शुक्रवार, 6 अक्तूबर 2017

एनकाउंटर के नाम पर हत्याएं

 उत्तर प्रदेश में बिगडती हुई कानून व्यवस्था को सभालने के नाम 'स्वच्छ यूपी अभियान' सरकार ने जारी किया है सीएम योगी के निर्देश के बाद इस साल 1 अप्रैल से 14 सितम्बर 2017 तक कुल 420 मुठभेड़ हुई। आईजी एलओ एचआर शर्मा ने बताया, अब तक 15 कुख्यात बदमाशों को पुलिस ने मार गिराया है।
उसी अभियान के तहत  नोएडा में मुठभेड़ के दौरान सुमित गुर्जर को मार गिराने के मामले में सुमित के परिजन पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगा रहे हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए यूपी के मुख्य सचिव व डीजीपी को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा है।
3 अक्टूबर की रात ग्रेटर नोएडा में कथित मुठभेड़ के दौरान  सुमित गुर्जर को ग्रेटर नोएडा पुलिस ने मार गिराया गया था। सुमित समेत 7 बदमाशों पर 20 सितंबर की रात डकैती के दौरान 2 लोगों की हत्या व डकैती का आरोप था। वहीं बुधवार को सुमित के परिजनों ने फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाते हुए नोएडा में जाम लगाया था। इस मामले में गुरुवार को एनएचआरसी की तरफ से जारी किए प्रेस नोट में कहा गया है कि अगर पुलिस का एनकाउंटर जांच में फर्जी पाया गया तो यह मानव अधिकारों का उल्लंघन होगा।
नोएडा में  सुमित गुर्जर एनकाउंटर के बाद गांव चिरचिटा में माहौल पूरी तरह गर्मा गया है। पुलिस से खफा परिजनों ने सुमित के शव का तीसरे दिन भी देर शाम तक अंतिम संस्कार नहीं किया। बृहस्पतिवार को भी विभिन्न दलों के नेता गांव पहुंचे।
 सपा नेता अतुल प्रधान और भाजपा नेता मुखिया गुर्जर समेत दूसरे नेताओं ने कहा कि सुमित के खिलाफ एक भी मुकदमा कायम नहीं है। नोएडा पुलिस ने उसे कुख्यात बदमाश बताकर उसका एनकाउंटर नहीं, बल्कि हत्या कर दी।
  वैसे एनकाउंटरका खेल पुलिस पुराना खेल है जब कानून व्यवस्था भ्रष्टाचार के कारण चरमरा गई है तब जनता का ध्यान हटाने के लिए इस तरह का खेल शुरू होता है सुमित गुर्जर के मामले में भी यही हुवा है  कि घर से पकड़ कर एनकाउंटर कर दिया गया है पुलिस के एक सी ओ जो  सेना कि सेवा के बाद बने थे और वह अपनी वीरता के किस्से जबरदस्ती सुनाते थे एक बार गोरखपुर में हाथी  पागल हो गया था तब उसको मारने के लिए सी ओ  साहब ने कई राउंड फायर किया और  हाथी भाग गया एक भी गोली उसको छुई नही थी 
अभी हाल में भारत सरकार के 30 सितंबर 2017 के राजपत्र में राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना में  मध्य-प्रदेश में नियुक्ति आईपीएस अधिकारी धर्मेंद्र चौधरी का पुलिस वीरता पदक रद्द करते हुए उसे जब्त करने के लिए कहा गया है. दरअसल सन् 2002 में झाबुआ जिले में मोस्ट-वॉंटेड अपराधी लोहार को मार गिराने पर भारत सरकार ने 15 मई 2004 को धर्मेंद चौधरी को वीरता पुरस्कार से नवाजा था. वही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जांच में इस मुठभेड़ का गलत बताया है.
हत्याओ का दौर जारी रहेगा- ईनाम, पुरुस्कार व प्रमोशन के लालच में घरो से पकड़ कर एनकाउंटर होते रहेगे . लूट ,हत्या ,डकैती ,बलात्कार बंद करना है तो योगी साहब पुलिस का भ्रष्टाचार बंद करना होगा
अभी हाल में एक आई जी स्तर के अधिकारी के मामले में जो लीपापोती कि गई है वह कानून व्यवस्था  कायम करने की ईच्छाशक्ति को प्रदर्शित  नही करता है
सुमन
लो क सं घ र्ष !

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