चुनाव की पूर्व संध्या पर मध्य प्रदेश में ट्रेन में विस्फोट, कानपुर में संदिग्ध आतंकियों की धरपकड़, मणिपुर में विस्फोट व लखनऊ में सैफुल्लाह का एनकाउंटर होना यह दर्शित करता है कि सोची समझी रणनीति के तहत आतंकवाद की राजनीति को राजनीतिक लाभ उठाने के लिए हिस्सा बनाया गया है.
कथित आतंकी सैफुल्लाह के एनकाउंटर की मुख्य बात यह है कि सुबह पुलिस ने सैफुल्लाह से पूछताछ की थी. पुलिस, ID देखा था और जिस मकान में एटीएस ने यह ऑपरेशन किया है उसके दूसरे किरायेदार अब्दुल
कय्यूम और उसके बेटे के बीच झगड़े की सूचना पर पुलिस घटना के पांच घंटा
पहले ही आई थी। पुलिस ने यहां आकर पिता और पुत्र के बीच पंचायत की थी और
मामले को शांत कराया था। इतना ही नहीं पुसिस ने जाते-जाते दूसरे किरायेदार
के कमरे में भी झांक-झांककर देखा था और वहां मौजूद दोनों संदिग्ध आरोपियों
से भी पूछताछ की थी।
दूसरे किरायेदारों का कहना है कि पुलिस ने उनकी आईडी भी देखी थी। कय्यूम ने
बताया कि सुबह साढ़े नौ बजे बेटे से एक बात को लेकर उनका और उनके बेटे की
बीच झगड़ा हो गया था। इसके लेकर उन्होंने पुलिस कंट्रोलरूप को फोन किया।
कुछ देर बाद ही पीआरसी मौके पर पहुंच गई। यहां तक की काकोरी थाने से एक
दारोगा और सिपाही भी आ गए। कथित एनकाउंटर 7 मार्च को शाम को 4 बजे से प्रारंभ होता है और देर रात ढाई तीन बजे तक चलना यह भी बहुत सारी चीजों को संदिग्ध बनाता है.
इस बात से यह पुष्टि होती है कि पुलिस उसे पहचानती थी और दुबारा चार बजे पुलिस के पहुँचने पर दरवाजा बंद कर फायरिंग करने लगना यह अपराध शास्त्र के मनोविज्ञान के ही खिलाफ है.
आर डी निमेष कमीशन ने जब कचेहरी सीरियल बम विस्फोट कांड की जांच की थी तो कमीशन ने यह माना था कि तारिक काशमी व खालिद मुजाहिद आतंकी नहीं थे और उनकी गिरफ्तारी और बरामदगी को फर्जी माना था. कचेहरी सीरियल बम विस्फोट काण्ड में भी उत्तर प्रदेश एटीएस ने बहुत सारे स्वनाम धन्य आतंकी संगठनो से तार जोड़े थे.
वहीँ, "दलजीत सिंह , यूपी,एडीजी, कानून -व्यवस्था ,ने बताया की सैफ़ुल्लाह एंड
कंपनी का किसी भी बाहरी आतंकी संगठन से संबंध नहीं था, उनको बाहर से किसी
भी किस्म की मदद नहीं मिलती थी। प्रेस कॉंफ़्रेंस में अभी दिया गया यह बयान
बहुत ही महत्वपूर्ण है। इससे मीडिया और फेसबुक पर बटुकसंघ का प्रचार खारिज
होता है। इसका अर्थ यह है वे आईएसआईएस के साथ जुड़े नहीं थे।" - जगदीश्वर चतुर्वेदी की फेसबुक वाल से
इस बयान के आने के बाद अब जरूरत इस बात की है कि इन सभी प्रकारों की जांच माननीय उच्च न्यायलय के वर्तमान न्यायाधीश को आयोग का अध्यक्ष बना कर करायी जा.
रणधीर सिंह सुमन
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें