपये कॉर्पोरेट सेक्टर से काले धन को प्राप्त कर सत्तारूढ़ हुए थे. प्रधानमंत्री बड़ी ख़ूबसूरती से अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिए देशभक्ति और आतंकवाद से हर मुद्दे को जोड़ने का काम करते हैं. एक हजार व पांच सौ के नोट विमुद्रीकरण का मामला भी उन्होंने आतंकवाद और देशभक्ति से जोड़ दिया है. 85 % बड़े नोटों को वापस ले लेने के बाद राष्ट्रीयकृत बैंकों में जनता इन रुपयों को अपने खातों में जमा कर रही है. यह रुपया सेविंग अकाउंट में जितना जमा होगा उसके ऊपर बैंकों को जमाकर्ताओं को ब्याज देना पड़ेगा. जो एक भारी भरकम राशि होगी. बैंक की व्यवस्था यह होती है की जनता उसमें पैसा जमा करे और कम ब्याज प्राप्त करे. दूसरी तरफ बैंक बढ़ी दरों पर लोगों को कर्जा दें और वह कर्जा मय ब्याज के वापस हो. बैंक स्वस्थ रहेंगे. मोदी साहब के इस कार्यक्रम से बैंक रुपये बदलने के साथ-साथ अपने वहां जमा कराने का जो कार्यक्रम चल रहा है. उससे बैंक की पूरी की पूरी व्यवस्था नष्ट हो जाएगी और वह दिवालियेपन की और बढ़ेंगे. उपलब्ध आकंड़ों के अनुसार चार लाख करोड़ रुपया सरकारी बैंकों का एनपीए है. वसूली के लिए  द इंर्फोसमेंट ऑफ सिक्यूरिटी इंटेरेस्ट एंड रिकवरी ऑफ डेट्स लॉज एंड मिसलेनियस प्रोविजन्स (संशोधन) विधेयक, 2016 भी पारित हुआ किन्तु  मुख्य न्यायधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने रिजर्व बैंक से कहा है कि बैंक कर्ज नहीं चुकाने वाली कंपनियों की पूरी सूची उसे सीलबंद लिफाफे में उपलब्ध कराई जाए। इस मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई कर रही इस पीठ में मुख्य न्यायधीश के अलावा न्यायमूर्ति यूयू ललित और आर भानुमति भी शामिल हैं। पीठ ने जानना चाहा है कि बैंक और वित्तीय संस्थानों ने किस प्रकार से उचित दिशा-निर्देशों का पालन किए बिना इतनी बड़ी राशि कर्ज में दी और क्या इस राशि को वसूलने के लिए उपयुक्त प्रणाली बनी हुई है?

वहीँ, मोदी सरकार कंपनियों को दिया गया करीब 40,000 करोड़ रुपये का ऋण 2015 में बट्टे खाते में डाल कर अपनी स्वामी भक्ति का परिचय दिया है. मोदी साहब जिन कॉर्पोरेट सेक्टर के चंदे से या मदद से प्रधानमन्त्री बने हैं, वह हक़ अदा कर रहे हैं. जनता से उनका कोई लेना देना नहीं है. उनके इस निर्णयों से हज़ारों लोग मर चुके हैं और अगर बैंक डूब जायेंगे तो एक ही समय में रोयेंगे भी और हसेंगे भी.

देश को दिवालिया करने के बाद मोदी साहब जो उनसे सवाल पूछेगा उसे देश द्रोही घोषित कर देंगे क्यूंकि उनकी जिम्मेदारी संविधान के प्रति नहीं है. उनका विश्वास लोकतंत्र में नहीं है, वह हिटलर की समस्त नक़ल करते हैं. 
वहीँ, आज श्री वी एम प्रसाद ने श्री पंकज चतुर्वेदी की एक कविता भेजी है. जिसमें देशभक्ति देश को मोदी के अनुसार परिभाषित किया गया है. नयी परिभाषाएं देखिये यही सही है. 

