कोविड नियं
त्रण में असफ़लता से ध्यान हटाने और विभाजन की राजनीति को परवान चढ़ाने को तोड़ी गयी
भयंकर रूप ले चुकी कोविड महामारी के इस दौर में जब सरकार और प्रशासन की सम्पूर्ण शक्ति लोगों के जीवन की रक्षा में लगनी चाहिये, भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार अपने विभाजनकारी एजेंडे को धार देने में जुटी है और कोरोना के खिलाफ चल रही जंग को कमजोर कर रही है।
बाराबंकी जनपद के रामसनेही घाट तहसील स्थित दशकों पुरानी गरीब नवाज मस्जिद को उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना और कानूनी तरीके से कानून की धज्जियां बिखेरते हुये जिस तरीके से ढहाया गया यह इस बात का सबूत है कि उत्तर प्रदेश की सरकार को न तो अपने नागरिकों के जीवन की रक्षा से कोई सरोकार है न ही उसे कानून, संविधान और न्यायपालिका की विश्वसनीयता की कोई फिक्र। वह आपदकाल में भी राजनैतिक अवसरवाद के घेरे से बाहर नहीं निकल पा रही है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की उत्तर प्रदेश राज्य काउंसिल भाजपा सरकार के निर्देशन में निष्पन्न इस घटिया कार्यवाही की कड़े शब्दों में निन्दा करती है। भाकपा माननीय उच्च न्यायालय से अपील करती है कि मामले की अपनी निगरानी में जांच करा के दोषियों को अपराध के अंजाम तक पहुंचाएं।
ज्ञात हो कि माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद ने कोविड से फैली मारामारी को देखते हुये किसी भी ढांचे को ध्वस्त करने पर रोक लगा रखी है। लेकिन बिना किसी वाजिब अर्जेंसी के बाराबंकी प्रशासन ने मस्जिद को ढहा कर आकाओं की सामाजिक विभाजन और कोरोना के नियंत्रण में असफलता को छिपाने की मंशा को पूरा किया। इसी मंशा के तहत कुछ दिनों पहले बजरंगदल की ख्वाहिश को पूरा करने को महोबा की मदीना मस्जिद को ढहाया गया तथा मथुरा और काशी के विवादों को बार बार पुनर्जीवित किया जा रहा है। सरकार के निकम्मेपन से ध्यान हटाने को हर संभव हथकंडा अपनाया जा रहा है।
यह बेहद चिंताजनक और खतरनाक है। भाकपा सभी लोकतांत्रिक शक्तियों, पार्टियों और शख्सियतों से अपील करती है कि वे आपदा में अवसर तलाशने की भाजपा सरकार की कारगुजारियों के खिलाफ आवाज उठायें। मानवता और सौहार्द की रक्षा के लिए अपनी शक्ति को सार्थकता प्रदान करें।
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