शुक्रवार, 8 नवंबर 2024

बुलडोजर बाबा का राज - पुल‍िस चौकी में मह‍िला संग रंगरेल‍ियां मनाता रहा युवक, सोते रहे पुल‍िसकर्मी!

बुलडोजर बाबा का राज - पुल‍िस चौकी में मह‍िला संग रंगरेल‍ियां मनाता रहा युवक, सोते रहे पुल‍िसकर्मी! हरदोई में पुल‍िस चौकी का एक वीड‍ियो वायरल हुआ ज‍िसने महकमे में हड़कंप मचा द‍िया। दरअसल ये वीड‍ियो पुल‍िस चौकी के बाथरूम में रंगरेलियां मनाते एक युवक का था। युवक पुल‍िस चौकी के बाथरूम में मह‍िला के साथ अश्‍लील हरकत कर रहा था। बुल्डोजर बाबा के राज में पुलिस की छवि आए दिन खराब होती रहती है लेकिन बुलडोजर का डीजल हमेशा समाप्त रहता है। तरह-तरह के कारनामों से पुलिस बदनाम हो रही है। लेकिन नारा यह लग रहा है कि बटोगे तो कटोगे। जिसका अर्थ यह है कि हिन्दू खतरे में है दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि देश प्रदेश सुरक्षित हाथों में है। यह तेहरापन सिर्फ संघ नियंत्रित और प्रशिक्षित भाजपा सरकार में ही है। महाकुंभ के अवसर पर संत समाज ने आपस में लात घूंसे जूते इस तरह चलाए हैं कि दुनिया आवाक रह गई है। संत समाज का यह हाल है तो संघी हिन्दुवत्व का क्या हाल होगा।

हिन्दुवत्व की सरकार - महाकुंभ मे साधु संतो में लात घूंसे व चप्पल चले

हिन्दुवत्व की सरकार - महाकुंभ मे साधु संतो में लात घूंसे व चप्पल चले उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ मेले से पहले ही संतों के बीच घमासान हो गया. महंतों ने एक-दूसरे पर जमकर थप्पड़, लात-घूंसे चलाए. यह हंगामा महाकुंभ को लेकर हो रही अखाड़ों की बैठक में हुआ. मेला प्रशासन की अखाड़ों को साथ-साथ बुलाई गई बैठक में विवाद हुआ है. अखाड़े के दोनों गुटों के बीच जमकर हाथापाई हुई. मेला प्राधिकरण ने अखाड़ों को आवंटित की जाने वाली भूमि दिखाने के लिए बैठक बुलाई थी. अखाड़ों के संत महात्मा प्रयागराज मेला प्राधिकरण के आई ट्रिपल सी सभागार में जुटे थे. इस दौरान अखाड़ों के महंतों के बीच कहा सुनी हुई और देखते ही देखते उनके बीच मारपीट होने लगी. साधु संत एक दूसरे के पर लात घूंसों और मुक्के बरसाने करने लगे. इस मारपीट से मेला प्राधिकरण सभागार में अफरा तफरी मच गई. महाकुंभ मेला अधिकारी और एसएसपी महाकुंभ मेला की मौजूदगी में हाथापाई की घटना हुई. जिसके बाद पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने बीच बचाव कर माहौल शांत कराया. हालांकि बवाल के चलते बैठक भी नहीं हो पाई. अखाड़ा परिषद के एक गुट के अध्यक्ष निरंजनी अखाड़े के महंत रविंद्र पुरी और महामंत्री हरि गिरी हैं, जबकि दूसरी गुट के अध्यक्ष महानिर्वाणी अखाड़े के महंत रविंद्र पुरी और महामंत्री राजेंद्र दास हैं. सितंबर 2021 में अखाड़ा परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी के निधन के बाद से अखाड़ा परिषद दो गुटों में बंटा हुआ है.

