जिंदा शहीद कहे जाने वाले व ग़दर पार्टी के संस्थापक सदस्यों में बाबा पृथ्वी सिंह आजाद साम्यवादी विचारधारा से ओत-प्रोत देश के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक रहे हैं. अंदमान की सेलुलर जेल से रिहा होने के बाद भी क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल रहे. वहीँ, अंडमान जेल से माफ़ी मांग कर सावरकर अंग्रेजी साम्राज्यवाद के लिए काम करने लगे थे.
शहीद भगत सिंह ने चंद्रशेखर आजाद से कहा था कि पृथ्वी सिंह आजाद से कहो कि वह आगे के प्रशिक्षण के लिए सोवियत यूनियन जाकर महान क्रांतिकारी लेनिन से मिलें और देश को आजाद कराने की लड़ाई को तेज़ किया जाए. बाबा पृथ्वी सिंह आजाद अफ़ग़ानिस्तान के रास्ते से पैदल सोवियत यूनियन गए और वहां प्रशिक्षण और वहां की समाजवादी व्यवस्था का अध्ययन करके स्वदेश वापस लौटे. अल्फ्रेड पार्क में जब चंद्रशेखर आजाद की मुठभेड़ ब्रिटिश सरकार से हो रही थी तब भी बाबा पृथ्वी सिंह आजाद उनके साथ थे और चंद्रशेखर आजाद के कहने पर वहां से चले गये थे.
बाबा पृथ्वी सिंह आजाद को लाहौर षड्यंत्र केस में फांसी की सज़ा सुने गयी थी जिसे बाद में उम्र कैद में बदल दिया गया था. उन्हें आज़ादी की लड़ाई में कई बार जेल जाना पड़ा और वह जिंदा शहीद कहलाये. आज़ादी के बाद भारत सरकार ने पद्म भूषण से पुरस्कृत किया उनकी 'लेनिन के देश में' नामक पुस्तक बहु चर्चित पुस्तकों में से एक है. पृथ्वी सिंह आजाद आजादी के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्यालय अजय भवन में जीवन पर्यंत रहे.
रणधीर सिंह सुमन
लो क सं घ र्ष !
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