मंगलवार, 14 अक्टूबर 2025

कितने ऐसे हैँ, जो प्रान्त प्रचारक जी को अपनी अनुपस्थिति में अपने घर आने दे सकते हैँ? - राजीव नयन बहुगुणा

केरल में आत्म घात करने वाले इंजिनियर युवक के खुलासे से मैं सिहर उठा हूं. कोर्ट ने दो वयस्को के बीच सम लैंगिक संबंधों को अपराध मुक्त किया है. बच्चों के यौन शोषण को नहीं. आत्म घाती युवक ने खोला है कि संघ की शाखा में उसके साथ चार पांच साल की उम्र से बलात्कार / यौन शोषण होता रहा है, जिस वजह से वह स्थायी अवसाद में चला गया, और अपने जीवन को मिटा रहा है. संघ परिवार में मेरे अनेक दोस्त हैँ. कोई सफाई या तर्क न दें. सिर्फ़ यह बताएं कि उनमे से कितने अपने बच्चोँ को संघ की शाखा में भेजते हैँ ? कितने ऐसे हैँ, जो प्रान्त प्रचारक जी को अपनी अनुपस्थिति में अपने घर आने दे सकते हैँ?

सोमवार, 13 अक्टूबर 2025

मौलाना कल्बे जव्वाद साहेब पर हमला

लखनऊ के पुराने शहर में सोमवार शाम बड़ा हंगामा देखने को मिला, जब शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद पर अवैध निर्माण के विरोध के दौरान हमला हो गया। घटना थाना ठाकुरगंज क्षेत्र के कर्बला अब्बास बाग की है, जहां मौलाना अवैध कब्जे की शिकायतों की स्थिति देखने पहुंचे थे। इसी दौरान भूमाफियाओं ने पुलिस की मौजूदगी में मौलाना की गाड़ी पर हमला कर दिया। इसके बाद मौलाना, दिगर उलमा और अंजुमन हाय मातमी के सदस्य मौके पर धरने पर बैठ गए। उन्होंने पुलिस पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि स्थानीय पुलिस संरक्षण में ही अवैध निर्माण हो रहा है। घटना से इलाके में तनाव फैल गया।

योगी सरकार की अंतरराष्ट्रीय आतंकी को सलामी

देवबंद का तालिबान प्रेम.... अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुत्तक़ी का भारत दौरा जितना चौंकाने वाला है, उतना ही सरप्राइजिंग है दारुल उलूम देवबंद में उसका प्रवेश और वहां हुआ उसका भव्य स्वागत... दरअसल मुत्तकी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी है। वह सुरक्षा परिषद की विशेष अनुमति के बाद ही भारत आ सका...भारत में उसको सरकार द्वारा स्टेट गेस्ट की हैसियत और प्रोटोकॉल दोनों दिया.. यह सरकार के स्तर का मामला है, सरकार की कूटनीति का उत्पाद है...हालांकि भारत सरकार ने अभी तक तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है अलबत्ता पूर्ण दूतावास खोलने की घोषणा ज़रूर की है..हो सकता है डिप्लोमेटिक रिश्तों को गर्माहट देने का यह प्रारंभिक चरण हो। ख़ैर, सरकार की अपनी नीतियां होती हैं...उस आधार पर डिप्लोमेटिक रिलेशन बनते बिगड़ते रहते हैं। लेकिन सवाल यहां भारतीय मुसलमानों के सियासी शऊर को लेकर उठता है...बदनाम ए ज़माना तालिबान, जिसको अभी तक दुनिया ने मान्यता नहीं दी, ख़ुद भारत ने नहीं दी, उसके सफीर को चाहे स्टेट गेस्ट का दर्जा दिया गया हो, लेकिन देवबंद का ज़मीर कितना गिर गया कि उसके लिए लाल कार्पेट बिछा दिया, उलमा, तुलबा और आवाम का हुजूम उमड़ पड़ा उसकी एक झलक देखनें को, मुसाफ़ा करने को.. सेल्फी लेने को... क्या सोचकर किया यह सब...? मौलाना मदनी के अंदर का जोश छलक छलक जा रहा था। क्या रिश्ता है आपका उस संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी से....यही न कि आपका थॉट आपका मसलक तालिबान भी मानता है...इसी बात को मुत्तकी ने सार्वजनिक किया...और आप डिनाय न कर सके। आपने उसपर गुलाब के फूलों की बारिश की...मानो बिछड़ा भाई घर आया हो... होना तो यह चाहिए था कि उसको दारुल उलूम में घुसने न दिया जाता...ज़्यादा डिप्लोमेसी की मांग थी तो बाहर चार उलमा मुलाकात कर आते...लेकिन आपने ऐसा नहीं किया। तरस आता है आपकी सोच पर...सियासी शऊर पर, बेवकूफियों पर...तुम उलेमा हो..उलूम तक महदूद रहो, सियासत या डिप्लोमेसी तुम्हारे बस की बात नहीं, इस बेवकूफ़ और मज़लूम क़ौम को बख्श दो साहब.... ख़ुदा के लिए बख्श दो। "मैं चुप था तो चलती हवा रुक गई, ज़ुबाँ सब समझते हैं जज़्बात की।" - बशीर बद्र # Singh Bhu #इंतेखाब_आलम_लोदी

