जन्म ---1914-------निधन 2003
अमेरिका के प्रगतिशील लेखको की परम्परा के महत्वपूर्ण उपन्यासकार , कहानीकार , पटकथा लेख हावर्ड फास्ट के अंतिम प्रयाण के साथ मानो एक युग ही समाप्त हो गया | जनता के साहित्य का ऐसा पुरोधा नही रहा जिसने दो तिहाई शताब्दी की अपनी लेखनीय उपस्थिति के द्वारा न केवल अमेरिका बल्कि दुनिया की
एक बड़ी आबादी के साथ अपनी कृतियों के माध्यम से एक लगातार संवाद बनाये रखा | अंग्रेजी भाषा में लिखने वाले हावर्ड फास्ट की कृतियाँ विश्व के सभी भाषाओं में अनुदित हुई और बड़े उत्साह तथा सम्मान के साथ पढ़ी गयी | अपने देश अमेरिका में वे अपने लेखक जीवन के प्रारम्भ से अन्त तक लगातार बेस्ट सेलर देने वाले लेखको में से एक रहे , जिन्होंने जीवन भर स्वतंत्रता , समता तथा मानवाधिकार की जबर्दस्त हिमायत की | भारत में उनकी ''स्पार्टकस '' अमेरिकन '' और '' मुक्तिमार्ग '' जैसी अनुदित उपन्यास कृतियाँ बहुत लोकप्रिय रही | जनपक्षधर रचनाकारों के लिए हावर्ड फास्ट एक आदर्श बने रहे -- एक ऐसे आदर्श जिसे प्राप्त करने की आकाक्षा हर जनपक्षधर उपन्यासकार की हो -- एक लेखक के रूप में संघर्षशील और जनता में लोकप्रिय होने का आदर्श | विश्व साहित्य में स्पार्टकस की स्थिति तो संघर्ष के एक प्रतीकात्मक
बीजग्र्न्थ जैसी है | इतिहास की गहराइयो से मनुष्य के अदम्य साहस और संघर्ष की अंतर्वस्तु को वर्तमान के लिए प्रेरणा स्रोत बनाने वाले हावर्ड फास्ट ने अंतिम सांस 88 वर्ष की अवस्था में अपने प्रिय शहर ओल्ड ग्रीनिच में ली |
अ[ने जीवन काल में हावर्ड फास्ट अमेरिका के सबसे बड़े लेखक थे उन्होंने एक बेहद चर्चित व सम्मानित लेखक के बतौर 80 पुस्तके लिखी | उन्होंने उपन्यास , पटकथा , कविताएं और पर्याप्त मात्रा में पत्रकारी लेखन भी किया | हावर्ड फास्ट की कृतियों को आधुनिकतावादियों की तकनीकी तुलना में थोड़ा पिछड़ा हुआ माना जा सकता है मगर उनमे गजब की पठनीयता और पाठको को बाधे रखने वाली रोचकता मिलती है |जिसने उन्हें आधुनिकतावादियो की तुलना में वृहत्तर पाठक वर्ग दिया | '' सिटिजन टाम पेन " , ' फ्रीडम रोड '' ओर सपार्टकस ' जैसी लोकप्रिय रचनाये अपने अनुवादों में भी अपनी औपन्यासिक पठनीयता नही खोयी | हावर्ड फास्ट ने बीसवी शताब्दी के अतिशय प्रयोगवादी दौर में लिखना शुरू किया था और उस समय के लेखको की तुलना में वे थोड़ा पारम्परिक ही लगेगे | हावर्ड फास्ट अपने उपन्यासों में जगह -- जगह उपदेश देते भी मिलेंगे जिसे उस दौर के आलोचकों ने एक कमजोरी के रूप में रेखांकित किया | मगर गहरी प्रतिबद्धता वाले लेखको के बतौर उन्होंने अपनी सीधे सम्वाद करने की शैली और लोकप्रियता प्रदान करने वाली पठनीयता को नही छोड़ा | वे राजनितिक पक्षधरता के हामी थे और अपने पाठको से भी इसी बात की आशा करते थे | उनका मानना था की किसी भी व्यक्ति के दार्शनिक विचारों का तब तक कोई अर्थ नही होता जब तक वह उसके जीवन और कार्यो में परिलक्षित न हो | एक