मंगलवार, 3 दिसंबर 2024
बिजली का निजीकरण - उ प्र सरकार भारत सरकार के रुपयों को सेठों को देने के लिए कटिबद्ध
बिजली का निजीकरण - उ प्र सरकार भारत सरकार के रुपयों को सेठों को देने के लिए कटिबद्ध
उ प्र बिजली कर्मचारी संघ ने निजीकरण का किया कडा विरोध
उ प्र में बिजली दरें बढ़ाने की तैयारी, 20 फीसदी तक हो सकती है महंगी
उ प्र में बिजली की दरें बढ़ाई जा सकती हैं. वह भी करीब 20 फीसदी तक. उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग में इस तरह का प्रस्ताव दिया है. कंपनियों ने बीते 30 नवंबर को वर्ष 2023 -24 का ट्रू-अप और वर्ष 2025-26 की वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) यानी बिजली दर का मसौदा सौंप दिया है. इसमें लगभग एक लाख 16 हजार करोड़ की वार्षिक राजस्व आवश्यकता बताई गई है. मसौदे में वर्ष 2025-26 के लिए एक लाख 60 हजार मिलियन यूनिट बिजली की जरूरत दाखिल की है. इसमें कुल बिजली खरीद की लागत लगभग 92 हजार से लेकर 95 हजार करोड़ के बीच अनुमानित है.महंगी हो सकती है बिजली कंपनियों की तरफ से आरडीएसएस की वितरण हानियां 13.25 प्रतिशत को ही आधार माना गया है. सभी बिजली कंपनियों का गैप यानी कुल घाटा वर्ष 2025 -26 के लिए जो आंकलित किया गया है, वह लगभग 12,800 से 13000 करोड़ के बीच है.जब कि उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन ने बिजली दर का प्रस्ताव तो नहीं दिया, लेकिन घाटे की भरपाई विद्युत नियामक आयोग पर छोड दी है. कहने का मतलब है कि अगर घाटे के एवज में विद्युत नियामक आयोग फैसला लेगा तो दरों में लगभग 15 से 20 प्रतिशत बढ़ोतरी होगी.बिजली कंपनियों पर सरप्लस निकल रही ये धनराशि पावर कॉरपोरेशन की मंशा अगर साफ थी तो उसे वार्षिक राजस्व आवश्यकता में नो टैरिफ हाईक लिखना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया. क्योंकि वह चोर दरवाजे से दरों में बढोतरी चाहता है जानकारों का कहना है बिजली कंपनियों व पावर कारपोरेशन ने बहुत चालाकी से वर्ष 2025-26 की वार्षिक राजस्व आवश्यकता में प्रदेश के उपभोक्ताओं का जो बिजली कंपनियों पर लगभग 33,122 करोड़ सरप्लस निकल रहा था, उसके एवज में दरों में कमी का कोई भी प्रस्ताव नहीं दिया.
पीपीपी मॉडल का भी जिक्र नहीं चौंकाने वाला मामला यह है कि प्रदेश के 42 जनपद वाले दक्षिणांचल व पूर्वांचल का जो निजीकरण के लिए पीपीपी मॉडल का फैसला लिया गया है, उसके बारे में भी वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) में कोई जिक्र नहीं किया गया है. कल विद्युत नियामक आयोग में वार्षिक राजस्व आवश्यकता के खिलाफ विरोध प्रस्ताव दाखिल किया जाएगा.बोर्ड आफ डायरेक्टर को बर्खास्त करने की मांग:दक्षिणांचल व पूर्वांचल बिजली कंपनियों का पीपीपी मॉडल के तहत निजीकरण किए जाने के मामले में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की तरफ से विद्युत नियामक आयोग में एक लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल किया गया है. विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 19 व 20 के तहत तत्काल दक्षिणांचल व पूर्वांचल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर को बर्खास्त करते हुए प्रशासक नियुक्त करने की मांग उठाई गई है. वर्तमान में पावर कॉरपोरेशन लाइसेंसी नहीं है और न ही उसकी कोई लीगल आइडेंटी है. यूपीपीसीएल की तरफ से दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम, जिसे लाइसेंस विद्युत नियामक आयोग ने दिया है, उसका पीपीपी मॉडल पर दिए जाने का निर्णय असंवैधानिक है. अभी तक दोनों बिजली कंपनियों के एजीएम की तरफ से पारित बोर्ड ऑफ डायरेक्टर का कोई प्रस्ताव भी नहीं सामने आया है. इसका मतलब की लाइसेंस प्राप्त कंपनी उद्योगपतियों के इशारे पर काम कर रही है. ये प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के साथ एक धोखा है, जो रेगुलेटरी फ्रेमवर्क का उल्लंघन है.
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