रविवार, 6 अप्रैल 2025

बुंलद उ प्र की बुलंद तस्वीर- शर्मनाक- कानून समाप्त प्रयागराज में सालार मसूद गाजी की दरगाह पर चढ़ गए लोग, फहराया भगवा झंडा

बुंलद उ प्र की बुलंद तस्वीर- शर्मनाक- कानून समाप्त प्रयागराज में सालार मसूद गाजी की दरगाह पर चढ़ गए लोग, फहराया भगवा झंडा प्रयागराज में रामनवमी पर महाराजा सुहेलदेव संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने सालार मसूद गाजी की दरगाह की छत पर चढ़कर भगवा झंडा फहराया। प्रयागराज: पूरे देश भर में रामनवमी पर शोभायात्रा निकाली जा रही है। अयोध्या में रामलला के दर्शन को बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर प्रयागराज में रामनवमी पर महाराजा सुहेलदेव संगठन से जुड़े कार्यकर्ता सालार मसूद गाजी की दरगाह की छत पर चढ़ गए और भगवा झंडे फहराए। उत्तर प्रदेश में रामनवमी पर जगह-जगह शोभायात्रा निकाली जा रही है। प्रयागराज में रविवार शाम करीब 4.20 बजे 20 से ज्यादा युवा बाइक रैली निकालते हुए सिकंदर इलाके में स्थित सालार मसूद गाजी की दरगाह पर पहुंचे। इस बाइक रैली की अगुवाई मनेंद्र प्रताप सिंह ने की। तीन युवक दीवार के सहारे दरगाह की छत पर चढ़ गए और भगवा झंडा लहराया। बता दें कि प्रयागराज प्रशासन ने 24 मार्च को इस दरगाह के गेट पर ताला लगा दिया था। साथ ही मई में लगने वाला सालाना मेला भी रोक दिया गया था।

संघ से सोलह सवाल

*RSS के लोगों से ये 16 प्रश्न आप पूछिये?? *इनके जवाब ये लोग नहीं दे पाएंगे।* *उलटा आप को गाली देंगे या ब्लॉक करके भाग जायेंगे या विरोधियों का फोटोशॉप पोस्ट डालेंगे, पर फिर भी आप ये सवाल करते रहें--* (1) RSS ने आज़ादी की लड़ाई क्यों नहीं लड़ी ? (2)हिन्दू हित की बात करता है और उसकी वेशभूषा विदेशी क्यों है? (3) सुभाषचन्द्र बोस आज़ाद हिन्द सेना का गठन कर रहे थे, तब संघ ने सेना में शामिल होने से हिन्दू युवकों को क्यों रोका? (4) संघ के ‘वीर’ सावरकर अंग्रेजों को ६ माफ़ीनामे देकर जेल से क्यों छूटे, जबकि 436 लोग और थे सेलुलर जेल में। सिर्फ इन्होंने ही क्यों माफ़ीनामे लिखे? ऐसी क्या विपदा आ गई थी? (5) RSS के पहले 1925 में प्रथम अधिवेशन मेंं द्विराष्ट्र सिद्धान्त --हिन्दू राष्ट्र और मुस्लिम राष्ट्र का प्रस्ताव क्यों पारित किया गया, जबकि संघ अखंड भारत की बात करता है। (6) 1942 में असहयोग आंदोलन का संघ ने बहिष्कार क्यों किया? और संघ ने इससे सम्बन्धित पत्र ब्रिटिश गवर्नमेंट को क्यों लिखा? अगर ये पत्र न लिखते तो देश 1942 में आज़ाद हो जाता। (7) गांधी जी की हत्या के प्रयास संघ आज़ादी के पूर्व से कर रहा था, क्यों ? गांधी जी पर आज़ादी के पूर्व 5 बार संघियों ने हमले किये, क्यों? (8) संघ प्रमुख केशव बलिराम हेडगेवार ने कहा था कि हिंदुओ को अपनी ताकत का उपयोग अंगेजों के खिलाफ न करते हुए देश में मुस्लिम, क्रिश्चियन और दलितों के खिलाफ करना चाहिए, ऐसा क्यों ? (9) कहते हैं कि दो धार्मिक शक्तियाँ एक-दूसरे के खिलाफ काम करती हैं तो देश टूटने की कगार पर होता है। संघ और मुस्लिम लीग एक दूसरे के विपरीत थीं, इस कारण देश टूटा। संघ तो अखंड भारत की बात करता है, फिर ऐसा क्यों हुआ? (10) RSS हिन्दू हित की बात करती है 1925 से 1947 के बीच ईसाई धर्मान्तरण के खिलाफ कोई आंदोलन क्यों नही चलाया ? (11) 15 अगस्त, 1947 को जब देश आजाद हुआ तब संघ के लोग राष्ट्रध्वज तिरंगे को पैरों तले कुचल रहे थे, तिरंगे को जला रहे थे, क्यों ? (12) संघ के स्वयंसेवक अटल बिहारी वाजपेयी ने क्रान्तिकारी लीलाधर वाजपेयी के खिलाफ क्यों गवाही दी? जिससे उन्हें 2 वर्ष का कारावास हुआ। (13) पिछड़े , दलित, आदिवासी भी संघी हेैं, तो नासिक के काला राम मंदिर में प्रवेश मुद्दे पर डॉ. आंबेडकर ने जो आन्दोलन किया था, उसका विरोध क्यों किया ? (14) संघ द्वारा हिन्दू समाज के हित में किया गया कोई एक कार्य बतायें, जिससे हिन्दू समाज के निम्नवर्ग का तबका लाभान्वित हुआ हो। (15) संघ के लोग अपने आप को राष्ट्रवादी समझते हैं। इन्होंने 1925 से 1947 के बीच वन्देमातरम् का नारा क्यों नहीं लगाया? अंग्रेजों का इतना डर था क्या? (16) संघ / विहिप / और अन्य हिंदूवादी संगठन के प्रमुख दलित, आदिवासी या पिछड़ा वर्ग से क्यों नहीं बने? क्या ये हिन्दू नहीं हैं ? *कृपया इन सवालों के जवाब जरूर पूछियेगा।*. drbn singh.