सच्चे समाजवादी की तरह वे व्यवहार को सिद्धांत की कसौटी मानते थे |हावर्ड फास्ट अपनी विचारधारा की गहराई के बाद अपने वर्णनों में अक्सर वस्तुनिष्ठ होते थे और यही उनके उपन्यासों को सफल बनाने वाला तत्व भी था | '' द लास्ट फ्रंटियर '' 1941 इस बात का जोरदार उदाहरण है लेकिन कही नही उनका विचारधारात्मक दबाव जरूरत से अधिक भी हो गया है जैसे '' क्लार्कटन 1947 उपन्यास में जो एक मिल हडताल पर लिखी गयी है | कुछ ऐसी ही बात '' साइलास टिम्बर '' 1954 के बारे में कही जा सकती है जो मैकार्थीवाद के शिकार एक व्यक्ति पर लिखित है | हावर्ड फास्ट स्वंय इस मैकार्थीवाद के शिकार हुए थे | 1950 के दशक में उन्हें मार्क्सवाद विरोधी अमेरिकी शासन का प्रकोप झेलना पडा | उनकी रचनाओं को प्रतिबंधित किया गया और उन्हें तीन महीने का कारावास भोगना पडा | लेकिन इस सबसे उनका लिखना रुका नही हालाकि उनके लेखन में धीमापन अवश्य आया |
हावर्ड फास्ट ने अपने शुरूआती जिन्दगी बेहद गरीबी में काटी | इसके कारण वे मार्क्सवादी और समाजवादी सोच की ओर प्रवृत्त हुए थे | वे एक निम्न वर्गीय श्रमिक परिवार के चार बच्चो में से एक थे | उनके पिता बार्ने फास्ट एक लोहा मजदूर थे जो बाद में केवल कार बनाने और कपड़े के काम में लगे | हावर्ड फास्ट की माँ इडा की मृत्यु उनके बचपन में ही हो गया थी | खर्चे के लिए पैसा कमाने की मजबूरी के कारण उन्हें फुटकर कार्यो में लगना पडा | जार्ज वाशिंगटन स्कूल से निकलने के बाद उनकी शिक्षा धनाभाव के कारण आगे न बढ़ सकी | अपनी इस कम शिक्षा का ही प्रयोग उन्होंने अपने लेखन कार्य में किया यद्दपि बाद में उन्होंने न्यूयार्क के नेशनल एकेडमी आफ डिजाइन में भी शिक्षा ग्रहण की |
हावर्ड फास्ट का प्रारम्भिक लेखन आश्चर्यजंनक था सत्तरह वर्ष की उम्र में हावर्ड फास्ट ने अपनी पहली कहानी '' अमेजिंग स्टोरीज मैगजीन '' में भेजी और अगले ही वर्ष अपना पहला उपन्यास '' टू विलेजज'' डाल प्रेस को 100 डालर पेशगी पर प्रस्तुत किया | दो पुस्तके प्रकाशित होने के उपरान्त सन 1938 में बैली फोर्ज के बारे में उनका उपन्यास '' कन्सीबड '' इन लिबर्टी '' प्रकाशित हुआ जो भारी पैमाने पर सफल रहा और जिसका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ | अमेरिका गृहयुद्ध की पृष्ठभूमि पर लिखा गया यह उपन्यास सामान्य अमेरिकन जनता की बहादुरी का चित्रण करता है | उसके बाद '' द अनवैकिवशड़ '' उपन्यास जार्ज वाशिगटन और अमेरिका क्रान्ति के बुरे दिनों पर लिखा गया है | यह जीवंत उपन्यास हमे इतिहास के उस क्रांतिकारी दौर में पहुचा देने की क्षमता रखता है | परन्तु हावर्ड फास्ट के लिए सबसे महत्वपूर्ण कृति साबित हुई ''
सिटिजन टाम पेन '' जो क्रांतिकारी विचारक टाम पेन के जीवन पर आधारित उपन्यास था | प्रसिद्ध नाटककार इल्म्रर राईस ने इस उपन्यास पर एक जोरदार समीक्षा लिखी थी जिसके प्रकाशन के बाद इसे महत्वपूर्ण कृति मानी गयी | राईस ने इसे 18 वी शताब्दी के विशिष्ठम व्यकित्व का जीवंत चित्र कहा था |