अपने से छोटे उम्र के लड़के को घर बुलाकर संबंध बनाती थी, फिर करा दी हत्या... पूर्व महामंडलेश्वर-योगी सरकार चुप्प रहेगी

अलीगढ़: अपने से छोटे उम्र के लड़के को घर बुलाकर संबंध बनाती थी, फिर करा दी हत्या... पूर्व महामंडलेश्वर अन्नापूर्णा भारती गिरफ्तार अलीगढ़ पुलिस ने फरार चल रही पूर्व महामंडलेश्वर अन्नापूर्णा भारती उर्फ पूजा शकुन पांडेय को भरतपुर से गिरफ्तार कर लिया. पूजा ने अपने से छोटे अभिषेक गुप्ता से अवैध संबंध बनाए और शादी व पार्टनरशिप का दबाव डाला. अभिषेक ने दूरी बनाई, जिसके बाद पूजा और उसके पति ने मिलकर उसकी हत्या की साजिश रची. अशोक पांडेय और शूटर जेल में हैं, जबकि पूजा फरार थी.

हाय अल्ला क्या बात है - संघ में पुरुषों के साथ बलात्कार भी होता है

केरल में सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने सुसाइड किया:संघ की शाखा में यौन शोषण केरल के 26 साल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने सुसाइड कर ली। मृतक कोट्टायम का रहने वाला था। युवक का शव 9 अक्टूबर को तिरुवनंतपुरम के थंपानूर में एक लॉज से मिला। इंस्टाग्राम पर युवक ने मौत से पहले इंस्टाग्राम पर पोस्ट डालकर राष्ट्रीस स्वयंसेवक संघ के लोगों पर यौन शोषण का आरोप लगाया। युवक की पहचान आनंदु अजी के रूप में हुई है। नोट में युवक ने लिखा कि उसके पिता ने उसे बचपन में ही RSS में डाला था। वहां उसे यौन और शारीरिक शोषण का सामना करना पड़ा। पड़ोसी एनएम ने तीन साल की उम्र से उसका शोषण किया। आरएसएस के आईटीसी और ओटीसी कैंपों में भी ऐसा हुआ। डडने से पीटने का भी आरोप लगाया युवक ने लिखा कि RSS से उसे जिंदगी भर का दर्द मिला। वह किसी से नाराज नहीं, सिवाय एक व्यक्ति और संगठन के। एनएम RSS का सक्रिय सदस्य था और लगातार शोषण करता रहा। कैंपों में यौन शोषण के अलावा डंडे से पीटा भी गया। 'कोई दूसरी संस्था इतनी नफरती नहीं' उसने लिखा कि RSS जैसी कोई दूसरी संस्था से इतनी नफरत नहीं, ये लंबे समय तक जुड़े रहने से पता चला। RSS वालों से दोस्ती न करें, भले पिता, भाई या बेटा हो तो भी दूर रखें। कैंपों में बहुत शोषण होता है, वह बाहर आने से बोल पाया। सबूत नहीं तो कोई न माने, लेकिन उसकी जिंदगी सबूत है। आनंदु ने पेरेंट्स को सलाह दी कि बच्चों के साथ समय बिताएं और मजबूत रिश्ता बनाएं ताकि बच्चे डरकर चुप न रहें। लिखा कि बचपन का ट्रॉमा कभी नहीं जाता। दुनिया का कोई बच्चा वैसा दर्द न सहे। पुलिस ने मामला दर्ज किया

हार के कोई इसमें लंगर करता है! तैर के कोई पार समंदर करता है!