मुख्य न्यायाधीश चन्द्रचूड को समझे

सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस से लेकर जस्टिस रिटायर हो जाते थे, पता नहीं चलता था। सुप्रीम कोर्ट के भीतर विदाई समारोह होता था और कानून के पत्रकार श्रद्धा में उसकी रिपोर्टिंग कर देते थे। पिछले दस सालों में भारत की न्यायपालिका को देखने का नज़रिया बदला है। श्रद्धा का पर्दा हटा कर चीफ़ जस्टिस के कार्यकाल को देखा जाने लगा है। अदालतों की प्रक्रियाओं की समीक्षा रिपोर्टिंग डेस्क पर की जाने लगी है। रिपोर्टिंग की इस धारा का नायक बन कर उभरा है एक नौजवान पत्रकार सौरव दास। सौरव ने कम उम्र में ही क़ानून की रिपोर्टिंग की सारी बदबूदार इमारतें ध्वस्त कर दी हैं। यह लड़का आज अदालत के सामने अपनी कलम से अदालत बन गया है। पत्रकारिता के हर छात्र को सौरव का लिखा हुआ पढ़ना चाहिए। सौरव की रिपोर्टिंग ने हिन्दी की बौद्धिक दरिद्रता के कारणों से भी पर्दा हटा दिया है।बहुत से चालाक लोग तरह-तरह के वैचारिक उपनिवेशिकरण के वशीकरणों पर सारा दोष डाल कर पोथी-पतरा बाँचना शुरू कर देते हैं। हिंदी के बड़े बड़े पत्रकार थके पुराने नेताओं का इंटरव्यू कर पत्रकारिता में होने का बहाना कर रहे हैं, सामने होने वाली चीजों को लिखने के बजाए जेपी- लोहिया, गांधी-अंबेडकर करने में लगे हैं। धर्म की व्याख्या कर रहे हैं। इनके नाम पर सौदा करने लगे हैं। इस तरह से सबने अपना-अपना सुरक्षित ठिकाना खोज लिया है। महापुरुषवाद पुराना ठिकाना रहा है मगर अब तो यह क़िला बन गया है। सौरव जैसे पत्रकार इस महापुरुषवाद का प्रतिकार कर रहे हैं। राजनीति को धर्म के साथ साथ महापुरुषवाद से भी मुक्ति की तीव्र और शीघ्र ज़रूरत है। यह टाइम पास और पाला बदलने का हथियार बन गया है। सौरव की पत्रकारिता बता रही है कि किसी भी क्षेत्र में समृद्धि आती है साहसिक कार्यों, साहसिक यात्राओं और रचनाओं से। इस युवक ने अदालतों की ढहती दीवारों का हाल सबको सामने रख दिया है। हमारे समय में हो रही चीजों को उन मानकों से देखा जा सकता है, जिनकी बुनियाद पर लोकतंत्र और उसकी संस्थाएं खड़ी हैं। चीफ़ जस्टिस चंद्रचूड़ पर 44 पन्नों की रिपोर्ट लिख देना आसान नहीं है। एक न्यायाधीश के लंबे कार्यकाल का विश्लेषण भारत की पत्रकारिता में इतिहास बनाने वाला है। पढ़िएगा। बहुत से डरपोक और चालाक इसे शेयर करने से भी घबराएँगे। लेकिन कारवाँ ने इसे छाप कर एक नया मानक बना दिया है। कारवाँ को बधाई एक नई लाइन खींचने के लिए। -रवीस कुमार

गुरुवार, 7 नवंबर 2024

गोधरा काॅण्ड का अधूरा सच ?