शनिवार, 5 अप्रैल 2025

जय भीम, लाल सलाम और इंकलाब जिंदाबाद सिर्फ नारे नहीं हैं - डी राजा

जय भीम, लाल सलाम और इंकलाब जिंदाबाद सिर्फ नारे नहीं हैं - डी राजा वाम एकता को मजबूत करने पर जोर देते हुए वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता डी राजा ने कहा कि पार्टी कांग्रेस इस मुख्य मुद्दे पर विचार करेगी कि वाम की ताकत कैसे बढ़ाई जाए। अपने संबोधन में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव राजा ने कहा, ‘‘भाजपा-आरएसएस शासन के तहत वर्ग, जाति और पितृसत्ता का संरचनात्मक उत्पीड़न क्रूर हो गया है, जो पूंजीपति वर्ग के राजनीतिक हथियार के अलावा और कुछ नहीं है। भारत न केवल खराब शासन का सामना कर रहा है, बल्कि शोषण के लिए बनाई गई व्यवस्था के तहत घुट रहा है।’’ उन्होंने कहा कि इस अवसर पर सभी कम्युनिस्ट और वामपंथी ताकतों को ‘कॉरपोरेट-सांप्रदायिक हमले’ के खिलाफ प्रतिरोध खड़ा करने के लिए सैद्धांतिक एकता बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें बेजुबानों की आवाज बनना चाहिए। जय भीम, लाल सलाम और इंकलाब जिंदाबाद सिर्फ नारे नहीं हैं।’’

आरएसएस को वैधता दिए जाने के गुनाहगार-डाँ राममनोहर लोहिया .