बलजीत सिंह ग़ज़ल हार के कोई इसमें लंगर करता है! तैर के कोई पार समंदर करता है! उसकी मर्ज़ी होती है जब जी चाहे! मुझको मेरे घर से बाहर करता है! दीवाने की आदत ही कुछ ऐसी है! खूँ से अपनी ज़ुल्फ़ों को तर करता है! मेरे सारे हीरे रख कर वो दिलबर! मेरी जानिब कंकर पत्थर करता है! दुनियादारी का इक झोंका यादों के! फीके फीके सारे मंज़र करता है!

रविवार, 12 अक्टूबर 2025

भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष के भाई संघी रामकुमार बिंदल बलात्कार में गिरफ्तार - वैदिक इलाज कर रहे थे

भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष के भाई संघी रामकुमार बिंदल बलात्कार में गिरफ्तार - वैदिक इलाज कर रहे थे हिमाचल प्रदेश में रेप केस में गिरफ्तार BJP के प्रदेशाध्यक्ष अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल के भाई को शनिवार शाम सोलन कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने 81 वर्षीय राम कुमार बिंदल को पांच दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा है। हालांकि, आरोपी अभी अस्पताल में भर्ती हैं। कोर्ट के आदेशानुसार आरोपी से मेडिकल ऑफिसर की मौजूदगी में पूछताछ करनी होगी। दरअसल, सोलन पुलिस शुक्रवार शाम को राम कुमार को गिरफ्तार कर मेडिकल के लिए अस्पताल ले गई थी। इस दौरान उसके सीने में दर्द उठा। इसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। जहां उसके दिनभर टेस्ट किए गए। शाम पांच बजे के डॉक्टरों ने आरोपी को कोर्ट में पेश करने की मंजूरी दी। राम कुमार बिंदल वैद्य है, जिस पर 25 साल की युवती ने उपचार के बहाने रेप का आरोप लगाया है। मामला 7 अक्टूबर का है। 8 तारीख को एक युवती ने सोलन के महिला थाना में राम के खिलाफ शिकायत दी थी। उधर, इस मामले हिमाचल प्रदेश राज्य महिला आयोग ने भी संज्ञान लिया है। आयोग ने सोलन SP गौरव सिंह को फोन कर मामले की रिपोर्ट मांगी है। 7 अक्टूबर को इलाज कराने गई पीड़िता: पुलिस को दी शिकायत में पीड़िता ने बताया कि वह काफी समय से बीमार चल रही है। इसका उपचार भी कराया, मगर ठीक नहीं हुई। इसके बाद 7 अक्टूबर को वह सोलन बस स्टैंड के साथ राम कुमार बिंदल के पास वैदिक उपचार कराने गई। वैद्य ने पूछा कि कहां से आए हो। पता पूछने के बाद उसने उसे जांच के लिए बैठा लिया। वैद्य ने 100 फीसदी ठीक करने का दिया भरोसा: युवती ने बताया कि वैद्य ने उसका हाथ पकड़कर नसें दबानी शुरू की। इसके बाद वह यौन समस्याओं के बारे में पूछने लगा। वैद्य को अपनी बीमारी के बारे में पूरी बात बताई। इसके बाद वैद्य ने आश्वासन दिया कि वह उसे 100 फीसदी ठीक कर देगा और संबंधित कोई बुक भी दिखाई। इसके बाद वह उसकी जांच करने लग पड़ा। प्राइवेट पार्ट चेक करने लगा वैद्य: युवती ने बताया कि जांच करते समय वैद्य ने कहा कि प्राइवेट पार्ट से भी चेक करना है। जिसके लिए उसने मना किया। मगर आरोपी ने चेक करने के बहाने उसके साथ गलत काम किया। इस पर उसने उसे धक्का दिया और बाहर आईI घटना के वक्त दुकान में कोई और नहीं था। इसी का उसने फायदा उठाया। पीड़िता को पुलिस प्रोटेक्शन देने की मांग हिमाचल में महिला कांग्रेस की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जेनब चंदेल ने आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और पीड़िता को पुलिस प्रोटेक्शन देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जब एक बेटी के साथ ऐसी घिनौनी हरकत की हुई है तो बीजेपी के लोग खामोश क्यों हैं। क्या नैतिकता के आधार पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल इस्तीफा देंगे। केवल नारों से बेटी बचने वाली नहीं। उन्हें लगता है कि अब नारा देना चाहिए कि भाजपा से बेटी बचाओ। कौन है आरोपी राम कुमार बिंदल आरोपी राम कुमार बिंदल सनातन धर्म मंदिर ट्रस्ट का प्रधान है। वह लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ा रहा है। राम कुमार सोलन का मशहूर वैद्य है। उसके पिता बालमुकुंद भी मशहूर वैद्य रहे हैं।

