बुधवार, 17 जनवरी 2024

राजा की सफलता का रहस्य-अनूप मणि त्रिपाठी

राजा के पास एक बोलने वाला तोता है। जब राजा के पास सिंघासन नहीं था, तब से यह तोता उसके साथ है। पूरे राज्य में राजा सिर्फ अपने तोते पर ही विश्वास करता था और एकांत में अपने दिल की सभी बातें उससे करता। राजा तोते से सच बोलता तो तोता भी राजा से सच्ची बात करता। अभी राजा अपने बोलने वाले तोते से बात कर रहा है। ' बिना कुछ किए हुए इतने बरसों से मैं राजा क्यों हूं!' राजा ने तोते से पूछा। 'आपने धर्म का राजनीतिकरण किया है! सिंपल है...' तोते ने जवाब दिया। 'वो तो पहले वालों ने भी किया!' राजा तोते को पुच्च करते हुए बोला। 'आपके पास ताकत है... विशाल संगठन है...योजना है...युक्ति है... अकूत खजाना है...' तोता जितना सोच सकता था,उसने सोचा। 'वो तो पहले वालों के पास भी था...' राजा ने तोते की चोंच को सहलाया। 'आप घटिया हैं...' तोते ने एक बार फिर कोशिश की। 'पहले वाले भी कम घटिया नहीं थे...' राजा हंसा। 'फिर!' तोता सोच में पड़ गया। 'मेरी सफलता के पीछे कहानियां हैं!' राजा ने अपने निरापद शासन का रहस्य उजागर किया। 'पहले राजा के पास भी कहानियां थीं!' तोता तड़ से बोला। 'थीं तो...मगर उनको सुनानी कहां आती थी!' तोता चुप हो गया। -अनूप मणि त्रिपाठी

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