आरएसएस को वैधता दिए जाने के गुनाहगार.’ गांधीजी की हत्या के बाद संघ देश में तब तक लगभग अछूत बना रहा जब तक लोहिया ने 1963 मे और जेपी ने 1975 में जनसंघ ( वर्तमान बी जे पी ) से हाथ नही मिलाया..... लेकिन आरएसएस को वैधता देने के लिए सिर्फ एक व्यक्ति की तरफ उंगली उठाना न्यायोचित नहीं है. इसके लिए कई नेता जिम्मेदार हैं, जो आजादी से लेकर आज तक समय समय पर खिलते और मुरझाते रहे. आजादी के बाद आरएसएस ने गांधी के खिलाफ जिस तरह पूरे देश में घृणा का माहौल बनाया उसकी परिणति गांधी हत्या के रूप में हुई. हत्या की जांच में कई तार आरएसएस से जुड़े हुए पाए गए. लेकिन यह भी सही है कि आरएसएस के किसी बड़े नेता को इसके लिए सज़ा नहीं हुई. लेकिन यह भी उतनी ही बड़ी सच्चाई है कि उसके कई नेताओं से पूछताछ हुई और उनकी संदिग्ध गतिविधियों को देखकर ही तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध आयद किया था. इस पूरी बहस में हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि आरएसएस की पहुंच और वैधता वणिक (वैश्य) समाज में शुरू से ही थी. यानि आरएसएस के प्रचारकों को सामाजिक रूप से जगह बनाने में, अपनी बात कहने में भले ही दिक्कत हुई हो लेकिन आर्थिक संसाधनों का संकट उनके सामने कभी नहीं रहा. उस दौर के सामाजिक आंदोलनों और संगठनों में कांग्रेस के बाद सबसे अधिक आर्थिक संसाधन आरएसएस के पास ही था. आरएसएस के पास किस रूप में कितना आर्थिक संसाधन था इसका आंकड़ों के साथ कोई जिक्र इसलिए संभव नहीं है (और आज भी नहीं है) क्योंकि उसके संसाधनों और स्रोत का कोई ऑडिट आदि कभी नहीं हुआ, ना ही ये किसी सरकारी कायदे-कानून के तहत आता है. ना ही उसका कोई एकाउंट है , न ही कोई रजिस्ट्रेशन. आश्चर्य होता है कि इतना बड़ा संगठन जिसका अब तक कोई सरकार के पास रजिस्ट्रेशन तक नहीं ? इसलिए आरएसएस पर जब बात हो तो इस बात को हमेशा केन्द्र में रखा जाना चाहिए कि सामाजिक रूप से उसे किसने, कितनी मदद की? जब कांग्रेस अपने शीर्ष पर थी तो कांग्रेस पार्टी के खिलाफ सबसे पहले डॉक्टर राम मनोहर लोहिया ने गैर कांग्रेसवाद की वो जमीन तैयार की थी जहां जनसंघ , वामपंथी और समाजवादी भीतरखाने में तालमेल बिठा रहे थे. यही कारण था कि 1967 के चुनाव में जब सात राज्यों में कांग्रेस पार्टी का पतन हुआ और संयुक्त विधायक दल की सरकार बनी तो उसमें जनसंघ और वामपंथी भी शामिल था. जनसंघ यानि वर्तमान बीजेपी का पूर्ववर्ती संस्करण. यह आरएसएस का ही राजनीतिक उपक्रम था. इसलिए जब देश में आरएसएस को वैधता दिलाने की बात होती है तो डॉ. राम मनोहर लोहिया की भूमिका को नजरअंदाज करना कतई मुनासिब नहीं होगा. लोहिया के बाद दूसरे महत्वपूर्ण नेता जेपी हैं जिन्होंने 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाए जाने के बाद संघ के सक्रिय सहयोग के साथ एक राजनीतिक मंच खड़ा किया जिसमें जनसंघ सबसे महत्वपूर्ण था. जब जॉर्ज फर्नान्डीज़ जैसे समाजवादी विचारधारा के नेताओं ने आरएसएस के सांप्रदायिक अतीत पर सवाल उठाया तो जेपी ने मशहूर बयान दियाः ‘अगर संघ सांप्रदायिक है तो जयप्रकाश नारायण को भी सांप्रदायिक मानिए.’ कालांतर मे यही जार्ज जो कभी R S S पर सवाल करते रहे. संघ के गुलाम बन गये. अटल के मंत्रिमंडल के शोभा बन गये . संघ को मुख्यधारा में वैधता दिलाने की कड़ी में तीसरा महत्वपूर्ण नाम जॉर्ज फर्नान्डीज़ का है. जॉर्ज की बड़ी हैसियत थी. मजदूर नेता के रूप में पूरे भारत में उन्हें लोग जानते थे. वे आरएसएस-बीजेपी के शुरू से कट्टर विरोधी थे. लेकिन जब उनकी खुद की राजनीतिक ज़मीन कमजोर हुई और पार्टी पर पकड़ ढीली पड़ने लगी तो सत्ता में बने रहने के लिए उन्होंने बीजेपी से कुछ ‘शर्तों’ पर समझौता कर लिया. यह 90 का दशक था. मंदिर-मस्जिद के माहौल में बीजेपी की छवि पूरी तरह से सांप्रदायिक हो चुकी थी. संघ और बीजेपी आजादी के बाद दूसरे बड़े संकट से जूझ रहे थे. बाबरी मस्जिद गिराने के चलते बीजेपी के दामन पर ऐसा दाग लगा था कि देश में अमन चाहने वाले मान चुके थे कि बीजेपी सचमुच मुसलमानों की विरोधी है. लेकिन जॉर्ज ने इसके बावजूद बीजेपी से राजनीतिक समझौता किया. बीजेपी की सांप्रदायिक पहचान को दरकिनार कर उससे हाथ मिलाने वालों में चौथा बड़ा नाम समाजवादी के खिलाड़ी नीतीश कुमार का है. जिस बीजेपी को 1990 से पहले सांप्रदायिक, मुस्लिम विरोधी माना जाता था, मंडल आयोग की सिफारिशों का विरोध करने के बाद उस पर पिछड़ा व दलित विरोधी ठप्पा भी लग चुका था. माना जाता है कि मंडल की काट में ही बीजेपी संघ ने कमंडल का दांव चला था. बीजेपी उस दौर में खुले तौर पर मंडल आयोग का विरोध नहीं कर पा रही थी लेकिन उके शीर्ष नेतृत्व में पिछड़ा-दलित वर्ग के नेताओं