सांगठनिक असफलताओँ को लेकर कार्यकर्ताओँ मेँ उपजा असन्तोष
उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ताओँ मेँ अब राज्य नेतृत्व के खिलाफ असन्तोष परिलक्षित होने लगा है , कारण यही है कि जमीनी कार्यकर्ताओँ के अभाव को दूर करने के लिए उत्तर प्रदेश काँग्रेस के अध्यक्ष राजबब्बर ना तो कोई कार्ययोजना ला पाए और जब कोई कार्ययोजना ही नहीँ बनी तो उस पर अमल का सवाल ही नहीँ उठता है ।

दूसरी और काँग्रेस अध्यक्ष के आगमन पर दिखी कमजोरियोँ से पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता भी बेहद नाराज हैँ । उनका कहना है कि प्रदेश अध्यक्ष ने जब समर्पित कार्यकर्ताओँ की उपेक्षा कर ऎसे लोगोँ को पदोँ से नवाजना शुरू कर दिया जिनका काँग्रेस सँगठन मेँ कभी उल्लेखनीय योगदान नहीँ रहा बस उन्होने अपनी ठेकेदारी की कमाई से प्रदेश अध्यक्ष की सुख सुविधाओँ पर पैसा खर्च किया और उसी पैसे के दम पर प्रदेश अध्यक्ष को अपने घेरे मेँ कैद कर रखा है ।
हाल ही मेँ सोशल मीडिया पर समर्पित कार्यकर्ताओँ ने यह सवाल भी उठाया है कि प्रदेश अध्यक्ष को पार्टी कार्यकर्ताओँ से इतना डरहै कि वे स्पान्सर्ड बाक्सरोँ की टोली से घिर कर पार्टी कार्यालय आते हैँ । इस पोस्ट को लेकर भी काँग्रेस मेँ चर्चाओँ का बाजार गर्म है ।
कार्यकर्ता अभी भी यह आस लगाए हैँ कि हाईकमान तक ये बातेँ पहुँचेँगी और हाईकमान जल्दी ही कोई निर्णय लेगा । लेकिन देरी होने पर कार्यकर्ताओँ का गुस्सा और बढ सकता है ।
कार्यकर्ताओँ का कहना है कि काँग्रेस ने अमेठी का जवाब बनारस मेँ अमित शाह के आगमन पर विरोध प्रदर्शन कर के देने की कोशिश ज़रूर की लेकिन ग्राउण्ड नेटवर्किँग की कमजोरी के चलते जब विरोध प्रदर्शन करने वालोँ की गिरफ्तारियाँ की गयीँ तो गिरफ्तार नेता और कार्यकर्ता मिलाकर भी एक बस भरने भर की सँख्या पूरी नहीँ कर पाए । इस जमीनी कार्यकर्ताओँ की कमजोरी के लिए भी कार्यकर्ता प्रदेश अध्यक्ष को जिम्मेदार ठहरा रहे हैँ ।
- भूपेन्दर पाल सिंह
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