शनिवार, 25 जनवरी 2025
इजरायली नरसंहार और टाटा घराना-जगदीश्वर चतुर्वेदी
इजरायली नरसंहार और टाटा घराना
सुनने में अटपटा लगता है लेकिन हकीकत है कि टाटा घराने का इजरायली नरसंहार से अप्रत्यक्ष संबंध है।यहबात उनके लिए ख़ासतौर पर पीड़ादायक हो सकती है जो रतन टाटा के मरने पर आंसू बहा रहे थे।अमीरों के लिए आंसू बहाना और उनकी प्रशंसा में कसीदे पढ़ना भारत में लंबे समय से चला आ रहा है।पहले हमारे यहां समाज का एक तबका राजाओं की प्रशंसा करता था,अब अमीरों की प्रशंसा करता है।कभी हम ठहरकर सोचते नहीं हैं कि अमीरों ने,खासकर कारपोरेट घरानों ने हमें क्या दिया है ? किस तरह के जीवन मूल्य पैदा किए हैं ?खासकर उस संदर्भ को एकदम नहीं देखते तो जब कारपोरेट घराने ,टाटा या अम्बानी या अदानी बर्बरता के पक्षधरों के साथ खड़े होते हैं।यहां मैं सिर्फ उन्हीं पहलुओं तक सीमित रखूँगा जो इजरायल और टाटा समूह से जुड़े हैं।
यह सच है टाटा समूह की भारतीय पूंजीवाद के विकास में केन्द्रीय भूमिका है लेकिन इस समूह की दक्षिणपंथी राजनीति और साम्प्रदायिकता के विकास में भी केन्द्रीय भूमिका है।इस प्रसंग में रतन टाटा की मृत्यु पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दिए बयान का उल्लेख करना समीचीन होगा।मोदी ने लिखा कि मैं जब गुजरात का मुख्यमंत्री था तो उस समय नियमित तौर पर रतन टाटा से मिलता रहता था।याद करें सन् 2002 के गुजरात के दंगों को । टाटा से नियमित मेल-मुलाकात का क्या कोई असर हुआ मोदी पर ? रतन टाटा ने खुलकर आरएसएस के कार्यक्रमों में मोहन भागवत के साथ शिरकत की।इसी टाटा समूह का इजरायली यहूदीवादी कट्टरपंथी लॅाबी से गहरा याराना है।टाटा तमाम किस्म के दान-धर्मादा के कामों के आवरण में अपने शोषण और दक्षिणपंथी अपराधों को छिपाते रहे हैं।
टाटा समूह ने इजरायली बर्बर प्रशासन को फिलीस्तीनी जनता के जनसंहार में प्रयोग में लाए जाने वाले तमाम किस्म के सॅाफ्टवेयर और शस्त्र सप्लाई किए हैं।इसके अलावा टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने इज़रायल को फिलीस्तीनी जनता और उनकी संरचनाओं की जासूसी करने के लिए अपनी सेवाएं प्रदान की हैं।क्या इजरायल की जनसंहारक भूमिका की अनदेखी करना सही होगा ? हमें इस सवाल पर भी विचार करना चाहिए कि भारतीय पूंजीपति अपने मुनाफों के लिए इजरायली बर्बरता और नरसंहार को समर्थन क्यों दे रहे हैं ? पिछले दिनों न्यूयार्क शहर में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के ख़िलाफ़ फिलीस्तीनी समूहों-संगठनों ने बायकाट का आह्वान किया था।यह आंदोलन ‘सलाम’ ने संगठित किया था।उनकी माँग थी कि टाटा अपने यहूदीवादी इज़रायल से सभी संबंध उजागर करे।इनकी संस्था TCS की जनसंहारक इस्रायल के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका है।वे इज़रायल के शस्त्र उद्योग निर्माण में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।इसके अलावा इज़रायल के विभिन्न सरकारी डिजिटल प्रकल्पों में ,जिनमें प्रकल्प निम्बस भी शामिल है।इसके अलावा इज़रायल सरकार,रक्षा मंत्रालय और सेना के लिए क्लाउड स्टोरेज प्रदान करने में टाटा समूह की केन्द्रीय भूमिका है।निम्बस प्रकल्प में काम करने वाले अमेजन और गूगल के कर्मचारियों ने इजरायली बर्बरता के ख़िलाफ़ बगावत की है।उल्लेखनीय है कि TCS की इजरायली बैंकों ,मंत्रालयों आदि के साथ पार्टनरशिप है।इसी तरह टाटा कंपनी TASL टाटा एडवांस सिस्टम लिमिटेड का इरायली एयरो स्पेस इंडस्ट्री (IAI) के साथ सन् 2008 से व्यापारिक समझौता है।उल्लेखनीय है इज़रायल के साथ सामान्य संबंध बनाने की प्रक्रिया सन् 1992 से आरंभ हुई थी। इसका श्रीगणेश नरसिंहाराव सरकार ने किया था,इसके बाद से इज़रायल के साथ भारत की कंपनियों का विभिन्न क्षेत्रों - इजरायली टैक्नोलॅाजी ,रक्षा,कृषि,साइबर सुरक्षा,जल संरक्षण आदि -में सहयोग और संबंध है।नरेन्द्र मोदी के सत्ता में आने के बाद शस्त्र उद्योग,शिक्षा,तकनीकी आदि के क्षेत्र में समझौता हुआ है।