की गैरमौजूदगी इस छवि को पुख्ता करती थी. एक कल्याण सिंह को छोड़कर बीजेपी के नेतृत्व में तब तक एक भी पिछड़ा लीडर शामिल नहीं था. नीतीश कुमार की समता पार्टी ने 1996 में जब बीजेपी के साथ हाथ मिलाया तो इससे बीजेपी की सांप्रदायिक और सवर्णवादी पहचान में थोड़ी कमी आई. इस कड़ी में एक नाम कांशीराम का भी है. बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद कांशीराम ने सपा-बसपा गठबंधन की रूपरेखा तय की. नतीजे में मुलायम सिंह प्रचंड जीत के साथ मुख्यमंत्री बने. यह 1993 की बात है. इसे दलित-पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की राजनीति का सबसे मजबूत राजनीतिक सहयोग के रूप में देखा जाने लगा. " मिले मुलायम कांसीराम ...हवा हो गये जय श्रीराम " का नारा याद होगा लेकिन कुछ ही महीनों के बाद जब मायावती के साथ सपा के मतभेद उभरे तो बसपा प्रमुख कांशीराम ने बीजेपी के साथ मिलकर मायावती के नेतृत्व में सरकार बनवाने को अपनी सहमति दी. यहीं से दलितों पिछड़़ों जमीन पर मनभेद के साथ मतभेद हुआ जो आजतक जारी है , जब तक मायावती और मुलायम परिवार का नेतृत्व रहेगा तब तक दलित पिछडों का एक मंच पर आना मुश्किल है, यही संघ बीजेपी की ऊर्जा है. दोनों पर ED, CBI का शिकंजा बरकरार है. मुलायम से मायावती को अलग करना सवर्णों की राजनीति कर रही बीजेपी का यह सबसे कामयाब रणनीतिक कदम था क्योंकि इससे बीजेपी दलितों के बीच यह संदेश देने में सफल रही कि वह उनके खिलाफ नहीं है. इस प्रकार बीजेपी को जातीय आधार पर अछूत मानने वाले दलितों के मन में अब बीजेपी को लेकर इतनी नफरत नहीं रह गई. मायावती के नेतृत्व में बसपा ने बीजेपी के साथ तीन बार गठबंधन किया. हद तो यहां तक हुई कि गुजरात दंगे के ठीक बाद मायावती उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में गुजरात में नरेन्द्र मोदी का चुनाव प्रचार करने भी गईं. कहने का अर्थ है कि कांशीराम के एक गलत कदम से बीजेपी को कई कदम आगे छलांग लगाने में मदद मिली. बीजेपी ने अपने ऊपर से सांप्रदायिकता और जातिवादी होने का ठप्पा हटा दिया. आश्चर्य तो तब है कि मुसलमानों के नरसंहार के मसीहा मोदी का प्रचार मायावती गुजरात में की, बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाती रही और मुसलमान मायावती को वोट देता रहा. आरएसएस-बीजेपी को समाज में स्वीकृति दिलाने के मामले में बिहार के दो बड़े नेताओं का जिक्र हुए बिना ये सूची अधूरी रह जाएगी. शरद यादव और रामविलास पासवान. वीपी सिंह की सरकार में मंडल आयोग की अनुशंसा लागू होने के बाद इसका पूरा श्रेय सरकार में शामिल शरद यादव और रामविलास पासवान ने आपस में बांटना चाहा. दोनों नेता मंडल आयोग के लागू होने के बाद उस दौर में बीजेपी को सवर्णों की पार्टी के रूप में चिन्हित करते थे. लेकिन जैसे ही उनकी अपनी हैसियत जनता दल में कमजोर हुई, दोनों उसी ‘ब्राह्मणवादी’ बीजेपी से जा मिले. अब बीजेपी उनके लिए पिछड़ों-दलितों का हक़ मारने वाली पार्टी नहीं रही. शरद यादव और रामविलास पासवान का बीजेपी नेतृत्व की छत्रछाया में आ जाना सामाजिक न्याय की धारा की तरफ से यह मान लेना था कि आरएसएस या बीजेपी सचमुच दलित-पिछड़ा विरोधी नहीं है अन्यथा वीपी सिंह के बाद मंडल आयोग के दो सबसे बड़े ‘मसीहा’ कैसे बीजेपी के साथ होते? इस तरह बीजेपी की दलितों और पिछड़ों में स्वीकार्यता गहरी हो गई. ये सभी नेता अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं के लिए पहले जनसंघ से मिले, फिर बीजेपी के साथ हाथ मिलाया और आरएसएस को अपनी ज़मीन मजबूत करने में योगदान दिया. वास्तव में राममनोहर लोहिया पहले राजनेता थे जो इस खतरे को सबसे अच्छी तरह जानते थे फिर भी उन्होंने यह गलती की थी. लोहिया पहले समाजवादी नेता थे जो सत्ता परिवर्तन के लिए नहीं बल्कि व्यवस्था परिवर्तन के लिए लड़ रहे थे. अगर लोहिया कुछ दिन और जिंदा रहते तो यकीनी तौर पर उन्हें अपनी गलती का पूरा एहसास हुआ होता. हालांकि मरने के पहले उनको एहसास हो चुका था . राममनोहर लोहिया ने वर्षों पहले भारत पाकिस्तान के बंटबारे को लेकर एक किताब लिखी थी- ‘भारत विभाजन के गुनाहगार.’ बिना नाम लिए उन्होंने बताया था कि गुनाहगार कौन हैं. मेरा अनुमान है कि अगर आज लोहिया जिंदा रहते तो शायद उनकी किताब का नाम होता- ‘आरएसएस को वैधता दिए जाने के गुनाहगार.’ जो साफगोई और ईमानदारी डॉ. लोहिया में थी, वे बिना झिझक यह लिखते कि कैसे उन्होंने अकेले आरएसएस को ‘गांधी हत्या’ के पाप से मुक्त किया है. नीतीश कुमार तो आज भी हैं और रामविलास पासवान मरते दम तक बीजेपी के तंबू में घुसे थे ! उनका पुत्र चिराग पांडे आज भी घूम फिरकर उसी तंबू का बंबू उठाने के लिये विवश है... drbn singh.

