रविवार, 9 अक्तूबर 2011

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय भाग 5

विशेष पुलिस अधिकारियों
(एस0पी0ओ0) की नियुक्ति एवं सेवा शर्तें

28. कोया कमांडो की कार्यप्रणाली के सम्बन्ध में वादियों के द्वारा कई आरोप लगाए गए। इस अदालत के द्वारा पूछे जाने पर कि कोया कमांडो कौन है और क्या है छत्तीसगढ़ राज्य ने अपने दो हलफनामों एवं लिखित टिप्पणी के माध्यम से निम्नलिखित तथ्य प्रकट किए हैं-
क. 2004 और 2010 के दौरान राज्य में 2298 नक्सलवादी हमले हुए, 538 पुलिस एवं सुरक्षा बलों के कर्मी मारे गए। इन आक्रमणों में 169 विशिष्ट पुलिस अधिकारी मारे गए एवं 32 सरकारी अधिकारी एवं 1064 ग्रामीण मारे गए। राज्य के नक्सल प्रभावित जिलांे में विशिष्ट पुलिस अधिकारी सम्पूर्ण सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण अंग हैं। दांतेवाड़ा जिले का चिंतलनारि क्षेत्र सर्वाधिक नक्सलियों से प्रभावित क्षेत्र है। यहाँ पर एक घटना में 76 सुरक्षा कर्मी मारे गए थे।
ख. जैसा कि पिछले हलफनामोें में छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा कहा गया, कि सलवाजुडूम के दिन पूरे हो गए हैं और इसका अस्तित्व एक बल के रूप में नहीं रहा। वादी एवं स्वामी अग्निवेश का दावा कि सलवा जुडूम, विशिष्ट पुलिस अधिकारी एवं कोया कमांडोज के रूप में अब भी सक्रिय हैं गलत है एवं कोया कमांडो का नाम आधिकारिक नहीं है एवं किसी व्यक्ति की नियुक्ति कोया कमांडो के रूप में नहीं की गई है। यह बात सही है कि विशिष्ट पुलिस अधिकारियों में कुछ लोग कोया कबीले के हैं अतएव उन्हें लोगों के द्वारा कोया कमांडो की संज्ञा दी गई। पूर्व में विशिष्ट पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति इण्डियन पुलिस एक्ट 1861 की धारा 17 के तहत डिस्ट्रिक्ट मजिस्टेªट के द्वारा की जाती थी। इस धारा के तहत नियुक्त किए गए विशिष्ट पुलिस अधिकारी अपनी शक्तियों, कर्तव्य एवं दायित्व की प्राप्ति इण्डियन पुलिस एक्ट की धारा 18 से करते थे किन्तु छत्तीसगढ़ पुलिस एक्ट 2007 के निर्मित होने के पश्चात अब विशिष्ट पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति इसी धारा के तहत की जाती है। एस0पी0ओ0 को 3000 रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाता हैै जिसका 80 प्रतिशत भारत सरकार के द्वारा वहन किया जाता है। एस0पी0ओ0 की नियुक्ति गाइड के रूप में, अनुवादक के रूप में तथा जासूस के रूप में की जाती है। आत्म सुरक्षा के लिए उन्हें शस्त्र प्रदान किए जाते हैं। कुछ अन्य राज्यों ने भी एस0पी0ओ0 की नियुक्ति की है। नक्सली एस0पी0ओ0 का विरोध इसलिए करते हैं क्योंकि एस0पी0ओ0 स्थानीय होने के कारण स्थानीय लोगों की बोली एवं उनके परिक्षेत्र से अच्छी तरह परिचित हैं। 28/3/2011 तक छत्तीसगढ़ राज्य के द्वारा कुल 6500 एस0पी0ओ0 की नियुक्ति का अनुमोदन भारत सरकार द्वारा किया गया। यहाँ पर यह तथ्य उल्लेखनीय है एक वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ राज्य ने इस अदालत को सूचना दी थी कि छत्तीसगढ़ में नियुक्त कुल एस0पी0ओ0 की संख्या 3000 है। यह आँकड़ा वर्तमान हलफनामें में वर्णित संख्या की तुलना में दोगुने से भी अधिक है।