शनिवार, 11 अक्टूबर 2025

किसानों के पास आंदोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं है - राजन क्षीरसागर

गोंडा। देश में गन्ने से पैदा चीनी का अस्सी प्रतिशत औद्योगिक इस्तेमाल होता है और अठ्ठारह प्रतिशत घरेलू खर्च होता है गन्ने से सैकड़ों तरह की वस्तुओं का निर्माण होता है और उद्योगपतियों को बेइंतहा लाभ होता है वही सरकारे गन्ने का दाम बढते नही है किसान कर्जदार उद्योग पति मालामाल है आल इंडिया किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजन क्षीरसागर ने किसान सभा द्वारा आयोजित किसान सम्मेलन टाउन हॉल गोंडा का उद्घाटन करते हुए कहा कि सरकार के खिलाफ आंदोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं है। किसान आन्दोलन से जनता में एकता पैदा होती है। किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष इम्तियाज बेग महामंत्री राजेन्द्र यादव आयोजक दीना नाथ तिपाठी राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष छित्तर सिंह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय परिषद सदस्य अशोक तिवारी सत्य नारायण त्रिपाठी सुरेश त्रिपाठी आदि प्रमुख लोगों ने सम्बोधित किया।

शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025

गुलाम दिमाग की भारत माता प्रेम सिंह

गुलाम दिमाग की भारत माता प्रेम सिंह कभी-कभी जैसे ही मैं किसी सभा में पहुंचता था, मेरे स्वागत में अनेक कंठों का स्वर गूंज उठता था – “भारत माता की जय”। मैं उनसे अचानक प्रश्न कर देता कि इस पुकार से उनका क्या आशय है? यह भारत माता कौन है, जिसकी वे जय कहते हैं, मेरा प्रश्न उन्हें मनोरंजक लगता और चकित करता। . . . आखिर एक हट्टा-कट्टा जाट, जिसका न जाने कितनी पीढ़ियों से मिट्टी से अटूट नाता है, जवाब में कहता कि यह भारत माता हमारी धरती है, भारत की प्यारी मिट्टी। मैं फिर सवाल करता: “कौन-सी मिट्टी? - उनके अपने गांव के टुकड़े की, या जिले और राज्य के तमाम टुकड़ों की, या फिर पूरे भारत की मिट्टी?” प्रश्नोत्तर का सिलसिला तब तक चलता रहता जब तक वे प्रयत्न करते रहते और आखिर कहते भारत वह सब कुछ तो है ही जो उन्होंने सोच रखा है, उसके अलावा भी बहुत कुछ है। भारत के पहाड़ और नदियां, जंगल और फैले हुए खेत जो हमारे लिए खाना मुहैया करते हैं सब हमें प्रिय हैं। लेकिन जिस चीज का सबसे अधिक महत्व है वह है भारत की जनता, उनके और मेरे जैसे तमाम लोग, वे सब लोग जो इस विशाल धरती पर चारों ओर फैले हैं। भारत माता मूल रूप से यही लाखों लोग हैं और उनकी जय का अर्थ है इसी जनता जनार्दन की जय। मैंने उनसे कहा तुम भारत माता के हिस्से हो, एक तरह से तुम खुद ही भारत माता हो।” (जवाहरलाल नेहरू, ‘भारत की खोज’) 1 हर साल 5 जून को मनाए जाने वाले विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर केरल की राज्य सरकार और वहां के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर के बीच राज्यपाल भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में भारत माता के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा प्रायोजित चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने को लेकर विवाद हुआ। कार्यक्रम में कृषि मंत्री पी प्रसाद और शिक्षा मंत्री वी शिवनकुट्टी को भी रहना था। लेकिन जब कृषि मंत्री पी प्रसाद को पता चला कि तय कार्यक्रम से हट कर भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने का कार्यक्रम भी जोड़ दिया गया है तो उन्होंने आयोजन से अपने को अलग कर लिया। उन्होंने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस समारोह के लिए राजभवन