सिटिजन टाम पेन उपन्यास का हावर्ड फास्ट की रचनाओं में अपना अलग ही महत्व दिया है |आलोचकों और इतिहासकारों का यह मत है की टाम पेन के व्यक्तित्व को पुन स्थापित करने में इस उपन्यास की महत्वपूर्ण भूमिका रही | इस उपन्यास के प्रकाशन से पूर्व टाम पेन एक अचर्चित , कुविचारित और तिरस्कृत विचारक थे
जिन्हें जान बुझकर एक अभियान के तहत अनदेखा किया गया था | ध्यात्ब्य है की टाम पेन का प्रभाव शैली और बर्ड्सवर्थ जैसे अंग्रजी के रोमांटिक कवियों पर बहुत ही गहरा था , मगर बाद में पेन इतिहास के अन्धकार में पड़े रहे | यदि आज टाम पेन को विश्व के प्रमुख स्वतंत्रता और समानता के समर्थक लोकतांत्रिक
विचारको में माना जाता है तो उसके पीछे हावर्ड फास्ट और उनके इस उपन्यास की महत्वपूर्ण भूमिका रही है |
हावर्ड फास्ट की एक और महत्वपूर्ण कृति '' फ्रीडम रोड '' सन 1944 में प्रकाशित हुई जो गृहयुद्ध के बाद के दक्षिणी अमेरिका के एक दास के बारे में है जो बाद में सीनेटर बनता है और '' कू क्लुक्स षड्यंत्र '' से संघर्ष करता है | सन 1979 में इसी उन्यास पर निर्मित टेली सीरियल में प्रसिद्ध मुक्केबाज मोहम्मद अली ने भूमिका निभाई थी | इसी वर्ष '' स्पार्टकस '' का भी प्रकाशन हुआ जो रोम के गुलाम विद्रोह के बारे में है | रूह को कपा देने वाले दमन और अमानवीयता के बीच स्पार्टकस के संघर्ष की गाथा विश्व साहित्य में अप्रतिम है | रोमन दासो की यह क्रान्तिगाथा एक क्लासिक उपन्यास का स्थान पा चूकि है और हिन्दी सहित विश्व की सभी प्रमुख भाषा में इसका अनुवाद हो चुका है | हिन्दी में यह ऐतिहासिक महत्व का अनुवाद अमृत राय के हिस्से
में '' आदि विद्रोही '' के नाम से आया है |
स्पार्टकस का रचनाकाल हावर्ड फास्ट के लिए गम्भीर संघर्ष का समय था | इस दौर में मैकार्थीवाद के तहत कम्यूनिस्टो को खोज -- खोज कर सजाये दी जा रही थी | उन्हें सामाजिक तौर पर देश द्रोही होने के आरोप से कलंकित किया जा रहा था | प्रसिद्ध नाटककार आर्थर मिलर की ही तरह हावर्ड फास्ट को भी इस काले अमरीकी अभियान का शिकार बनना पडा और तीन माह की सजा भगतनी पड़ी | उनकी पुस्तको को काली सूचि में शामिल कर दिया गया | 1951 में उनके प्रकाशक लिटिल ब्राउन के प्रमुख सम्पादक एगस केमेरान पर भी मैकार्थीवाद की गाज गिरी और उन्हें त्यागपत्र देने पर मजबूर होना पडा | आरोप था कम्युनिस्ट लेखको की पुस्तको को प्रकाशित करने का '' स्पार्टकस '' के प्रकाशन के लिए उन्हें एक प्रकाशक से दूसरे प्रकाशक के पास जाना पडा परन्तु कोई इस उपन्यास को प्रकाशित करने को तैयार नही हुआ | बाद में डबूलड़े के एक सदस्य ने उन्हें इसे स्वंय ही प्रकाशित करने की सलाह दी और इस पुस्तक की 600 प्रतिया खरीद
लेने का आश्वासन भी दिया |
