गुरुवार, 3 सितंबर 2015

पुलिस चौकी को पुलिस वालों ने पेशबंदी में स्वयं जलाया

जनता के विरूद्ध प्रशासन का युद्ध
जनता के विरूद्ध प्रशासन का युद्ध


जनता के विरूद्ध प्रशासन का युद्ध
जनता के विरूद्ध प्रशासन का युद्ध


जनता के विरूद्ध प्रशासन का युद्ध
बाराबंकी .सुभाष रघुवंशी उर्फ सुभाष रावत निवासी सरसौंदी, थाना देवां, जिला-बाराबंकी की थाने में हत्या के बाद जनता के विरूद्ध प्रशासन का युद्ध की भयावह स्थिति का आपने विभिन्न गांवों में जाकर निरीक्षण किया है इसके लिए आयोग बधाई का पात्र है। सुभाष रघुवंशी उर्फ सुभाष रावत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के दिशा निर्देश में तैयार कराई गई है। इस बात का सबूत पोस्टमार्टम करते समय की गयी वीडियो ग्राफी में होगा। उस वीडियो ग्राफी में सबूत मिटाने के लिए ट्रेम्पिरिंग की जाती है और मृतक के शरीर से चोटों के निशान वीडियो से हटा दिये जाते हैं इसलिए आवश्यक यह है कि सुभाष रघुवंशी उर्फ सुभाष रावत की पोस्टमार्टम की वीडियो रिकार्डिंग का फोरेंसिंक लैब से जांच करायी जाये। उस जांच से यह साबित हो जायेगा कि कौन-कौन सी चोटों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दर्शित नहीं किया गया है। साक्ष्य मिटाना 201 आई0पी0सी0 का गम्भीर अपराध भी है और इस कृत्य में डाक्टर व पुलिस प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हैं। वीडियो की फोरेंसिंक जांच राष्ट्रीय स्तर के लैब से कराने की आवश्यकता है। 
                                           यह बात   रणधीर सिंह सुमन ,सहसचिव  ,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी,बाराबंकी ने अध्यक्ष , राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग नई दिल्लीको एक पत्र  भेज कर कहीऔर  इस दिशा  में जाँच कराने  का अनुरोध किया .
ज्ञात्वय है कि बाराबंकी पुलिस द्वारा सरसौदी गांव यहाँ का सुभाष दलित लड़का पुलिस की मार से थाने पर मर गया था पर पुलिस ने उस द्वारा लैट्रीन में आत्महत्या करना दिखाया था और उस की लाश भी घर वालों को नहीं दी थी द्वारा उस के गाँव के कुछ घरों में भयानक तोड़फोड़ की गयी। पुलिस ने इसे जवाबी कार्रवाही कहा था क्योंकि पुलिस का कहना है कि गाँव वालों ने मिल कर पुलिस चौकी का छप्पर जला दिया था। गांव में जाने पर हमें गाँव वालों ने बताया था कि पुलिस चौकी को पुलिस वालों ने पेशबंदी में स्वयं जलाया था।
क्या किसी सभ्य देश की पुलिस अपने ही लोगों के साथ ऐसा व्यवहार करती है ? अगर यह मान भी लिया जाये कि गांव वालों ने ही पुलिस चौकी जलायी थी तो क्या पुलिस को इस प्रकार की तोड़फोड़ करने का अधिकार है। हम लोगों ने पुलिस द्वारा की गयी तोड़फोड़ से हुए नुक्सान का मुयावज़ा दिए जाने और दोषी पुलिस वालों को दण्डित किये जाने की मांग की है। पुलिस हिरासत में सुभाष की मौत के लिए जिम्मेदार पुलिस वालों के विरुद्ध हत्या का मुकदमा दर्ज़ किया जाना चाहिए।
यह भी ज्ञात हुआ है पुलिस द्वारा तोड़फोड़ की कार्रवाही उच्च अधिकारीयों के खुले आदेश पर ही की गयी थी.
--रणधीर  सिंह सुमन

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