ने एक मिनट-दर-मिनट कार्यक्रम तैयार किया था, लेकिन शुरुआत में उसमें भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने का कोई प्रावधान नहीं था। कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर हमें एक नया कार्यक्रम भेजा गया, जिसमें भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करना भी शामिल था। पी प्रसाद जो पहली बार विधायक बने हैं और भारतीय मार्क्सवादी पार्टी (सीपीआई) के नेता हैं, ने कहा कि मैंने इस बाबत राजभवन से पूछताछ की और उनसे भारत माता का वह चित्र भेजने को कहा जिस पर पुष्पांजलि अर्पित की जानी थी। वह आरएसएस द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला चित्र था, जिसकी कोई आधिकारिक मान्यता नहीं है। मैंने राजभवन को सूचित किया कि हम उस चित्र पर पुष्पांजलि नहीं चढ़ा सकते। राजभवन ने जवाब दिया की चित्र नहीं हटाया जाएगा। पी प्रसाद ने कहा कि आज़ादी के बाद से संविधान या सत्ता में रही किसी भी सरकार ने कभी भी भारत माता के चित्र-विशेष को आधिकारिक या अधिकृत संस्करण के रूप में स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने आगे कहा कि इस कार्यक्रम में इस्तेमाल होने वाले चित्र पर भारतीय ध्वज नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संगठन का ध्वज है, इसलिए किसी सरकारी कार्यक्रम के दौरान इसका सम्मान नहीं किया जा सकता। मंत्री ने कहा कि कोई भी राजनीतिक संगठन और राज्यपाल अपने निजी कार्यक्रमों में भारत माता के अपने पसंदीदा चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन राज्य सरकार के कार्यक्रमों में ऐसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने आगे कहा कि हम सभी का एक राजनीतिक दृष्टिकोण होता है, लेकिन संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के लिए इसे व्यक्त करने के तरीके सीमित होते हैं। मंत्री ने यह भी सवाल उठाया कि राज्यपाल इस मुद्दे पर अड़ियल क्यों बने हुए हैं, जबकि राज्य के किसी भी पूर्व राज्यपाल, यहां तक कि देश के राष्ट्रपतियों ने भी अतीत में ऐसा नहीं किया है। संवैधानिक पदों पर बैठे लोग सरकारी कार्यक्रमों को राजनीतिक आयोजनों में नहीं बदल सकते। राज्य के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने राय व्यक्त की कि राजभवन और राज्यपाल राजनीति से ऊपर हैं, और अर्लेकर को अपने पद से हट जाना चाहिए। बहरहाल, राज्यपाल ने राज्य सरकार के पक्ष और बहिष्कार की परवाह नहीं की। उन्होंने राजभवन के कार्यक्रम में आरएसएस प्रायोजित भारत माता के चित्र का उपयोग किया। जबकि राजभवन का रुख जानने के बाद राज्य सरकार ने कार्यक्रम को सचिवालय के दरबार हॉल में स्थानांतरित कर दिया। राजभवन ने सरकार के कार्यक्रम से अलग अपना कार्यक्रम जारी रखा। कार्यक्रम के बाद राज्यपाल ने कहा कि किसी भी दबाव के तहत भारत माता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। जाहिर है, वे आरएसएस प्रायोजित भारत माता की छवि को ही सही (और अधिकृत भी) मानते हैं।) 2 स्वतंत्रता आंदोलन के दौर से ही ‘भारत माता’ को परिभाषित और व्याख्यायित करने की परंपरा मिलती है। यह परंपरा ब्रिटिश साम्राज्यवाद से मुक्ति के लिए सशस्त्र बगावत करने वाले 1857 के लड़ाकों, भूमिगत क्रांतिकारियों, वृहद पैमाने पर जनता के आंदोलन करने वाले नेताओं और उन आंदोलनों में हिस्सेदारी करने वाली भारतीय जनता तक फैली है। भारत की सभी भाषाओं के साहित्यकारों, कलाविदों, कलाकारों, विद्वानों ने अपनी रचनाओं और प्रस्तुतियों के माध्यम से उस विमर्श में अपनी भूमिका निभाई है। जवाहरलाल नेहरू और राममनोहर लोहिया जैसे