गुरुवार, 3 अप्रैल 2025

संभल में पूजारी तांत्रिक का धनवर्षा गैग पकडा गया - सैंकड़ों लडकियों का यौन शोषण

लड़कियों के नग्न वीडियो... बेनकाब हुआ धन वर्षा तांत्रिक गिरोह, यूपी से लेकर दिल्ली-राजस्थान तक जुड़े तार संभल पुलिस ने धन वर्षा तांत्रिक गिरोह का भंडाफोड़ किया जिसका नेटवर्क दिल्ली जयपुर वाराणसी और आगरा तक फैला था। अब तक 14 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और एक प्रोफेसर से पूछताछ जारी है। गिरोह लड़कियों के शोषण में लिप्त था और इसमें तीन पुजारी व एक स्टेशन मास्टर भी शामिल थे। पुलिस ने अर्धनग्न वीडियो और वन्य जीव तस्करी के सुराग भी पाए हैं। जांच जारी है। प्रोफेसर और कई बुद्धजीवी भी गिरोह के सदस्य, आडियो रिकार्डिंग से खुले राज दिल्ली और जयपुर के लिए भी आर्टिकल के रूप में होती थी लड़कियों की सप्लाई संवाद सहयोगी, बहजोई। धन वर्षा तांत्रिक गिरोह का नेटवर्क सिर्फ यूपी के आगरा, फिरोजाबाद तक सीमित नहीं था। दिल्ली एनसीआर के निकट मथुरा, दिल्ली और जयपुर में भी उसके तार जुड़े हैं। जिन्हें पुलिस कई काल रिकॉर्डिंग के आधार पर खंगाल रही है। अब तक 14 लोग गिरफ्तार हुए हैं लेकिन पुलिस ने एक प्रोफेसर से भी हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की है, जिसके पास से कई वीडियो और आडियो भी बरामद हुए हैं और इसी के जरिए दिल्ली अन्य राज्यों से कनेक्शन जोड़ा जा रहा है। इस गिरोह में कई बुद्धजीवी लोगों के जुड़े होने की बात सामने आ रही है। पुलिस ने उस परिवारों से संपर्क किया है जो इस गिरोह के झांसे में आए और उन्होंने लड़कियों के डाटा को दिया, उन्हें उपलब्ध कराया, जिनका शोषण किया गया और जिन्हें आर्टिकल के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। गिरोह में तीन पुजारी भी शामिल विदित हो कि इस गिरोह में आगरा के एक स्टेशन मास्टर भी शामिल था जबकि तीन पुजारी शामिल हैं। दो आडियो रिकार्डिंग भी बरामद हुए जिनसे वाराणसी तक संपर्क होने के साक्ष्य मिलते हैं। जिसमें विदेश से वन्य जीव तस्करी का मामला भी सामने आया है। गिरोह के मोबाइल डाटा की जांच में लड़कियों के अर्धनग्न और नग्न अवस्था में वीडियो बरामद हुए थे, जिससे उनके शोषण की पुष्टि हुई। यह गिरोह तंत्र विद्या और अन्य धोखाधड़ी के माध्यम से लोगों को गुमराह कर लड़कियों का शोषण करता था। पुलिस ने यह पर्दाफाश संभल जिले के धनारी क्षेत्र के एक युवक के द्वारा की गई शिकायत के आधार पर किया था, जिसमें संभल के भी दो लोग शामिल थे। अब पुलिस फिरोजाबाद, आगरा और अन्य जिलों में मिले मोबाइल डाटा के आधार पर प्रभावित लोगों से संपर्क कर रही है। पुलिस के समक्ष यह भी चुनौती है कि जिन परिवारों से पुलिस संपर्क कर रही है, वह कुछ भी बोलने से इन्कार कर रहे हैं और सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल न हो। इसके लिए वह कार्रवाई से इनकार कर रहे हैं। अब तक पुलिस करीब चार परिवारों से संपर्क साथ चुकी है। धन वर्षा तांत्रिक गिरोह में पुलिस की कार्रवाई लगातार जारी है। इस गिरोह से पुजारी और आर्टिकल उपलब्ध कराने वाले लोगों में प्रोफेसर और अन्य बुद्धिजीवी लोग भी शामिल हैं। एक प्रोफेसर से पूछताछ भी की जा रही है। दिल्ली और जयपुर से भी गिरोह की तार जुड़े हैं। पुलिस इसको लेकर भी छापेमारी कर रही है। जल्द ही एक और पर्दाफाश किया जाएगा।

हिंदू महासंघ गोरक्षा दल के अध्यक्ष सहित छह लोगों को रंगदारी मांगने के मामले में गिरफ्तार किया