हावर्ड फास्ट के सर्वाधिक चर्चित और महत्वपूर्ण उपन्यास '' स्पार्टकस '' की कहानी ईसा पूर्व पहली शताब्दी में हुए रोमन दास विद्रोह पर आधारित है | यह एक महत्वपूर्ण बात है की इतिहास में इस दास विद्रोह का विस्तार से वर्णन नही मिलता और हावर्ड फास्ट की विशेषता यह है की उन्होंने इतिहास की इस कम
चर्चित घटना के चारो तरफ जिन्दगी का एक ऐसा ताना -- बाना बुना है जो रोमन समाज के अंतसंबंधो को अर्थपूर्ण स्वरूप देता है | मुक्ति संघर्षो के संदर्भ में वह एक ऐसी क्रांतिकारी कृति साबित हुई जिसकी प्रासंगिकता आज भी बनी है और जो जीवन में एक सार्थक अंतरदृष्टि प्रदान करती है | फास्ट के लिए इतिहास राजा -- रानी की कहानी न होकर संघर्षो की गाथाए थी जिनसे मनुष्य के सुन्दर वर्तमान की संभावना बनती है -- सुन्दर भविष्य की भी | रोमन इतिहास में दास विद्रोह के लिए बड़ा स्पेस नही क्योंकि उस इतिहास का लेखन सत्तापक्ष के द्वारा हुआ था | लेकिन फास्ट का उपन्यास दास विद्रोह को केंद्र में रखता है और उसका दमन करने वाले रोमन नायक परिधि पर रहते है | इतिहास में यह अंतर्दृष्टि फिर भी '' स्पार्टकस '' को एक उपन्यास ही रहने देती है -- न की ऐतिहासिक तथ्यों का पुलिंदा |
हावर्ट फास्ट ने 1943 में कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता स्वीकार की और 1956 तक उसके प्रति वफादार रहेलेकिन स्टालिन के अपराधो को लेकर खुशचेव के प्रछन्न वक्तव्य और रुसी सेना द्वारा हंगरी की क्रान्ति के कुचले जाने के बाद वे कम्युनिस्ट पार्टी से अलग हो गये | लेकिन उन्होंने समाजवाद के सिद्धांतो को नही त्यागा और मैकार्थीवाद को वे अमेरिका की स्वतंत्रता के लिए सबसे बड़ा खतरा बतलाते हुए उसके विरुद्ध संघर्षरत रहे | 1952 में उन्होंने अमरीकन लेबर पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा |
'' अप्रिल मानिर्वा '' 1960 , लेविट परिवार के संघर्ष पर आधारित '' द इमिग्रेंट्स '' 1977और सेकेण्ड जेनेरेशन '' 1978 '' द ईस्टबलिशमेंट 1979 द लिगेसी 1981 बाद की महत्वपूर्ण कृतियाँ थी जो शोध पर आधारित थी | ये
उपन्यास शताब्दी के प्रारम्भ से पीढ़ी दर पीढ़ी , वियतनाम युद्ध और स्त्रीवादी आन्दोलन तक के सीमान्तो को छूटे है | फास्ट ने ई.ई .कनिघम के नाम से जासूसी उपन्यास भी लिखे जिनका नायक मसाव मासुतो एक जेन बौद्ध था |
फास्ट स्वंय जेन बौद्ध दर्शन से प्रभावित थे | हावेद फास्ट की बाद में आने वाली कृतियों में '' द प्राउड एंड द फ्री ''द पैशन आफ सेको ईंद वैन्जेटी'' जैसे उपन्यास '' थर्टी पीसेज आफ सिल्वर '' नाटक , पिक्सीक्ल कथात्मक इतिवृत शामिल है | अस्सी पार करने के बाद भी फास्ट ने लिखना नही छोड़ा | उनका अंतिम उपन्यास '' ग्रीनिच '' 200 कुलीन समाज की एक डिनर पार्टी को लेकर लिखा गया है | यह वास्तव में अमेरिकी समाज में अपराध बोद्ध और मुक्ति की अंतर्कथा है | हावर्ड फास्ट ने अपने नाम से 40उपन्यास , ई . ई .कनिघम के
