रविवार, 28 अगस्त 2016

दाना मांझी की पत्नी की शवयात्रा


हाँ बहुत ग़रीब है

दाना मांझी

इसीलिए

ढोनी पड़ रटी है

एक चादर में

पाँव उसके भी

हैं चादर से बाहर

ग़रीब ज़िंदा हो

या हो मुर्दा

पाँव उसके सदा ही .....

और घर

अस्पताल से सिप़र्फ ही है उसे           

पत्नी की लाश

रखकर सर पर

अस्पताल से घर तक

लाश जो लिप

साठ किलोमीटर ही तो है

उसका घर

जिस रास्ते से

जा रहा है

दाना मांझी

पत्नी की लाश

और

बारह बरस की

रोती-बिलखती

बेटी के साथ

अकेला

पर

अकेला कहाँ है दाना मांझी?

रास्ते के दोनों ओर

खड़े हैं बहुत से लोग

लिए हुए हाथों में

अपने-अपने मोबाइल पफोन

बना रहे हैं वीडियो

जिसे अपलोड करेंगे

सोशल मीडिया पर

दाना मांझी जब

थक जाता है

कुछ दूर चलने के बाद

तो उतारकर रख देता है शव

ध्रती पर

साथ चल रहे लोग भी

रुक जाते हैं

देखने के लिए ये

कि कैसे दोबारा

दाना मांझी उठाएगा

अपनी पत्नी का शव

ले जाने के लिए

साठ किलोमीटर दूर स्थित

अपने गाँव

कोई नहीं देता

दाना मांझी की

पत्नी की अरथी को

कंध

दें भी तो कैसे?

अरथी कहाँ है?

अरथी तो बनती है

मृतक की चारपाई की

बाहियाँ निकालकर

ग़रीब के पास

कहाँ होती है चारपाई

चारपाई के बिना

कैसे बने अरथी

हम अरथियों को

बड़ी-बड़ी अरथियों को

कंध देते हैं

हम वो हैं

जो

अपनी लाश ख़ुद

अपने कंधें पर

ढोते हैं

हम ख़ुद मुर्दा हैं

और ये निराली शवयात्रा

सिप़र्फ दाना मांझी की

पत्नी की शवयात्रा नहीं

ये शवयात्रा है

हमारी संवेदनहीनता की

ये शवयात्रा है

हमारे समाज की निरर्थकता की

ये शवयात्रा है

हमारे प्यारे राष्ट्र की

राष्ट्र जो सारे जहाँ से अच्छा है

उस अच्छाई की नपुंसकता की

और आप?

आप क्यों कसमसाने लगे

ये शवयात्रा है

आपकी

मेरी

हम सब की











सीताराम गुप्ता
फोन नं. 09555622323

1 टिप्पणी:

अजय कुमार झा ने कहा…

इस घटना के सबको जाने कितना उद्वेलित किया ..दर्द कई रूपों में सामने आया है ...भावुक रचना

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