दार्शनिक प्रतिभा वाले नेताओं ने अपनी लेखनी और वक्तृताओं से भारत माता के स्वरूप से जुड़े विमर्श को समृद्ध किया है। इस सबके चलते भारतीय जनमानस में भारत माता की विविध छवियां कल्पित हुई हैं, जिनके आधार पर भारत माता के कई चित्र उपलब्ध होते हैं। ये चित्र प्रतिष्ठित कलाकारों से लेकर बच्चों तक ने बनाए हैं। इनमें धार्मिक मिथक प्रेरित चित्रों – देवी रूप में भारत माता की कल्पना - से लेकर धर्म-तटस्थ चित्र मिलते हैं. विशिष्ट राष्ट्रीय पर्वों पर बच्चे भारत माता के रूप में चाव से सजते भी हैं। कह सकते हैं कि इस पूरे परिदृश्य में देश के नक्शे की पृष्ठभूमि में तिरंगे परिधान में तिरंगा ध्वज हाथ में लेकर खड़ी भारत माता की छवि को अघोषित राष्ट्रीय मान्यता मिली हुई है। भारत माता का यह रूप देश की भौगोलिक बनावट, विपुल प्राकृतिक सम्पदा और समस्त देशवासियों के अस्तित्व को अपने में समाहित करने के साथ बलिदान और स्वतंत्रता की चेतना का प्रतीक है। आरएसएस की भारत माता के हाथ में उसके संगठन का भगवा झंडा होता है, न कि भारत का। आरएसएस के चित्र में आभूषणों से सुसज्जित भारत माता शेर का सहारा लेकर खड़ी है, जिसकी पृष्ठभूमि में ‘अखंड भारत’ का नक्शा है, न कि भारत या भारतीय उपमहाद्वीप का। इस भारत माता के ‘साधक’ आरएसएस को न आज़ादी के पहले की साम्राज्यवादी गुलामी से विरोध था, न अभी की नवसाम्राज्यवादी गुलामी से। केरल के राज्यपाल ने राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में इसी चित्र का उपयोग किया; और जब उन्होंने कहा कि भारत माता के मुद्दे पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता, तो वे यही कह रहे हैं कि आरएसएस की भारत माता ही असली भारत माता है। अर्थात, भारत में आरएसएस की सरकार है, तो सरकारी आयोजनों में भारत माता भी आरएसएस की होगी! यह आश्चर्य की बात नहीं है कि आरएसएस ने स्वतंत्रता संघर्ष के खिलाफ साम्राज्यवादियों का साथ दिया था, या उसने भारतीय संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्र-गान का स्पष्ट अस्वीकार किया था। ये इतिहास के सर्वविदीदत तथ्य हैं। आश्चर्य की बात यह है कि वह अपनी स्थापना के 100 साल बाद भी अपनी देशभक्ति के खोखलेपन को समझ नहीं पाया है. यह समझने की तो शायद वह योग्यता ही गंवा बैठा है कि राजनीतिक सत्ता के बल पर बलिदान और स्वतंत्रता की चेतना से विहीन भारत माता की छवि थोप कर वह भारत माता का ही सतत अपमान करता है; और संततियों को भी उस लीक पर डालने कि कोशिश करता है। जड़ता की इतनी लंबी स्थिति न किसी व्यक्ति के लिए, न ही समूह/संगठन के लिए, न ही समाज और देश के लिए सही मानी जा सकती है। आरएसएस कतिपय प्रयासों के बावजूद इस जड़ता को नहीं तोड़ पाता है, इसके मुख्यत: दो कारण लगते हैं। पहला, आधुनिक भारत में राष्ट्रवाद के सभी विमर्श और विचार ब्रिटिश साम्राज्यवाद के साथ टकराहट से पैदा होते हैं। जबकि आरएसएस का ‘हिंदू-राष्ट्रवाद’ एक पुरातनपंथी मानसिकता में रचा-बसा है। लिहाजा, भारतीय नवजागरण की विविध अभिव्यक्तियों से आरएसएस का रिश्ता नहीं जुड़ पाता। दूसरा, स्वतंत्रता आंदोलन की विचारधाराओं और उनसे जुड़ी शख्सियतों के साथ आरएसएस का सलूक हाईजैक करने का होता है। उसकी नीयत उन्हें ‘हिंदुत्व’ अथवा ‘हिंदू-राष्ट्रवाद’ की जड़ीभूत मानसिकता के पक्ष में इस्तेमाल करने की होती है। हिंदू धर्म के विविध संप्रदायों, अन्य धर्मों और दलित-आदिवासी समुदायों के साथ भी उसका सलूक इसी तरह का है। जड़ता को तोड़ने के लिए विचार के विविध स्रोतों के साथ स्वस्थ संवाद बनाने की योग्यता विकसित करना जरूरी होता है। सभी मनुष्यों और उनके संगठनों में यह संभावना होती है। आरएसएस को भी उसका अपवाद नहीं बने रहना चाहिए। 