गोधरा काॅण्ड का अधूरा सच ? 26 फरवरी सन 2002 अयोध्या तीर्थ यात्रा से वापिस लौट करके आने वाले 59 हिन्दू तीर्थ यात्रियों से भरे साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन को गोधरा स्टेशन के बाद आउटर सिंगनल पर रोक करके हथियार बन्द मुसलमान समूह ने घेर करके आग लगा दी थी ? इसमें 59 ब्राह्मण तीर्थ यात्रियों की हत्या कर दी गयी थी ? मुसलिम हत्यारों को सुपारी दी गयी थी ? दूसरे दिन 27 फरवरी 2002 पूर्व सुनियोजित तरीके से हिन्दुत्ववादी उग्रवादी लोगों ने 3 हजार से अधिक मुसलमानों को चुन चुन करके मार दिया तथा सैकड़ों मस्जिदों को तोड़ दिया तथा 50 हजार से भी अधिक मुसलमानों के घरों में आग लगा दी थी ? गुजरात के तत्कालीन मुख्य मन्त्री नरेन्द्र मोदी स्वयं पुलिस विभाग का नेतृत्व संभाल रहे थे । दंगों का दोषारोपण गृह मन्त्री हरेन पांड्या पर जड़ दिया गया था ? हरेन पांड्या ने दूसरे दिन पूर्व प्रधान मन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी को सत्य घटना की जानकारी भेज दी ? 26 मार्च 2003 के दिन सोहराबुद्दीन शेख की टीम ने हरेन भाई पांड्या की गोली मार करके हत्या कर दी । गुजरात के तत्कालीन डीजी पी बन्जारा ने पांड्या की हत्या की सुपारी सोहराबुद्दीन शेख को देता है ? एक महीने बाद सहराबुद्दीन शेख और तुलसी प्रजापति का बंजारा की टीम पुलिस मुड़ भेड़ में हत्या कर देती है ? शेख का भाई हत्या की सुनवाई गुजरात से बाहर सीबीआई की विशेष कोर्ट से करने की अपील सुप्रीम कोर्ट में करता है । सुप्रीम कोर्ट एस आई टी टीम का गठन करने और केस की सुनवाई मुम्बई की सीबीआई के विशेष जस्टिस बी एस लोया की अदालत को आदेश देता है । हत्या का आरोप अमित शाह पर लगता है । अमित शाह को गुजरात और मुम्बई से तड़ीपार करने का आदेश एस आई टी को देते है । सन 2014 केन्द्र में मोदी सरकार बन जाती है ? सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया संथाशिवम जी अमित शाह और दंगों के दोषी मुख्य मन्त्री मोदी को आरोप मुक्त कर देते हैं । सीबीआई जस्टिस बी एस लोया का भी ट्रास्फर मुम्बई से पूणे कर देते है । नागपुर में सरकारी गेस्ट हाऊस में सी बी आई जस्टिस बी एस लोया की सन 2014 में सन्देहस्पद मृत्यु हो जाती है ? चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया रिटायरमेन्ट के दूसरे दिन केरल के गवर्नर बना दिये जाते हैं ? गुजरात के आई बी ऑफिसर महेश भट्ट को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया है ? प्र. मंत्री अटल बिहारी मोदी को राजधर्म निभाने को कहते हैं, मतलब ईस्तिफा दो और गद्दी खाली करो। यहीं बीच में अडवानी का प्रवेश होता है , कहते हैं कि राजधर्म नहीं संघ धर्म निभाओ । और मोदी 2014 संघ धर्म निभाते हुये अडवानी से बडा हिंदू मसीहा बनकर उन्हीं को किनारे लगा देते हैं। संघ , कारपोरेट और गोधरा नरसंहार के हीरो का गठजोड़ होता है और मोदी देश की गद्दी पर कब्जा करते हैं। आज मोदी का असली राजदार तड़िप्पार पहले पार्टी अध्यक्ष बनता है फिर गृहमंत्री ,और दोनो मिलकर पार्टी और देश पर कब्जा कर लेते हैं ... यहां तक की संघ की भी औकात बता देते है। मोदी को एक लेटर भी ठीक ढंग से लिखना नहीं आता है ?, लवड़ेन भोज्यम्...." मोदी नाॅन ग्रेजुयेट हैं ? लोग कहते हैं, पता नही तीन का पहाड़ा भी नहीं आता ? तड़िप्पार कोई एंटायर पोलिटिकल साइंस की डीग्री दिखाता है , लोग उसको भी फर्जी कहते हैं? आखिर मोदी के पीछे इतना शक्तिशाली दिमाग किसका काम कर रहा है ? यह शोध का विषय है ? अथवा नहीं ? drbn singh.