29. उक्त शपथनामे के दाखिल होने के उपरान्त, हमने कुछ मुद्दों को उठाया था जिस पर छत्तीसगढ़ राज्य के द्वारा कोई प्रकाश नहीं डाला गया। यह मुद्दे निम्नलिखित हैं:-
क. इस नियुक्ति के लिए वंाछित योग्यता क्या थी?
ख. उनके प्रशिक्षण का तरीका एवं सीमा क्योंकि उन्हें शस्त्रों को चलाना पड़ता था।
ग. छत्तीसगढ़ राज्य के द्वारा इन एस0पी0ओ0 की गतिविधियों पर नियंत्रण का तरीका।
घ. यदि अपने कर्तव्य का पालन करते हुए इन एस0पी0ओ0 की मृत्यु हो जाती है या उन्हें कोई गंभीर चोट पहुँचती है तो इन एस0पी0ओ0 और उनके परिवार वालों को क्या सुविधाएँ प्रदान की जाएगी?
5. यदि किसी एस0पी0ओ0 को उसके पद से पदच्युत किया जाए तो उस दशा में उनके हथियारों की वापसी की प्रक्रिया क्या होगी? इस सम्बन्ध में छत्तीसगढ़ राज्य ने 03/05/2011 को एक हलफनामा दाखिल किया और बाद में जब हमने इस मामले के आदेश को सुरक्षित कर लिया तो एक अन्य लिखित दस्तावेज 16/05/2011 में दाखिल किया, इस दस्तावेज के मुख्य बिन्दु निम्नलिखित थे:-
1. भारत सरकार ने हर राज्य के लिए सिक्युरिटी रेटेड एक्सपेंडीचर की योजना के तहत उनके वेतन की भुगतान के उद्देश्य से एस0पी0ओ0 की संख्या की अपर सीमा निर्धारित की है।
2. वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ सरकार पुलिस एक्ट 2007 की धारा 9 (ए) के अन्तर्गत एस0पी0ओ0 की नियुक्ति करती है एवं सी0पी0ए0 2007 की धारा 9 (2) के तहत एस0पी0ओ0 को वही शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार प्राप्त हंै जो छत्तीसगढ़ राज्य के सामान्य पुलिस को प्राप्त है। एस0पी0ओ0 छत्तीसगढ़ पुलिस बल का एक अभिन्न अंग है एवं पुलिस कप्तान के निर्देश, नियंत्रण एवं निरीक्षण में वे उसी प्रकार हैं जिस प्रकार अन्य पुलिसकर्मी। एस0पी0ओ0 भी उसी प्रकार अनुशासन एवं कानूनी प्रक्रिया के अधीन हंै जिस प्रकार दूसरे पुलिस कर्मी। अब तक 1200 एस0पी0ओ0 का निलंबन किया जा चुका है। यदि किसी को अपने कर्तव्य के निर्वहन में शिथिल पाया गया तो उसके कार्यकाल का नवीनीकरण एवं विस्तार नहीं किया गया (फिर भी इस लिखित दस्तावेज में यह भी कहा गया कि इण्डियन पुलिस एक्ट 1861 की धारा 17 के तहत इनकी नियुक्ति की गई)
3. एस0पी0ओ0, एक सहायक बल एवं बलवर्धक शक्ति के रूप में कार्य करती है। एस0पी0ओ0 की नियुक्ति श्री वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में गठित द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग के द्वारा की जाती है।
4. छत्तीसगढ़ राज्य के नियमित पुलिस बल एवं सुरक्षा बलों की कमी की समस्या को एस0पी0ओ0 के द्वारा बहुत सीमा तक सुलझा दिया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य में 2007 में 3 सदस्यीय एक कमेटी नक्सलवादियों की समस्या से निपटने के लिए गठित की गई। इस कमेटी ने अंदाजा लगाया था कि लगभग 70 बटालियन पुलिस बल की आवश्यकता होगी जिसके सापेक्ष वर्तमान मंे राज्य में केवल 40 बटालियन है, जिसमें कि 24 केन्द्रीय सुरक्षा बल, 6 इण्डियन रिजर्व पुलिस बल एवं 10 बटालियन छत्तीसगढ़ राज्य की है। 30 बटालियनों की कमी अब भी है।
