गुरुवार, 19 मार्च 2020

दिल्ली दंगों में बिखरते सपने


दिल्ली दंगों में शिव विहार के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित इलाका खजूरी खास है जहां पर लगभग 50 घरों में लूटपाट, आगजनी और तोड़-फोड़ की गई है। खजूरी खास के गली नं. 4, 5 और 29 में घरों को चुन चुन कर निशाना बनाया गया है। यहां पर अधिकतर घर उत्तरी बिहार से आये हुए प्रवासी मुस्लिम मजदूरों के हैं  जो 80 के दशक में रोजी-रोटी कमाने के लिए बिहार से दिल्ली चले आए। यहां आकर कुछ लोग रिक्शा चलाने का काम करते लगे, तो कोई राज मिस्त्री, बेलदारी, ऑटो चलाकर दिल्ली को सजाने संवारने में भागीदारी की। यहां पर रहने वाले मो. इमरान ने बताया कि वह 1972 से इस इलाके में रहते हैं। पहले वह किराये पर रहते थे लेकिन 1980 के बाद उन्होंने प्लाट खरीद कर अपने लिए दो मंजिला घर बना लिया। लोग बसते गये और बच्चों के भविष्य को अच्छा बनाने में लगे रहे।वह बताते हैं कि 1978 में यमुना से यहां तक पानी ही पानी हो गया था। 
शबनम सहरसा, बिहार की रहने वाली हैं। उनके ससुर कलीम 40 साल पहले दिल्ली में आकर राज मिस्त्री का काम करने लगे और 30 साल पहले 40 गज जमीन खरीद कर खजूरी खास गली नं 29 में रहने लगे। हंसी खुशी के साथ बेटे अमजद की शादी शबनम से किया। अमजद मोबाइल मरम्मत का काम नोएडा में करते थे और अतिरिक्त कमाई के लिए वह घर पर भी काम लाकर करते थे। अमजद और शबनम की तीन बेटियों को अच्छी शिक्षा देने के लिए प्राइवेट स्कूल में दाखिला कराया, वह चाहते थे कि उनकी बेटियां पढ़-लिख कर आगे बढ़ें। शबनम बताती हैं कि उनकी जिन्दगी बहुत ही अच्छी तरह से चल रही थी वह लोग अपने जीवन में खुश थे। तभी 25 फरवरी, 2020 को वह मनहूस दिन उनकी जिन्दगी में आया जब दंगाईयों ने उनकी गली में दोनो ओर  से हमला कर दिया। उन्होनें घर में ताला बन्द कर परिवार और मुहल्ले के अन्य लोगों के साथ एक तीन मंजिला इमारत में शरण ली ताकि वह सुरक्षित रह सके और दंगाई चले जायेंगे लेकिन दंगाईयों ने उनके घरों को लूटा और आग लगाया। जहां पर शबनम और उनका परिवार शरण लिया था वहां भी दंगाईयां ने हमला किया वह लोग एक छत से दूसरे छत पर कूदते हुए किसी तरह भाग पाये। पुलिस को फोन करने पर पुलिस नहीं आई।शबनम ने पुलिस को फोन किया तो पुलिस यह पूछने लगी कि कितने लोग फंसे हुए हो गिन कर बताओ। इसी तरह अन्य लोगों ने भी फोन किया लेकिन पुलिस आई नहीं। शबनम कहती है कि घर जला दिये जाने और लूटने के बाद ही हम लोग शून्य हो गये थे लेकिन अब हम माइनस (कर्ज) में जा रहे हैं। काम-काज बन्द है हमने जो लोन लिया था उसकी ईएमआई जमा करनी हैं। हमारे पति ने घर पर मोबाईल को सही करने के लिए दो लाख रू. का मशीन और किस्त पर बाइक लिया था उसका ईएमआई देना है। बाइक और मशीन को दंगाइयों ने जला दिया। अमजद ने जिन लोगो का मोबाईल फोन ठीक करने का लिया था वो भी आग मे जल गए लेकिन कस्टमर अपना फोन वापस मांग रहे हैं जिसमें से कई आई फोन था। शबनम कहती हैं कि अब हम उनको कैसे वापस दें हमारे पास तो कुछ बचा ही नहीं। शबनम को चिंता अपने बच्चों का हैं जिनका किताब, कॉपी और स्कूल के ड्रेस जल चुका है, वह अपने बच्चों के स्कूल का फीस भी नहीं दे सकती जिससे उनका नाम कट सकता है। वह अभी चंदू नगर में किसी के घर पर रहती हैं। उनका मकान पूरी तरह जल चुका है जिसको पूरा तोड़ कर ही बनाया जा सकता है लेकिन सरकार उसको पूरी छति के रूप में नहीं ले रही है। वह चंदू नगर में ही किराया पर रहना चाहती हैं लेकिन वहां पर अभी किराया दोगुना हो गया है जो 3000 रू. का किराया था वह अब 6000 रू. किराये मांग रहे हैं।