मंगलवार, 5 नवंबर 2024

संघ में मतभेद दुश्मनी माना जाता है

संघ में मतभेद को दुश्मनी माना जाता है जबकि हमारी संस्कृति में मतभेद ज्ञानचर्चा का बेहद जुड़ा हुआ मर्म माना जाता है। चरवाहा (संचालक) हरि घास (अखंड भारत, हिन्दू खतरे में है) दिखाकर पशुओ को एक धारा में लाता है और पशु को जो आदेश या ज्ञान देता है उसे सारे पशु मानकर मिमियाने लगते है। किसी भी पशु ने मतभेद किया उसे दुश्मन माना जाता है और उसे झुंड (संघ) से निकाल दिया जाता है। संघ की यही विचार के कारण कोई भी बड़ा संघी जब उस जाल से फायदा उठाकर आगे बढ़ता हुवा अंत मे भारत का बड़ा पद धारण करता है तो वो संघ का दुश्मन भी बन जाता है। मोदी को ही देख लिजिये । 60 डिग्री के कोण से संघ ने उन्हें दुनिया दिखाया। लेकिन जब वो प्रधानमंत्री बने और जब उन्हें पता चला कि संघ का विषय ज्ञान का कोण तो मात्र 60 डिग्री है दुनिया तो 360 डिग्री से चलती है तो वो स्वतंत्र हो जाते हैं। लेकिन उसका पूरा बचपन संघ में बीता है। वो स्वतंत्रता संभाल नही सकते । क्योकि संघ में उनको कभी स्वतंत्र समझ पैदा होने ही नही दिया और इस कारण वो स्वतंत्र होकर उटपटांग काम करना शुरू कर देते हैं। जिसका परिणाम और विषैला हो जाता है। आज मोदी संघ का किरकिरी बन गये हैं। मोदी पहली सरकार में ही खुलकर आज बोलने लगे थे कि कि राम मंदिर उसके एजेंडे में नही - संघ दुखी मोदी खुलकर बोलने लगे थे कि धारा 370 उसके एजेंडे में नही - संघ दुखी - मोदी खुलकर आज मुस्लिम महिला जागरण की बात करत हैं - संघ दुखी -मोदी खुलकर आज मुस्लिम ठिकानों पर जाते हैं क्योकि वो चाहताे हैं लोग उनको नेहरू की तरह याद करें। महान जो बनना चाहते हैं - संघ दुखी -मोदी सनातनियों के ईच्छा के खिलाफ सांई बाबा के शरण में -संघ दुखी - संघ भगवा यात्रा चाहता है जबकि मोदी ने तिरंगा यात्रा निकाल रखी है - संघ दुखी -मोदी संविधान दिवस मना रहे हैं जबकि संघ संविधान को धोखा बताता रहा - संघ दुखी -संघ का एक भी आर्थिक नीति को मोदी ने लागू नही किया बल्कि उसने गुजराती लूटेरो के लिए सारे नीतिगत फैसले लिए - संघ दुखी और सबसे बड़ा। - संघ जितना बड़ा है मोदी- शाह की जोड़ी ने मिलकर उससे 3 गुना बड़ी अपनी फौज मोदी भक्त तैयार किया है जिसको केवल मोदीमय बना दिया है। और उनके करतूत लफंगों जैसा है- संघ बेहद दुखी। यानी समझ गए । मोदी स्वतंत्र हुये लेकिन विध्वंशक। वो संघ से स्वतंत्र हुये लेकिन उनको स्वतंत्रता का मतलब और उसकी जिम्मेदारी क्या होती है मालूम नही है। इसी लिए ये देश संघ और मोदी दोनो से दुखी है। क्योकि संघ से जुड़ा व्यक्ति भी खतरनाक है और स्वतंत्र होने के बाद और भी देश के लिए विध्वंशक। समझे कि नहीं समझे... drbn singh.