5. एस0पी0ओ0 की नियुक्ति आवश्यक है क्योंकि नक्सलवादियों ने विस्थापित ग्राम वासियों के रिलीफ कैंपों पर हमले किए हैं। 2005 एवं 2011 के
मध्य में 41 माओवादी हमले किए गए जिसमें कि 47 लोग मार दिए गए एवं 37 घायल हो गए। केवल दांतेवाड़ा जिले में 34 हमले हुए जिसमें 37 लोग मारे गए एवं 26 लोग जख्मी हुए। आदिवासी नवजवान अपनी सुरक्षा एवं अपने परिवार और गाँव को हिंसक आक्रमणों से बचाने के लिए एस0पी0ओ0 में शामिल हुए। नक्सलवादी हिंसा से ग्रसित नवयुवक जो कि स्थानीय क्षेत्रों एवं उनकी बोलियों से परिचित होते हैं, अपनी इच्छा से चरित्र पुष्टि के पश्चात एस0पी0ओ0 बनने के लिए तैयार होते हैं। उन्हें अस्थाई रूप से नियुक्त किया जाता हैं। यह नियुक्ति सम्बंधित पुलिस थाना प्रभारी एवं राजपत्रित पुलिस अधिकारियों की संतुष्टि पर पुलिस अधीक्षक के द्वारा की जाती है।
6. यद्यपि इण्डियन पुलिस एक्ट 1861 एवं सी0पी0ए0 2007 इस पद के लिए किसी योग्यता का निर्धारण नहीं करते हैं, तथापि ऐसे नवयुवक जो 5वीं पास हों, 18 साल के ऊपर हों एवं भौगोलिक परिस्थितियों से परिचित हों, ऐसे नवयुवकों को एस0पी0ओ0 नियुक्त करने में वरीयता प्रदान की जाती है एवं सम्पूर्ण प्रक्रिया को निश्चित निर्देशों के अनुसार ही पूरा किया जाता है।
7. 2 माह का प्रशिक्षण एस0पी0ओ0 के रूप में नियुक्त आदिवासी नवजवानों को दिया जाता है।
;पद्धण् साथ ही साथ इस प्रशिक्षण में बन्दूक चलाने की कला, प्राथमिक चिकित्सा एवं देखभाल फील्ड एवं कला ड्रिल यू0ए0सी0 ए0ं योग टेªनिंग तथा विभिन्न विषयों का प्रारम्भिक ज्ञान भी दिया जाता है। इसके अतिरिक्त कानून (इण्डियन पुलिस संहिता, भारतीय दण्ड संहिता साक्ष्य कानून) माइनर एक्ट (नाबालिग कानून) आदि को भी 24 क्लासेज में पढ़ाया जाता है।
;पपद्धण् मानवाधिकार एवं भारतीय
संविधान के लिए 12 पीरियड।
;पपपद्धण् वैज्ञानिक एवं फाॅरेंसिक सामग्री का 6 पीरियड में ज्ञान।
;पअद्धण् सामुदायिक पुलिस के लिए 6 पीरियड।
;अद्धण् बस्तर जिले की संस्कृति एवं रीति रिवाज के लिए 9 पीरियड।
;अपद्धण् इस सम्पूर्ण प्रशिक्षण की समस्त सामग्री जिसमें कि हर पीरियड एक घण्टे का होता था, वह इस अदालत में दाखिल किया गया।
;अपपपद्धण् प्रशिक्षण के उपरांत एस0पी0ओ0 को पुलिस नेतृत्व में स्थानीय क्षेत्रों में काम करने के लिए लगाया जाता था। इन एस0पी0ओ0 को पुलिस कप्तान, एस0एच0ओ0/एस0डी0ओ0पी0 एवं एडीशनल एस0पी0 के माध्यम से निर्देशित और नियंत्रित किया जाता हैं। अतीत में 1200 एस0पी0ओ0 को ड्युटी से अनुपस्थित रहने एवं अनुशासन हीनता के कारण सेवा से पदच्युत किया गया। अन्य 22 एस0पी0ओ0 के आपराधिक कार्यों के कारण उनके खिलाफ एफ0आई0आर0 दर्ज की गई और कानून के अनुसार उनके खिलाफ कार्यवाही की गई।
