अठरी के... कसम भइया! इत्ते चलन मा बोल गए बाबा! जे पर्ची खींच-खींच के दूसरन का भविष्य बतावत रहे, ऊ खुद दुई कदम चलतै लो बैटरी हो गए ! दूसरन का भाग्य देखन से पहले तनिक अपनौ देख लेवत, पर्ची मा लिखा होत – 'आराम कर बाबा!' आगे रास्ता मा बुखार खड़ो है
-अनीता मिश्रा
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