एक औसत दर्जे के फिल्म अभिनेता से राजनेता बने काँग्रेस के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर अपने निहित स्वार्थो तथा अपने पाल्य ठेकेदारोँ - दलालोँ की कमाऊ गतिविधियोँ के चलते उत्तर प्रदेश मेँ काँग्रेस की जडोँ मेँ मट्ठा डालने के कार्य मेँ पूरे मनोयोग से लगे हैँ , ऎसा लगता है । हालिया दिनोँ की कुछ घटनाएँ इसकी गवाही दे रही हैँ जिसमेँ निकाय चुनाव मेँ लेनदेन के झगडे के बाद प्रदेश अध्यक्ष द्वारा तत्कालीन जिलाध्यक्ष को हटाकर मनोनीत किए गए नये जिलाध्यक्ष आशीष कुमार सिँह ने नैतिकता की सारी हदेँ लाँघते हुए सहकारी बैँक के चुनाव मेँ भाजपा समर्थित प्रत्याशी व भाजपा के विधायक आशीष सिँह आशू का प्रस्तावक बनकर यह साबित कर दिया कि काँग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को ऎसे लोग ही ज्यादा पसन्द आते हैँ जो उनके कमाऊ और ठेकेदार करीबी लोगोँ की पसन्द होते हैँ ।
निकाय चुनावोँ भेँ टिकट के लिए लेनदेन के मामले मेँ विवाद और हरदोई के टिकटार्थियोँ और कार्यकर्ताओँ के साथ प्रदेश अध्यक्ष की कमाऊ टोली के साथ हुई मारपीट के बाद हरदोई के तत्कालीन जिलाध्यक्ष राजीव सिंह को आनन फानन मेँ पदमुक्त कर नया जिलाध्यक्ष बनाया गया था । सूत्र बताते हैँ कि नये जिलाध्यक्ष के नाम की सँस्तुति उस शख्स ने की थी जो प्रदेश अध्यक्ष को लखनऊ मेँ आवास उपलब्ध कराकर प्रदेश पदाधिकारी बना है । उसकी बात टालना प्रदेश अध्यक्ष के लिए सम्भव नहीँ था लेकिन उस सिफारिशी जिलाध्यक्ष ने सहकारी बैँक चुनाव मेँ भाजपा विधायक का प्रस्तावक बनकर यह साबित कर दिया कि ठेकेदारोँ और दलालोँ द्वाया प्रदेश अध्यक्ष को घेरे मेँ लेकर चलाई जा रही प्रदेश काँग्रेस मेँ राजनीतिक नैतिकता की अर्थी उठाया जाना अब आम बात होगी जनता पर इसका कोई असर पडे ।
खैर यह खबर आम होने के बाद प्रदेश काँग्रेस की और से लीपापोती की कवायद शुरू कर दी गयी है । जिसके तहत् उत्तर प्रदेश काँग्रेस कमेटी की अनुशासन समिति की और से पूर्व विधायक फजले मसूद ने हरदोई के मौजूदा भाजपा प्रेमी जिलाध्यक्ष को दो फरवरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है । अब देखना यह है कि यह जिलाध्यक्ष प्रदेश अध्यक्ष की ठेकेदार टोली से फिर से साध कर कार्रवाई से बच पाता है या इसके खिलाफ सच मेँ कार्रवाई की जाती है ।
भूपेन्दर पाल सिंह
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