;अपपपद्ध वर्ष 2005 एवं अप्रैल 2011 के
मध्य में अपनी ड्यूटी को करते हुए 73 एस0पी0ओ0 ने अपने जीवन की बलि दी, 17 एस0पी0ओ0 जख्मी हुए। एस0पी0ओ0 की मृत्यु अथवा जख्मी होने की दशा में एस0पी0ओ0 के रिश्तेदारों के लिए राहत एवं पुनर्वास की व्यवस्था की गई है। इस सम्बन्ध में कुछ नियम बनाए गए जैसे की आर्थिक सहायता आदि।
;पगद्ध चूँकि छत्तीसगढ़ में तैनात सुरक्षा बल अधिकतर छत्तीसगढ़ राज्य के बाहर के थे, स्थानीय क्षेत्र, भौगोलिक स्थिति, संस्कृति एवं यह सूचना कि कौन नक्सलियों से हमदर्दी रखता है अथवा स्वयं नक्सली है- ये सारी कमियाँ राज्य की सुरक्षा में
बाधा उत्पन्न कर रही थीं। एस0पी0ओ0 स्थानीय होने के कारण इस कार्य के लिए बहुत लाभप्रद सिद्ध हो रहे हैं। विशेष रूप से राहत कैम्पों में स्थानीय अधिकारी के रूप में कार्य करने हेतु। एस0पी0ओ0, राहत कैम्पों पर हुए दर्जनों माओवादी हमले को विफल करने में सफल हुए हैं। साथ ही साथ उन्होंने नियमित सुरक्षा बलों को बचाने में विशेष योगदान दिया है।
;गद्ध एस0पी0ओ0 को नियमित सुरक्षा बल के रूप में समझा जाता है एवं राज्य द्वारा उनके कल्याण की पूरी व्यवस्था की जाती है। सबूत एवं उदाहरण के तौर पर यह कहा जा सकता है कि इसी कारण छत्तीसगढ़ सरकार ने कांस्टेबिल की भर्ती में नक्सलवादी हिंसा से पीडि़त व्यक्तियों को ज्यादा वरीयता दी है एवं एस0पी0ओ0 जिन्होंने भर्ती प्रवेश परीक्षा पास की है, उन्हें कांस्टेबिल के रूप में नियुक्त किया गया है।
;गपद्ध छत्तीसगढ़ सरकार ने दिनांक 06.05.2011 को विशिष्ट पुलिस अधिकारी विनियम प्रक्रिया, 2011 कानून बनाया।
30. यहाँ पर यह कहना तर्कसंगत है कि अदालत द्वारा इस मामले की सुनवाई करने के उपरान्त एवं निर्देशों को सुरक्षित करने के पश्चात, नवीन विनिमयतीकरण प्रक्रियाओं के तहत नवीन नियम इस
सम्बन्ध में बनाए गए। 16 मई 2011 के लिखित नोट में यह दावा किया गया कि एस0पी0ओ0 के प्रशिक्षण के लिए बेहतर कार्यक्रम इसलिए निर्धारित किया गया ताकि एस0पी0ओ0 को स्थानीय आदिवासियों के द्वारा महसूस की जा रही समस्याओं के प्रति और अधिक संवेदनशील और सुग्राह्य बनाया जाए। एस0पी0ओ0 गुमराह आदिवासियों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए एक विशिष्ट भूमिका निभा रहे हैं। लिखित नोट में यह भी कहा गया है कि वादियों के द्वारा एस0पी0ओ0 को समाप्त किए जाने की माँग छत्तीसगढ़ राज्य की कानून व्यवस्था को पूरी तरह से नष्ट कर देगा एवं छत्तीसगढ़ राज्य एस0पी0ओ0 को एक प्रभावकारी एवं सक्षम पुलिस बल बनाने के लिए उनको दिए गए प्रशिक्षण प्रोग्राम में और भी सुधार कर रहा है। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए नवीन विनियमतीकरण प्रक्रियाएँ भी बनाई जा रही हैं।

क्रमश:


अनुवादक : मो0 एहरार
मो 08009513858

1 टिप्पणी:

कुमार राधारमण ने कहा…

तीन हज़ार रुपये में ही अनुवाद,गाइडेंस,जासूसी- सब कुछ? हद्द है!

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