बदायूं। उसावां में हिंदू महासंघ गोरक्षा दल के अध्यक्ष सहित छह लोगों को रंगदारी मांगने के मामले में गिरफ्तार किया गया है। पीड़ित महिला प्रधान के बेटे से गोशाला की चेकिंग के नाम पर 80 हजार रुपये की मांग की गई... रंगदारी मांगने वाले हिंदू महासंघ गोरक्षा दल के अध्यक्ष सहित छह गिरफ्तार, दो फरार रंगदारी मांगने के मामले में हिंदू महासंघ गोरक्षा दल के अध्यक्ष सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि दो फरार हैं। घटना उसावां थाने के अंतर्गत उदैया नगला क्षेत्र की गोशाला की चेकिंग के नाम पर 80 हजार रुपये की मांग करने की थी। महिला प्रधान के बेटे को गाड़ी में डालकर पांच हजार रुपये वसूल किए गए, जबकि शेष रकम दो घंटे में देने का दबाव बनाया गया। महिला प्रधान की शिकायत पर पुलिस ने मुकदमा दजर्ह कर जांच शुरू कर दी है। यह गिरोह गोशालाओं में कमी के नाम पर रंगदारी वसूली करता था और इन पर पहले भी कई मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। गांव उदैया नगला की ग्राम प्रधान सुनहरी देवी ने पुलिस को बताया कि उनके बेटे विमलेश गोशाला की देखरेख करता है। 23 मार्च 2025 को विमलेश गाड़ी से उसावां गया था। तभी उसके मोबाइल पर एक कॉल आई, जिसमें खुद को विश्व हिंदू महासंघ गोरक्षा दल का जिलाध्यक्ष बताते हुए गोशाला की चेकिंग करने की बात कही गई। कॉल के बाद विमलेश तुरंत गोशाला पहुंचा, जहां पहले से मौजूद 8-10 लोगों ने उसे घेर लिया। इन लोगों में बाबी गुप्ता उर्फ विपिन, अनुज गुप्ता पुत्र पूरनलाल गुप्ता, पूरनलाल गुप्ता पुत्र श्रीराम, राहुल भारद्वाज बबलू भारद्वाज, सागर राठौर पुत्र विनोद, भूरे, अनुज यादव पुत्र राकेश यादव और मोहित यादव पुत्र दिनेश यादव शामिल थे। आरोपियों ने गोशाला में गंदगी और गायों की देखभाल न करने का आरोप लगाते हुए धमकी दी कि वे उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराकर जेल भिजवा देंगे। इसके बाद 80 हजार रुपये की मांग की गई। विमलेश के मना करने पर आरोपियों ने उसे जबरदस्ती पकड़कर बोलेरो गाड़ी में डाल लिया और रौता गांव के पास एक दुकान पर ले गए। जहां डर के कारण विमलेश ने तत्काल पांच हजार रुपये दे दिए और बाकी 50 हजार रुपये दो घंटे में देने का झांसा देकर खुद को छुड़ाया। घर पहुंचकर पीड़ित ने पूरी घटना अपनी मां सुनहरी देवी को बताई। इसके बाद भी आरोपियों ने मोबाइल पर कॉल कर पैसों की मांग जारी रखी और क्यूआर कोड भेजकर रकम ट्रांसफर करने का दबाव बनाया। पीड़ित ने इन कॉल्स की रिकॉर्डिंग भी पुलिस को सौंपी है। ग्राम प्रधान सुनहरी देवी की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की। इसके बाद पुलिस ने बाबी गुप्ता उर्फ विपिन, अनुज गुप्ता, पूरनलाल गुप्ता, राहुल भारद्वाज, अनुज यादव और मोहित यादव को गिरफ्तार कर जांच शुरू कर दी है। जबकि सागर राठौर और भूरे फरार हो गए। जिनकी तलाश जारी है। पहले भी इन लोगों पर दर्ज हो चुका है केस बॉबी गुप्ता उर्फ विपिन के खिलाफ पहले भी कई मुकदमें भी दर्ज किए जा चुके हैं। बॉबी दुष्कर्म हाल फिलहाल में जेल जा चुका है, जबकि अनुज यादव पर दलित उत्पीड़न और छेड़छाड़ का आरोप लग चुके हैं। इसके अलावा, दोनों के खिलाफ कई अन्य गंभीर आरोपों के तहत मुकदमे दर्ज हैं। अनुज यादव जो अपने पिता की रायफल लेकर इन लोगों के साथ रहता था, इस मामले में पुलिस की जांच के दायरे में हैं।