छदम नाम से 20 उपन्यास लिखे | इसके अतिरिक्त उन्होंने नाटक , पटकथाये , टी , वी. नाटक और कविताएं आदि भी अपने जीवन काल में लिखी |यहूदियों का एक इतिहास और कुछ राजनितिक जीवनिया तथा किशोरोपयोगी ग्रन्थ भी उनके हिस्से में है |यह एक तथ्य है की शताब्दी के प्रारम्भ के उपन्यासकारो की परम्परा में हावर्ड फास्ट ने एक बड़ी सीमा तक उस फिल्माकन तकनीक का इस्तेमाल किया जो दृश्यों पर अधिक ध्यान देती थी |इतिहास में यह परम्परा इंग्लैण्ड के उपन्यासकार टामस हार्डी तक पीछे जाती है जिसकी आधुनिक लेखको ने आलोचना की है | इस अर्थ में हार्ड फास्ट थोड़ा पीछे की तकनीकी का इस्तेमाल करते है
|वे तकनीकी की जटिलता से बचते हुए क्ति को ज्यादा महत्व देते है | वे यह सवाल करते है की एक उपन्यासकार के पास आखिर कहने लायक क्या है ? निश्चित रूप से उनके उपन्यासों में कथा वस्तु और किस्सागोई की तीव्रता के सवाल को कम महत्वपूर्ण बना देती है | यह प्रचार का स्वर तेज है और लेखक सब कुछ कह देने में बुरा नही मानता | लेकिन व्यक्तिगत कुछ नही | लेखक के विचार अवश्य है | अपने लेखन में हावर्ड फास्ट आत्मकथात्मक कम ही रहे | यदि थोड़ा बहुत ऐसा है भी तो वह आभास '' सिटिजन टाम पेन '' में मिलता है जहा नायक उन्ही की तरह एक लेखक क्रांतिकारी है जो अपने विडम्बना पूर्ण अंधकारमय भवु\इश्य से सुपरिचित है | पार्टी छोड़ने के बाद फास्ट को कम्युनिस्ट खेमे में अतिवादियो की आलोचना का शिकार होना पडा | मगर पाब्लो नेरुदा ने अपनी एक कविता फास्ट के लिए लिखी और पाब्लो पिकासो ने 1949 में पेरिस में उनका जोरदार स्वागत किया था | वे कभी तीखे कम्युनिस्ट विरोधी नही रहे | उनका विरोध मुख्यत: स्टालिन की अधिनायकवादी नीतियों से था | अमेरिका आने वाले सोवियत लेखको ने उन्हें सम्मान देना जारी रखा | मार्क्स वादियों का एक खेमा उन्हें बड़े सम्मान से पढता रहा | इसका कारण यह था की वे जीवन भर स्वतंत्रता , समता प्रगतिशीलता के समर्थन तथा फासीवाद विरोध के प्रतीक बने रहे | हावर्ड फास्ट
स्वंय वाल्ट हिव्तमैंन , मार्क टवेंन की उस जींवत मानवतावादी परम्परा के लेखक थे जिसका सूत्रपात टाम पेन , जेफरसन , अब्राहम लिकंन जैसे लोगो ने किया था |
इतिहास हावर्ड फास्ट का विषय है -- अमरीकी का इतिहास , यहूदी इतिहास औरविश्व का इतिहास , लेकिन यह इतिहास सामान्य जन का है जो संघर्षरत है |उपन्यास शताब्दी के प्रारम्भ से पीढ़ी दर पीढ़ी , वियतनाम युद्ध और स्त्रीवादी आन्दोलन तक के सीमान्तो को छूटे है | फास्ट ने ई.ई .कनिघम के नाम से जासूसी उपन्यास भी लिखे जिनका नायक मसाव मासुतो एक जेन बौद्ध था |
फास्ट स्वंय जेन बौद्ध दर्शन से प्रभावित थे | हावेद फास्ट की बाद में आने वाली कृतियों में '' द प्राउड एंड द फ्री ''द पैशन आफ सेको ईंद वैन्जेटी'' जैसे उपन्यास '' थर्टी पीसेज आफ सिल्वर '' नाटक , पिक्सीक्ल कथात्मक इतिवृत शामिल है | अस्सी पार करने के बाद भी फास्ट ने लिखना नही छोड़ा | उनका अंतिम उपन्यास '' ग्रीनिच '' 200 कुलीन समाज की एक डिनर पार्टी को लेकर लिखा गया है | यह वास्तव में अमेरिकी समाज में अपराध बोद्ध और मुक्ति की अंतर्कथा है | हावर्ड फास्ट ने अपने नाम से 40उपन्यास , ई . ई .कनिघम के