सोमवार, 4 नवंबर 2024

'शेख हसीना को शरण दी... और बात करते हैं बांग्लादेशी घुसपैठियों की'-हेमंत सोरेन

'शेख हसीना को शरण दी... और बात करते हैं बांग्लादेशी घुसपैठियों की', हेमंत सोरेन गृहमंत्री की टिप्पणी पर निशाना साधते हुए सीएम सोरेन ने सवाल किया कि झारखंड में उत्पादित बिजली केंद्र सरकार द्वारा बांग्लादेश को क्यों दी जाती है. जबकि राज्य के लोगों को इन बिजली संयंत्रों से होने वाले प्रदूषण से जूझना पड़ रहा है. क्या केंद्र का यह कर्तव्य नहीं है कि वह सीमाओं की रक्षा करे और घुसपैठ को रोके? झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी पारा हाई हो गया है. सीएम हेमंत सोरेन ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए बांग्लादेश के साथ संबंध बढ़ाने का आरोप लगाया. गढ़वा विधानसभा सीट के रांका में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा नेताओं के पास बांग्लादेश को लेकर "दोहरे मानदंड" हैं. उन्होंने सवाल किया कि केंद्र ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बाहर किए जाने के बाद भारत में शरण लेने की अनुमति क्यों दी. सोरेन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने शपथ लेते समय संविधान के सामने सिर झुकाया, उन्होंने कहा कि देश संविधान के अनुसार चलेगा और समाज के सभी वर्गों को समान अधिकार मिलेंगे, तो मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या आपने बांग्लादेश के साथ कोई आंतरिक व्यवस्था की है? मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आपने शेख हसीना के हेलीकॉप्टर को यहां उतरने की अनुमति क्यों दी. आपने उन्हें किस आधार पर शरण दी है? मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की यह टिप्पणी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा रांची में एक चुनावी रैली को संबोधित करने के एक दिन बाद आई है, उन्होंने झामुमो के नेतृत्व वाली सोरेन सरकार पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था. अमित शाह ने दावा किया था कि झारखंड में आदिवासी आबादी घट रही है और इसकी जनसांख्यिकी तेजी से बदल रही है. सीएम सोरेन ने साधा अमित शाह पर निशाना अमित शाह ने यह भी वादा किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में अगर भाजपा सत्ता में आती है तो झारखंड में घुसपैठियों से जमीन वापस लेने और उन्हें बाहर निकालने के लिए एक सख्त कानून बनाएंगे. गृहमंत्री की टिप्पणी पर निशाना साधते हुए सीएम सोरेन ने सवाल किया कि झारखंड में उत्पादित बिजली केंद्र सरकार द्वारा बांग्लादेश को क्यों दी जाती है. सीएम सोरेन ने उठाए सवाल उन्होंने कहा कि झारखंड में उत्पादित बिजली बांग्लादेश को दी जा रही है, जबकि राज्य के लोगों को इन बिजली संयंत्रों से होने वाले प्रदूषण से जूझना पड़ रहा है. क्या केंद्र का यह कर्तव्य नहीं है कि वह सीमाओं की रक्षा करे और घुसपैठ को रोके? राज्य सरकारों की इसमें कोई भूमिका नहीं है. घुसपैठिए आपके (भाजपा) शासित राज्यों से भारत में प्रवेश करते हैं, आप वहां घुसपैठ को क्यों नहीं रोकते? सीएम सोरेन ने कहा कि वे (भाजपा) खुद स्वीकार करते हैं कि उनके राज्य में घुसपैठ होती है, फिर भी वे झारखंड को जिम्मेदार ठहराते हैं. संघ नियंत्रित और प्रशिक्षित भाजपा सरकार दोहरे मापदंड अपनाती है।

मीर जाफर और पन्द्रह लाख के लालची

-बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के दरबार में उपस्थित होकर ईस्ट इंडिया कम्पनी का प्रतिनिधि राबर्ट क्लाईव बंगाल में व्यापार करने की अनुमति मांग रहा था। सिराजुद्दौला ने साफ मना कर दिया। कहा, "मेरे नाना ने कहा है , सब पर विश्वास करना मगर अंग्रेजों पर मत करना, इसलिये आप बाहर जायें। क्लाईव ने युद्ध की धमकी दी, सिराजुद्दौला ने कहा, मुझे युद्ध करना मंजूर है लेकिन तुमको यहां व्यापार करने की अनुमति नही दूँगा। बंगाल के पूर्व नवाब अलीवर्दी खाँ को बेटा नही था , उन्हे सिर्फ बेटी थीं इसलिये उन्होने अपनी बेटी के पुत्र सिराजुद्दौला को अपना उत्तराधिकारी बनाया था। अलीवर्दी खाँ अंग्रेजों के बहुत खिलाफ थे और उन्हे कभी प्रश्रय नही दिया। सिराजुद्दौला ने राबर्ट क्लाईव की चुनौती को स्वीकार किया और तय हुआ 23 जून 1757 को प्लासी के मैदान में युद्ध होगा। ( प्लासी , बंगाल की तत्कालीन राजधानी मूर्शिदाबाद से 22 की0मी0 दूर नदिया ज़िले में अवस्थित है।) सिराजुद्दौला ने अपने गुप्तचरों से पता कराया तो पता चला कि क्लाईव के पास मात्र 3050 ( 950 यूरोपियन और 2100 भारतीय ) सैनिक हैं। सिराजुद्दौला निश्चिंत हो गया कि उसके अठारह हजार सैनिक मिनटों में राबर्ट क्लाईव को मसल देंगे, इसलिये अति आत्मविश्वास में स्वयं नही जाकर उसने अपने सेनापति मीर जाफर को भेज दिया। प्लासी के मैदान में सिराजुद्दौला की विशाल फौज देखकर राबर्ट क्लाईव के हाँथ पाँव फूल गये, लेकिन क्लाईव जानता था कि अगर हिंदुस्तानियों को लालच दो तो वे अपनी मातृभूमि क्या , सात पुश्तो को भी बेच देंगे। उसने तुरंत मीरजाफर को संधि प्रस्ताव भेजा और उसे बंगाल और बिहार का नवाब बनाने का लालच दिया। मीरजाफर स्वार्थ में अंधा होकर क्लाईव के जाल में फंस गया और संधि हो गयी। कुछ लोग कहते हैँ कि प्लासी में बड़ा भीषण युद्ध हुआ, वे गलत हैं, प्लासी में कोई युद्ध नही हुआ सिर्फ संधि हुई, और इस संधि के तहत अठारह हजार की फौज के साथ एक सेनापति ने तीन हजार की फौज के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। प्रसिद्ध इतिहासकार पणिक्कर कहते हैं। प्लासी का युद्ध वास्तव में कोई युद्ध नही था , यह एक षड्यंत्र और विश्वासघात का घिनौना प्रदर्शन था , लेकिन इसका स्थान विश्व के निर्णायक युद्धों में से एक है। क्योंकि इसी के द्वारा बंगाल से भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव डालने की शुरुआत हुई और एक व्यापारिक संस्था ने राजनीतिक बागडोर अपने हांथो में ले ली। अब राबर्ट क्लाईव अपनी डायरी में लिखता है, "जब मैंने मीरजाफर को संधि के जाल में फंसा लिया तो हमलोग मूर्शिदाबाद की ओर बढे। मै आगे घोड़े पर सवार, मेरे पीछे मेरे 950 यूरोपियन सिपाही और उसके पीछे बीस हजार भारतीय फौज, हमलोग जब जा रहे थे तो सड़क के दोनोें किनारे खड़े भारतीय तालियां बजा रहे थे। अगर ये विरोध में एक एक पत्थर भी चला देते तो हम सभी मारे जाते।" कहानी आगे भी है लेकिन मेरा उद्देश्य यही पूरा हो जाता है, इसलिये यहीं समाप्त करता हूँ। हमें लगता है कि हम सब कहीं न कहीं आज भी अपने अन्दर मीरजाफर को पाल कर रखे हुए हैं। पन्द्रह लाख का लालच मिला तो अपनी बुद्धि , विवेक , ज्ञान और नैतिकता पर लोभ की चादर चढ़ा कर कूदने लगे। यह दृश्य बदला नही है। आज भी हम सड़क के किनारे खड़े होकर तालियां बजाने वालों के अनुसरण में हर भ्रष्टाचार , अपराध , कुकर्म और बेशर्मी पर खुश होकर तालियां बजा रहे हैं। -एडवोकेट सुधीर सिंह रघुवंशी