धर्म के मामले में दखल क्यों? - गौरव गोगोई

धर्म के मामले में दखल क्यों? - गौरव गोगोई केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया। विधेयक को सदन में पेश करते ही विपक्षी दलों ने विरोध शुरू कर दिया। इस दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा,'ये संविधान की मूल भावना पर आक्रमण करने वाला बिल है।' लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने किरेन रिजिजू के बयान पर आपत्ति जताते हुए अपनी बात शुरू की। उन्होंने मंत्री के बयान को गुमराह करने वाला बताया। गोगोई ने कहा,'मंत्री ने 2013 में यूपीए सरकार के विषय में जो कहा, वह पूरा का पूरा मिसलीड करने वाला बयान है, झूठ है। इन्होंने जो आरोप लगाए हैं और भ्रम फैलाया है, वो बेबुनियाद है।' भारत का संविधान मार्गदर्शक गोगोई ने आगे कहा,'मेरा सौभाग्य है कि पिछले सदन में मैंने अयोध्या राम मंदिर पर अपनी पार्टी का पक्ष रखा। आज वक्फ बिल पर विपक्ष की तरफ से अपना पक्ष रख रहा हूं। दोनों मामलों में एक ही मार्गदर्शक भारत का संविधान है। हमारा संविधान कहता है कि सभी को सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक न्याय और समानता मिले। यह बिल संविधान के मूल ढांचे पर आक्रमण है। मंत्री किरेन रिजिजू का पूरा भाषण संघीय ढांचे पर आक्रमण है।' भारतीय समाज को बांटना मकसद गौरव गोगोई ने सरकार पर निसाना साधते हुए कहा,'इस सरकार के चार मकसद हैं। संविधान को कमजोर करना, भ्रम फैलाना और अल्पसंख्यकों को बदनाम करना, भारतीय समाज को बांटना और चौथा मकसद अल्पसंख्यकों को डिसएन्फ्रेंचाइज करना। कुछ हफ्ते पहले देश में लोगों ने ईद की शुभकामनाएं दीं। इनकी डबल इंजन सरकार ने लोगों को सड़क पर नमाज नहीं पढ़ने दी।' संशोधनों से बढ़ेंगी समस्याएं और विवाद सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए गोगोई ने कहा,'आज एक विशेष समाज की जमीन पर सरकार की नजर है, कल समाज के दूसरे अल्पसंख्यकों की जमीन पर इनकी नजर जाएगी। मैं यह नहीं कहता कि संशोधन नहीं होना चाहिए। संशोधन ऐसा होना चाहिए कि बिल ताकतवर बने। इनके संशोधनों से समस्याएं और विवाद बढ़ेंगे। ये चाहते हैं कि देश के कोने-कोने में केस चले। ये देश में भाईचारे का वातावरण तोड़ना चाहते हैं। राज्य सरकार के पास नियम बनाने की ताकत गोगोई ने कहा,'बोर्ड राज्य सरकार की अनुमति से कुछ नियम बना सकते हैं। ये पूरी तरह से उसे हटाना चाहते हैं। राज्य सरकार की पावर खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। नियम बनाने की ताकत राज्य सरकार को है। राज्य सरकार सर्वे कमिश्नर के पक्ष में नियम बना सकती है। आप सब हटाना चाहते हैं और कह रहे हैं कि ये संशोधन हैं।' सरकार को देना पड़ रहा धर्म प्रमाण पत्र बिल की वैधता पर प्रश्न उठाते हुए गोगोई ने कहा,'क्या अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने यह विधेयक बनाया है, या किसी और विभाग ने बनाया है? यह विधेयक कहां से आया? आज देश में अल्पसंख्यकों की हालत ऐसी हो गई है कि आज सरकार को उनके धर्म का प्रमाण पत्र देना पड़ेगा। क्या वे दूसरे धर्मों से प्रमाण पत्र मांगेंगे? सरकार धर्म के इस मामले में क्यों दखल दे रही है?'

शनिवार, 29 मार्च 2025

मार्कण्डेय काटजू देखो क्या लिखते है

अरबपति दोस्तों" के लिए 16 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ किए गए, जिससे बैंकिंग क्षेत्र में संकट आ गया-राहुल गांधी