छदम नाम से 20 उपन्यास लिखे | इसके अतिरिक्त उन्होंने नाटक , पटकथाये , टी , वी. नाटक और कविताएं आदि भी अपने जीवन काल में लिखी |यहूदियों का एक इतिहास और कुछ राजनितिक जीवनिया तथा किशोरोपयोगी ग्रन्थ भी उनके हिस्से में है |यह एक तथ्य है की शताब्दी के प्रारम्भ के उपन्यासकारो की परम्परा में हावर्ड फास्ट ने एक बड़ी सीमा तक उस फिल्माकन तकनीक का इस्तेमाल किया जो दृश्यों पर अधिक ध्यान देती थी |इतिहास में यह परम्परा इंग्लैण्ड के उपन्यासकार टामस हार्डी तक पीछे जाती है जिसकी आधुनिक लेखको ने आलोचना की है | इस अर्थ में हार्ड फास्ट थोड़ा पीछे की तकनीकी का इस्तेमाल करते है
|वे तकनीकी की जटिलता से बचते हुए क्ति को ज्यादा महत्व देते है | वे यह सवाल करते है की एक उपन्यासकार के पास आखिर कहने लायक क्या है ? निश्चित रूप से उनके उपन्यासों में कथा वस्तु और किस्सागोई की तीव्रता के सवाल को कम महत्वपूर्ण बना देती है | यह प्रचार का स्वर तेज है और लेखक सब कुछ कह देने में बुरा नही मानता | लेकिन व्यक्तिगत कुछ नही | लेखक के विचार अवश्य है | अपने लेखन में हावर्ड फास्ट आत्मकथात्मक कम ही रहे | यदि थोड़ा बहुत ऐसा है भी तो वह आभास '' सिटिजन टाम पेन '' में मिलता है जहा नायक उन्ही की तरह एक लेखक क्रांतिकारी है जो अपने विडम्बना पूर्ण अंधकारमय भवु\इश्य से सुपरिचित है | पार्टी छोड़ने के बाद फास्ट को कम्युनिस्ट खेमे में अतिवादियो की आलोचना का शिकार होना पडा | मगर पाब्लो नेरुदा ने अपनी एक कविता फास्ट के लिए लिखी और पाब्लो पिकासो ने 1949 में पेरिस में उनका जोरदार स्वागत किया था | वे कभी तीखे कम्युनिस्ट विरोधी नही रहे | उनका विरोध मुख्यत: स्टालिन की अधिनायकवादी नीतियों से था | अमेरिका आने वाले सोवियत लेखको ने उन्हें सम्मान देना जारी रखा | मार्क्स वादियों का एक खेमा उन्हें बड़े सम्मान से पढता रहा | इसका कारण यह था की वे जीवन भर स्वतंत्रता , समता प्रगतिशीलता के समर्थन तथा फासीवाद विरोध के प्रतीक बने रहे | हावर्ड फास्ट
स्वंय वाल्ट हिव्तमैंन , मार्क टवेंन की उस जींवत मानवतावादी परम्परा के लेखक थे जिसका सूत्रपात टाम पेन , जेफरसन , अब्राहम लिकंन जैसे लोगो ने किया था |
हर युग और समय में वे मनुष्य के प्रगतिशील मूल्यों की तलाश करते है | उसके संघर्ष और उसकी विडम्बनाओ को | अक्सर यह संघर्ष त्रासद परिणितियो की ओर जाता है | परिणाम स्वरूप हावर्ड फास्ट की कृतियाँ अक्सर पाठको को एक भावनात्मक उदासी में डूबा देती है | मगर यह उदासी संघर्ष के प्रति एक उत्कट
आस्था भी पैदा करती है | फास्ट इतिहास और वर्तमान के सजीव पात्रो की कहने के प्रति एक उत्कट आस्था भी पैदा करती है फास्ट इतिहास और वर्तमान के सजीव पात्रो की कहानी कहते है | यही बात है जो उन्हें एक व्यापक पाठक वर्ग प्रदान करती थी | ऐतिहासिक घटनाए हो अथवा समसामयिक इतिहास , जो भी पददलित