3 अर्लेकर इस कार्यक्रम के आगे-पीछे भी इस तरह का विवाद पैदा करते रहे हैं। दरअसल, भाजपा सरकार के ज्यादातर राज्यपालों की कमोबेश यही स्थिति है। वे पद की गरिमा और संवैधानिक शिष्टाचार के बरक्स भाजपेतर राज्य सरकारों के साथ उलझते रहते हैं। उनमें यह हिम्मत कहां से आती है? अर्लेकर की आरएसएस की भारत माता पर समझौता नहीं करने की सीनाजोरी पर एनडीए में शामिल ‘सेकुलर’ और ‘सामाजिक न्यायवादी’ नेताओं ने एतराज नहीं उठाया है। संविधान की अभिरक्षक राष्ट्रपति को इसमें कुछ गलत नजर नहीं आया। न ही सुप्रीम कोर्ट को राज्यपाल द्वारा राज्यपाल भवन में किए गए प्रोटोकाल के उल्लंघन में कुछ गलत लगा। विपक्षी पार्टियों ने अर्लेकर की खुली चुनौती के बावजूद इसे विरोध का जरूरी मुद्दा नहीं बनाया। विपक्षी केरल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोलने के लिए मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की आलोचना करके अपना कर्तव्य पूरा मान लिया। मानो यह केवल केरल राज्य का एकाकी मुद्दा है। विद्वानों/लेखकों/कलाकारों की तरफ से भी इस पर गंभीर चिंता जाहिर नहीं की गई। तो क्या आरएसएस की भारत माता ही पूरे देश की भारत माता है? पिछले एक दशक से देश का माहौल ऐसा ही बना हुआ है। शैक्षिक/साहित्यिक/कलात्मक संस्थाओं और सरकारी विभागों के कार्यक्रमों में आरएसएस के नेता, विचारक, अधिकारी आदि बिना अवसर और जरूरत के भारत माता की जय का नारा बोलते और उपस्थित लोगों से बुलवाते हैं। यहां करीब साल-डेढ़ साल पहले के एक वाकये का उल्लेख करना चाहूंगा। भोपाल की रवीन्द्रनाथ टैगोर प्राइवेट यूनिवर्सिटी का लेखकों को सम्मानित करने का एक कार्यक्रम मध्य प्रदेश दूरदर्शन पर प्रसारित हो रहा था। उसमें उपस्थित साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हिंदी के एक लेखक और साहित्य अकादमी की पत्रिका ‘इंडियन लिटरेचर’ की अतिथि संपादक को मैं जानता था। इसलिए चाव से कार्यक्रम देखने लगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के राज्यपाल और शिक्षामंत्री ने अपने भाषण के शुरू और अंत में सभी से भारत माता की जय के नारे लगवाए। भारतीय भाषाओं के कुछ लेखकों के साथ कार्यक्रम में कुछ विदेशी ‘भारत-प्रेमी’ भी उपस्थित थे। पूरे देश में यह हो रहा है। नवसाम्राज्यवादी गुलामी के साढ़े तीन दशकों में भारत माता की भक्ति का जुनून बढ़ता गया है। कहा जाता है कि यह देशभक्ति की कसौटी है। मोहन भागवत उपदेश देते रहते हैं कि युवकों को अपनी देशभक्ति का प्रदर्शन करने के लिए भारत माता की जय बोलते रहना जरूरी है। बच्चों में देशभक्ति की भावना पैदा करने और बढ़ाने के कोर्स चलाए जाते हैं। भारत माता की यह भक्ति अपना स्वावलंबन, स्वतंत्रता, संप्रभुता और संवैधानिक शिष्टाचार खोते जाने की पीड़ा से परे होती है। इसमें किसी तरह का कोई जोखिम नहीं है। क्योंकि वह बलिदान की नहीं, पूजा और जयकारों की मांग करती है। नवसाम्राज्यवादी गुलामी के दौर में शासक-वर्ग को ऐसी ही भारत माता चाहिए। ऐसी भारत माता का पेटेंट शुरू से आरएसएस के पास है। उसे अवसर मिला है, जिसका वह पूरा इस्तेमाल कर रहा है। अंत में कहना चाहूंगा कि इस मुद्दे पर सीपीआई नेता पी प्रसाद और बिनोय विश्वम् ने राज्यपाल की हठधर्मिता के बावजूद बहुत संयत, शालीन, तार्किक और मजबूत ढंग से अपना पक्ष रखा है। (समाजवादी आंदोलन से जुड़े लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व शिक्षक और भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला के पूर्व फ़ेलो हैं।) -प्रेम सिंह --

