शनिवार, 27 नवंबर 2010

1942 भारत छोडो आन्दोलन में आरएसएस की भागीदारी ?

आरएसएस की भागीदारी ! स्वतंत्रता संग्राम में........? भाग 2

गर आरएसएस का रवैया 1942 के भारत छोडो आन्दोलन के प्रति जानना हो तो श्री गुरूजी के इस शर्मनाक वक्तव्य को पढना काफी होगा:

1942 में भी अनेकों के मन में तीव्र आन्दोलन थाउस समय भी संघ का नित्य कार्य चलता रहप्रत्यक्ष रूप से संघ ने कुछ करने का संकल्प कियापरन्तु संघ के स्वयं सेवकों के मन में उथल-पुथल चल ही रही थीसंघ यह अकर्मण्य लोगों की संस्था है, इनकी बातों में कुछ अर्थ नहीं ऐसा केवल बाहर के लोगों ने ही नहीं, कई अपने स्वयंसेवकों ने भी कहावे बड़े रुष्ट भी हुए

इस तरह स्वयं गुरूजी से हमें यह तो पता लग जाता है कि आरएसएस ने भारत छोडो आन्दोलन के पक्ष में परोक्ष रूप से किसी भी तरह की हिस्सेदारी नहीं कीलेकिन आरएसएस के किसी प्रकाशन या स्वयं गोलवलकर के किसी वक्तव्य से आज तक यह पता नहीं लग पाया है कि आरएसएस ने अप्रत्यक्ष रूप से भारत छोडो आन्दोलन में किस तरह की हिस्सेदारी की थीगोलवलकर का यह कहना है कि भारत छोडो आन्दोलन के दौरान आरएसएस का 'रोजमर्रा का काम' ज्यों का त्यों चलता रहा, बहुत अर्थपूर्ण है यह 'रोजमर्रा का काम' क्या था ? इसे समझना जरा भी मुश्किल नहीं है यह काम था मुस्लिम लीग के कंधे से कन्धा मिलकर हिन्दू और मुसलमान के बीच खाई को गहराते जाना इस महान सेवा के लिए कृतज्ञ अंग्रेज शासकों ने इन्हें नवाजा भीयह बात गौरतलब है कि अंग्रेजी राज में आरएसएस और मुस्लिम लीग पर कभी भी प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया

-आरआरएस को पहचानें किताब से साभार
क्रमश:

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