योगी की बेलगाम पुलिस अधिकारियों की इज्ज़त पुलिस लूट रही है

योगी की बेलगाम पुलिस अधिकारियों की इज्ज़त पुलिस लूट रही है बहराइच में दरोगा की दबंगई सामने आई है। जहां सरेआम एयरपोर्ट मैनेजर और बैंक मैनेजर को पीट दिया। उधर, घटना का वीडियो वायरल होने पर अब एसपी ने दरोगा को सस्पेंड कर दिया है।

रविवार, 3 नवंबर 2024

योगी पुलिस - प्रदेश में पटाखा और मिठाई की लूट - मेरठ में बड़ी घटना

उ प्र के मेरठ में दो दरोगाओं को रौब दिखाकर वसूली करने भारी पड़ गया. दोनों पटाखों की दुकान पर जाकर अवैद वसूली कर रहे थे. इसी बीच ऐसी गलती कर बैठे कि उनकी जान पर बन आई. लोगों ने उन्हें बंधक बना लिया और जमकर पीटा. कुछ घंटे बाद जब पुलिस को घटना की खबर लगी. तो पुलिस टीम मौके पर जा पहुंची. दोनों पुलिसकर्मियों को लोगों को चुंगल से छुड़ाने के लिए मिन्नतें करनी पड़ीं, तब जाकर पब्लिक ने उन्हें छोड़ा. मेरठ में उत्तर प्रदेश पुलिस के दरोगाओं को बंधक बनाकर पीटने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. दरोगाओं पर आरोप है कि अवैध पटाखों की बिक्री के नाम पर वसूली करने पहुंचे थे. वसूली के दौरान दुकानदार से मारपीट करने पर इलाके के लोगों का आक्रोश भड़क गया. जिसके बाद दरोगाओं को बंधक बना लिया गया और उनके साथ मारपीट भी की गई. थाना पुलिस ने 3 घंटे बाद मौके पर पहुंचकर बंधक दरोगाओ को लोगों के पास से छुड़वाया. 5 लड़के बात-बात में फेंकते थे नोटों की गड्डियां, शॉकिंग थी रईसी की ठसक दरोगाओं पर लगा ये आरोप हालांकि इस मामले में अभी तक पुलिस ने कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया है, बल्कि सीओ सदर देहात पूरे मामले की जांच में जुटी है. मामला मेरठ के थाना परीक्षितगढ़ इलाके के गोविंदपुरी गांव का है. जहां पर सत्येंद्र और शिवम दो दरोगाओं पर चेकिंग के दौरान वसूली का आरोप लगा है. दरअसल अवैध पटाखा बेचने की सूचना पर इन लोगों ने एक घर में दबिश दी थी. इसके बाद उन्होंने कार्रवाई न करने के एवज में डिमांड कर डाली. इतना ही नहीं दुकानदार के डिमांड पूरी न करने पर उसके साथ मारपीट भी की. इसी बात को लेकर इलाके लोगों का आक्रोश फूट पड़ा. कड़ी मशक्कत के बाद लोगों ने छोड़ा घंटों तक हंगामा हुआ. इस दौरान दरोगाओं को बंधक बना लिया गया. यूपी पुलिस के दरोगा को बंधक बनाने की सूचना पर थाना पुलिस में मौके पर पहुंची इसके बाद लोगों को समझा बूझकर शांत किया गया. घंटों की मशक्कत के बाद बंधक दरोगाओं को छुड़वाया गया. पुलिस ने अब तक इस मामले में कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया है. पूरे मामले की जांच सीओ सदर देहात कर रही है.