नोबेल शांति पुरस्कार और ट्रम्प के मुंह पर तमाचा

अब सुनिए वेनेजुएला और नोबेल की कहानी– मारियो कोरीना मचादो, यही नाम है साल 2025 की नोबेल पुरस्कार विजेता का, जिसने दुनिया के ताकतवर आतंकी देश अमेरिका के राष्ट्रपति को मात दी। वही अमेरिका, जिसने मारियो के देश वेनेजुएला को घेरा हुआ है। ट्रंप वहां सत्ता बदलना चाहता है। और मारियो ने वहां लोगों की लोकतंत्र तक पहुंच बना दी। बिना किसी सेना या हिंसा के। मारियो को नोबेल अमेरिका के गाल पर करारा तमाचा है। बिना हिंसा, सेना या किसी बाहरी देश के दखल से। वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने मारियो पर न जाने कितने जुल्म ढाए। वेनेजुएला की सुप्रीम कोर्ट ने भी मारियो को देशद्रोही कहा, क्योंकि वह तानाशाही पर सवाल उठा रही थीं। आज राहुल गांधी बिल्कुल मारियो के मुकाम पर खड़े हैं। और आरएसएस की नींद हराम है। सुमित्रा राय

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में छात्राओं का आंदोलन

BHU में हॉस्टल और आंतरिक प्रशासन की लापरवाही की वजह से एमएमवी की छात्रा प्राची सिंह की मौत हो गई हैं। जिसके खिलाफ छात्राएं आंदोलनरत हैं जिन्हे तमाम हथकंडों द्वारा डराने और धमकाने की कोशिश की जा रही है। क्रेडिट: अमित शाश्वत बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के महिला महाविद्यालय में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा प्राची सिंह की छात्रावास में तबीयत खराब होने के कारण मौत हो गई। साथी छात्राओं ने सूचना वार्डन को दी। छात्राओं का कहना है कि प्राची को अस्पताल ले जाने में लापरवाही बरती गई।जिस कारण उसकी मौत हो है
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