इन दिनों परिस्थितियां यह हैं कि भारत-इजरायल के बीच में शस्त्रों की खरीद-फरोख्त में 46प्रतिशत इजरायली हथियारों का उत्पादन हो रहा है।यह हथियार कारखाने सारे देश में काम कर रहे हैं।इन हथियारों में लैंड रोवर भी शामिल है।यह शस्त्र वाहन है।इस वाहन का फिलीस्तीनी ज़मीन पर कब्जा करने,पेट्रोलिंग करने ,हमला करने के लिए व्यापक इस्तेमाल किया जा रहा है।उल्लेखनीय है टाटा समूह जगुआर लैंड रोवर अॅाटोमोटिव PLC कंपनी का मालिक है।जो लैंड रोवर बनाता है।विभिन्न फिलीस्तीनी समूह इस कंपनी और टाटा समूह के ख़िलाफ़ प्रतिवाद कर रहे हैं।तकरीबन बीस फिलीस्तीनी संगठनों ने मिलकर टाटा समूह के ख़िलाफ़ मैनहट्टन में प्रतिवाद किया।उल्लेखनीय है कि टाटा समूह 19वीं शताब्दी में अफ़ीम का व्यापार करता था।कालांतर में में किसानों की बड़े पैमाने पर ज़मीन हड़पने,सरकार को ठगने, किसानों और आदिवासियों को बेदख़ल करने में बड़ी भूमिका रही है।TCS कंपनी की सन् 2005 में स्थापना की गई और इस कंपनी ने सन् 2022 में अपने इजरायली धंधे की जिम्मेदारी का मुखिया चेन कामेर को बनाया। यह व्यक्ति इजरायली की स्पेशल सेना का चार साल तक कमांडर था।यह इज़रायल की श्रेष्ठ सैन्य यूनिट मानी जाती है।
चेन कामेर को बीस साल का टेक इण्डस्ट्री का अनुभव है।उसे 15 साल से अधिक समय का TCS में अनुभव है।इसमें भी TCS के न्यूयार्क स्थित कारपोरेट अॅाफिस में काम करने का उसे आठ साल का अनुभव है।TCS के यरुसलम स्थित पेताह टिकवाह स्थित अॅाफिस में तक़रीबन 1000कर्मचारी काम करते हैं।यह कंपनी विभिन्न क्षेत्रों में इज़रायल की मदद करती है।
उल्लेखनीय है कि टाटा की कंपनी टीसीएस TCS को अमेरिका में अपने कामकाज को चलाने के लिए ,ख़ासकर न्यूयार्क में काम चलाने के लिए बड़ी संख्या में H1-B वीसा दिया जाता है।वहां से यह कंपनी इज़रायल की सैन्य मदद करती है।
टाटा की TCS के पास इजरायल के सैन्य,बैंकिंग, जल, डिजिटल,क्लाउड आदि क्षेत्रों की जिम्मेदारी है।TCS के पास दुनिया के 55 देशों में 614,000 कर्मचारी हैं।यह कंपनी सालाना 27.9विलियन डॅालर कमाती है।
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1 टिप्पणी:
धर्म, जाती, वर्ग, राष्ट्रीयता के भी ऊपर अलगावका एक भेद पूरे विश्वमे कार्यान्वित है. उसका नाम है वंशवाद! मानवता मे कोई भेदभाव नही होता. वामपंथी विचारधारा इस मानवता का अनुसरण करती है. दक्षिणपंथी वर्गमे मानवता की जगह वंश लेता है. दुनियाभरके संघर्ष वंशवादपर डटे रहते है. असलियतमे इन वामपंथ और दक्षिणपंथ का बटवारा गरीबी और इलाईट क्लासके कारण है. दो सौ साल पहले इंडस्ट्रियल क्रान्तीके साथ इनका निर्माण हुआ. राजनीतीमे उसी समय बदलाव आये. फ्रान्स राज्यक्रान्ती हुयी और राजनैतिक गलियारोमे इन पंथोंका आगमन हुआ. इलाईट वर्ग दक्षिणपंथी और गरीब वामपंथी बन गये. अब ये इलाईट क्लासवाले अपने धनवान होनेका संबंध वंशसे जोडने लगे. भारत मे वर्णव्यवस्था कर्मोपर आधारित थी. उच्चवर्ण कहलानेवाले सभी दक्षिणपंथी बन चुके और गरीब वामपंथी बन गये.
भारतमे यहुदी धर्मके लोग मायग्रेट होनेके बाद उनकी यहुदी पहचान गई और उन्हे पारशी/फारशी कहने लगे. वो ईरानसे मायग्रेट होकर आये थे. लेकीन उन्हे वो यहुदी वंशके है इसकी जानकारी थी. दूसरी तरफ भारतमे मायग्रेट होकर आये उसी वंशके लोग खुदको आर्य-ब्राह्मण कहलाते थे लेकीन मूलतः वो भी यहुदी धर्मके थे. इसलिए भारतमे ब्राह्मण और पारशीयोंका मेल जमता है. वो वंश/धर्मके बदौलत.
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