योगी पुलिस - रिटायर्ड फौजी बोला- पुलिस ने कमरे में बंदकर मुझे आतंकवादी की तरह पीटा

दीपावली पर मारपीट, रिटायर्ड फौजी बोला- पुलिस ने कमरे में बंदकर मुझे आतंकवादी की तरह पीटा रायबरेली :डलमऊ इलाके में दीपावली की रात प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के 2 गुटों में मारपीट हो गई थी. सुलह कराने के लिए दोनों पक्षों को घुरवारा पुलिस चौकी पर बुलाया गया था। रिटायर्ड फौजी ने चौकी इंचार्ज समेत अन्य पुलिस कर्मियों पर मारपीट का आरोप लगाया. कहा कि उसे कमरे में बंदकर आतंकवादियों की तरह पीटा गया. रिटायर्ड फौजी ने पुलिस कर्मियों पर लगाए गंभीर आरोप पुलिस ने इतना मारा कि जिंदगी भर भूल नहीं सकूंगा :मीडिया के सामने रिटायर्ड फौजी इंदल सिंह ने कहा कि वह घर पहुंचे. इसके बाद बच्चे मार्केट गए. इसी दौरान बच्चों में लड़ाई हो गई. यह चौकी के पास की घटना है. हमने चौकी इंचार्ज हिमांशु मलिक से शिकायत की. कहा कि चौकी के पास घटना हो रही है. अगर दूर-दराज में होती तो पता भी नहीं चलता. इतना कहने के बाद 4 कांस्टेबल 2 एसआई ने मुझे चारों तरफ से घेर लिया. चौकी में बने कमरे में मुझे लेकर गए. कहने लगे कि मेरा बयान लेना है. मेरे साथ वो सलूक किया जिसे मैं बता नहीं सकता हू. मुझे इतना मारा है कि जिंदगी में मैं कभी उस चीज को भूल नहीं सकता हू. मैं सीएम योगी जी से ये कहना चाहूंगा कि अगर हर रिटायर्ड फौजी के साथ ये होता रहा तो क्या ये देश चलेगा, प्रदेश चलेगा. पुलिस ने मुझे आतंकवादी की तरह मारा। वहीं रिटायर्ड फौजी के परिजनों ने शनिवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर कर पुलिस पर पिटाई करने और फर्जी मुकदमा दर्ज करने का आरोप लगाया है. मामले में सवर्ण आर्मी और करणी सेना के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने रिटायर्ड फौजियों के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन भी सौंपा।