यही हालत शबनम के और पड़ोसियों नूजहत और रूखसाना के परिवार का है। रूखसाना का परिवार खगड़िया, बिहार का रहने वाला है। रूखसाना की बेटी दिल्ली विश्वविद्यालय ओपन से बीए प्रोग्राम फाईनल वर्ष की छात्रा है। वह कहती है उसकी किताब भी जल गये हैं और इस माहौल में वह पढ़ भी नहीं सकती हैं। उस छात्रा ने बताया कि जब दंगाई आये तो वह घरों में ताला बंद कर मुख्य दरवाजे पर करेंट लगा कर चले गए उसी तीन मंजिला इमारत मे चले गए जहां शबनम का परिवार  थे जिससे कि दंगाई घर के अंदर नहीं आ पायें और वहा मुहल्ले के अन्य लोगो के साथ सुरक्षित रह सकें। दंगाई आकर बिजली के पोल को उखाड़ दिए जिससे कि लाईट कट हो गई और घरों के ताले तोड़कर सामान के लूट कर घरों को आग के हवाले कर दिया। रूखसाना के बच्चों के सभी सार्टिफिकेट और कागजात जल चुके हैं, गांव पर भी उनके पास कुछ नहीं है।
नूजहत, खगड़िया बिहार की रहने वाली है। वह अपने तीन बेटियों, एक बेटा और पति के साथ खजूरी खास गली नं. 29 में ही रहती है। नूजहत बताती हैं कि उनका 20 से 22 लाख रू. का नुकसान हुआ है लेकिन सरकार इसको अर्द्ध छति ही मान रही है और हमारे चार मंजिला मकान में एक ही फ्लोर का सर्वे हुआ है। वह कहती है कि एसडीएम ने कहा कि एक ही मंजिल का करा लो हो जायेगा। नूजहत 2005 में 31 गज जमीन 1,30,000 रू. में खरीदी थी। 15 साल पति पत्नी ने लगातार परिश्रम करके घर को चार मंजिल बनाया था। चौथा मंजिल वह छह माह पहले ही तैयार की थी। पति एफसीआई गोदाम में काम करते हैं और नूजहत घर पर ही सिलाई का काम करती हैं। नूजहत के पास लोगों के 35-40 जोड़ी कपड़े सिलाई के लिए रखे हुए थे, दंगाईयों ने उसको लूट लिया और उनकी अलमारी को तोड़ कर उनके जेवर और पैसे लूट ले गये और उनके घरों के बाथरूम तक में भी तोड़ फोड़ कर आग लगा दी। उनका बड़ा बेटा बारहवीं करने के बाद यमुना बिहार में इंजिनियरिंग का का कोर्स कर रहा था उसके कोचिंग सेंटर को भी दंगाईयों ने जला दिया है। नूजहत की एक बेटियां बारहवीं, सातवीं और तीसरी कक्षा में पढ़ती हैं। उनके चारों बच्चों के स्कूल सर्टिफिकेट और सभी प्रकार के कागजात जल गये हैं। उनके मकान की सभी मंजिल पर आग लगाई गई हैं।
कॉलोनी में लगे दिल्ली सरकार की सीसीटीवी को तोड़ दिया गया और दंगाई उसके हार्ड डिस्क साथ लेकर चले गये। दिल्ली सरकार अपने पास की सीसीटीवी फुटेज निकाल कर दंगाईयों की पहचान क्यों नहीं कर रही है? सवाल है कि जब उनसे प्रमाण पत्र मांगे जाएंगे तो वह कहां से दिखा पाएंगे। क्या घरों की 2.5 लाख रू. की मुआवजा पर्याप्त है। शबनम, नूजहत और रूखसाना के परिवार ने जो सालों मेहनत करके बचत किया था सपने संजोए थे क्या उसकी भरपाई सरकार कर पायेगी, क्या वह उन सपनों में फिर से विश्वास कर सकते हैं
-सुनील कुमार

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