रविवार, 22 अक्तूबर 2017

राजीनीति जनसेवा का माध्यम है

पूर्व मंत्री फरीद महफूज़ किदवई संबोधित करते हुए 
बाराबंकी। राजनीति आज बदनाम जरुर हो गई है। परन्तु राजनीति एक अच्छा माध्यम है। जनसेवा व देशसेवा करने का। उक्त विचार प्रदेश के पूर्व राज्यमंत्री स्वतन्त्र प्रभार एंव वरिष्ठ समाजवादी विचारक हाजी फरीद महफूज किदवई ने गांधी भवन मे आयोजित स्वर्गीय गजेन्द्र सिंह की पांचवी पुण्यतिथि पर श्रृद्धाजंलि सभा में मुख्य वक्ता के तौर पर व्यक्त किये।
उन्होने आगे कहा कि आज राजनीति मे गजेन्द्र सिंह जैसे ईमानदार और बड़ी सोच रखने वाले जनप्रतिनिधि की कमी होती जा रही है। यह चिन्ता का विषय है, यह इसी का नतीजा है कि पहले लोग आदर एंव सम्मान के साथ नेता कहते थे। परन्तु अब किसी के प्रति अपशब्दो का प्रयोग करना हो तो उसे नेता कहकर पुकारते है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला बार पूर्व अध्यक्ष बृजेश दीक्षित ने कहा कि दादा गजेन्द्र सिंह किसी व्यक्तित्व का नाम नही, बल्कि विचारधारा का नाम है। जिसने भारतीय संस्कृति एंव उसकी विरासत का सुन्दर समागम पाया जाता है। आज देश को उनकी विचारधारा की बहुत आवश्यकता है।
कांग्रेस के प्रदेश महासचिव फवाद किदवई


गांधीवादी विचारक राजनाथ शर्मा ने कहा कि देश की राजनीति से सत्याग्रह की संस्कृति समाप्त हो चुकी है। यह लोकतन्त्र के लिए संकट की बात है और राजनीति पतन की ओर बढ़ती हुई हमारी राजनीति का संकेत है।
श्रृद्धाजंलि सभा को सम्बोधित करते हुये उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी महामंत्री फवाद किदवई ने कहा कि दादा गजेन्द्र सिंह का सम्बन्ध धर्म, जाति, वर्ग एंव आयु की सीमाओ के ऊपर उठ के था। वह सामाजिक समरसता व आपसी भाईचारे के प्रतीक थें तथा समाजवादी राजनीति के पक्षधर थे। वह बहु आयामी प्रतिभा के मालिक थे। उनसे नौजवान राजनीतिज्ञो को दीक्षा एंव प्रेरणा लेना चाहिए।
भाजपा के वरिष्ठ नेता केदार बक्श सिंह ने कहा कि व्यक्ति अपने कर्मो से महान होता है वंश से नही। उन्होने देश की गंगा-जमुनी सभ्यता को देश की धरोहर एंव विरासत बताते हुये कहा कि इसको सुरक्षित करने की जिम्मेदारी सबकी है।
स्मृति समारोह का एक दृश्य 
श्रृद्धाजंलि सभा में एडवोकेट बृजमोहन वर्मा, जिला बार अध्यक्ष सुरेन्द्र प्रताप सिंह बब्बन, डा0 हसन बेग, सेवानिवृत्त इंजी0 जहीनउल कदर, भाजपा वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रशान्त मिश्रा, आल इण्ड़िया पसमांदा मुस्लिम महाज प्रदेश अध्यक्ष वसीन राईन, राजेश मल्ल, उपेन्द्र सिंह, हुमायू नईम खान, राजेश प्रताप सिंह, बाबादीन यादव, धर्मेन्द्र यादव, रणधीर सिंह सुमन ने भी अपने विचार व्यक्त कर श्रृद्धाजंलि दी। इस अवसर पर जिला बार पूर्व उपाध्यक्ष कौशल किशोर त्रिपाठी, नवीन सेठ, कामरेड़, डा0 कौसर हुसैन, कदीर, रामनरेश, डा0 रिजवान अली, गुरसरन दास, विनयदास, गयादीन यादव, इस्माईल राईन, एडवोकेट भूपिन्दर पाल सिंह , मो0 अतहर, मुईद, विजय प्रताप सिंह, अतीकुर्रहमान, कर्मवीर सिंह, गौरी रस्तोगी मौजूद रहे।

- भूपिंदर पाल सिंह

1 टिप्पणी:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (24-10-2017) को
"दो आँखों की रीत" (चर्चा अंक 2767)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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