शनिवार, 14 नवंबर 2015

आतंक :अमेरिका की दोहरी नीतियों का परिणाम

सोवियत यूनियन के खिलाफ अमेरिका ने पाकिस्तान के उन क्षेत्रों को जो अफगानिस्तान से मिले हुए थे वहां पर मदरसों के माध्यम से तालिबान को पूरी तरीके से पोषित कर सोवियत संघ को अफगानिस्तान में नीचा दिखाया था. अमेरिकी मदद के बाद तालिबान का वृक्ष वटवृक्ष का रूप धारण कर लिया और जब अमेरिका के खिलाफ कुछ क्षेत्रों में उसने लड़ाईयां लड़ी तो अमेरिका ने आतंकवाद समाप्त करने का नारा दिया. ईराक में अमेरिका ने सद्दाम हुसैन की सरकार को नष्ट कर दिया और वहां की जनता को कोई व्यवस्था नहीं दी. इसी तरह इराक के अगल-बगल के देशों में अमेरिका ने उन सरकारों को नष्ट करने के लिए तमाम सारे आतंकी संगठनो को मदद करके एक शैतान का साम्राज्य स्थापित कर दिया.  
ईराक की अव्यवस्था के बाद आई एस आई एस का उभार सामने आता है और सीरिया में असद की सरकार को नष्ट करने के लिए उसकी मदद पश्चिमी देशों ने की थी . आई एस आई एस का नेता अबु बक्र अल-बगदादी 2003 में इराक में अमेरिकी घुसपैठ के बाद बागी गुटों के साथ अमेरिकी फौज से लड़ा था। वह पकड़ा भी गया और 2005-09 के दौरान उसे दक्षिणी इराक में अमेरिका के बनाए जेल कैंप बुका में रखा गया था। और 2010 में इराक के अलकायदा का नेता बन गया। कहा यह जाता है कि बगदादी को अमेरिकी जेलों में ट्रेनिंग देकर छोड़ा गया था कि सीरिया जैसे मुल्कों को वह अपने कब्जे में ले लेगा. जो भी ताकत बगदादी के पास है वह ताकत अमेरिकी साम्राज्यवादी नीतियों के समर्थक देशों के बदौलत है. अब सवाल यह उठता है कि बगदादी के पास जो अत्याधुनिक हथियार हैं उनकी सप्लाई कौन से मुल्क कर रहे हैं और उसके बदले में सस्ता पेट्रोलियम पदार्थ कौन से मुल्क खरीद रहे हैं इन सवालों का पश्चिमी देश चुप्पी साध लेते हैं. 
आतंकियों को बेरोजगार नौजवानों  को  जिनके कोई रोजगार  नही है तो वह पैसो  के लिए   उनके हितसाधक  बन जाते है और धर्म  की गलत बयानी का नशा  पीकर  जन्नत   जाने की लालसा  में  वह सब कुछ करने को तैयार  हो जाते है तब वह धर्म की करुणा-दया -प्यार   को भूल जाते है अमरीकियों  ने तो धर्म  के शब्दों  के अर्थ  ही बदल डाले है
वही दिल्ली यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर  डॉक्टर सुधीर सिंह कहते हैं,कि “अफगानिस्तान की सेना बहुत हद तक तालिबान से या इस्लामिक स्टेट के आतंकियों से लड़ने में सक्षम है। ऐसे में जरूरत इस बात की भी है कि अफगानिस्तान की सेना को और मजबूत किया जाए। रूस-भारत और मध्य एशिया के देशों ने अच्छी पहल की है। भारत ने भी चार लड़ाकू हेलीकॉप्टर्स दिए हैं अफगानिस्तान की सेना को। अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी भारत आने वाले हैं। भारत-रूस ने बहुत सारे हथियार अफगानिस्तान की सेना को देने का फैसला किया है। ईरान भी इसमें सहयोग कर रहा है। अब अमेरिका वस्तुस्थिति को समझते हुए इसे मुद्दा न बनाए। सीरिया में भी असद के विरोध या समर्थन को भी अमेरिका को मुद्दा नहीं बनाते हुए सारा ध्यान इस्लामिक स्टेट के सफाई पर केंद्रित किया जाना चाहिए। इस लड़ाई का विस्तार इराक में भी होना चाहिए क्योंकि यहां भी इस्लामिक स्टेट का गढ़ है और इन आतंकियों के लिए देश की सीमाओं का कोई मतलब नहीं है। अभी तक लड़ाई सीरिया की सीमा के अंदर चल रही हैं। यही नहीं अमेरिका को यहां भी यह तय करना होगा कि वो इस्लामिक स्टेट के आतंकियों का सफाया करे ना की असद की सेना को नुकसान पहुंचाया जाए“। फ्रांस की राजधानी पेरिस में जो घटनाएं घटी हैं वह निंदनीय हैं, दुखद हैं लेकिन यह तय करना पड़ेगा कि दोहरी नीतियों के कारण बगदादी जैसे लोग विश्व समुदाय के लिए खतरा बन गए हैं लेकिन जब तक अमेरिका की दोहरी नीतियां बंद नहीं होती हैं और उसकी मुनाफाखोर नीतियां हमेशा आतंक और आतंकवादियों को जन्म देती रहेंगी. बगदादी का विनाश अगर पश्चिमी मुल्क चाहे तो उसके सस्ते पेट्रोल खरीद को बंद करके तथा इमानदारी से हथियार सप्लाई करने वाली चैन को ध्वस्त कर दे तो निश्चित रूप से इन आधुनिक शैतानो का विनाश हो सकता है. रूस ने लगातार हमले कर बगदादी की ताकत को लगभग समाप्त सा कर दिया है लेकिन पश्चिमी देशों की दोमुही नीतियों के कारण वह आज भी जिंदा है. आतंकवाद हमेशा निरीह जनता को मार डालने का ही काम करता है उसका कोई धर्म नहीं होता है. इंसान का लहू पीना उसकी फितरत है लेकिन राजनीति की जरूरतों के कारण आतंकवादी पैदा किये जाते हैं और जब वह पलट कर पैदा करने वालों को पीटने लगते हैं तब असली कष्ट का एहसास होता है वही हालत पेरिस घटना के बाद तमाम सारे साम्राज्यवादी लोगों को महसूस हो रहा है. हम सब मानवता पसंद लोग फ्रांस की जनता के साथ हैं. जनता को चाहिए कि अपने-अपने मुल्कों की सरकारों को बाध्य करे की वह आतंकवादियों की मदद अपनी राजनितिक आवश्यकताओं के लिए न करे.
 सुमन
लो क सं घ र्ष !

3 टिप्‍पणियां:

Prabhat Tripathi ने कहा…

अच्छा आलेख, सही विश्लेषण

Prabhat Tripathi ने कहा…

अच्छा आलेख, सही विश्लेषण

kuldeep thakur ने कहा…

जय मां हाटेशवरी....
आप ने लिखा...
कुठ लोगों ने ही पढ़ा...
हमारा प्रयास है कि इसे सभी पढ़े...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना....
दिनांक 016/11/2015 को रचना के महत्वपूर्ण अंश के साथ....
चर्चा मंच[कुलदीप ठाकुर द्वारा प्रस्तुत चर्चा] पर... लिंक की जा रही है...
इस चर्चा में आप भी सादर आमंत्रित हैं...
टिप्पणियों के माध्यम से आप के सुझावों का स्वागत है....
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
कुलदीप ठाकुर...


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