है , पीड़ित है उनके साथ हावर्ड फास्ट अपनी रचनाओं में खड़े मिलते है | वह अत्याचार के शिकार किसी भी समूह अथवा व्यक्ति के साथ अपनी सहानुभूति व्यक्त करते है चाहे वे '' स्पार्टकस '' उपन्यास के संघर्षरत रोमन दास हो अथवा मुक्तिमार्ग या पीकसिकल के नीग्रो जाति के लोग |कोई भी वर्ण, जाति , देश
अथवा युग हो , वे सदा पीडितो के साथ है क्योंकि उनका आदर्श स्वतंत्रता और समानता की प्राप्ति है | वे एक ऐसे समाज का स्वप्न देखते है जो और उत्पीडन से मुक्त हो |जनता द्वारा हावर्ड फास्ट की रचनाये एकरुपिता और प्रेम से पढ़ी गयी | वे स्वंय भी औनिवेशिक जनता की समस्याओं और पीडाओ से परिचित थे |
उन्होंने एक जगह लिखा है | गत नौ वर्षो से अमरीका में हम लोग जो अपने आप को प्रगतिशील समझते है ; और शान्ति से प्यार करते है , जनवाद का आदर करते है करते है और युद्ध तथा फासिज्म से घृणा करते है , पुलिस के दमनकारी राज्य में रह रहे है , पहले से ज्यादा गहराई से हम आज हर जगह की औनिवेशिक जनता की विपदाए , अपमान और शानदार वीरता को समझ गये है और एक प्रकार से उनका और हमारा अनुभव एक ही रहा है ''|
हावर्ड फास्ट का पहला उपन्यास अमेरिकी मंदी के दौर में आया और बहुत लोकप्रिय हुआ1980 के दशक के भी वे बेस्ट सेलर बने रहे | उनके अंदर चरित्रों के रेखाकन की अदभुत क्षमता थी | पठनीयता और किस्सागोई के तत्व थे जिन्होंने उनकी रचनाओं को उत्तर आधुनिकता के दौर में भी चर्चित और लोकप्रिय बनाये रखा | अमेरिका के तमाम राजनितिक उथल - पुथल और अभिरुचि परिवर्तनों के दौर में वे सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रगतिशील बने रहे | हावर्ड फास्ट समानता और स्वतंत्रता के अप्रतिम उपन्यासकार थे | रोमन दासता से लेकन अमेरिकी क्रान्ति तक की संघर्षपूर्ण दास्ताँ को उन्होंने ऐसा औन्यासिक स्वरूप दिया जिसने उन्हें अमेरिका ही नही , पूरे विश्व में बेहद सम्मानित साहित्यकार का दर्जा प्रदान किया | अक्सर यह कहा गया की हावर्ड फास्ट ने कहानी के परवाह पर अधिक ध्यान दिया और इस चक्कर में ऐतिहासिक तथ्यों और कला की सूक्ष्मताओ की अनदेखी की | हार्वे स्वेडोऔर एलन नवीं जैसे हावर्ड फास्ट के आलोचकों ने उन पर ऐसे आरोप लगाए है पर यह प्रचंड
किस्सागोई ही थी जिसने उन्हें अपने हजारो हजार कला की सूक्ष्मताओ से
अनभिज्ञ पाठको के साथ जोड़े रखा | इतनी बड़ी मात्रा में लेखन करने वाले
हावर्ड फास्ट की अपने आप से अंतिम शिकायत यह थी की जितनी कहानिया उन्होंने जीवन भर में लिखी उससे अधिक कहानिया उनकी कलम से अनलिखी ही रह गयी | संघर्ष में गहरी रूचि और आस्था रखने वाले फास्ट को अपना जीवन 88 वर्ष जीवन छोटा और अपना पहाड़ जैसा काम काफी अपर्याप्त लगा | हिन्दी जगत में एक दो रचनाये लिखकर महानता का महाभाव पालने वाले लेखको को हावर्ड फास्ट की इस बैचेन आत्मप्रताड़ना से सबक लेना चाहिए \
आभार अभिनव कदम
-सुनील दत्ता पत्रकार
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