शनिवार, 2 नवंबर 2024

मोदी के क्षेत्र में चार सौ किताबों के लेखक एसएन खंडेलवाल वृद्धाश्रम की शरण में

मोदी के क्षेत्र में चार सौ किताबों के लेखक एसएन खंडेलवाल वृद्धाश्रम की शरण में उत्तर प्रदेश के वाराणसी के लेखक श्रीनाथ खंडेलवाल उर्फ एसएन खंडेलवाल चर्चा में है। इस सीनियर लेखक के बारे में बड़ी जानकारी सामने आई है। उन्हें उनके बच्चों ने घर से बेदखल कर दिया है। अब वह अपनी आपबीती सुनाते दिख रहे हैं। वह बताते हैं कि हमारा बनारस में जन्म हुआ। हम वहीं के रहने वाले हैं। काशी के कुश वृद्धाश्रम में पहुंचे लेखक ने कहा कि हमें हमारे बच्चों ने हमें घर से निकाल दिया है। इस कारण यहां आना पड़ा। उन लोगों ने हमारी जायदाद छीन ली। एसएन खंडेलवाल बताते हैं कि हमारी बच्ची सुप्रीम कोर्ट में वकील है। उसका पति भी सुप्रीम कोर्ट में वकील है। बेटा भी बड़ा आदमी है। सब बड़े-बड़े आदमी हैं, लेकिन हमें घर से निकाल दिया। एसएन खंडेलवाल ने बताया कि उनकी संपत्ति करीब 80 करोड़ की है। लेकिन, उनके बच्चों ने उनकी संपत्ति से उन्हें बेदखल कर दिया। भारी मन से वे बताते हैं कि जब हम बीमार पड़े तो हमारे बच्चों ने कहा कि इसकी लाश को बाहर फेंक देना। यह सब सुनकर दुख हुआ। सबसे दुखी हैं। इस कारण वृद्धाश्रम में आ गए। लेखक बताते हैं कि हमने अब तक 400 से अधिक किताबें लिखी हैं। इसमें 18 पुराण, 21 उपपुराण और तंत्र की करीब 400 किताबें शामिल हैं। अभी वे लेखन कार्य में लगे हुए हैं। लेकिन, बच्चों की बेरुखी ने उन्हें बेघर कर दिया है। बच्चों से दुखी हैं लेखक लेखक एसएन खंडेलवाल अपने ही बच्चों से दुखी हैं। अपने बेटी और बेटे से दुखी होने के सवाल पर एसएन खंडेलवाल कहते हैं कि हम सबसे दुखी हैं। अपने बच्चों के बारे में बताते हुए वे कहते हैं कि हमारे दो बेटे और एक बेटी थी। एक बेटा मर चुका है। एक बेटा है, लेकिन वह बहुत बड़ा आदमी है। बेटे अनूप खंडेलवाल के बारे में वह कहते हैं कि उसके पास लाखों की जायदाद है। वह बनारस में रहता है। वे दोहराते हैं कि उन लोगों ने हमें घर से निकाल दिया। जब हम बीमार पड़े तो एक मुस्लिम ने मेरी देखरेख की। हमने उसे बचाया था। दो लड़की की शादी की। गलत धंधे में जाने से रोका था, लेकिन हमारे बच्चों ने हमारी सुधि तक नहीं ली। नरसिंह पुराण की कर रहे हैं रचना काशी के कुश वृद्धाश्रम में रह रहे एसएन खंडेलवाल ने वहां रहने के मुद्दे पर बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि हमें यहां रहने में कोई तकलीफ नहीं है। हम यहां बड़े मजे में किताब लिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी हम एक पुराण लिख रहे हैं। इससे पहले हमारी तीन पुराण छपकर आई है। उन्होंने बताया कि हम नरसिंह पुराण रचना कर रहे हैं। यह पुस्तक अभी इंग्लिश और संस्कत में ही है। उसकी हिंदी में कॉपी नहीं आई है। हम इसे हिंदी में लिख रहे हैं। एसएन खंडेलवाल कहते हैं कि इस आश्रम में हमें कोई परेशानी नहीं हो रही है। अपने बेड की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं कि हम यहीं पर बैठकर लिखते हैं। केवल आंख की थोड़ी सी परेशानी है। इसके अलावा आश्रम में हमें सभी तरह का सपोर्ट मिलता है। पद्मश्री पर किया बड़ा दावा एसएन खंडेलवाल दावा करते हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान में से एक पद्मश्री पुरस्कार देने का फैसला लिया था। लेकिन, उन्होंने इसे ग्रहण करने से इनकार कर दिया। वे कहते हैं कि हमने पद्मश्री सम्मान लेने से मना कर दिया था। उन्होंने कहा कि हमारे गुरु कहते थे, कुछ भी लेने कहीं नहीं जाना है। अगर कोई कुछ देना चाहे तो यहां (घर) आकर दे सकता है। हालांकि, पद्म पुरस्कार के लिए मुझे दिल्ली जाना पड़ता। इसलिए, हमने उससे इनकार कर दिया। वृद्धाश्रम में रह रहे एसएन खंडेलवाल की स्थिति की चर्चा इस समय खूब हो रही है।
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