"अरबपति दोस्तों" के लिए 16 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ किए गए, जिससे बैंकिंग क्षेत्र में संकट आ गया-राहुल गांधी राहुल गांधी ने भाजपा सरकार पर आर्थिक कुप्रबंधन का आरोप लगाया, और कहा कि "अरबपति दोस्तों" के लिए 16 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ किए गए, जिससे बैंकिंग क्षेत्र में संकट आ गया।शनिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में, गांधी ने कहा, "भाजपा सरकार ने अपने अरबपति दोस्तों के लिए 16 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ कर दिए हैं। भाई-भतीजावाद, नियामक कुप्रबंधन के साथ मिलकर, भारत के बैंकिंग क्षेत्र को संकट में डाल दिया है।" उन्होंने जूनियर बैंकिंग कर्मचारियों पर पड़ने वाले प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्हें कार्यस्थल के तनाव और जहरीली परिस्थितियों के माध्यम से परिणाम भुगतने पड़ते हैं। संसद में उनसे मिलने वाले 782 पूर्व आईसीआईसीआई बैंक कर्मचारियों के एक प्रतिनिधिमंडल का जिक्र करते हुए, गांधी ने दावा किया कि उनके अनुभवों से उत्पीड़न, जबरन तबादलों और अनैतिक ऋण प्रथाओं को उजागर करने के लिए प्रतिशोध का पता चला है। "उनकी कहानियाँ एक परेशान करने वाले पैटर्न को उजागर करती हैं - कार्यस्थल पर उत्पीड़न, जबरन तबादले, एनपीए उल्लंघनकर्ताओं को अनैतिक ऋण देने को उजागर करने के लिए प्रतिशोध, और उचित प्रक्रिया के बिना समाप्ति। दो दुखद मामलों में, इससे आत्महत्या हुई," उन्होंने कहा। गांधी ने जोर देकर कहा कि यह मुद्दा आईसीआईसीआई बैंक से आगे बढ़कर देश भर के कई बैंकिंग पेशेवरों को प्रभावित करता है। उन्होंने वित्तीय क्षेत्र के भाजपा सरकार के प्रबंधन की आलोचना करते हुए कहा, "भाजपा सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन की एक मानवीय कीमत है। यह अत्यंत चिंता का विषय है जो देश भर के हजारों ईमानदार कामकाजी पेशेवरों को प्रभावित करता है।" कांग्रेस नेता ने इस मुद्दे को उठाने और कार्यस्थल पर उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ लड़ने का संकल्प लिया। "कांग्रेस पार्टी इन कामकाजी वर्ग के पेशेवरों के लिए न्याय के लिए पूरी ईमानदारी से इस मुद्दे को उठाएगी," उन्होंने लिखा। इस बीच, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी 7 अप्रैल को बिहार का दौरा कर सकते हैं और पटना में 'संविधान सुरक्षा सम्मेलन' में भाग ले सकते हैं।

गुरुवार, 27 मार्च 2025

क्षत्रियों को कलंकित करते हुए

क्षत्रियों को कलंकित करते हुए करणी सेना हीरो की फोटो है . जो दो साल पहले बाइक चोरी में धराया था। आज ये आगरा मे सांसद राम जी सुमन के घर पर तोड़ फोड़ कर रहा था. फिर टमाटर सास को अपने कपड़े पर पोतकर हीरो बन रहा है. गजब है हिंदुत्व के नाम पर, राजपूतों के नाम पर, ब्राह्मणों के नाम पर दो कौड़ी के गुंडों की बहार आई हुई है। पुलिस का मनोबल कमजोर कर दिया गया है नहीं तो पुराने तरीके इस्तेमाल करके इन्हें एक मिनट पर लाइन पर लाया जा सकता था। अब हिंदू धर्म की ये औकात रह गयी है कि गुंडे अपराधी इसके रक्षक बन गये हैं ... डां बी एन सिंह

विश्व हिन्दू पारिषद का नेता कई करोड़ गांजे के साथ गिरफ्तार

प्रयागराज।हंडिया पुलिस ने डेढ़ करोड़ के गांजे के साथ एक तस्कर को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार तस्कर अमित त्रिपाठी उर्फ मुकुंद स्कोडा कार में विश्व हिंदू परिषद का झंडा लगाकर गांजे की अवैध तस्करी कर रहा था. अमित त्रिपाठी विश्व हिन्दू पारिषद का बड़ा नेता भी है और महाकुंभ में गांजा सप्लाई करके काफी पूण्य भी प्राप्त किया था। इसके कब्जे से 13 कुंतल अवैध गांजा व तस्करी में शामिल तीन वाहन बरामद किए हैं. वहीं, मिर्जापुर पुलिस ने करीब 8 लाख के अवैध गांजा के साथ 2 अन्तर्राज्यीय शातिर गांजा तस्कर को गिरफ्तार किया है घर में 50 बोरियों में रखा था गांजाःगंगानगर डीसीपी कुलदीप सिंह गुणावत ने बताया कि हंडिया थाना क्षेत्र के ग्राम चौरा बडेरा निासी अमित त्रिपाठी (24) ने अपने घर के गोदाम में 50 बोरियों में छिपा कर रखा था. अमित ने पूछताछ इन बताया कि वह उड़ीसा के रहने वाले जावेद खान से गांजा मंगाता था. इसके बाद वाहनों से प्रयागराज और उसके असास के जिलों में गांजा की सप्लाई करता था. इस काम में उसके रिश्तेदार मदद करते थे. मुनाफा आपस में बांट लेते थे. उसने गांजा तस्करी शुरू कर दिया. पिछले 3 साल में गांजा तस्करी से उसने लाखों रुपये कमाया किया है. उसने हाल ही में नई स्कोडा कार खरीदी है. डीसीपी ने बताया कि अमित के पास निशाना डिक्स, टाटा एक्स गोल्ड कार भी बरामद किया है. इन्हीं वाहनों से गंजे की तस्करी करता था. डीसीपी ने कहा कि इस नेटवर्क की तरह में जाने के लिए हमने टीम का गठन किया है.जल्द ही इस मामले में और भी गिरफ्तारियां होंगी. इस नेटवर्क में और कौन-कौन है और उनके तार कहां-कहां जुड़े हुए हैं, इसकी भी तलाश की जा रही है. उड़ीसा भी आरोपी सप्लायर की गिरफ्तारी के लिए टीमें जाएंगी. .
Share |