तुम्हारी मेहरबानी: पंकज चतुर्वेदी

कॉर्पोरेट घरानों का
अरबों रुपये क़र्ज़
माफ़ करने से
जो बैंक औंधे मुँह गिरे
उन्हें नग़दी के
भारी संकट से
उबारने के लिए
तुमने दो सामान्य नोट
अचानक चलन से बाहर किये
और समूचे अवाम को
मुसीबत में डाल दिया
यों छोटे कारोबारियों, बिचौलियों
और जालसाज़ों से
जो हासिल होगा
काले धन का
कुछ हिस्सा
वह उस घाटे की
भरपाई के लिए
जो कॉर्पोरेट घरानों पर
तुम्हारी मेहरबानी का
नतीजा है
और जब कोई पूछता है :
यह अराजकता, तकलीफ़
और अपमान
हम किसके लिए सहते हैं
तो तुम कहते हो :
देश के लिए
जबकि सच यह है
कि पूँजीपतियों का सुख
और जनता का दुख
जिस कारख़ाने में
तुम बनाते हो
उसका नाम तुमने
देशभक्ति रखा है !

सुमन
लो क सं घ र्ष !

रविवार, 13 नवंबर 2016

किसान बर्बाद : मोदी का फेनाव जारी

नोट बंदी का असर दिखाई देने लगा है. सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव किसानो के ऊपर पड़ रहा है. गेंहू, आलू, सरसों की बुवाई का काम रुक गया है. किसानो के पास बीज व खाद खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं और जो रुपये हैं वह 500 और 1000 की नोटों में हैं. बैंक 4000 रुपये एक व्यक्ति के बदल रहा है. एटीएम में रुपया भरा ही नहीं जा रहा है. बैंक की शाखाओं में पर्याप्त मात्रा में रुपया मौजूद नहीं है. जिस कारण किसान को नगद करेंसी नहीं मिल पा रही है. दूसरी तरफ कोल्ड स्टोरेज में किसानों का आलू लगा हुआ है. ट्रक संचालित न होने के कारण आलू के दामों में बुरी तरह गिरावट आई है और कोई खरीददार नही है. केला खेत में लगा हुआ, परिवहन व्यवस्था संचालित न होने के कारण उसका भी कोई खरीददार नहीं है और किसान खून के घूँट पीकर मन-मसोस कर बैठा हुआ है. जब सरकार के पास करेंसी उपलब्ध नहीं है और बाजार में पर्याप्त मात्रा में करेंसी उपलब्ध कराने में दिसम्बर माह के अंत तक मामला जायेगा, तब-तक किसान, खेत-मजदूर की पूरी अर्थव्यवस्था नष्ट हो जाएगी. देश का 80 % किसान अपने-अपने क्षेत्रों में नगद रुपया उपलब्ध न होने के कारण अकर्मण्य की स्तिथि में हो गया है. काला धन कुछ मिले या न मिले लेकिन बहुसंख्यक किसान के पास आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नहीं बच रहा है. इस बात को केंद्र सरकार समझ नही पा रही है. 
वहीँ, देश के सर्वे-सर्वा झूंठ पर झूंठ और फेनाव दिखा कर जनता को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने आज गोवा में कहा कि देश के लिए मैंने घर-परिवार छोड़ा. मैं कुर्सी के लिए पैदा नहीं हुआ हूं. मोदी को जिंदा जला दोगे तो भी डरने वाला नहीं हूँ. यह बात पूर्णतया गलत है. संघ के लिए उन्होंने परिवार छोड़ा था और संघ के कार्यकर्त्ता जब बने तो पत्नी छोड़ी संघ के प्रचारक के लिए उस समय अविवाहित होना जरूरी था. विवाह की बात भी संघ से छिपाई गयी. झूंठ पर झूंठ बोलते रहना और कहना की  एटीएम 11 नवम्बर से काम करने लगेंगे जबकि वित्त मंत्री अरुण जेटली कह रहे हैं कि एटीएम 3 से 4 हफ्ते में सामान्य रूप से काम करेगा.
भाई प्रधानमंत्री जी आपको कौन जला देना चाहता है. इसका आपको खुलासा करना चाहिए और आप स्वयं सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं तो देश की जनता को आप क्या सुरक्षा देंगे. यह बातें मक्कारी पूर्ण हैं और प्रधानमंत्री पद की गरिमा के अनुरूप नहीं हैं. आपकी भाषा फेनाव वाली भाषा है जिसके ये उदाहरण हैं  'गोली मार देना' 'थप्पड़ मार देना' 'लात मार देना' 'फांसी चढ़ा देना' शब्द आपके मुहं से सुने जा रहे हैं । अब आप कह रहे हैं  कि 'जिन्दा जला दो'. यह किस स्कूल की भाषा है.
          जनता कितना परेशान है इसका अंदाजा आपको नहीं है दिल्ली में करेंसी बदलने के सवाल को लेकर एक नवयुवती नंगी हो गयी थी. शर्म आपको आनी नहीं है.  

सुमन 
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