सोमवार, 16 दिसंबर 2024
नरेन्द्र दामोदर मोदी के झूठ का पिटारा
नरेन्द्र दामोदर मोदी के झूठ का पिटारा
रेंद्र मोदी का पहला झूठ: साल 1947 से 1952 के बीच कोई चुनी हुई सरकार नहीं थी और गैर-कानूनी संशोधन लाए जा रहे थे।
खरगे जी ने बताया सच: मोदी जी, नेहरू जी के खिलाफ नफरत में इतना बह गए कि उन्होंने संविधान सभा, अंतरिम सरकार और अंतरिम संसद पर सवाल खड़ा कर दिया, जबकि इन सभी में श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी शामिल थे।
नरेंद्र मोदी का दूसरा झूठ: 1951 में जब चुनी हुई सरकार नहीं थी, तब नेहरू जी ने अध्यादेश लाकर संविधान बदला।
खरगे जी ने बताया सच: संविधान का पहला संशोधन प्रोविजनल पार्लियामेंट ने किया था। प्रोविजनल पार्लियामेंट के सदस्य संविधान सभा के ही सदस्य थे, जिनमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी शामिल थे।
• ये संशोधन इसलिए किया गया, ताकि पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिया जाए और जमींदारी उन्मूलन हो सके। क्योंकि उस वक्त मद्रास स्टेट के आरक्षण के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया था।
• संशोधन करने का दूसरा पक्ष यह भी था कि इससे SC-ST, OBC वर्ग को शिक्षा और रोजगार का आरक्षण मिल सकेगा। इस संशोधन का तीसरा पक्ष यह भी था कि इससे साम्प्रदायिक दुष्प्रचार रोका जा सकेगा।
• यही नहीं, इस बारे में 3 जुलाई, 1950 को सरदार पटेल जी ने पंडित नेहरू जी को पत्र लिखकर संविधान संशोधन को ही समस्या का हल बताया था।
• मोदी जी ने अपने भाषण में नेहरू जी द्वारा मुख्यमंत्रियों को लिखे गए पत्र का जिक्र किया, जिसमें तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। इसके लिए उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए।
• इस संशोधन के पक्ष में खुद बाबासाहेब आंबेडकर जी ने दो घंटे तक सदन में चर्चा की थी।
नरेंद्र मोदी का तीसरा झूठ: सरदार वल्लभभाई पटेल जी की जगह पंडित जवाहरलाल नेहरू जी खुद प्रधानमंत्री बने।
खरगे जी ने बताया सच: 1946 के कैबिनेट मिशन प्लान के तहत कांग्रेस ने एग्जीक्यूटिव काउंसिल में नेहरू जी को वाइस प्रेसिडेंट बनाया था, इसीलिए उन्होंने 1947 में अंतरिम सरकार का नेतृत्व किया। देश का पहला आम चुनाव 1951-52 में हुआ, जिसके बाद नेहरू जी प्रधानमंत्री बने, तब सरदार पटेल जी इस दुनिया में नहीं थे।
सरदार पटेल जी ने 14 नवंबर, 1950 को नेहरू जी के जन्मदिन पर लिखे बधाई पत्र में लिखा था कि:
"कुछ स्वार्थ प्रेरित लोगों ने हमारे विषय में भ्रांतियां फैलाने की कोशिश की हैं और कुछ भोले व्यक्ति उस पर विश्वास भी कर लेते हैं। लेकिन वास्तव में हम लोग आजीवन बंधुओं की भांति साथ काम करते रहे हैं। अवसर की मांग के अनुसार हमने परस्पर एक-दूसरे के दृष्टिकोण के मुताबिक अपने आप को बदला है और एक-दूसरे के मतभेदों का भी सम्मान किया है, जैसा कि गहरा विश्वास होने पर ही किया जाता है।"
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1 टिप्पणी:
मोदी को झूठों का सरदार कहा जायेगा
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