सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

मरगे आशिक पर फ़रिश्ता मौत का बदनाम था

देश-विदेश में भौतिक विकास तो हुआ, लोग शिक्षित भी हुए, सुख-सुविधायें बढ़ी परन्तु मानवता न जाने कहाँ सो गई, इधर तबड़तोड़ कई हृदय-विदारक घटनायें घट गई, डेढ़ सौ वर्ष पूर्व की गालिब की यह पंक्ति अब भी फरयाद कर रही है:-
आदमी को भी मयस्सर नहीं इनसां होना ?
अब घटनाओं पर जरा नजर डलिये-
पुणे में आतंकी हमला-11 मरे, 40 जनवरी-यह हमला कोरे गाँव स्थित जर्मन बेकरी पर हुआ- शक इण्डियन मुजाहिद्दीन पर भी और हेडली पर भी- मेरा यह कहना है कि अत्याचार, जुल्म, हत्याएं किसी की भी हों, कहीं भी हों, किसी ने की हों, इन पर दुख करना चाहिये तथा इनकी अत्याधिक र्भत्सना की जानी चाहिये, परन्तु दुख इस बात का है कि जिम्मेदार वर्ग से जो प्रतिक्रियाएं आनी चाहिए वह नहीं आईं।
दूसरी घटना-झाण ग्राम व लालगढ़ के धर्मपुर में सुरक्षा बलों के तीन शिविरों पर पुलिस कैम्प पर पहले-30 जवान शहीद-पांच दिन बाद फिर-बिहार के जमुई जिले के फुलवारिया गाँव में नक्सलियों ने 12 लोगों को मौत के घाट उतारा-इन घटनाओं में भी इंसान मारे गये, परन्तु प्रतिक्रियाएं सुनने को नहीं मिलीं।
आतंकवादी घटना पर चार दिन बाद यह कहा गया है कि इस धमाके में डेविड हेडली का हाथ होने के सुराग मिले हैं, उसने इससे पूर्व पुणे का दौरा भी किया था। अब पाकिस्तान की भी एक खबर पर गौर करें-पाकिस्तान की एक अदालत ने पांच अमेरिकी मुस्लिमों की अपील खारिज कर दी। इन पांचों पर इण्टरनेट के माध्यम से आतंकियों से सम्पर्क करने और हमलों की साजिश रचने का आरोप है। वर्जीनिया के इन आरोपियों को सरगोधा इलाके से गिरफ्तार किया गया था। आप को याद होगा कि सी0बी0आई0 की एक विशेष टीम अमेरिका इसलिये गई थी कि हेडली से पूछताछ करे परन्तु उसे हेडली से मिलने की इजाजत नहीं दी गई टीम बैरंग वापस आई। बुद्धजीवी इन सब बातों पर समग्र रूप से विचार करें और इस शेर पर राय दें कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि:-

मरगे आशिक पर फ़रिश्ता मौत का बदनाम था।
वह हँसी रोके हुए बैठा था जिसका काम था।

-डा0एस0एम0 हैदर

5 टिप्‍पणियां:

PD ने कहा…

बस एक सवाल पूछने आया हूँ.. आप हर किसी के पोस्ट पर सिर्फ "nice" लिख कर क्यों निकल जाते हैं? इससे अच्छा तो कमेन्ट ना ही लिखें तो बढ़िया.. हो सकता है कि आपको वह पोस्ट सच में अच्छा लगता हो तभी आप "nice" लिखते हों.. मगर दिखता यही है कि आपने पढ़े बिना ही "nice" लिखा और निकल लिए..

अब तो लोग आपको सुमन के नाम से नहीं nice के नाम से जानने लगे हैं..

Urmi ने कहा…

आपने सच्चाई को बखूबी प्रस्तुत किया है! हाल ही में हुए पुणे के बम बिस्फोट में कितने मासूमों की जान चली गयी! हमारे देश में पुलिस अपना काम तो कर ही रही है पर बढती आबादी के कारण हर जगह यानि छोटे छोटे दुकानों की हिफाज़त करना मुश्किल की बात है!

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

सुन्दर पोस्ट
आभार...........

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

सुन्दर पोस्ट
आभार...........

Pushpendra Singh "Pushp" ने कहा…

सुन्दर पोस्ट
आभार...........

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